अमेरिका को बड़ा झटका: भारत की बदलती विदेश नीति का 'रूस-चीन' अध्याय!

अमेरिकी टैरिफ ने भारत को रूस के और नजदीक ला दिया है, वहीं चीन ने भी समर्थन देकर नई दोस्ती की राह खोली। जानिए कैसे ट्रंप प्रशासन का दांव उल्टा पड़ा और भारत ने अपनी विदेश नीति से दुनिया को चौंकाया।

Aug 23, 2025 - 13:36
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अमेरिका को बड़ा झटका: भारत की बदलती विदेश नीति का 'रूस-चीन' अध्याय!
भारत, रूस और चीन के बढ़ते संबंध, अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव

अमेरिका को बड़ा झटका: भारत की बदलती विदेश नीति का 'रूस-चीन' अध्याय!

हाल ही में वैश्विक मंच पर ऐसी घटनाएं घटी हैं, जिन्होंने दुनिया के भू-राजनीतिक समीकरणों को हिला कर रख दिया है। अभी 72 घंटे पहले तक डोनाल्ड ट्रंप पुतिन और जेलेंस्की से मुलाकात कर शांति के नोबेल पुरस्कार का सपना देख रहे थे, लेकिन पुतिन ने अचानक यूक्रेन पर 500 से अधिक ड्रोन और मिसाइलों से सबसे बड़ा हमला कर दिया, यह कहते हुए कि यूक्रेन शांति के पक्ष में नहीं है। अमेरिका को यह अकेला झटका नहीं लगा है। इन सब के बीच, भारत की विदेश नीति ने एक ऐसा नया मोड़ लिया है जिसने पश्चिमी देशों को चौंका दिया है। अमेरिका द्वारा लगाए गए कड़े टैरिफ के बावजूद, भारत ने न केवल रूस के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया है, बल्कि चीन के साथ भी एक नई रणनीतिक दोस्ती की शुरुआत की है। यह भारत की बढ़ती कूटनीतिक ताकत और 'मल्टी-अलाइनमेंट' नीति का स्पष्ट संकेत है, जिसने अमेरिका को गहरे सदमे में डाल दिया है।

एस जयशंकर-पुतिन मुलाकात: भारत का स्पष्ट संदेश

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की हालिया रूस यात्रा और मॉस्को में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात सिर्फ एक औपचारिक फोटो-ऑप नहीं थी, बल्कि इसके गहरे कूटनीतिक निहितार्थ हैं। यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब पश्चिमी देश, खासकर अमेरिका और यूरोप, रूस को हर तरफ से घेरने में लगे हैं। इस मुलाकात ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत रूस से दूरी बनाने के मूड में नहीं है, खासकर जब भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूसी तेल आयात पर निर्भर है। पुतिन का जयशंकर से मिलना यह भी दर्शाता है कि रूस अभी भी भारत को अपना सबसे भरोसेमंद साझीदार मानता है और इस दोस्ती को सार्वजनिक रूप से दिखाना चाहता है। सूत्रों के मुताबिक, इस मुलाकात के बाद व्हाइट हाउस से 'जोर-जोर से रोने की आवाजें' आने की खबर है, जो अमेरिका की निराशा को दर्शाती है।

अमेरिकी टैरिफ का उल्टा असर: रूस से बढ़ी ऊर्जा साझेदारी

अमेरिका ने ट्रंप प्रशासन के तहत भारत पर 50% तक के टैरिफ थोपे हैं, विशेष रूप से उस तेल पर जो भारत रूस से खरीदता है। यह कदम भारत पर रूस से दूरी बनाने का दबाव डालने के लिए उठाया गया था, लेकिन इसका असर उल्टा हुआ। इस मुलाकात ने साफ कर दिया है कि ट्रंप चाचा जो 'गुंडई' दिखाना चाह रहे हैं, उनके सामने भारत बिल्कुल नहीं झुकेगा। रूस से ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में भारत की गहरी साझेदारी बनी हुई है, और अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए रूस पर निर्भरता बनाए रखेगा। यह भारत की सबसे बड़ी ताकत है कि वह दोनों तरफ से जुड़ पा रहा है – एक ओर यूरोप और क्वाड से रणनीतिक संबंध बढ़ा रहा है, तो दूसरी ओर रूस के साथ भी गहरी साझेदारी बनाए हुए है।

चीन का अप्रत्याशित समर्थन: भारत के साथ खड़ा बीजिंग

अमेरिकी टैरिफ का एक और अप्रत्याशित परिणाम यह रहा कि चीन भी भारत के करीब आ गया है। अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ के बाद चीन ने खुलकर भारत का समर्थन किया है। चीन के राजदूत ने मजबूती से कहा है कि चीन इन टैरिफ का और उन्हें बढ़ाए जाने की चेतावनी का फर्मली विरोध करता है। उन्होंने अमेरिका को 'गुंडा' करार देते हुए यह स्पष्ट संकेत दिया है कि यह कोई मामूली असहमति नहीं, बल्कि एक रणनीतिक कदम है। चीनी राजदूत ने भारत और चीन को एशिया की आर्थिक वृद्धि के 'दोहरे इंजन' बताते हुए कहा कि चीनी बाजार भारत के लिए हमेशा खुले रहेंगे, और दोनों मिलकर 'एक और एक ग्यारह' हो सकते हैं।

'मल्टी-अलाइनमेंट' नीति का मास्टरस्ट्रोक: दुनिया में भारत का जलवा

भारत, जो कभी 'गुटनिरपेक्ष नीति' (Non-Aligned Policy) के लिए जाना जाता था, अब 'सक्रिय मल्टी-अलाइनमेंट' खेल रहा है। इसका मतलब है कि भारत हर जगह दोस्ती रख रहा है और किसी भी खेमे में बंधने से बच रहा है। यह वर्ल्ड पॉलिटिक्स में दुर्लभ है कि कोई देश इतना संतुलन बना पाए, और भारत ने इस कला में महारत हासिल कर ली है। चाहे वह यूरोप के साथ रक्षा सौदे, तकनीक या क्वाड जैसी रणनीतिक बातें हों, या रूस के साथ ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में साझेदारी, भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का प्रदर्शन कर रहा है। यह नीति भारत को वैश्विक दबावों के बावजूद अपने राष्ट्रीय हितों को साधने में सक्षम बना रही है।

ट्रंप का दांव उलटा, नए समीकरणों का जन्म

कुल मिलाकर, ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर टैरिफ थोपने का दांव उल्टा पड़ गया है। उनकी एक हरकत से भारत अब रूस के और नजदीक आ गया है और चीन से भी दोस्ती फिर से शुरू होने लगी है। मोदी जी भी शायद ट्रंप को 'थैंक यू' कहना चाहें, क्योंकि उनके टैरिफ लगाने के बाद कई देशों से भारत के राजनयिक संबंध बेहतर हुए हैं। यह घटनाक्रम वैश्विक राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दे रहा है, जहां भारत एक स्वतंत्र और शक्तिशाली खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है, जो किसी के दबाव में नहीं आता।

 FAQs:

Q1: भारत और रूस के बीच हालिया मुलाकात का क्या महत्व है? A1: विदेश मंत्री एस जयशंकर की पुतिन से मुलाकात ने यह संदेश दिया है कि भारत रूस से दूरी बनाने के मूड में नहीं है, भले ही पश्चिम का दबाव हो। रूस भी भारत को अपना भरोसेमंद साझेदार मानता है।

Q2: अमेरिका ने भारत पर कौन से टैरिफ लगाए हैं? A2: अमेरिका ने भारत पर 50% तक टैरिफ लगाए हैं, खासकर उस तेल पर जो भारत रूस से खरीदता है। यह कदम रूस को अलग-थलग करने के लिए उठाया गया था।

Q3: अमेरिकी टैरिफ का भारत-चीन संबंधों पर क्या असर पड़ा? A3: अमेरिकी टैरिफ के बाद चीन ने खुलकर भारत का समर्थन किया। चीन के राजदूत ने इसे अमेरिकी 'गुंडई' बताया और दोनों देशों को एशिया की आर्थिक वृद्धि के 'दोहरे इंजन' कहा।

Q4: भारत की 'मल्टी-अलाइनमेंट' नीति क्या है? A4: यह भारत की नई विदेश नीति है, जहां वह एक साथ कई देशों के साथ रणनीतिक संबंध बनाए रखता है। भारत यूरोप और क्वाड के साथ भी जुड़ रहा है, और रूस के साथ भी गहरी साझेदारी बनाए हुए है।

Q5: यूक्रेन युद्ध और भारत के रुख पर क्या जानकारी है? A5: रूस ने यूक्रेन पर 500 से अधिक ड्रोन से हमला किया है। भारत रूस के खिलाफ खुलकर कोई लाइन नहीं लेता है, बल्कि अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिए रूसी तेल आयात पर निर्भर है।

Neeraj Ahlawat Neeraj Ahlawat is the founder and lead author of Dainik Realty, a trusted digital news platform. With over a decade of experience in journalism, Neeraj has reported on diverse issues ranging from politics and economy to society and culture. Alongside journalism, he also works as a digital marketing consultant, specializing in SEO, Google Ads, and analytics. His mission is to support sustainable businesses, charities, and organizations that create a positive impact on society.