ट्रंप को बड़ा झटका: भारत-जापान रूस का नया दांव
भारत-जापान रूस साझेदारी मजबूत! जापान का 10 ट्रिलियन ये निवेश और रूस का नया तेल मार्ग ट्रंप की नीतियों पर पड़ा भारी। जानें भारत की बढ़ती वैश्विक ताकत।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत को अलग-थलग करने की कथित "बीमारी" अब उन्हीं पर भारी पड़ रही है। भारत के दो सबसे मजबूत साझेदार, जापान और रूस, ने एक साथ मिलकर ट्रंप प्रशासन को ऐसी चुनौती दी है, जिससे उनकी नींद उड़ गई है। जहां जापान ने भारत में अगले 10 सालों में 10 ट्रिलियन ये (लगभग 68 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के रिकॉर्ड निवेश का ऐलान किया है, वहीं रूस भारत के लिए एक नया समुद्री तेल मार्ग खोल रहा है। यह कदम वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती ताकत और अपने मित्र देशों के साथ मजबूत होती साझेदारी का स्पष्ट प्रमाण है।
जापान का 10 ट्रिलियन ये का ऐतिहासिक निवेश
जापानी समाचार एजेंसी कदो न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, जापान आने वाले दस वर्षों में भारत में निजी क्षेत्र से 10 ट्रिलियन ये का निवेश करेगा। यह घोषणा मार्च 2022 में तय किए गए 5 साल के 5 ट्रिलियन ये निवेश लक्ष्य को दोगुना करती है, जो 2022 से शुरू किया गया था। इस भारी-भरकम निवेश का उद्देश्य भारत में स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देना है, जिसमें विशेष रूप से सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहन और उच्च ऊर्जा क्षेत्र शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना भी इसी निवेश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह साझेदारी ऐसे समय में हो रही है जब ट्रंप ने दोनों देशों पर टैरिफ की घोषणा कर रखी है, जिससे अमेरिकी प्रशासन को करारा झटका लगा है।
भारत-जापान साझेदारी: चीन के प्रभाव को चुनौती
यह निवेश सिर्फ आर्थिक लाभ से कहीं बढ़कर है। कदो न्यूज़ के अनुसार, जापान और भारत मुखर चीन के सामने एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। दोनों देशों ने मार्च 2022 में व्यापार के क्षेत्र में मिलकर आगे बढ़ने का विकल्प तलाशा था, जिसका एक प्रमुख कारण इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करना था। जापानी और भारतीय सरकारें आर्थिक सुरक्षा सहयोग की संभावनाओं को तलाशने के लिए एक नए ढांचे पर सहमत होने का प्रयास कर रही हैं। इस रूपरेखा में सेमीकंडक्टर, आवश्यक खनिज, संचार, स्वच्छ ऊर्जा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और फार्मास्यूटिकल उत्पादों में सहयोग को प्रमुखता से रखा गया है।
रूस का भारत के लिए नया तेल मार्ग: ट्रंप को बड़ी चुनौती
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक और बुरी खबर रूस से आई है। ट्रंप प्रशासन ने भारत और रूस की दोस्ती तोड़ने के लिए 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, लेकिन यह रणनीति पूरी तरह विफल रही है। रूस ने भारत के साथ मजबूती से खड़े होते हुए एक के बाद एक कई ऐलान किए हैं। सबसे बड़ा ऐलान भारत को तेल बेचने के लिए एक नया समुद्री रास्ता खोलने का है, जिससे अमेरिका और उसके राष्ट्रपति का सरदर्द बढ़ गया है। इस नए मार्ग से भारत और रूस को व्यापार करने में और आसानी होगी, खासकर तेल की आवाजाही को लेकर।
उत्तरी समुद्री मार्ग और उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर का संयुक्त विकास
रूस के प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मुंट्रोव ने रूसी-भारतीय अंतर-सरकारी आयोग की बैठक में पुष्टि की कि रूस और भारत उत्तरी समुद्री मार्ग (Northern Sea Route) और उत्तर-दक्षिण गलियारे (North-South Corridor) के संयुक्त अन्वेषण का लक्ष्य रखते हैं। मुंट्रोव ने जोर दिया कि विश्वसनीय लॉजिस्टिक कॉरिडोर और नई कंटेनर सेवाओं का निर्माण व्यापार और आर्थिक संबंधों के विस्तार के लिए आवश्यक है। यह पहल दोनों देशों के बीच कंटेनरों और जहाजों की आवाजाही को सुगम बनाएगी, खासकर उस तेल के लिए जो अमेरिकी प्रतिबंधों का निशाना बन रहा था।
भारत-रूस का बढ़ता सहयोग: अंतरिक्ष से डिजिटल तक
तेल व्यापार के अलावा, रूस और भारत अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी अपनी साझेदारी को गहरा कर रहे हैं। प्रथम उप प्रधानमंत्री मुंट्रोव ने बताया कि रूस अंतरिक्ष गतिविधि के क्षेत्र में अपनी क्षमताओं को भारत के साथ साझा करने को तैयार है। इसमें स्पेस रॉकेट इंजन उत्पादन, उपग्रह नेविगेशन और अन्य डिजिटल तकनीकों को बढ़ावा देना शामिल है। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के पास सूचना सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और स्मार्ट सिटी तकनीकों में अद्वितीय क्षमताएं हैं, और इन क्षेत्रों में व्यावहारिक संवाद पहले ही स्थापित हो चुके हैं। ट्रंप की 50% टैरिफ की घोषणा के बावजूद, भारत और रूस एक-दूसरे के करीब आए हैं, जो अमेरिका के लिए एक बुरे सपने जैसा है।
ट्रंप की नीति का उल्टा असर: भारत-मित्र देश हुए एकजुट
डोनाल्ड ट्रंप को लगा था कि 50% टैरिफ लगाकर वह भारत और रूस की दोस्ती को तोड़ देंगे और भारत को दुनिया से अलग-थलग कर देंगे। लेकिन यह पासा उल्टा पड़ गया है। जापान और रूस दोनों अमेरिका के मजबूत सहयोगी रहे हैं, लेकिन ट्रंप के आने के बाद इन रिश्तों में भी खटास आई है। आज, भारत और जापान तथा भारत और रूस दोनों मजबूत होकर खड़े हैं, अपनी साझेदारी को बढ़ा रहे हैं और वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं। यह ट्रंप प्रशासन के लिए एक चौतरफा हमला जैसा है, और भारत अब अमेरिका पर दोबारा विश्वास करेगा, यह कहना मुश्किल है। भारत खुले तौर पर जिन्हें अपना दोस्त कहता है, वे देश वास्तव में उसके मित्र देश साबित हो रहे हैं।
FAQs:
- प्रश्न: जापान भारत में कितना निवेश कर रहा है और किन क्षेत्रों में? उत्तर: जापान अगले 10 वर्षों में भारत में 10 ट्रिलियन ये (लगभग 68 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का निजी क्षेत्र का निवेश करेगा। यह निवेश मुख्य रूप से सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहन, उच्च ऊर्जा विनिर्माण और मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना में होगा।
- प्रश्न: भारत-जापान साझेदारी का मुख्य उद्देश्य क्या है? उत्तर: भारत-जापान साझेदारी का एक प्रमुख उद्देश्य मुखर चीन के सामने एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देना है। दोनों देश आर्थिक सुरक्षा सहयोग को भी मजबूत कर रहे हैं, जिसमें सेमीकंडक्टर और आवश्यक खनिज जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
- प्रश्न: रूस भारत के लिए कौन सा नया व्यापार मार्ग खोल रहा है? उत्तर: रूस भारत को तेल की आवाजाही के लिए एक नया समुद्री रास्ता खोल रहा है। रूस के प्रथम उप प्रधानमंत्री ने उत्तरी समुद्री मार्ग और उत्तर-दक्षिण गलियारे के संयुक्त विकास का लक्ष्य रखा है, जिससे व्यापार और आर्थिक संबंध मजबूत होंगे।
- प्रश्न: अमेरिका के टैरिफ का भारत और रूस पर क्या असर हुआ? उत्तर: अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा के बावजूद, इसका इरादा भारत-रूस दोस्ती तोड़ने का था, लेकिन यह विफल रहा। इसके विपरीत, भारत और रूस एक-दूसरे के और करीब आ गए हैं और अपनी साझेदारी को बढ़ा रहे हैं।
- प्रश्न: भारत और रूस किन अन्य क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं? उत्तर: तेल व्यापार के अलावा, भारत और रूस अंतरिक्ष गतिविधि (रॉकेट इंजन, उपग्रह नेविगेशन), सूचना सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और स्मार्ट सिटी तकनीकों जैसे क्षेत्रों में भी अपनी क्षमताओं को साझा करने और सहयोग बढ़ाने पर काम कर रहे हैं.