राजस्थान में बच्चे गायब: डरावना खुलासा!
राजस्थान में बच्चे गायब होने की चौंकाने वाली संख्या सामने आई है! जानिए कैसे 7000 से अधिक बच्चे लापता हुए और क्या हैं इसके पीछे के गंभीर कारण। अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करें।

बड़ा झटका: राजस्थान से प्रतिदिन गायब हो रहे 25 मासूम, अब तक 7000+ बच्चे लापता – जानिए कैसे रोकें ये अपराध!
राजस्थान, देश का सबसे बड़ा राज्य, आज एक बेहद गंभीर संकट का सामना कर रहा है। यहां हर दिन औसतन 25 बच्चे लापता हो रहे हैं। राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 में कुल 7339 बच्चे गायब हुए, जिनमें से 451 लड़कियां अभी भी लापता हैं। यह आंकड़ा किसी भी विकसित राष्ट्र में युद्ध की स्थिति पैदा कर सकता है, लेकिन हमारे यहां इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। यह सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि हमारे बच्चों के भविष्य और पूरे समाज के लिए एक डरावनी हकीकत है।
चौंकाने वाले आंकड़े: राजस्थान में लापता बच्चों की हकीकत
राज्य विधानसभा में बूंदी विधायक श्री हरिमोहन शर्मा द्वारा पूछे गए अतारांकित प्रश्न के जवाब में जो जानकारी सामने आई, वह विचलित करने वाली है। पिछले एक साल में 7339 बच्चे लापता हुए, जिनमें से 6196 लड़कियां थीं, जो कुल गायब हुए बच्चों का 84% है। इनमें से 501 बच्चे अभी भी लापता हैं। वर्ष 2021 में प्रतिदिन 14 बच्चे लापता होते थे, यह आंकड़ा बढ़कर 21 प्रतिदिन हो गया है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, तीन साल में 25,000 अपहरण के मामले दर्ज हुए, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि 9,000 मामलों में एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई। पुलिस अक्सर इसे "झूठा मामला" कहकर टाल देती है, जिससे अपराधियों को अपराध को अंजाम देने का खुला अवसर मिल जाता है।
एक ही परिवार के 6 बच्चे गायब: रहस्य गहराता मामला
जयपुर में हाल ही में एक ही परिवार के तीन बच्चे – मोहित, नितिन और अरमान – स्कूल जाते समय लापता हो गए, जिसके बाद यह खबर सुर्खियां बनी। हैरानी की बात यह है कि इसी परिवार के तीन बच्चे पहले भी लापता हुए थे और कुछ वापस भी आ गए थे, लेकिन फिर दोबारा चले गए। बच्चों ने घरवालों को ढूंढने की कोशिश न करने और 5 साल बाद खुद लौट आने का संदेश भी दिया। इन मामलों में बच्चों के ब्रेन वॉश या किसी वीडियो गेम द्वारा टास्क दिए जाने की संभावना भी जताई जा रही है। यह घटनाएं दर्शाती हैं कि बच्चों को घर छोड़ने या गायब होने के लिए उकसाया जा रहा है।
अपहरण और तस्करी का खौफ: डरावने पैटर्न का खुलासा
राजस्थान में बच्चों के गायब होने के पीछे एक डरावना पैटर्न सामने आया है। राज्य के सीमावर्ती जिले जैसे भीलवाड़ा, उदयपुर, श्रीगंगानगर और बड़े हाईवे वाले जिले जैसे अलवर, भिवाड़ी, अजमेर, ब्यावर में बच्चों की तस्करी या गुमशुदगी के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। यह इंगित करता है कि अपराधी संगठित तरीके से काम कर रहे हैं और बच्चों को सीमा पार कराने की फिराक में रहते हैं। ऐसे में बाल तस्करी, लड़कियों की खरीद-फरोख्त और मानव अंगों के व्यापार की आशंका प्रबल हो जाती है। राष्ट्रव्यापी आंकड़ों के अनुसार, हर 8 मिनट में एक बच्चा गायब होता है, और 3 लाख बच्चों में से 36,000 बच्चे कभी वापस नहीं मिलते।
जिम्मेदारों की लापरवाही और पुलिस की भूमिका
इस गंभीर मुद्दे पर पुलिस की निष्क्रियता और जिम्मेदारी की कमी भी एक चिंता का विषय है। पुलिस कई बार एफआईआर दर्ज करने में देरी करती है, जिससे अपराधियों को राज्य या जिले की सीमा पार करने का पर्याप्त समय मिल जाता है। पुलिस का यह दावा कि "कई घटनाएं झूठी होती हैं" (जैसा कि भरतपुर के 1052 किडनैपिंग केसों में से 695 को झूठा बताया गया), इस गंभीर अपराध के प्रति उनकी उदासीनता को दर्शाता है। हमारे राज्य को कभी शांतिप्रिय राज्यों में गिना जाता था, लेकिन आज यह "क्राइम कैपिटल" बनता जा रहा है। पड़ोसी राज्यों से समन्वय की कमी भी इस समस्या को बढ़ा रही है।
बच्चों के गायब होने के पीछे के संभावित कारण
बच्चों के लापता होने के कई भयावह कारण हो सकते हैं:
- मानव तस्करी: भीख मंगवाने, बाल श्रम, यौन शोषण या अवैध गोद लेने के लिए।
- फिरौती: परिजनों से पैसे ऐंठने के लिए अपहरण।
- पारिवारिक विवाद: जमीन-जायदाद के झगड़े, वंशवृद्धि या प्रतिशोध के चलते.
- अंधविश्वास: बाल-बलि या अंगों के व्यापार के लिए।
- लिंग असंतुलन: कन्या भ्रूण हत्या के कारण बेटों की मांग बढ़ने से अवैध गोद लेने या चुराने के मामले बढ़ रहे हैं। राजसमंद में 3 दिन के नवजात शिशु को नर्स की वेशभूषा में एक महिला द्वारा उठा लिया गया, जो 13 साल से संतानहीन थी।
अपने बच्चों को कैसे रखें सुरक्षित: अभिभावकों के लिए महत्वपूर्ण टिप्स
इस गंभीर स्थिति में अभिभावकों को अत्यधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।
- अजनबियों से दूरी: बच्चों को सिखाएं कि वे किसी भी अनजान व्यक्ति से चॉकलेट, गिफ्ट या पैसे न लें और उनसे बातचीत न करें।
- समूह में रहें: बच्चों को हमेशा समूह में रहने और अकेले न घूमने की सलाह दें।
- मोबाइल का नियंत्रित उपयोग: बच्चों को मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग न करने दें, क्योंकि ऑनलाइन गेम या सामग्री उन्हें गलत टास्क दे सकती है। प्राइवेसी लॉक का उपयोग करें और उन्हें बाहरी गतिविधियों में व्यस्त रखें。
- गुप्त कोड: बच्चे को बताएं कि अगर कोई अनजान व्यक्ति उसे घर बुलाने आए, तो उससे एक पूर्व-निर्धारित गुप्त कोड (जैसे पालतू जानवर का नाम या दादा-दादी का नाम) पूछें।
- जीपीएस ट्रैकर्स: बच्चों की सुरक्षा के लिए जीपीएस वाली घड़ियों या खिलौनों का उपयोग करें।
- स्कूलों की जिम्मेदारी: स्कूलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे बच्चों को बिना आईडी कार्ड दिखाए किसी भी अभिभावक को न सौंपें।
- जागरूकता: बच्चों की सुरक्षा के लिए समाज को मिलकर कदम उठाने होंगे। दैनिक भास्कर द्वारा AI का उपयोग कर लापता बच्चों की उम्र के अनुसार तस्वीरें रीजेनरेट करने का सुझाव एक अच्छी पहल है, ताकि उनकी पहचान में आसानी हो।
यह समय है कि हम सब मिलकर इस गंभीर चुनौती का सामना करें और अपने बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करें। राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को भी इस पर गंभीरता से विचार करते हुए ठोस कदम उठाने होंगे।
FAQs
-
Q: राजस्थान में कितने बच्चे गायब हुए हैं? A: वर्ष 2024 में राजस्थान में 7339 बच्चे लापता हुए, जिनमें से 6196 लड़कियां थीं, जो कुल गायब हुए बच्चों का 84% है। प्रतिदिन औसतन 25 बच्चे गायब होते हैं।
-
Q: बच्चों के गायब होने के पीछे मुख्य कारण क्या हो सकते हैं? A: मुख्य कारणों में मानव तस्करी, बाल श्रम, यौन शोषण, भीख मंगवाना, अवैध गोद लेना, फिरौती और पारिवारिक विवाद शामिल हैं। कुछ मामलों में ब्रेन वॉश या ऑनलाइन गेम के टास्क भी एक संभावना है।
-
Q: पुलिस बच्चों की गुमशुदगी के मामलों में क्या कर रही है? A: पुलिस ने कुल 1959 प्रकरणों में अपराधियों को पकड़ा है। हालांकि, कई बार FIR दर्ज करने में देरी या झूठी घटनाओं का आरोप लगाकर मामलों को अनदेखा करने के आरोप भी लगे हैं, जिससे अपराधियों को शह मिलती है।
-
Q: माता-पिता अपने बच्चों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं? A: बच्चों को अजनबियों से दूर रहने, समूह में घूमने, मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से बचने, गुप्त कोड का उपयोग करने और अभिभावकों द्वारा GPS ट्रैकर्स का उपयोग करने जैसे उपाय अपनाए जा सकते हैं। स्कूलों को भी बिना आईडी कार्ड के बच्चों को न सौंपने के नियम बनाने चाहिए।
-
Q: क्या बच्चों की तस्वीरों को खोजने के लिए AI का उपयोग किया जा रहा है? A: दैनिक भास्कर ने AI का उपयोग कर गुमशुदा बच्चों की उम्र के हिसाब से तस्वीरों को रीजेनरेट करने की पहल का सुझाव दिया है, ताकि उनकी पहचान में आसानी हो और पुलिस को खोजने में मदद मिले। यह तकनीकी मदद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।