डायबिटीज से बचें: प्री-डायबिटीज को रोकने के रामबाण तरीके

भारत में डायबिटीज के बढ़ते खतरे के बीच जानें प्री-डायबिटीज से बचाव के प्रभावी तरीके। लाइफस्टाइल बदलाव, डाइट और सही जांच से मधुमेह को हराएं।

Aug 16, 2025 - 16:09
Aug 16, 2025 - 16:09
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डायबिटीज से बचें: प्री-डायबिटीज को रोकने के रामबाण तरीके
डायबिटीज की रोकथाम और स्वस्थ जीवनशैली

भारत को दुनिया की 'डायबिटीज कैपिटल' कहा जाता है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। 2023 के लैंसेट जर्नल के एक सर्वे के अनुसार, भारत में 10 करोड़ से ज़्यादा लोग मधुमेह से पीड़ित हैं, और यह संख्या लगातार बढ़ रही है, क्योंकि कई लोग तो जांच भी नहीं करवाते। यह स्थिति हमें अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने की प्रेरणा देती है। खासकर यदि आप प्री-डायबिटिक हैं, तो यह आपके लिए डायबिटीज से बचने का एक सुनहरा मौका है।

 भारत में डायबिटीज का बढ़ता खतरा: क्यों बन रहा है यह गंभीर चुनौती? भारत में डायबिटीज के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण बदलते लाइफस्टाइल में छिपा है। शहरीकरण के साथ, हम रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और फ्राइड फूड (जंक/फास्ट फूड) का अधिक सेवन करने लगे हैं। हमारी डाइट में अक्सर प्रोटीन की कमी होती है, खासकर शाकाहारियों में, और हम रोटी-चावल पर ज़्यादा ध्यान देते हैं, जबकि सब्जियों का सेवन कम हो गया है। शारीरिक गतिविधि में कमी और बार-बार घी या तेल को रीहीट करके उपयोग करना भी एक बड़ी समस्या है। शहरों में डायबिटीज का प्रसार ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में कई गुना अधिक है, जो जीवनशैली के सीधे प्रभाव को दर्शाता है।

जानें डायबिटीज के शुरुआती लक्षण और सटीक जांच के तरीके टाइप-2 डायबिटीज के लक्षण अक्सर स्पष्ट नहीं होते, जिससे देर से पता चलता है। कुछ सूक्ष्म संकेतों पर ध्यान दें: बिना कारण वजन घटना, बार-बार यूरिन या प्राइवेट पार्ट्स में इन्फेक्शन, या लगातार थकान। डॉ. परजीत के अनुसार, टाइप-2 डायबिटीज का पता लगाने का एकमात्र तरीका नियमित जांच है। 30 साल की उम्र के बाद हर 2-3 साल में जांच आवश्यक है, खासकर यदि आपको मोटापा, पारिवारिक इतिहास, या गतिहीन जीवनशैली है। पुष्टि के लिए दो टेस्ट जरूरी हैं: खाली पेट शुगर टेस्ट (फास्टिंग ब्लड शुगर) और एचबीए1सी (HbA1c)। एचबीए1सी पिछले तीन महीनों का औसत शुगर स्तर बताता है। यदि फास्टिंग शुगर 126 mg/dL या एचबीए1सी 6.5% से अधिक आता है, तो डायबिटीज की पुष्टि होती है।

 प्री-डायबिटीज: खतरे की घंटी या डायबिटीज से बचने का सुनहरा मौका? यदि आपको प्री-डायबिटीज का पता चलता है (फास्टिंग शुगर 100-125 mg/dL या एचबीए1सी 5.7-6.4% के बीच), तो यह डायबिटीज से बचने का एक बड़ा अवसर है। डॉ. अमरीश के अनुसार, प्री-डायबिटीज में ही हार्ट डिजीज और फैटी लिवर जैसी जटिलताओं का जोखिम बढ़ने लगता हैप्री-डायबिटीज से डायबिटीज में बदलने से रोकने का सबसे अचूक तरीका वजन कंट्रोल करना है। नियमित शारीरिक गतिविधि और सही डाइट इस चरण में बहुत महत्वपूर्ण हैं। भारत में लगभग 13 करोड़ लोग प्री-डायबिटिक हैं।

  मधुमेह कंट्रोल के लिए आहार और लाइफस्टाइल के प्रभावी सिद्धांत डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए सही खान-पान और जीवनशैली महत्वपूर्ण हैं:

  • रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट कम करें: मैदा, सफेद आटा, पॉलिश्ड चावल जैसे रिफाइंड कार्ब्स से बचें। इनकी जगह मिलेट्स, चोकर वाला आटा, या ब्राउन राइस जैसे कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट चुनें।
  • फाइबर और प्रोटीन बढ़ाएं: डाइट में सब्जियां, दालें और फलियों की मात्रा बढ़ाएं। शाकाहारियों के लिए डेयरी उत्पाद, बीन्स, दालें और सोयाबीन प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं।
  • 'प्लेट मेथड' अपनाएं: अपनी थाली का आधा हिस्सा हरी सब्जियों, चौथाई हिस्सा प्रोटीन स्रोत, और केवल चौथाई हिस्सा कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट का रखें।
  • खाना और तेल दोबारा गर्म करने से बचें: बार-बार घी या तेल को गर्म करके इस्तेमाल करने से ट्रांस फैट बढ़ते हैं।
  • शारीरिक गतिविधि बढ़ाएं: नियमित व्यायाम या सक्रिय रहना डायबिटीज के जोखिम को कम करता है।

 क्या डायबिटीज रिवर्स हो सकती है? जानिए सच और भ्रम डॉ. अमरीश के अनुसार, "डायबिटीज को जड़ से खत्म करने" जैसे दावे गलत हैं। हालांकि, इसे रेमिशन (नियंत्रण में रखना) में भेजा जा सकता है। यदि डायबिटीज की शुरुआत हाल ही में हुई है (2-5 साल पहले), आपकी उम्र कम है, और आपका वजन अधिक है, तो वजन कम करके डायबिटीज को कई सालों तक 'पीछे' धकेला जा सकता है। यह वेल-नोन फैक्ट है, लेकिन यह स्थायी इलाज नहीं है। दुबले लोगों में भी इंटरनल फैट या जेनेटिक कारणों से डायबिटीज हो सकती है।

  डायबिटीज से जुड़े आम मिथक और उनके पीछे का सच

    • "मीठा खाने से डायबिटीज होती है": यह पूरा सच नहीं। मीठा एक रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट है, लेकिन डायबिटीज के अन्य कारण भी हैं जैसे समग्र डाइट, शारीरिक निष्क्रियता और अत्यधिक रिफाइंड कार्ब्स।
    • "डायबिटीज के मरीज ब्लड डोनेट नहीं कर सकते": यह एक मिथक है। उचित स्क्रीनिंग के बाद डायबिटिक मरीज भी ब्लड डोनेट कर सकते हैं।
    • "पानी में पैर भिगोने से ब्लड शुगर कम होता है": डॉ. अमरीश के अनुसार, यह पूरी तरह झूठ है।
    • "डायबिटीज के मरीजों को रोटी और चावल नहीं खाना चाहिए": यह पूरा सच नहीं है। रोटी और चावल कार्बोहाइड्रेट हैं, जिन्हें नियंत्रित मात्रा में और सही रूप में (मिलेट्स मिश्रित रोटी या ब्राउन राइस) खाया जा सकता है।
    • "डायबिटीज के मरीज फल नहीं खा सकते": यह गलत है। फल विटामिन, मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं और इन्हें सही मात्रा और समय पर (स्नैक के तौर पर, प्रोटीन के साथ) खाया जा सकता है।
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    • भारत में डायबिटीज इतनी क्यों बढ़ रही है? भारत में डायबिटीज का बढ़ना मुख्य रूप से आधुनिक शहरी जीवनशैली, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और जंक फूड का अधिक सेवन, प्रोटीन की कमी और शारीरिक गतिविधि में कमी के कारण है। आनुवंशिक कारक और आंतरिक वसा भी इसमें योगदान करते हैं।

    • प्री-डायबिटीज का क्या मतलब है और इससे कैसे बचा जा सकता है? प्री-डायबिटीज का अर्थ है कि आपका ब्लड शुगर सामान्य से अधिक है, लेकिन अभी इतना ज़्यादा नहीं कि उसे डायबिटीज कहा जाए। इससे बचने का सबसे प्रभावी तरीका वजन नियंत्रण, नियमित व्यायाम और स्वस्थ आहार है, जिससे आप डायबिटीज होने से बच सकते हैं।

    • क्या मीठा खाने से ही डायबिटीज होती है? यह पूरा सच नहीं है। मीठा एक कारण हो सकता है, लेकिन डायबिटीज होने के कई अन्य कारण भी हैं, जिनमें रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट से भरपूर आहार, शारीरिक निष्क्रियता और आनुवंशिकी शामिल हैं।

    • डायबिटीज के मरीजों को क्या फल नहीं खाने चाहिए? यह एक मिथक है। डायबिटीज के मरीज सही मात्रा में और सही समय पर फल खा सकते हैं। फलों में विटामिन और मिनरल होते हैं। बेहतर है कि इन्हें स्नैक के रूप में लें और प्रोटीन स्रोत के साथ मिलाएं, जैसे नट्स या दही।

    • डायबिटीज की पुष्टि के लिए कौन से टेस्ट सबसे विश्वसनीय हैं? डायबिटीज की पुष्टि के लिए खाली पेट ब्लड शुगर (फास्टिंग) और एचबीए1सी (HbA1c) टेस्ट सबसे विश्वसनीय हैं। एचबीए1सी पिछले तीन महीनों का औसत शुगर स्तर बताता है। दोनों में से किसी एक में असामान्य परिणाम आने पर पुष्टि मानी जाती है।

Neeraj Ahlawat Neeraj Ahlawat is a seasoned News Editor from Panipat, Haryana, with over 10 years of experience in journalism. He is known for his deep understanding of both national and regional issues and is committed to delivering accurate and unbiased news.