30 दिन गिरफ्तारी कानून: PM-CM को बड़ा झटका? ताज़ा अपडेट!
अमित शाह लाए 30 दिन गिरफ्तारी कानून, PM-CM व मंत्रियों को 30 दिन जेल में रहने पर देना होगा इस्तीफा। जानें इस बड़े बदलाव के फायदे और नुकसान।

30 दिन गिरफ्तारी कानून: PM-CM को बड़ा झटका?
Breaking: केंद्रीय सरकार का बड़ा कदम, 30 दिन गिरफ्तारी कानून से बदलेगी राजनीति की तस्वीर!
हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लाए गए तीन नए बिल भारतीय राजनीति में भूचाल ला सकते हैं। इन कानूनों के तहत, यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई अन्य मंत्री 30 दिनों तक लगातार हिरासत में रहता है, तो उसे अपने पद से इस्तीफा देना होगा। यह एक ऐसा प्रावधान है जो देश के सर्वोच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है और शासन के मानदंडों को फिर से परिभाषित करेगा। पिछले साल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी की गिरफ्तारी के बाद उत्पन्न हुई स्थिति को देखते हुए यह कदम उठाया गया है, जब उनके इस्तीफे को लेकर काफी चर्चा हुई थी। आइए विस्तार से जानते हैं इस नए कानून के हर पहलू को।
क्या है नया 30 दिन का नियम?
केंद्रीय सरकार लोकसभा में तीन नए बिल पेश करने जा रही है, जिनके तहत एक समान 30 दिन का नियम लागू किया जाएगा। इस नियम के अनुसार, यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, या केंद्रीय, राज्य या केंद्र शासित प्रदेश का मंत्री किसी ऐसे अपराध में गिरफ्तार होता है, जिसमें अधिकतम 5 साल या उससे अधिक की सजा का प्रावधान है, और वह लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, तो उसे स्वतः ही अपने पद से इस्तीफा देना होगा। इसका मतलब है कि 31वें दिन वह व्यक्ति अपने पद से हट जाएगा। हालांकि, यदि 31वें दिन इस्तीफा देने के बाद 32वें दिन उन्हें जमानत मिल जाती है, तो वे वापस अपने पद पर लौट सकते हैं, बशर्ते उनकी पार्टी यह चाहे।
कौन से बिल लाए जा रहे हैं?
इस प्रावधान को लागू करने के लिए तीन अलग-अलग बिल पेश किए जा रहे हैं:
- संविधान (133वां) संशोधन विधेयक: यह एक संवैधानिक संशोधन बिल है, जिसके तहत संविधान के अनुच्छेद 75 (केंद्रीय मंत्रियों के लिए), अनुच्छेद 164 (राज्य के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के लिए), और अनुच्छेद 239AA (दिल्ली के लिए) में नए क्लॉज़ जोड़े जाएंगे। इस बिल को पास कराने के लिए संसद में विशेष बहुमत की आवश्यकता होगी, यानी सदन की कुल सदस्यता का 50% से अधिक और उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों का 2/3 बहुमत।
- गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज अमेंडमेंट बिल 2025: यह बिल केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों के लिए है।
- जम्मू कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन अमेंडमेंट बिल 2025: यह बिल जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष प्रावधान करेगा।
अहम बात यह है कि गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज अमेंडमेंट बिल 2025 और जम्मू कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन अमेंडमेंट बिल 2025 सामान्य बिल हैं, जिन्हें पारित करने के लिए केवल साधारण बहुमत की आवश्यकता होगी।
मौजूदा कानून से यह कैसे अलग है?
वर्तमान में, 2013 के सुप्रीम कोर्ट के लिली थॉमस जजमेंट के अनुसार, किसी भी सांसद या विधायक को तब तक पद नहीं छोड़ना पड़ता जब तक उसे 2 साल या उससे अधिक की सजा नहीं सुनाई जाती और वह दोषी करार नहीं दिया जाता। राहुल गांधी के मामले में भी यही हुआ था, जब उन्हें 2 साल की सजा सुनाई गई तो उनका एमपी पद रद्द हो गया था। लेकिन नया कानून कन्विक्शन (दोषी ठहराए जाने) की शर्त को हटा देता है। इसमें केवल दो शर्तें हैं: अपराध में 5 साल से अधिक की सजा का प्रावधान हो, और व्यक्ति 30 दिनों तक लगातार जेल में हो, भले ही उसे अभी तक दोषी न ठहराया गया हो। यह एक बड़ा बदलाव है जो न्यायिक प्रक्रिया के पूरा होने से पहले ही पद से हटने का प्रावधान करता है।
पक्ष और विपक्ष के तर्क क्या हैं?
समर्थकों का कहना है कि यह बिल संवैधानिक नैतिकता और सुशासन को बनाए रखेगा। उनका तर्क है कि यदि कोई व्यक्ति, चाहे वह प्रधानमंत्री ही क्यों न हो, 30 दिनों तक जेल में है, तो नैतिक रूप से उसे इस्तीफा दे देना चाहिए, ताकि शासन में कोई बाधा न आए। यह कदम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मामले के बाद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जब उनके जेल में रहते हुए भी शासन को लेकर बहस छिड़ गई थी।
इसके आलोचकों का तर्क है कि इस कानून का दुरुपयोग किया जा सकता है। उन्हें डर है कि केंद्र सरकार इसका इस्तेमाल राज्य सरकारों के मुख्यमंत्रियों पर दबाव डालने या चुनी हुई सरकारों को गिराने के लिए कर सकती है, खासकर जब तक कि कोर्ट द्वारा अपराध सिद्ध न हो जाए। यह चिंता जायज है कि राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए इस प्रावधान का इस्तेमाल हथियार के तौर पर किया जा सकता है।
यह नया कानून निश्चित रूप से भारतीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। इसके प्रभावों को आने वाले समय में करीब से देखा जाएगा।
FAQs:
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- Q1: क्या है 30 दिन गिरफ्तारी कानून? A1: यह एक नया प्रस्तावित कानून है जिसके तहत यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, या मंत्री किसी गंभीर आपराधिक मामले में 30 दिनों तक लगातार हिरासत में रहता है, तो उसे अपने पद से स्वतः ही इस्तीफा देना होगा।
- Q2: किन मंत्रियों पर लागू होगा यह कानून? A2: यह कानून केंद्रीय मंत्रियों, राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों, और केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों पर लागू होगा, बशर्ते अपराध में 5 साल या उससे अधिक की अधिकतम सजा का प्रावधान हो।
- Q3: पुराने कानून से यह कैसे अलग है? A3: पुराने लिली थॉमस जजमेंट के अनुसार, पद छोड़ने के लिए दोषी ठहराया जाना (कन्विक्शन) और 2 साल से अधिक की सजा अनिवार्य थी। नए कानून में कन्विक्शन की नहीं, बल्कि 30 दिन की हिरासत और 5 साल से अधिक की सजा वाले अपराध की शर्त है।
- Q4: अगर बेल मिल जाए तो क्या पद वापस मिलेगा? A4: हां, यदि 30 दिन के बाद इस्तीफा देने के बाद व्यक्ति को जमानत मिल जाती है, तो वह अपनी पार्टी की सहमति से वापस अपने पद पर लौट सकता है।
- Q5: इस कानून के पक्ष और विपक्ष में क्या तर्क हैं? A5: पक्ष में तर्क है कि यह संवैधानिक नैतिकता और सुशासन को बढ़ावा देगा। विपक्ष का तर्क है कि इसका दुरुपयोग राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने या चुनी हुई सरकारों को अस्थिर करने के लिए किया जा सकता है।