बैंक मिनिमम बैलेंस: HDFC-ICICI ने नहीं बदले नियम, ग्राहकों को बड़ी राहत!
HDFC और ICICI बैंक ने न्यूनतम बैलेंस नियमों में नहीं किया बदलाव, जिससे ग्राहकों को मिली बड़ी राहत। जानें रेगुलर सेविंग अकाउंट और सरकारी बैंकों के नए नियम।

देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंकों, HDFC और ICICI, ने अपने न्यूनतम बैलेंस नियमों में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है, जिससे करोड़ों ग्राहकों को बड़ी राहत मिली है। अगर आप भी इन बैंकों के ग्राहक हैं या नया खाता खोलने की सोच रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए जानना बेहद जरूरी है।
हाल ही में देश के बड़े प्राइवेट बैंकों की न्यूनतम बैलेंस पॉलिसी को लेकर खबरें गर्म थीं, जिससे ग्राहकों में कुछ चिंता थी। सबसे पहले ICICI बैंक से जुड़ी जानकारी आई कि उसने मेट्रो और शहरी शाखाओं में सेविंग अकाउंट के लिए न्यूनतम बैलेंस सीमा को कथित तौर पर बढ़ा दिया है। हालांकि, ग्राहकों के जोरदार विरोध और दबाव के बाद, बैंक ने अपनी पॉलिसी में संशोधन किया है, जिससे नियमों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है और ग्राहकों ने राहत की सांस ली है। इसी बीच, HDFC बैंक ने भी ताजा बयान जारी कर साफ किया है कि रेगुलर सेविंग अकाउंट के नियमों में कोई बदलाव नहीं हुआ है, यानी मेट्रो और शहरी शाखाओं के लिए न्यूनतम बैलेंस अब भी 10,000 रुपये ही बरकरार है। यह खबर उन लाखों बैंक ग्राहकों के लिए सुकून लेकर आई है, जो बढ़ती महंगाई के बीच अपने खातों में अतिरिक्त बोझ से बचना चाहते थे।
HDFC बैंक का बड़ा ऐलान: मिनिमम बैलेंस पर नहीं कोई बदलाव
HDFC बैंक ने स्पष्ट किया है कि उसके रेगुलर सेविंग अकाउंट के नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसका मतलब है कि मेट्रो और शहरी शाखाओं में खाताधारकों को अभी भी औसत मासिक 10,000 रुपये का न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना होगा। बैंक ने यह भी बताया कि सेविंग मैक्स जैसे अन्य अकाउंट वेरिएंट के लिए 25,000 रुपये की सीमा लागू है। वहीं, अर्ध-शहरी (semi-urban) ब्रांचों में यह सीमा 5,000 रुपये निर्धारित है, जबकि ग्रामीण (rural) ब्रांचों में ग्राहकों को 2,500 रुपये का औसत मासिक या तिमाही बैलेंस बनाए रखना अनिवार्य है। बैंक ने यह भी साफ किया है कि हर कस्टमर प्रोफाइल और अकाउंट वेरिएंट के हिसाब से नियम अलग-अलग होते हैं, पर रेगुलर सेविंग के लिए कोई बदलाव नहीं हुआ है, जिससे आम ग्राहकों ने धन्यवाद देते हुए राहत महसूस की है।
ICICI बैंक ने ग्राहकों के दबाव के बाद दी राहत
ICICI बैंक ने मेट्रो और शहरी शाखाओं में सेविंग अकाउंट के लिए न्यूनतम बैलेंस में बदलाव की खबरें आने के बाद ग्राहकों के भारी विरोध का सामना किया था। शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, बैंक ने न्यूनतम बैलेंस को 10,000 रुपये से बढ़ाकर कुछ बदलाव किए थे। लेकिन, ग्राहकों के लगातार दबाव और प्रतिक्रिया के बाद, बैंक ने तुरंत अपनी नीति में संशोधन किया है। नतीजतन, ICICI बैंक ने भी अपने नियमों में कोई स्थायी बदलाव नहीं किया है, जिससे लाखों मौजूदा खाताधारकों को बड़ी राहत मिली है। यह दर्शाता है कि ग्राहकों की एकजुटता और प्रतिक्रिया बैंकों को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर सकती है।
सरकारी बैंकों में मिनिमम बैलेंस की अनिवार्यता खत्म
एक ओर जहां प्राइवेट बैंक न्यूनतम बैलेंस की शर्तों को लेकर चर्चा में हैं, वहीं दूसरी ओर सरकारी बैंकों ने इस मामले में ग्राहकों को पूरी तरह से आजादी दे दी है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और केनरा बैंक (Canara Bank) जैसे बड़े सरकारी बैंकों में न्यूनतम बैलेंस रखने की अनिवार्यता पूरी तरह से समाप्त की जा चुकी है। इसका मतलब है कि इन बैंकों में ग्राहक बिना किसी न्यूनतम बैलेंस की शर्त के अपना बैंक खाता संचालित कर सकते हैं। आप इन बैंकों में अपना खाता जीरो बैलेंस पर भी ऑपरेट कर सकते हैं, जो उन लोगों के लिए बहुत सुविधाजनक है जो नियमित रूप से अपने खाते में बड़ी रकम नहीं रख पाते हैं।
अलग-अलग अकाउंट वेरिएंट के लिए अलग नियम और बढ़ी प्रतिस्पर्धा
यह समझना बेहद महत्वपूर्ण है कि बैंकों में केवल एक प्रकार का सेविंग अकाउंट नहीं होता, बल्कि विभिन्न प्रकार के अकाउंट वेरिएंट मौजूद होते हैं, और प्रत्येक वेरिएंट के लिए न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकताएं अलग-अलग होती हैं। HDFC बैंक ने भी अपने बयान में इस बात पर विशेष जोर दिया है कि "हर अकाउंट वेरिएंट पर अलग मिनिमम बैलेंस की जरूरत होती है और वह नियमों के मुताबिक रहेगा"। इसका अर्थ है कि यदि आपके पास रेगुलर सेविंग अकाउंट के अलावा कोई अन्य विशेष खाता है, तो उसके नियम भिन्न हो सकते हैं। इन हालिया बदलावों और ग्राहकों की त्वरित प्रतिक्रिया ने भारतीय बैंकिंग सेक्टर में प्रतिस्पर्धा के स्तर को और बढ़ा दिया है। बैंक अब ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करने और उन्हें बनाए रखने के लिए अधिक लचीली और ग्राहक-केंद्रित नीतियां अपनाने पर विचार कर रहे हैं, जो अंततः ग्राहकों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। पुराने ग्राहक जहां इन घोषणाओं से बड़ी राहत महसूस कर रहे हैं, वहीं नए ग्राहकों को दृढ़ता से सलाह दी जाती है कि वे किसी भी बैंक में अपना खाता खोलने से पहले उसकी न्यूनतम बैलेंस पॉलिसी और अन्य नियमों को बहुत ध्यान से पढ़ लें। यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में उन्हें किसी भी प्रकार की असुविधा या अतिरिक्त शुल्क का सामना न करना पड़े। बैंक के नियमों में हो रहे बदलाव और ग्राहकों की चिंताएं, दोनों ही लगातार बैंकिंग जगत और आम जनता के बीच चर्चा का विषय बनी हुई हैं। यह पारदर्शिता और ग्राहक सशक्तिकरण की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
6. FAQs
-
HDFC बैंक में रेगुलर सेविंग अकाउंट के लिए न्यूनतम बैलेंस कितना है? HDFC बैंक के ताजा बयान के अनुसार, मेट्रो और शहरी शाखाओं में रेगुलर सेविंग अकाउंट के लिए न्यूनतम बैलेंस 10,000 रुपये ही बरकरार है। बैंक ने इस नियम में कोई बदलाव नहीं किया है, जिससे ग्राहकों को राहत मिली है।
-
क्या ICICI बैंक ने न्यूनतम बैलेंस के नियम बदले हैं? नहीं, ग्राहकों के जोरदार विरोध के बाद ICICI बैंक ने अपनी पॉलिसी में संशोधन किया है। बैंक ने स्पष्ट किया है कि उसने अपने नियमों में कोई स्थायी बदलाव नहीं किया है, जिससे ग्राहकों को पहले की तरह राहत मिली है।
-
किन सरकारी बैंकों में मिनिमम बैलेंस की अनिवार्यता नहीं है? भारतीय स्टेट बैंक (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और केनरा बैंक (Canara Bank) जैसे बड़े सरकारी बैंकों में न्यूनतम बैलेंस रखने की अनिवार्यता पूरी तरह से समाप्त की जा चुकी है। इन बैंकों में आप जीरो बैलेंस पर भी खाता चला सकते हैं।
-
HDFC बैंक में विभिन्न अकाउंट वेरिएंट के लिए क्या न्यूनतम बैलेंस नियम हैं? HDFC बैंक में सेविंग मैक्स जैसे वेरिएंट के लिए 25,000 रुपये, अर्ध-शहरी शाखाओं में 5,000 रुपये और ग्रामीण शाखाओं में 2,500 रुपये का औसत मासिक या तिमाही बैलेंस आवश्यक है। हर कस्टमर प्रोफाइल के नियम अलग हैं।
-
बैंकों के न्यूनतम बैलेंस नियमों में बदलाव का ग्राहकों पर क्या असर पड़ रहा है? हालिया स्पष्टीकरणों से पुराने ग्राहकों को राहत मिली है, जबकि बैंकिंग सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है। नए ग्राहकों को सलाह दी जाती है कि वे खाता खोलने से पहले बैंक की नीतियों को ध्यान से पढ़ें ताकि किसी भी भ्रम से बचा जा सके।