सरला भट्ट हत्याकांड: 35 साल बाद न्याय की नई उम्मीद, यासीन मलिक के घर SIA की रेड!
35 साल पुराने सरला भट्ट हत्याकांड की जांच फिर तेज हो गई है। जम्मू-कश्मीर पुलिस की SIA ने यासीन मलिक समेत JKLF के 8 ठिकानों पर की छापेमारी। जानिए कश्मीरी पंडित नर्स की दर्दनाक हत्या का पूरा सच और अब तक की कार्रवाई।

Breaking: कश्मीरी पंडित नर्स सरला भट्ट के 35 साल पुराने हत्याकांड की जांच में तेजी, JKLF नेता यासीन मलिक समेत 8 ठिकानों पर SIA की छापेमारी। Benefit: यह पहल कश्मीरी पंडितों के लिए न्याय की उम्मीद जगा रही है और अतीत के घावों को भरने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। Audience Focus: उन सभी भारतीयों के लिए जो न्याय प्रणाली की दृढ़ता और कश्मीरी पंडितों के दर्द को समझना चाहते हैं।
35 साल पहले जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचारों का एक और अध्याय, नर्स सरला भट्ट की नृशंस हत्या, अब फिर से खुल गया है। यह वह समय था जब घाटी से कश्मीरी पंडितों का दर्दनाक पलायन हो रहा था, और आतंकवाद अपने चरम पर था। न्याय की धीमी लेकिन अटल चाल का यह ताजा उदाहरण है, जहां जम्मू-कश्मीर पुलिस की विशेष जांच एजेंसी (SIA) ने इस पुराने मामले की तह तक पहुंचने के लिए सक्रियता दिखाई है।
बात 18 अप्रैल 1990 की है, जब श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में बतौर नर्स कार्यरत 27 वर्षीय सरला भट्ट को जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के आतंकियों ने अगवा कर लिया था। उनका कसूर सिर्फ इतना था कि वह एक कश्मीरी पंडित थीं और अपनी नौकरी व अपनी मातृभूमि कश्मीर दोनों को नहीं छोड़ना चाहती थीं। बाद में, गोलियों से छलनी उनका शव श्रीनगर के सोरा इलाके में मिला था। आतंकियों ने उन्हें मुखबिर करार दिया था।
लंबे इंतजार के बाद, सूबे के उपराज्यपाल की पहल पर इस मामले को फिर से खोला गया है। इसकी जांच की जिम्मेदारी जम्मू-कश्मीर पुलिस की SIA को सौंपी गई है, जिसने 12 अगस्त को इस सिलसिले में बड़ी कार्रवाई की। SIA ने केस से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सबूत बरामद किए हैं, जिससे जांच को एक नई दिशा मिली है।
SIA की टीमों ने JKLF नेता यासीन मलिक के श्रीनगर स्थित घर समेत आठ ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। मलिक फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है, लेकिन JKLF से जुड़े आतंकियों पर ही सरला के रेप और कत्ल का आरोप है। सुबह लगभग 6 बजे शुरू हुई यह रेड करीब आधा घंटा चली।
SIA ने केवल यासीन मलिक ही नहीं, बल्कि JKLF के कई अन्य पूर्व कमांडरों और ऑपरेटिव्स के घरों पर भी दबिश दी। इनमें JKLF के पूर्व प्रमुख अब्दुल हमीद शेख, जो यासीन मलिक के साथी थे, और 'एयर मार्शल' के नाम से जाने जाने वाले नूरुल हक भी शामिल हैं। इसके अलावा, जावेद नलका पीर, बशीर अहमद गोजरी, फिरोज अहमद खान और गुलाम मोहम्मद टपलू के घरों पर भी छापेमारी हुई है।
सरला भट्ट की हत्या 1990 के उस भयानक दौर में हुई थी, जब कश्मीरी पंडितों को चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा था। आतंकियों ने उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुँचाया और कई लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी। सरला भट्ट की हत्या के बाद जो बचे-खुचे कश्मीरी पंडित थे, उन्हें भी घाटी से पलायन करना पड़ा। इससे कुछ दिन पहले ही, आतंकियों ने हब्बा कदल में टेलीफोन ऑपरेटर गिरजा टिक्कू के साथ भी हैवानियत की हदें पार करते हुए बलात्कार किया और उन्हें लकड़ी काटने की मशीन से जिंदा काट दिया था।
यह मामला फिर से खुलना इस बात का प्रमाण है कि "न्याय में देर हो सकती है, लेकिन इंकार नहीं" (Justice delayed but not denied)। अब देखना यह है कि यह बहुप्रतीक्षित जांच किस नतीजे तक पहुंचती है और क्या सरला भट्ट के परिवार को दशकों बाद न्याय मिल पाता है।
- FAQ सेक्शन
- 1. सरला भट्ट हत्याकांड क्या है? सरला भट्ट हत्याकांड 18 अप्रैल 1990 को श्रीनगर में कश्मीरी पंडित नर्स सरला भट्ट की हुई नृशंस हत्या से संबंधित है। JKLF के आतंकियों ने उन्हें अगवा कर गोलियों से छलनी कर दिया था, क्योंकि वह कश्मीरी पंडित थीं और घाटी छोड़ना नहीं चाहती थीं।
- 2. यह केस 35 साल बाद क्यों फिर से खोला गया है? जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल की पहल पर यह केस फिर से खोला गया है। इसका उद्देश्य न्याय सुनिश्चित करना और दशकों पुराने लंबित मामलों को सुलझाना है। SIA का कहना है कि उन्होंने कुछ नए सबूत बरामद किए हैं, जिससे जांच में तेजी आई है।
- 3. यासीन मलिक का इस मामले से क्या संबंध है? यासीन मलिक जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) का नेता रहा है। सरला भट्ट के अपहरण और हत्या का आरोप JKLF से जुड़े आतंकियों पर ही है। जांच के सिलसिले में SIA ने यासीन मलिक के घर पर भी छापेमारी की है, हालांकि वह फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है।
- 4. SIA ने इस मामले में और किन-किन ठिकानों पर छापेमारी की है? SIA ने यासीन मलिक के अलावा JKLF के पूर्व चीफ अब्दुल हमीद शेख, नूरुल हक (एयर मार्शल), जावेद नलका पीर, बशीर अहमद गोजरी, फिरोज अहमद खान और गुलाम मोहम्मद टपलू सहित कुल आठ ठिकानों पर छापेमारी की है।
- 5. 1990 में कश्मीरी पंडितों के साथ क्या हुआ था? जनवरी 1990 में आतंकवादियों ने कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों को बड़े पैमाने पर निशाना बनाया। उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुँचाया गया और कई पंडितों की बेरहमी से हत्या कर दी गई, जिसके कारण बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडितों को कश्मीर घाटी छोड़कर पलायन करना पड़ा। सरला भट्ट और गिरजा टिक्कू जैसी हत्याएं उसी दौर का हिस्सा थीं।