आयकर बिल 2025: क्या सरकार बदल रही है दशकों पुराने टैक्स के नियम?
जानें आयकर बिल 2025 से जुड़े बड़े बदलाव जो आम आदमी की जिंदगी पर डालेंगे सीधा असर। क्या होंगे होम लोन और किराए के घर से जुड़े नए नियम? अभी पढ़ें!

आयकर का विषय अक्सर आम इंसान के लिए पेचीदा रहा है, जिसे समझने के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद लेनी पड़ती है। देश में पिछले 60 वर्षों से इनकम टैक्स एक्ट 1961 लागू है। इस दौरान देश की अर्थव्यवस्था, लोगों की आय और खर्च करने के तरीके में बड़ा बदलाव आया, लेकिन टैक्स का ढाँचा काफी हद तक पुराना ही रहा। इस पुरानी व्यवस्था को बदलने के लिए सरकार ने 13 फरवरी 2025 को लोकसभा में इनकम टैक्स बिल 2025 पेश किया था, लेकिन बाद में इस ड्राफ्ट को हटा लिया गया। अब सरकार एक नए और अपडेटेड बिल को लाने की तैयारी में है।
आखिर क्यों हटाया गया पुराना ड्राफ्ट और क्या है सरकार की मंशा? दरअसल, इनकम टैक्स बिल 2025 में बदलाव के लिए बैजेंद्र पांडा के नेतृत्व में एक सेलेक्ट कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी ने लगभग 4500 पन्नों की एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी, जिसमें 285 महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए थे। सरकार की मंशा है कि इन सभी अच्छे सुझावों को नए कानून में शामिल किया जाए। इसका मुख्य उद्देश्य एक ऐसा कानून पेश करना है जो बिल्कुल अपडेटेड हो, साफ हो और आम आदमी के लिए किसी भी तरह की उलझन पैदा न करे। यही कारण है कि पुराने ड्राफ्ट को हटाकर अब 11 अगस्त को एक नया इनकम टैक्स बिल संसद में पेश किया जाएगा।
आम आदमी के लिए तीन बड़े और सीधे फायदे वाले बदलाव कमेटी की रिपोर्ट में कई तकनीकी सुझाव दिए गए हैं, लेकिन आम जनता के लिए सबसे सीधे और बड़े फायदे वाले तीन प्रमुख बदलाव सामने आए हैं। पहला बड़ा बदलाव हाउस प्रॉपर्टी इनकम के टैक्स नियमों को सरल और फायदेमंद बनाना है। वर्तमान में, यदि आप किराए से आय कमाते हैं, तो आपको नगरपालिका टैक्स घटाने की छूट मिलती है। इसके बाद, सरकार आपको कुल किराए पर 30% का स्टैंडर्ड डिडक्शन देती है, जिसका मतलब है कि कुल किराए की 30% रकम टैक्स फ्री मानी जाती है। लेकिन पुराने कानून की भाषा इतनी जटिल है कि कई लोग इस डिडक्शन का लाभ लेना भूल जाते हैं या टैक्स ऑफिस में इसे लेकर विवाद हो जाता है। कमेटी ने सिफारिश की है कि नए कानून में इस 30% के स्टैंडर्ड डिडक्शन को बिल्कुल साफ और सीधी भाषा में लिखा जाए, ताकि कोई कंफ्यूजन न हो। उदाहरण के लिए, यदि आपका किराया ₹20,000 प्रति माह यानी ₹2,40,000 सालाना है और नगरपालिका टैक्स ₹10,000 सालाना है, तो ₹2,30,000 बचेंगे। इस बची हुई रकम का 30% यानी ₹69,000 पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा।
होम लोन ब्याज और टीडीएस/टीसीएस रिफंड में तेजी दूसरा बड़ा बदलाव होम लोन के ब्याज पर टैक्स कटौती से संबंधित है। अभी तक, आप अपने खुद के रहने वाले घर के लिए होम लोन के ब्याज पर सालाना ₹2 लाख तक की टैक्स कटौती का दावा कर सकते हैं। लेकिन अगर आपने कोई दूसरा घर खरीदा है और उसे किराए पर दे रखा है, तो यह फायदा सीमित शर्तों के साथ मिलता है। कमेटी का सुझाव है कि किराए पर दिए गए घर के लिए भी होम लोन के ब्याज पर यह फायदा बिना किसी शर्त के मिलना चाहिए। तीसरा महत्वपूर्ण मुद्दा टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) और टीसीएस (टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स) रिफंड में तेजी लाना है। ये वो रकमें होती हैं जो आपकी आय से पहले ही काट ली जाती हैं, जैसे कि सैलरी, बैंक एफडी का ब्याज, शेयर ट्रेडिंग या कुछ बड़ी खरीद पर। समस्या यह है कि कई बार आपका वास्तविक टैक्स कम होता है और आपको रिफंड का हक होता है, लेकिन यह रिफंड आने में महीनों लग जाते हैं। कमेटी चाहती है कि नया कानून रिफंड प्रक्रिया को तेज, आसान और पारदर्शी बनाए। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) भी 'एन्फोर्समेंट विद एमैथी' (Enforcement with Empathy) नाम की पॉलिसी पर काम कर रहा है, जिसका उद्देश्य ईमानदार करदाताओं को कम से कम परेशानी हो और उन्हें रिफंड जल्दी मिले।
आसान भाषा में होगा नया कानून सरकार चाहती है कि यह नया बिल न केवल आसान भाषा में हो, बल्कि सभी नियम एक ही डॉक्यूमेंट में मिलें। इससे पुराने एक्ट के संशोधन और अलग-अलग सर्कुलर की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। यदि 11 अगस्त को संसद में पेश होने वाला यह बिल पास हो जाता है, तो इनकम टैक्स एक्ट 1961 को हटाकर इनकम टैक्स एक्ट 2025 लागू कर दिया जाएगा। यह बदलाव आम जनता के लिए टैक्स समझना और उसका पालन करना बेहद आसान बना सकता है, जिससे करदाताओं को काफी राहत मिलने की उम्मीद है।