कठुआ बादल फटा: भारी तबाही, 4 की मौत; रेस्क्यू जारी

जम्मू-कश्मीर के कठुआ में बादल फटने से अचानक आई बाढ़। 4 लोगों की मौत, कई फंसे। बचाव अभियान में सेना व NDRF जुटी। किश्तवाड़ में भी 60+ मौतें।

Aug 17, 2025 - 11:41
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कठुआ बादल फटा: भारी तबाही, 4 की मौत; रेस्क्यू जारी
कठुआ बादल फटने से तबाही और बचाव कार्य।

ब्रेकिंग न्यूज़: कठुआ में बादल फटने से हाहाकार, 4 की मौत, रेस्क्यू ऑपरेशन तेज

जम्मू-कश्मीर में पहाड़ों पर लगातार हो रही वर्षा ने आपातकाल जैसी स्थिति पैदा कर दी है। इसी कड़ी में अब कठुआ से एक और बड़ी खबर सामने आई है। कठुआ में बादल फटने से भारी तबाही हुई है, जिसके कारण अचानक आए सैलाब ने कई इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया है। अभी तक की जानकारी के अनुसार, इस फ्लैश फ्लड की वजह से चार लोगों की मौत हो चुकी है। मौके पर राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी है, क्योंकि अभी भी कई लोग मुश्किल भरे हालातों में फंसे हुए हैं और उन्हें बचाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। पानी का वेग इतना अधिक है कि मजबूत से मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर भी इसके सामने टिक नहीं पा रहे हैं।

किश्तवाड़ में भयावह मंजर: 60 से अधिक लोगों की मौत, तलाश जारी

कठुआ से पहले, किश्तवाड़ में भी बादल फटने से भयानक तबाही हुई थी, जहां मरने वालों की संख्या लगभग 70 तक पहुंच चुकी है। किश्तवाड़ आपदा में अब तक 60 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। कई लोग अभी भी लापता हैं, जिनकी तलाश में रेस्क्यू टीमें लगातार जुटी हुई हैं। बचाव अभियान का आज चौथा दिन है और भारतीय सेना ने अब कमान संभाल ली है, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी आई है।

सेना और NDRF ने संभाली कमान: बचाव अभियान में तेजी

हालात की गंभीरता को देखते हुए, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की दो और टीमों को किश्तवाड़ घटना स्थल पर रवाना किया गया है। भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और तमाम अर्धसैनिक बल मौके पर मौजूद हैं और युद्धस्तर पर बचाव कार्य कर रहे हैं। स्निफर डॉग्स की मदद से मलबे में दबे लोगों को खोजने की कोशिश की जा रही है। ड्रोन का उपयोग कर उन इलाकों की तलाश की जा रही है जहां तक बचाव टीमें अभी तक नहीं पहुंच पाई हैं।

मलबे और बोल्डर से जूझती रेस्क्यू टीमें: बड़ी चुनौती

बचाव टीमों के सामने सबसे बड़ी चुनौती भारी मात्रा में जमा मलबा और बड़े-बड़े बोल्डर हैं। क्लाउडबर्स्ट के दौरान कई बोल्डर और पेड़ नीचे गिर आए थे, जिससे पूरा इलाका मलबे में तब्दील हो गया है। भारी मशीनों, जैसे जेसीबी, का इस्तेमाल पत्थरों को हटाने और रास्ता साफ करने के लिए किया जा रहा है। इस काम में समय लग रहा है क्योंकि पत्थरों की संख्या बहुत ज्यादा है और वे काफी बड़े हैं। यह मलबा हटाना और उसमें लोगों को ढूंढना एक बहुत बड़ी चुनौती है।

तबाही का मंजर: खंडहर बन चुके घर, बहते पानी का तेज वेग

तबाही की तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं। कई घर जो पहले आबाद थे, अब खंडहर में बदल चुके हैं। तस्वीरों में पानी का तेज बहाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जो दर्शाता है कि बाढ़ कितनी प्रचंड थी। अगस्त का महीना आधे से ज्यादा निकल चुका है, लेकिन पहाड़ों पर वर्षा का यह आपातकाल लोगों की मुश्किलें लगातार बढ़ा रहा है।

आगे की राह: लगातार जारी है तलाश और साफ-सफाई

किश्तवाड़ और कठुआ दोनों ही स्थानों पर सर्च ऑपरेशन लगातार जारी है। सुबह के समय भी एनडीआरएफ की टीमें डॉग स्क्वॉड की मदद से मलबे के नीचे दबे होने वाले किसी भी व्यक्ति की तलाश कर रही हैं। इस जगह को साफ करने और फंसे हुए लोगों तक पहुंचने की हरसंभव कोशिश की जा रही है।

  FAQs

  • कठुआ में बादल फटने से कितना नुकसान हुआ है? कठुआ में बादल फटने से अचानक आई बाढ़ के कारण अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है। कई रिहायशी इलाकों में पानी भर गया है और इंफ्रास्ट्रक्चर को भी भारी नुकसान पहुंचा है।

  • किश्तवाड़ आपदा में कितने लोगों की जान गई है? किश्तवाड़ में बादल फटने के बाद मरने वालों की संख्या 60 से अधिक है, जबकि लगभग 70 लोगों की जान जाने की बात कही जा रही है। कई लोग अभी भी लापता हैं जिनकी तलाश जारी है।

  • बचाव अभियान कौन-कौन सी एजेंसियां चला रही हैं? बचाव अभियान में भारतीय सेना, एनडीआरएफ की टीमें, जम्मू-कश्मीर पुलिस और अन्य अर्धसैनिक बल शामिल हैं। स्निफर डॉग्स और ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीकों का भी उपयोग किया जा रहा है।

  • बचाव कार्यों में क्या चुनौतियां आ रही हैं? बचाव कार्यों में भारी मात्रा में जमा मलबा और बड़े-बड़े बोल्डर सबसे बड़ी चुनौतियां हैं। इन मलबों को हटाने और फंसे लोगों तक पहुंचने में काफी कठिनाई हो रही है।

  • क्या पहाड़ों पर अभी भी बारिश का खतरा है? अगस्त का महीना आधे से ज्यादा बीत जाने के बावजूद, पहाड़ों पर वर्षा का आपातकाल जारी है। इससे लोगों की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं और अचानक बाढ़ का खतरा बना हुआ है।

Neeraj Ahlawat Neeraj Ahlawat is a seasoned News Editor from Panipat, Haryana, with over 10 years of experience in journalism. He is known for his deep understanding of both national and regional issues and is committed to delivering accurate and unbiased news.