नीशु देशवाल: 'यारों का यार' जिसने ट्रैक्टरों से बदला किसानों का अंदाज, जानें पूरी कहानी

नीशु देशवाल ने कैसे ट्रैक्टरों को सिर्फ खेती से उठाकर शौक और पहचान का जरिया बनाया? रोहित देशवाल बता रहे अपने भाई की कहानी, उनका एक्सीडेंट और विरासत।

Aug 20, 2025 - 09:02
Aug 20, 2025 - 09:03
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नीशु देशवाल: 'यारों का यार' जिसने ट्रैक्टरों से बदला किसानों का अंदाज, जानें पूरी कहानी
नीशु देशवाल और ट्रैक्टर मॉडिफिकेशन

 हरियाणा के Panipat से निकली एक ऐसी कहानी, जिसने ट्रैक्टर को सिर्फ खेती तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे शौक, पहचान और एक नई सोच का प्रतीक बना दिया। यह कहानी है 'यारों का यार' के नाम से मशहूर नीशु देशवाल की, जिन्होंने ट्रैक्टर मॉडिफिकेशन और स्टंट के जरिए युवाओं को खेती से जोड़ा और किसानों की सोच बदल दी। आज भी उनका नाम देश-विदेश में गूंजता है। फरीदाबाद रॉकर्स के पॉडकास्ट में रोहित देशवाल ने अपने भाई नीशु की प्रेरणादायक यात्रा, उनके काम, आकस्मिक निधन और अपनी सामाजिक जिम्मेदारी पर खुलकर बात की है।

नीशु देशवाल: ट्रैक्टरों से बदल दी किसानों की पहचान नीशु देशवाल ने ट्रैक्टर को सिर्फ खेती के औजार से कहीं आगे ले जाने का काम किया। उन्होंने ट्रैक्टरों को मॉडिफाई कर एक नया ट्रेंड शुरू किया, जिससे किसानों और युवाओं की सोच में बड़ा बदलाव आया। अब मॉडिफाइड ट्रैक्टर को सिर्फ शौक के तौर पर लाखों खर्च कर खरीदा जाता है, न कि केवल गुजर-बसर के लिए। रोहित बताते हैं कि नीशु भाई ने यह रास्ता अपने पापा और ताऊजी से सीखा था, जो कभी-कभार मनोरंजन के लिए टोचन किया करते थे। पंजाब में भी इसका चलन था, जिसने नीशु को यह ट्रैक चुनने में मदद की।

ट्रैक्टर मॉडिफिकेशन का खर्च और समय: क्या-क्या होता है बदलाव? अगर आप भी अपने ट्रैक्टर को मॉडिफाई कराना चाहते हैं, तो इसमें अच्छा-खासा समय और पैसा लगता है। एक ट्रैक्टर को पूरी तरह तैयार होने में कम से कम एक से डेढ़ महीना लग जाता है। इसमें चारों टायर, म्यूजिक सिस्टम, सेफ्टी गार्ड (यू-पाइप), और इंजन की पावर बढ़ाने के लिए पिस्टन, प्लंजर और नोजल जैसे पुर्जे बदले जाते हैं। रोहित के अनुसार, एक अच्छा मॉडिफाइड ट्रैक्टर बनवाने में 5 से 8 लाख रुपये तक का खर्च आ सकता है। यह यू-पाइप ड्राइवर को ट्रैक्टर के पीछे गिरने से बचाने में मदद करता है, खासकर जब ट्रैक्टर स्टंट या खेत में उठ जाता है।

नीशु देशवाल का अंतिम सफर: हादसे का सच नीशु देशवाल का निधन एक सड़क हादसे में हुआ था, जो यमुना नदी के पास हुआ। रोहित बताते हैं कि नीशु भाई को पहले से ही हादसों का एहसास होने लगा था, क्योंकि उस समय कई स्टंट करने वाले भाइयों के साथ दुर्घटनाएं हो रही थीं। उन्होंने स्टंट कम कर दिए थे और दूसरों को भी पूरी सुरक्षा के साथ या अनुभव न होने पर स्टंट न करने की सलाह देते थे। हादसे वाले दिन, नीशु भाई अपने दोस्तों के साथ वीडियो बनाने गए थे। अंतिम स्टंट के दौरान, जब ट्रैक्टर उठा हुआ था, तो 'दिलों की धड़कन' नाम के उस ट्रैक्टर का यू-पाइप टूट गया। इस यू-पाइप पर लगे नट-बोल्ट टूट गए, जिससे ट्रैक्टर का सारा वजन पीछे आ गया और यह दुखद हादसा हो गया। इस हादसे में वह ट्रैक्टर टूटा था जिस पर उन्हें "इतना विश्वास था, इतना इंसान पे विश्वास नहीं कर सकते"। रोहित हादसे के समय घर पर थे और उन्हें फोन पर खबर मिली थी।

रोहित देशवाल: विरासत संभालने का संघर्ष और चुनौतियां नीशु भाई के जाने के बाद उनके भाई रोहित देशवाल ने उनकी विरासत को संभाला। रोहित का असली प्लान ऑस्ट्रेलिया जाने का था, लेकिन भाई का नाम और काम खराब न हो, इस जिम्मेदारी के चलते उन्हें सोशल मीडिया पर आना पड़ा। उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जैसे बुलंदशहर में एक मीटअप के दौरान 9-10 हजार लोगों की भीड़ जमा हो गई, जिससे शहर जाम हो गया और पुलिस ने कई ट्रैक्टर जब्त कर लिए। रोहित को खुद गिरफ्तार होने की धमकी मिली, लेकिन उन्होंने अपने खर्च पर सभी ट्रैक्टरों को छुड़वाया। उन्हें सोशल मीडिया पर हेटर्स का भी सामना करना पड़ा, जिन्होंने उनकी इंस्टाग्राम आईडी डिलीट करवा दी। रोहित ने नीशु भाई की इंस्टाग्राम आईडी को भी बचाने के लिए उसका नाम और फोटो बदल दिया था, क्योंकि आईडी री-एक्टिवेट करने के लिए फेस वेरिफिकेशन की जरूरत थी। रोहित अब अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने और विवादों से दूर रहने की बात करते हैं।

'यारों का यार' नीशु देशवाल: एक निस्वार्थ व्यक्तित्व नीशु देशवाल को 'यारों का यार' इसलिए कहा जाता था क्योंकि वे बहुत दरियादिल इंसान थे। कोई भी उनके घर आता, चाहे वह सब्सक्राइबर हो या दोस्त, नीशु उसे कभी खाली हाथ नहीं जाने देते थे। एक बार उन्होंने अपने दोस्त को अपने ट्रैक्टर से 'जहाज के टायर' भी निकालकर दे दिए थे। उनका पहला और सबसे भरोसेमंद ट्रैक्टर 'टोचन किंग' (जोन्डर 50 एचडी) था, जिसे उन्होंने 2017 में लिया था। नीशु भाई ने युवाओं में ट्रैक्टर और खेती के प्रति रुचि बढ़ाई है, जिससे कई बच्चे अब मॉडिफाइड ट्रैक्टर के साथ खेती करने लगे हैं।

सोशल मीडिया और युवा: एक सकारात्मक संदेश रोहित देशवाल सोशल मीडिया पर सभी क्रिएटर्स को मिलकर काम करने, एक-दूसरे की टांग खींचने से बचने और अपना साफ-सुथरा काम करने की सलाह देते हैं। उनका मानना है कि असली अटैचमेंट दिलों से होनी चाहिए, न कि सिर्फ फॉलो-अनफॉलो से। रोहित का कहना है कि जब नीशु देशवाल के नाम पर कोई दिक्कत आएगी, तो वे सोशल मीडिया को एक तरफ रखकर भी जवाब देंगे और हर चुनौती का सामना करेंगे।

. FAQs

Q1: नीशु देशवाल कौन थे और उन्होंने क्या किया? नीशु देशवाल एक प्रसिद्ध यूट्यूबर थे जिन्होंने ट्रैक्टर मॉडिफिकेशन और स्टंट को लोकप्रिय बनाया। उन्होंने ट्रैक्टर को खेती के औजार से आगे बढ़कर युवाओं के बीच एक शौक और पहचान का जरिया बना दिया, जिससे किसानों और युवाओं की सोच में बड़ा बदलाव आया।

Q2: ट्रैक्टर मॉडिफिकेशन में कितना खर्च आता है? एक सामान्य ट्रैक्टर को मॉडिफाई करने में, जिसमें टायर, म्यूजिक सिस्टम, सेफ्टी गार्ड (यू-पाइप), और इंजन अपग्रेड शामिल होते हैं, कम से कम 5 से 8 लाख रुपये का खर्च आता है। इसमें एक से डेढ़ महीना का समय भी लग सकता है।

Q3: नीशु देशवाल का एक्सीडेंट कैसे हुआ था? नीशु देशवाल का एक्सीडेंट यमुना नदी के पास स्टंट करते समय हुआ था। उनके ट्रैक्टर 'दिलों की धड़कन' का सेफ्टी यू-पाइप टूट गया, जिस पर ट्रैक्टर का सारा वजन था, जिससे वह पीछे गिर गया और यह दुखद घटना हो गई।

Q4: रोहित देशवाल सोशल मीडिया पर क्यों आए? रोहित देशवाल ने बताया कि भाई नीशु देशवाल के अचानक निधन के बाद, उन्होंने उनकी विरासत और नाम को बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया पर आने का फैसला किया। उनका मूल प्लान ऑस्ट्रेलिया जाने का था, लेकिन भाई के काम को अधूरा नहीं छोड़ना चाहते थे।

Q5: नीशु देशवाल के फेवरेट ट्रैक्टर का क्या नाम था? नीशु देशवाल का सबसे पसंदीदा और भरोसेमंद ट्रैक्टर जॉनर 50 एचडी था, जिसका नाम 'टोचन किंग' था। यह ट्रैक्टर 2017 में लिया गया था और उन्हें इस पर इतना विश्वास था कि नट बोल्ट खुले होने पर भी वे इस पर स्टंट कर देते थे।

Neeraj Ahlawat Neeraj Ahlawat is a seasoned News Editor from Panipat, Haryana, with over 10 years of experience in journalism. He is known for his deep understanding of both national and regional issues and is committed to delivering accurate and unbiased news.