आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर PETA का बड़ा सवाल: 'अवैध और अव्यावहारिक' बताया
आवारा कुत्तों से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश पर PETA इंडिया ने गंभीर सवाल उठाए हैं। जानिए क्यों PETA इसे 'अवैध, अतार्किक और अमानवीय' बता रहा है, और क्या हैं इस समस्या के स्थायी समाधान, खासकर दिल्ली जैसे शहरों के लिए।

ब्रेकिंग न्यूज़: आवारा कुत्तों से जुड़ी बड़ी खबर! सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश पर पशु कल्याण संगठन PETA इंडिया ने कड़ा विरोध जताया है, इसे 'अवैध और अव्यावहारिक' करार दिया है। यह खबर लाखों नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण है जो डॉग बाइट्स की बढ़ती घटनाओं से चिंतित हैं और साथ ही पशु प्रेमियों के लिए भी जो इन जानवरों के अधिकारों और सुरक्षित भविष्य की वकालत करते हैं। इस रिपोर्ट में जानिए इस जटिल मुद्दे पर PETA का पक्ष और समस्या के स्थायी समाधान की दिशा में संभावित कदम।
दिल्ली सहित देशभर में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनसे जुड़ी घटनाओं ने एक बड़ी बहस छेड़ दी है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर एक अहम आदेश दिया, जिसके बाद दिल्ली भर में डॉग लवर्स का विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिला है। इस आदेश पर PETA इंडिया ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। PETA इंडिया से शौर्य अग्रवाल ने इस आदेश को 'अवैध, अतार्किक, अव्यावहारिक और अमानवीय' बताया है।
क्यों PETA सुप्रीम कोर्ट के आदेश को 'अवैध' मानता है? PETA इंडिया के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश कई मायनों में अवैध है क्योंकि सरकार ने 2001 से एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियम बना रखे हैं। इन नियमों में साफ लिखा है कि कुत्तों को उनकी लोकेशन से हटाया नहीं जा सकता। इसका मुख्य कारण यह है कि कुत्ते क्षेत्रीय जानवर (Territorial Animal) होते हैं। अगर उन्हें उनके क्षेत्र से हटाकर किसी अन्य स्थान पर ले जाया जाता है, तो संसाधनों (भोजन आदि) के लिए कुत्तों के बीच लड़ाई बढ़ेगी। इस वजह से डॉग बाइट्स और रेबीज के मामलों में भी वृद्धि हो सकती है।
क्या है 'अव्यावहारिकता' का तर्क? शौर्य अग्रवाल के मुताबिक, यह आदेश अव्यावहारिक भी है। दिल्ली में लगभग 10 लाख आवारा कुत्ते हैं। इतने बड़े संख्या में कुत्तों को एक शेल्टर या 'जेल' में बंद करना संभव नहीं है। PETA का मानना है कि इतनी बड़ी आबादी का प्रबंधन शेल्टर्स में करना दिल्ली जैसे शहर के लिए पूरी तरह से अव्यावहारिक है।
PETA की नजर में समाधान क्या है? PETA इंडिया का कहना है कि सरकार ने 2001 से ही एनिमल बर्थ कंट्रोल और स्टेरलाइजेशन (नसबंदी) पर जोर दिया है, जो कि प्रभावी तरीका है। लखनऊ और देहरादून का उदाहरण देते हुए, शौर्य अग्रवाल ने बताया कि वहां 70% कुत्तों का स्टेरलाइजेशन किया गया है, जिसके सुखद परिणाम सामने आए हैं। इन शहरों में कुत्तों की आबादी कम हुई है और डॉग बाइट के मामले भी घटे हैं। इसके विपरीत, दिल्ली में एक रिपोर्ट के अनुसार, 50% से भी कम आवारा कुत्तों का स्टेरलाइजेशन हुआ है। PETA का तर्क है कि यदि दिल्ली ने शुरुआत से इस कार्यक्रम को गंभीरता से लिया होता, तो आज ऐसी स्थिति नहीं होती।
इंसानों का व्यवहार कैसे प्रभावित करता है कुत्तों को? अक्सर डॉग बाइट्स के मामलों में कुत्तों की आक्रामकता की बात होती है, लेकिन PETA का मानना है कि ज्यादातर सामुदायिक कुत्ते स्वाभाविक रूप से बहुत ही प्यारे होते हैं। हालांकि, जब लोग उन पर पत्थर फेंकते हैं, लात मारते हैं, सरिये या डंडे से मारते हैं, उन पर एसिड डालते हैं, गर्म पानी फेंकते हैं या जहर देने की कोशिश करते हैं, तो कोई भी जानवर, यहां तक कि इंसान भी ऐसी हरकतों से परेशान होकर आक्रामक हो जाएगा। ऐसे में कुत्तों से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वे खुद का बचाव नहीं करेंगे या रक्षात्मक नहीं बनेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और MCD को इस मुद्दे पर एक पूरी रिपोर्ट बनाने के लिए आठ हफ्ते का समय दिया है। इस रिपोर्ट में कुत्तों के पुनर्वास, स्टेरलाइजेशन और टीकाकरण जैसे पहलुओं पर बात होनी है। PETA इंडिया ने साफ किया है कि वे इस मामले में अपने सभी कानूनी विकल्पों की तलाश कर रहे हैं और अध्ययन कर रहे हैं कि आगे इस स्थिति से कैसे निपटा जाए।
- FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न):
- Q1: PETA इंडिया सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों से जुड़े आदेश का विरोध क्यों कर रहा है? A1: PETA इंडिया इस आदेश को 'अवैध, अतार्किक, अव्यावहारिक और अमानवीय' मानता है। उनका कहना है कि यह 2001 के एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियमों का उल्लंघन है, जो कुत्तों को उनकी लोकेशन से हटाने की मनाही करते हैं क्योंकि वे क्षेत्रीय जानवर होते हैं। इसके अलावा, दिल्ली में 10 लाख कुत्तों को शेल्टर में रखना अव्यावहारिक है।
- Q2: कुत्तों को उनके मूल स्थान से हटाना क्यों समस्याजनक हो सकता है? A2: कुत्तों को उनके मूल स्थान से हटाने पर वे नए क्षेत्र में संसाधनों (जैसे भोजन) के लिए अन्य कुत्तों से लड़ना शुरू कर सकते हैं। इससे डॉग बाइट्स और रेबीज के मामलों में वृद्धि हो सकती है।
- Q3: PETA इंडिया आवारा कुत्तों की समस्या के लिए क्या समाधान सुझाता है? A3: PETA इंडिया प्रभावी स्टेरलाइजेशन (नसबंदी) कार्यक्रमों को एकमात्र स्थायी समाधान मानता है। वे लखनऊ और देहरादून का उदाहरण देते हैं, जहां 70% स्टेरलाइजेशन के बाद कुत्तों की आबादी और डॉग बाइट्स दोनों कम हुए हैं।
- Q4: दिल्ली में आवारा कुत्तों के स्टेरलाइजेशन की वर्तमान स्थिति क्या है? A4: एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में 50% से भी कम आवारा कुत्तों का स्टेरलाइजेशन किया गया है, जो PETA के अनुसार अपर्याप्त है।
- Q5: इंसानों का व्यवहार आवारा कुत्तों के बर्ताव को कैसे प्रभावित करता है? A5: PETA का कहना है कि सामुदायिक कुत्ते आमतौर पर प्यारे होते हैं, लेकिन जब उन्हें पत्थर मारा जाता है, लात मारी जाती है, डंडों से पीटा जाता है, या उन पर एसिड/गर्म पानी फेंका जाता है, तो वे आत्मरक्षा में आक्रामक हो सकते हैं।