Zoho Shocks Microsoft: स्वदेशी तकनीक से भारतीय कंपनी ने अमेरिका को कैसे दी चुनौती?
Zoho की शक्ति से देश हैरान। केंद्रीय IT मंत्री अश्विनी वैष्णव ने माइक्रोसॉफ्ट को छोड़ Zoho पर प्रेजेंटेशन दिया। जानें श्रीधर वेंबू की कंपनी का 1 लाख करोड़ का वैल्यूएशन, स्वदेशी आंदोलन को मिला नया बूस्ट।

By: दैनिक रियल्टी ब्यूरो | Date: | 27 Sep 2025
हाल ही में हुए एक घटनाक्रम ने पूरे देश में स्वदेशी तकनीक को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है, जिसने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत भी वैश्विक प्रौद्योगिकी दिग्गजों को सीधे चुनौती देने की क्षमता रखता है। यह ब्रेकिंग खबर तब सामने आई जब केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर ट्वीट कर यह जानकारी दी कि उन्होंने अपना सारा प्रेजेंटेशन अब माइक्रोसॉफ्ट के पावरपॉइंट के बजाय भारतीय कंपनी Zoho के प्लेटफॉर्म पर बनाया है। यह न केवल एक सॉफ्टवेयर स्विच था, बल्कि अमेरिका की 4 ट्रिलियन डॉलर वाली दिग्गज कंपनी माइक्रोसॉफ्ट को एक लाख करोड़ रुपये के वैल्यूएशन वाली भारतीय कंपनी Zoho द्वारा दी गई सीधी चुनौती थी। इस कदम से देश में लंबे समय से चल रही यह चर्चा कि "हम स्वदेशी में कुछ करते क्यों नहीं?" को एक बड़ा और निर्णायक बूस्ट मिला है, जिससे आम भारतीय भी यह महसूस कर सकता है कि हमारे पास भी अब अमेरिकी कंपनियों पर निर्भरता कम करने का विकल्प मौजूद है। मंत्री जी के इस ट्वीट के तुरंत बाद, देश भर में Zoho और इसके संस्थापक श्रीधर वेंबू की चर्चा होने लगी। यह घटना एक संकेत है कि स्वदेशी मूवमेंट अब केवल विचार नहीं, बल्कि मजबूत तकनीक के साथ क्रियान्वयन के स्तर पर पहुंच चुका है, और यह हर उस भारतीय के लिए गर्व का क्षण है जो देश की आर्थिक और तकनीकी संप्रभुता को मजबूत देखना चाहता है।
1. Zoho vs Microsoft: क्यों शुरू हुई यह स्वदेशी बहस?
भारतीय प्रौद्योगिकी परिदृश्य में Zoho और माइक्रोसॉफ्ट की तुलना अचानक तब सुर्खियों में आई जब भारत के आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की कि वे अपने सभी दस्तावेज़, स्प्रेडशीट और प्रेजेंटेशन Zoho के उत्पादों पर बना रहे हैं, न कि विदेशी प्लेटफॉर्म पर। अश्विनी वैष्णव, जो स्वयं एक आईआईटीएन हैं, ने अपने रेल मंत्रालय से संबंधित पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन की शुरुआत करते हुए स्पष्ट किया कि यह प्रेजेंटेशन माइक्रोसॉफ्ट पर नहीं, बल्कि Zoho Show पर बनी है। यह घोषणा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनियों में से एक, माइक्रोसॉफ्ट (जिसका वर्तमान वैल्यूएशन 4 ट्रिलियन डॉलर है, जो भारत की जीडीपी से भी अधिक है) को एक स्वदेशी विकल्प से बदलने का सरकार द्वारा दिया गया संकेत था। Zoho, जिसका वैल्यूएशन हुरून लिस्ट के अनुसार लगभग 1 लाख करोड़ रुपये (यानी 12 बिलियन डॉलर) आंका गया है, बूटस्ट्रैप्ड कंपनी है, जिसका अर्थ है कि इसमें कोई विदेशी फंडिंग नहीं लगी है और सारा पैसा घर से ही लगाया गया है। यह कंपनी चुपचाप काम करती है और विज्ञापन नहीं करती है, इसके बावजूद, यह सालाना 1 बिलियन डॉलर से अधिक का राजस्व कमाती है, जो लगभग 8700 करोड़ रुपये है। मंत्री जी का यह कदम केवल एक तकनीकी बदलाव नहीं है; यह स्वदेशी को बढ़ावा देने, देश में एक नया माहौल बनाने, और उन भारतीयों को एक मजबूत संकेत देने का प्रयास है जो लगातार सवाल उठाते रहे हैं कि हम चीन की तरह बड़ी अमेरिकी कंपनियों के समानांतर स्वदेशी विकल्प क्यों नहीं बना पाते। धर्मेंद्र प्रधान जी ने भी Zoho के ‘अरटाई’ (Arattai) मैसेंजिंग ऐप को साझा किया, जो सीधे तौर पर अमेरिकी मैसेजिंग प्लेटफॉर्म WhatsApp को टक्कर देने वाला भारतीय विकल्प है, यह दर्शाता है कि अब भारतीयों के पास सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से लेकर ऑफिस सुइट तक हर चीज में स्वदेशी विकल्प मौजूद हैं।
2. श्रीधर वेंबू: IIT से लौटे एक विजनरी का स्वदेशी आह्वान
Zoho के संस्थापक श्रीधर वेंबू, जो एक साधारण परिवार से आते हैं और चेन्नई, तमिलनाडु में निवास करते हैं, केवल एक सफल उद्यमी नहीं, बल्कि स्वदेशी आंदोलन के एक मजबूत लीडर के रूप में उभरे हैं। उनकी कहानी उन भारतीयों को प्रेरणा देती है जो अमेरिकी सपनों के पीछे भाग रहे हैं। आईआईटी मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और पीएचडी करने के बाद, श्रीधर वेंबू को अमेरिका में नौकरी के अवसर मिले होंगे (संभवतः एच-1बी वीजा के माध्यम से), लेकिन उन्होंने वह सब छोड़कर भारत लौटने का फैसला किया। उन्होंने अपनी कंपनी की स्थापना चेन्नई के बजाय अपने गृहनगर तमिलनाडु के तेनकाशी नामक एक छोटे जिले में करने का विचार किया, यह कदम उस समय उठाया गया जब छोटे शहरों में स्टार्टअप शुरू करने का चलन नहीं था। श्रीधर वेंबू ने विशेष रूप से तब राष्ट्रभक्ति की भावना को एक नया स्तर दिया जब उन्होंने उन भारतीयों को संदेश दिया जो एच-1बी वीजा संबंधी परेशानियों के कारण भारत लौटने की सोच रहे थे। ट्रंप प्रशासन द्वारा एच-1बी वीजा धारकों को ‘मजदूर’ जैसी भावना महसूस कराए जाने के बाद, वेंबू ने कहा कि जो भारतीय वापस लौट रहे हैं, उन्हें घबराना नहीं चाहिए; वे केवल 5 साल लगकर इस देश में काम करें, तो हम दुनिया को पछाड़ सकते हैं। उन्होंने सिंधियों का उदाहरण दिया और कहा कि जैसे वे सब कुछ छोड़कर आए थे लेकिन आज मजबूत हैं, वैसे ही एच-1बी वीजा के लिए अमेरिका में रुके भारतीयों को भी वापस आना चाहिए। उनकी यह कंपनी, जो 1996 में सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट फर्म के रूप में शुरू हुई और 2009 में Zoho कॉर्पोरेशन बनी, आज स्वदेशी तकनीक का एक मजबूत प्रतीक बन चुकी है।
3. कैसे Zoho CRM दुनिया के बड़े ब्रांड्स की है रीढ़?
अगर Zoho ने बिना प्रचार किए भी बाजार में अपनी 1 लाख करोड़ रुपये की वैल्यूएशन बनाई है और 130 मिलियन ग्राहक आधार तैयार किया है, तो इसके पीछे उसका मजबूत उत्पाद पोर्टफोलियो है। Zoho केवल एक देसी विकल्प नहीं है, बल्कि यह एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का सॉफ्टवेयर प्रोवाइडर है जिसके ग्राहक 60 से अधिक देशों में फैले हुए हैं। Zoho का सबसे बड़ा और विख्यात उत्पाद Zoho CRM (कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट) सेवा है, जिसका उपयोग दुनिया के कई बड़े ब्रांड्स करते हैं। सीआरएम सेवाएं वह सॉफ्टवेयर प्रदान करती हैं जो ग्राहकों के साथ होने वाले सभी इंटरैक्शन और अनुभवों को सहेजता है, जिससे कंपनियों को यूजर एक्सपीरियंस बेहतर बनाने में मदद मिलती है। Zoho के सीआरएम का उपयोग करने वाले ग्राहकों की सूची में अमेज़ॅन, नेटफ्लिक्स, सिस्को, ईबे, बास्केट, मर्सिडीज बेंज, फोर्ड, हुंडई, रेनॉल्ट, सुजुकी, सिटी बैंक, और एचडीएफसी जैसे दिग्गज नाम शामिल हैं। ये बड़ी कंपनियां यूजर एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने के लिए बहुत काम करती हैं, और इसी वजह से वे Zoho जैसी कंपनी की सेवाओं का उपयोग करती हैं। यह Zoho की तकनीकी उत्कृष्टता का प्रमाण है। इसके अलावा, कंपनी ने माइक्रोसॉफ्ट के सभी प्रमुख उत्पादों के लिए स्वदेशी विकल्प तैयार किए हैं, जैसे जीमेल के लिए Zoho Mail, गूगल कैलेंडर के लिए Zoho Calendar, और पावरपॉइंट के लिए Zoho Show। उनकी उत्पाद सूची में Zoho WorkDrive, Zoho Books, Zoho Invoice, Zoho Billing, और Zoho Sign जैसी तमाम प्रकार की चीजें उपलब्ध हैं, जो एक विदेशी कंपनी द्वारा बनाए जा रहे सभी कार्यों को धीरे-धीरे स्वदेशी रूप से करने लगी हैं।
4. वित्तीय ताकत और बूटस्ट्रैप सफलता की कहानी
Zoho कॉर्पोरेशन की कहानी इसलिए भी असाधारण है क्योंकि इसने वित्तीय रूप से मजबूत नींव रखी है और यह पूरी तरह से बूटस्ट्रैप्ड है; यानी आज तक कोई बाहरी या विदेशी फंडिंग नहीं ली गई है। Zoho हर साल 1 बिलियन डॉलर से अधिक का राजस्व अर्जित करती है, जो लगभग 8700 करोड़ रुपये सालाना है। हैरानी की बात यह है कि कंपनी का मुनाफा मार्जिन 33% है। Zoho सालाना ₹2800 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमा कर ले जाती है, जब इतना भारी लाभ कमाया जा रहा हो तो बाहर के पैसे की जरूरत ही क्या है, कंपनी उसी पैसे को लगाकर लगातार बड़ी बनती चली जाती है। यही वित्तीय स्वतंत्रता यह सुनिश्चित करती है कि कंपनी खुद से ही खुद को चलाती रहेगी और किसी बड़ी विदेशी कंपनी द्वारा इसका अधिग्रहण किए जाने की आशंका कम हो जाती है। यह कंपनी लगातार 3% की ईयर-ऑन-ईयर ग्रोथ कर रही है, जो इसे भारत की सबसे बड़ी अनलिस्टेड कंपनियों में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के बाद दूसरे स्थान पर रखती है। श्रीधर वेंबू की नैतिकता और परिवार के प्रति उनके दृष्टिकोण का पता इस बात से चलता है कि जिस कंपनी को उन्होंने अपने विचार से बनाया है, उसमें वह मात्र 5% शेयर रखते हैं, जबकि उनकी बहन राधा वेंबू और भाई वेंबू शेखर के पास सबसे बड़े शेयर हैं। यह न केवल एक परिवार की ताकत को दर्शाता है बल्कि यह भी दिखाता है कि उन्होंने भारत में आकर परिवार और संस्कार के साथ स्वदेशी रूप से काम को आगे बढ़ाया।
5. स्वदेशी को मिला बूस्ट: क्या ये भारतीय टेक्नोलॉजी के लिए गर्व का क्षण है?
केंद्रीय मंत्रियों द्वारा Zoho का उपयोग शुरू करना, जैसे अश्विनी वैष्णव द्वारा प्रेजेंटेशन के लिए और धर्मेंद्र प्रधान द्वारा Zoho के मैसेंजिंग ऐप का जिक्र करना, Zoho के लिए एक बड़ा अप्रत्याशित प्रचार साबित हुआ। यह उस समय हुआ है जब प्रधानमंत्री स्वदेशी की अलख जगा रहे हैं, और ऐसे में यह चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर मायने रखती है। भारत में लंबे समय से यह माहौल है कि बड़ी तकनीकी कंपनियां अमेरिकी या चीनी क्यों हैं। Zoho का उदाहरण इस सवाल का जवाब देता है। जब एक कंपनी यह घोषणा करती है कि वह माइक्रोसॉफ्ट को पछाड़ सकती है, तो यह केवल बयानबाजी नहीं, बल्कि करके दिखाने वाली बात है। यह समस्त भारतीयों के लिए गौरव का क्षण है क्योंकि यह दिखाता है कि अगर कोई भारतीय कंपनी इतना बड़ा सपना देखने में सफल है, तो यह देश की क्षमता को दर्शाता है। जहां कुछ लोग अश्विनी वैष्णव जी को ट्रोल करते हुए यह कह रहे हैं कि आप स्वदेशी की बात करते हैं और एप्पल का फोन यूज करके ट्वीट कर रहे हैं (परछिद्रान्वेशी प्रवृत्ति), वहीं हमें इस बात का श्रेय उन्हें देना चाहिए कि उन्होंने अचानक पूरे देश को Zoho से परिचित करा दिया। यह स्वदेशी आंदोलन को एक नया मोड़ देता है, खासकर ऐसे समय में जब अमेरिका एच-1बी वीजा नीतियों के कारण भारतीयों के साथ बुरा व्यवहार कर रहा है।
Conclusion
संक्षेप में, Zoho की कहानी भारतीय तकनीकी उद्यमशीलता की एक बूटस्ट्रैप्ड गाथा है, जिसके संस्थापक श्रीधर वेंबू ने एच-1बी वीजा को छोड़कर तेनकाशी जैसे छोटे जिले से 1 लाख करोड़ रुपये की वैश्विक कंपनी खड़ी की। केंद्रीय मंत्रियों (अश्विनी वैष्णव, धर्मेंद्र प्रधान) द्वारा इसके उपयोग को बढ़ावा देने से, Zoho ने देश भर में स्वदेशी विकल्प के रूप में अपनी पहचान मजबूत की है और माइक्रोसॉफ्ट जैसी 4 ट्रिलियन डॉलर की कंपनी को चुनौती देने का साहस दिखाया है। यह कंपनी अपने CRM उत्पादों के माध्यम से दुनिया के बड़े ब्रांड्स को सेवा दे रही है और लगातार 33% का भारी मुनाफा कमा रही है। भविष्य की संभावना यह है कि यदि Zoho भारत के शेयर बाजार में लिस्टिंग के लिए निकलती है, तो कंपनी की वैल्यूएशन एकदम पहाड़ बनकर ऊपर निकल सकती है, और यह स्वदेशी तकनीक के लिए एक नया मानदंड स्थापित करेगी। यह घटना सिद्ध करती है कि भारत के पास वह तकनीकी क्षमता है जिससे वह वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकता है।
FAQs (5 Q&A):
Q1. Zoho का वर्तमान वैल्यूएशन कितना है और यह क्यों चर्चा में है? Zoho का वर्तमान वैल्यूएशन लगभग 1 लाख करोड़ रुपये (12 बिलियन डॉलर) है। यह चर्चा में इसलिए है क्योंकि केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने माइक्रोसॉफ्ट के उत्पादों को छोड़कर इस स्वदेशी प्लेटफॉर्म पर प्रेजेंटेशन देना शुरू किया है, जिससे स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा मिला है।
Q2. Zoho के संस्थापक कौन हैं और उन्होंने कंपनी की शुरुआत कहाँ से की? Zoho के संस्थापक श्रीधर वेंबू हैं, जो आईआईटी मद्रास से पढ़े हैं। उन्होंने अमेरिका में नौकरी का अवसर छोड़कर, तमिलनाडु के तेनकाशी नामक एक छोटे जिले में अपनी कंपनी का काम शुरू करने का विचार किया, ताकि देश में काम किया जा सके।
Q3. Zoho कौन-कौन से मुख्य उत्पाद प्रदान करता है जो माइक्रोसॉफ्ट को टक्कर देते हैं? Zoho कई उत्पाद प्रदान करता है जो माइक्रोसॉफ्ट को टक्कर देते हैं। उदाहरण के लिए, यह पावरपॉइंट के लिए Zoho Show, ईमेल के लिए Zoho Mail, और मैसेजिंग के लिए 'अरटाई' (Arattai) जैसे ऐप प्रदान करता है, जो WhatsApp का विकल्प है।
Q4. Zoho CRM क्या है और इसे कौन सी बड़ी कंपनियां इस्तेमाल करती हैं? Zoho CRM (कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट) एक सॉफ्टवेयर सेवा है जिसका उपयोग ग्राहक अनुभवों को बेहतर बनाने और उनके इंटरैक्शन को सहेजने के लिए किया जाता है। Amazon, Netflix, Mercedes Benz, Ford, Hyundai और HDFC जैसी बड़ी वैश्विक कंपनियां इसकी सेवाओं का उपयोग करती हैं।
Q5. Zoho को किस तरह की फंडिंग मिली है और क्या यह लाभदायक है? Zoho एक 'बूटस्ट्रैप्ड' कंपनी है। इसका मतलब है कि इसने कोई विदेशी फंडिंग नहीं ली है और सारा पैसा घर से लगाया गया है। यह अत्यधिक लाभदायक है, सालाना ₹8700 करोड़ रुपये का राजस्व कमाती है, जिसमें 33% यानी ₹2800 करोड़ का शुद्ध मुनाफा होता है।