ASI रिश्वत: एंटी करप्शन टीम को चकमा देकर SHO की सरकारी गाड़ी से भागा भ्रष्ट अधिकारी, मचा हड़कंप!

ASI रिश्वत मामले में नारायणगढ़ से चौंकाने वाली खबर। एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम को चकमा देकर भ्रष्ट ASI कुलदीप SHO की गाड़ी से फरार। जानिए पूरी घटना और एसीबी की कार्रवाई।

Sep 12, 2025 - 11:03
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ASI रिश्वत: एंटी करप्शन टीम को चकमा देकर SHO की सरकारी गाड़ी से भागा भ्रष्ट अधिकारी, मचा हड़कंप!
ASI रिश्वत नारायणगढ़ फरार

By: दैनिक रियल्टी ब्यूरो | Date: 12/Sep/2025

नारायणगढ़ में एंटी करप्शन टीम को चकमा देकर SHO की सरकारी गाड़ी से भागा भ्रष्ट अधिकारी, मचा हड़कंप!

हरियाणा के नारायणगढ़ से भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करने वाला एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की टीम ने एक असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर (ASI) को 20,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा, लेकिन आरोपी पुलिसकर्मी ने बेहद नाटकीय तरीके से एसीबी टीम को चकमा दिया और SHO की सरकारी गाड़ी लेकर फरार हो गया। इस घटना ने प्रदेश भर में हड़कंप मचा दिया है और पुलिस विभाग में हड़कंप की स्थिति है। यह घटना दर्शाती है कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के प्रयास कितने चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, खासकर जब कानून के रखवाले ही इसमें संलिप्त हों।

यह सनसनीखेज मामला आम जनता के बीच पुलिस की छवि और भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे अभियानों की प्रभावशीलता पर गंभीर प्रश्न उठाता है। एक तरफ जहां विजिलेंस और एसीबी टीमें रिश्वतखोरों को पकड़ने के लिए जी जान से जुटी हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसे मामलों से लोगों का विश्वास डगमगाता है। यह घटना न सिर्फ भ्रष्ट अधिकारियों को एक गंभीर संदेश देती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे कुछ अधिकारी कानून को धता बताने में संकोच नहीं करते। ASI रिश्वत का यह मामला अब जांच के दायरे में है, और इस पर राजनीतिक गलियारों से लेकर आमजन तक चर्चाएं तेज हो गई हैं।

ASI रिश्वत: पृष्ठभूमि और जांच का संदर्भ

यह पूरा मामला शहजादपुर थाना के मुकदमा नंबर 80 से जुड़ा है, जो 23 जून 2025 को एक ट्रॉली चोरी के संबंध में दर्ज किया गया था। इस मामले में मनीष कुमार नामक एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया था, जिसे दो दिन की रिमांड पर लिया गया था। आरोपी से पूछताछ और रिकवरी की जिम्मेदारी ASI कुलदीप सिंह को सौंपी गई थी, जो अपनी टीम के साथ तफ्तीश के लिए नारायणगढ़ गए थे। इसी दौरान, शिकायतकर्ता के बेटे जतिन शर्मा ने मुख्यालय में शिकायत दर्ज कराई कि ASI कुलदीप सिंह उनके बेटे को झूठे मुकदमे में फंसाने का डर दिखाकर 20,000 रुपये की रिश्वत की मांग कर रहे हैं। इस शिकायत पर कार्रवाई करते हुए एसीबी की पंचकूला टीम ने नारायणगढ़ में जाल बिछाया।

मामला क्यों है गंभीर? कानून के रखवाले पर सवाल

यह मामला इसलिए भी अत्यंत गंभीर है क्योंकि एक पुलिस अधिकारी पर सीधे रिश्वत लेने और फिर कानून प्रवर्तन एजेंसी को चकमा देकर फरार होने का आरोप है। ASI रिश्वत के इस मामले में, आरोपी ने न केवल रिश्वत ली, बल्कि गिरफ्तारी से बचने के लिए एक सरकारी वाहन का उपयोग करके भाग गया। यह घटना कानून-व्यवस्था के प्रति पुलिस की जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग और एक जांच एजेंसी से भागना, यह दर्शाता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में अभी भी कितनी चुनौतियां बाकी हैं। यह प्रकरण पुलिस प्रशासन के लिए भी एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि यह सीधे तौर पर उनकी आंतरिक शुचिता पर हमला करता है।

घटना का प्रभाव और परिणाम

इस घटना के तत्काल प्रभाव के रूप में, ASI कुलदीप सिंह फिलहाल फरार हैं और एसीबी टीम रिश्वत की राशि की वसूली के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इस घटना का दूरगामी परिणाम पुलिस विभाग की साख पर पड़ना तय है। जनता में यह संदेश जाएगा कि भ्रष्ट पुलिसकर्मियों पर नकेल कसना कितना मुश्किल है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में ऐसी घटना होना, प्रदेश में कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के दावों की गंभीरता पर भी सवाल खड़े करता है। इस प्रकार के मामले पुलिस और आम जनता के बीच अविश्वास की खाई को और गहरा करते हैं। पढ़ें: [हरियाणा में भ्रष्टाचार पर नए कदम]

सरकारी और आधिकारिक पक्ष

एसीबी के डीएसपी विजय नेहरा ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि शिकायत के आधार पर जाल बिछाया गया था और आरोपी पुलिसकर्मी ने रिश्वत ली थी, लेकिन वह अपने साथियों के साथ सरकारी गाड़ी में बैठकर मौके से फरार हो गए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रिश्वत की मांग 20,000 रुपये की थी और यह राशि आरोपी ने प्राप्त भी की थी, हालांकि अभी तक इसकी रिकवरी नहीं हो पाई है और प्रयास जारी हैं। वहीं, शहजादपुर थाना के एसएचओ ने बताया कि ASI कुलदीप सिंह रिमांड पर आरोपी के साथ गए थे, लेकिन उनके फरार होने के संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि आरोपी मुलजिम वापस आ गया है और एसीबी की ओर से कोई एफआईआर या शिकायत उनके संज्ञान में नहीं आई है। कुलदीप सिंह ने एसएचओ की सरकारी गाड़ी बड़ी बस्ती स्थित पौधों की नर्सरी में छोड़कर फरार हो गए।

विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों का विश्लेषण

इस घटना को लेकर स्थानीय लोगों और कानून विशेषज्ञों में काफी रोष है। विशेषज्ञों का मानना है कि ASI रिश्वत जैसे मामलों में आरोपी का इस तरह फरार हो जाना एंटी करप्शन एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है। यह घटना दर्शाती है कि पुलिस विभाग के भीतर अभी भी कुछ ऐसे तत्व हैं जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं और उन्हें रोकने के लिए और अधिक सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। एक स्थानीय नागरिक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "जब पुलिस वाले ही रिश्वत लेकर भाग जाएंगे, तो आम आदमी न्याय की उम्मीद किससे करेगा?" यह मामला पुलिस विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती है, जिसे अपनी छवि सुधारने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे और यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों। पढ़ें: [हरियाणा पुलिस की चुनौतियाँ]

निष्कर्ष:

नारायणगढ़ में ASI कुलदीप सिंह का रिश्वत लेकर एसीबी टीम को चकमा देकर फरार हो जाना एक गंभीर मामला है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की जटिलताओं को उजागर करता है। एसीबी अभी भी ASI कुलदीप सिंह की तलाश में है और रिश्वत की राशि की रिकवरी के प्रयास जारी हैं। इस घटना से न केवल पुलिस विभाग की छवि को नुकसान पहुंचा है, बल्कि इसने प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी सवाल खड़े किए हैं। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि एसीबी कुलदीप सिंह को पकड़ने में कितनी सफलता प्राप्त करती है और इस मामले में क्या विभागीय कार्रवाई की जाती है। यह प्रकरण पुलिस प्रशासन के लिए एक महत्वपूर्ण सीख हो सकता है कि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उन्हें अपने आंतरिक तंत्र को और मजबूत करना होगा।

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