पानीपत बाढ़: यमुना का रौद्र रूप, 90% फसल तबाह, दिल्ली पर भी बड़ा खतरा!
पानीपत बाढ़ ने मचाई तबाही! यमुना का जलस्तर बढ़ने से तामशाबाद में 90% फसल बर्बाद हुई। जानें कैसे दिल्ली तक पहुंचेगा बाढ़ का पानी और क्या हैं ताजा हालात।

दैनिक रियल्टी ब्यूरो | By: Neeraj Ahlawat Date: | 02 Sep 2025
पानीपत बाढ़: यमुना का रौद्र रूप, 90% फसल तबाह, दिल्ली पर भी बड़ा खतरा! जानिए पूरी खबर
हरियाणा के पानीपत जिले में यमुना नदी ने अपने रौद्र रूप का प्रदर्शन करते हुए 1978 के विनाशकारी इतिहास को दोहरा दिया है। यमुनानगर स्थित हथिनीकुंड बैराज में लगातार 7 घंटे तक जलस्तर बढ़ने के बाद यमुना में 3 लाख क्यूसेक पानी छोड़ दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप पानीपत के गांव तामशाबाद में हालात बेकाबू हो गए हैं। खेत-खलिहान पानी में पूरी तरह डूब चुके हैं और ग्रामीणों के अनुसार, लगभग 90% फसलें बर्बाद हो गई हैं, जिससे किसानों को एक बड़ा आर्थिक झटका लगा है। यह बाढ़ केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि आगामी 50 घंटों में इसका असर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक पहुंचने की आशंका है, जिससे वहां भी व्यापक नुकसान हो सकता है।
तामशाबाद गांव में जहां तक नजर जाती है, सिर्फ पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। यमुना का बहाव इतना तेज है कि ग्रामीणों ने कदम रखने में भी खतरा महसूस किया है। फसलें जैसे धान (जीरी), ज्वार, बाजरा, ईख और सब्जियां पूरी तरह से जलमग्न होकर नष्ट हो चुकी हैं। ग्रामीणों की मानें तो लगभग 2000 एकड़ कृषि भूमि, जिसकी चौड़ाई लगभग 5 किलोमीटर है, पूरी तरह से पानी में डूबी हुई है। प्रशासन की टीमें मौके पर मौजूद हैं और हालात को संभालने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन ग्रामीणों में अपनी फसलों के नुकसान और भविष्य को लेकर गहरी चिंता है। उन्हें किसी बड़े नुकसान की आशंका थी, लेकिन अचानक आई इस बाढ़ ने उन्हें संभलने का मौका तक नहीं दिया। कई ग्रामीण रात भर जागे हुए हैं, अपने जानवरों को सुरक्षित निकालने की कोशिश कर रहे हैं, हालांकि अभी तक पशुधन का कोई बड़ा नुकसान सामने नहीं आया है।
पानीपत में यमुना का रौद्र रूप:1978 का इतिहास दोहराया
पानीपत के तामशाबाद गांव में यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से भयानक पानीपत बाढ़
के हालात पैदा हो गए हैं। यमुनानगर में हथिनीकुंड बैराज पर लगातार 7 घंटे तक जलस्तर बढ़ने के बाद, 3 लाख क्यूसेक पानी यमुना में छोड़ा गया। इसके परिणामस्वरूप, तामशाबाद में आज सुबह 7 बजे से स्थिति बिगड़ती चली गई। ग्रामीणों ने बताया कि यमुना ने 1978 के विनाशकारी इतिहास को दोहराया है, जब यमुना का ऐसा ही रौद्र रूप देखने को मिला था। हालांकि, वर्तमान में आबादी वाले क्षेत्रों में पानी कम आया है, लेकिन खेतीबाड़ी को बड़ा नुकसान पहुंचा है।
तामशाबाद में 90% फसल तबाह, किसानों को बड़ा झटका
पानीपत बाढ़
का सबसे बड़ा खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ा है। तामशाबाद गांव में लगभग 90% फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं। ग्रामीणों के अनुसार, जीरी (धान), ईख, ज्वार, बाजरा और सब्जियों जैसी फसलें जलमग्न होकर नष्ट हो चुकी हैं। एक अनुमान के मुताबिक, लगभग 2000 एकड़ कृषि भूमि, जो लगभग 5 किलोमीटर चौड़े क्षेत्र में फैली है, पूरी तरह से पानी में डूब चुकी है। किसानों को इस फसल बर्बादी से बड़ा आर्थिक झटका लगा है और वे बेबस महसूस कर रहे हैं।
बाढ़ का पानी दिल्ली की ओर: अगले 50 घंटे अहम
यमुना का यह उफनता पानी सिर्फ पानीपत तक ही सीमित नहीं रहेगा। खबर है कि अगले 50 घंटे, यानी लगभग दो दिनों में, यमुना का बाढ़ का पानी दिल्ली तक पहुंच सकता है। इससे दिल्ली में भी बाढ़ जैसे हालात पैदा होने और बड़े पैमाने पर नुकसान होने की आशंका है। स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ दिल्ली में भी इस संभावित खतरे से निपटने की तैयारियां की जा रही हैं। यमुना नदी को हरियाणा की जीवनरेखा और सांस्कृतिक पहचान माना जाता है, लेकिन फिलहाल यह प्रकृति के गुस्से को दर्शाती हुई दिखाई दे रही है।
प्रशासन की तैयारियां और ग्रामीणों की चुनौतियां
प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंच चुकी हैं और हालात का जायजा ले रही हैं। ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच भी स्थिति देखकर जा चुके हैं। हालांकि, ग्रामीणों को अभी तक नुकसान के मुआवजे या किसी ठोस आश्वासन के बारे में जानकारी नहीं मिली है। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि उन्हें पानीपत बाढ़
के संबंध में कोई पूर्व सूचना या चेतावनी नहीं दी गई थी, जिससे वे अचानक आई इस आपदा के लिए तैयार नहीं थे। वे रात भर अपने पशुओं और परिवार को बचाने में लगे रहे, जिससे उन्हें नींद और भोजन का भी अभाव रहा। प्रशासन ने लोगों से सुरक्षित दूरी बनाए रखने और सतर्क रहने की अपील की है।
जंगली जीवों पर भी खतरा, सांपों का दिखना बढ़ा
पानीपत बाढ़
के पानी में न केवल इंसानों और फसलों को नुकसान हो रहा है, बल्कि जंगली जीवों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। बाढ़ के पानी में सांपों को तैरते हुए देखा जा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि पानी बढ़ने के बाद से गांव में 10-12 सांप देखे जा चुके हैं, हालांकि अभी तक किसी के काटे जाने की कोई खबर नहीं है। जानवरों के घर तबाह हो गए हैं, जिससे वे आबादी वाले इलाकों की ओर आ सकते हैं।
यमुना का बढ़ता जलस्तर: बचाव और सावधानी है जरूरी
यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और खतरा भी लगातार गहराता जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि नदियां अभी भी उफान पर हैं और डेंजर लेवल को पार कर चुकी हैं। 2023 में भी हरियाणा में कई बार बाढ़ आई थी, जिनमें से छह बार तो सितंबर महीने में ही देखी गई थी। पानीपत के साथ-साथ सोनीपत, फरीदाबाद, यमुनानगर और करनाल जैसे जिलों के लोगों से भी अपील की गई है कि वे नदी से दूरी बनाए रखें और सुरक्षित रहें। पानीपत बाढ़
से निपटने के लिए प्रशासन अपनी पूरी कोशिश कर रहा है, लेकिन लोगों को भी एहतियात बरतना होगा।
FAQs
Q1: पानीपत में बाढ़ का मुख्य कारण क्या है? A1: पानीपत में पानीपत बाढ़
का मुख्य कारण यमुनानगर के हथिनीकुंड बैराज में लगातार 7 घंटे तक जलस्तर बढ़ना और उसके बाद यमुना नदी में 3 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जाना है। इससे यमुना ने अपने रौद्र रूप का प्रदर्शन किया, जिससे स्थानीय नदियां भी उफान पर आ गईं।
Q2: पानीपत में कितनी फसल बर्बाद हुई है? A2: पानीपत के तामशाबाद गांव में पानीपत बाढ़
के कारण लगभग 90% फसलें बर्बाद हो गई हैं। इसमें धान (जीरी), ज्वार, बाजरा, ईख और सब्जियों जैसी प्रमुख फसलें शामिल हैं। कुल लगभग 2000 एकड़ कृषि भूमि पानी में डूब गई है।
Q3: क्या पानीपत बाढ़ का पानी दिल्ली तक पहुंचेगा? A3: हाँ, पानीपत बाढ़
का पानी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक पहुंचने की आशंका है। खबरों के अनुसार, अगले 50 घंटे, यानी लगभग दो दिनों में, यमुना का यह बाढ़ का पानी दिल्ली तक पहुंच सकता है, जिससे वहां भी नुकसान होने की संभावना है।
Q4: 1978 की बाढ़ से इस पानीपत बाढ़ की तुलना कैसे की जा रही है? A4: ग्रामीणों के अनुसार, वर्तमान पानीपत बाढ़
की स्थिति 1978 की विनाशकारी बाढ़ के इतिहास को दोहरा रही है। 1978 में भी यमुना ने ऐसा ही रौद्र रूप दिखाया था, और तब बड़े पेड़, दरख्त और यहां तक कि आबादी वाले गांवों में भी पानी घुस गया था।
Q5: ग्रामीणों को पानीपत बाढ़ के बारे में कब जानकारी मिली? A5: ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें पानीपत बाढ़
के बारे में कोई पूर्व सूचना या इत्तला नहीं दी गई थी। कल से पानी धीरे-धीरे बढ़ रहा था, लेकिन आज सुबह अचानक हालात बेकाबू हो गए, जब सुबह 7 बजे पानी का स्तर तेजी से बढ़ा और तटबंध टूट गया।