GST on Cars: 22 सितंबर 2025 से छोटी कारों पर 18% जीएसटी, जानिए किन लग्जरी गाड़ियों के दाम बढ़े?

GST on Cars: 56वीं जीएसटी परिषद की बैठक के बाद छोटे पेट्रोल/डीजल कारों पर टैक्स 28% से घटकर 18% हो गया है। जानें इलेक्ट्रिक वाहनों, लग्जरी कारों और यूज्ड कारों पर कितना टैक्स लगेगा, जिससे ग्राहकों को सीधा फायदा होगा।

Sep 26, 2025 - 18:37
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GST on Cars: 22 सितंबर 2025 से छोटी कारों पर 18% जीएसटी, जानिए किन लग्जरी गाड़ियों के दाम बढ़े?
भारत में कारों पर जीएसटी की नई दरें 2025

By: दैनिक रियल्टी ब्यूरो | Date: | 26 Sep 2025

भारत में GST on Cars: छोटी कारों पर टैक्स 10% घटा, 22 सितंबर 2025 से लागू हुईं नई दरें

देश के लाखों मध्यम-वर्गीय कार खरीदारों के लिए यह ब्रेकिंग न्यूज़ किसी बड़ी राहत से कम नहीं है। केंद्र सरकार की ओर से जीएसटी परिषद (GST Council) ने ऑटोमोबाइल सेक्टर में बड़ा बदलाव किया है, जिससे सीधे तौर पर आपकी जेब पर असर पड़ेगा। 56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक (3 सितंबर 2025) में लिए गए फैसलों के बाद, जो 22 सितंबर 2025 से लागू हो चुके हैं, छोटी और किफायती कारों पर लगने वाला जीएसटी 28% से घटाकर मात्र 18% कर दिया गया है। वहीं, लग्जरी और बड़ी हाइब्रिड गाड़ियों के लिए टैक्स की दर 40% तक बढ़ा दी गई है। इस ऐतिहासिक बदलाव का सीधा मतलब यह है कि अब छोटी कारें खरीदना पहले से कहीं ज्यादा सस्ता हो जाएगा, जिससे भारतीय बाजार में मांग बढ़ने की उम्मीद है। यह कदम सरकार के समावेशी विकास और ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देने के प्रयासों को भी दर्शाता है। यह जानना हर ग्राहक के लिए आवश्यक है कि जीएसटी की नई दरें किस प्रकार उनकी पसंदीदा गाड़ी की अंतिम कीमत को प्रभावित करेंगी, चाहे वह नई कार हो, इलेक्ट्रिक वाहन हो या पुरानी गाड़ी।

जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) लागू होने के बाद भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में कराधान (taxation) की प्रक्रिया सरल हुई है। पहले, एक्साइज ड्यूटी और वैट जैसे कई टैक्सों के कारण लागत बढ़ जाती थी, लेकिन जीएसटी ने इस ‘कैसकेडिंग प्रभाव’ (Cascading Effect) को समाप्त कर दिया है। जीएसटी कानून के तहत, कारें ‘सप्लाई के दायरे’ (Scope of Supply) में आती हैं और उन पर कोई सामान्य छूट नहीं है। हालांकि, 22 सितंबर 2025 से प्रभावी हुईं नई दरें देश के कार बाजार का नक्शा बदल रही हैं। छोटे पेट्रोल और डीजल वाहनों पर जीएसटी दर को 28% से घटाकर 18% करने का प्राथमिक उद्देश्य, छोटी कारों को आम आदमी के लिए अधिक सुलभ और किफायती बनाना है। यह फैसला न केवल ग्राहकों को बड़ी बचत प्रदान करता है, बल्कि विनिर्माण (Manufacturing) क्षेत्र को भी प्रोत्साहन देगा। उदाहरण के लिए, 5 लाख रुपये की एक्स-शोरूम कीमत वाली एक छोटी पेट्रोल कार पर, पुरानी 28% जीएसटी दर और 1% सेस के तहत कुल ₹1,45,000 टैक्स लगता था, जबकि नई 18% जीएसटी दर के तहत यह टैक्स घटकर ₹90,000 रह गया है।

छोटी कारों पर यह बड़ी कटौती विशेष रूप से उन वाहनों के लिए लागू की गई है जो माइलेज और सामर्थ्य के मामले में आम भारतीय ग्राहकों की पहली पसंद हैं। इन बदलावों को 17 सितंबर 2025 को जारी अधिसूचना 09/2025-CTR द्वारा औपचारिक रूप से अधिसूचित किया गया है।


1. GST on Cars: 22 सितंबर 2025 से लागू हुए बड़े बदलाव

जीएसटी परिषद द्वारा जारी अधिसूचनाओं ने कारों की विभिन्न श्रेणियों के लिए टैक्स दरों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है। यह विभाजन मुख्य रूप से इंजन क्षमता (Engine Capacity) और वाहन की लंबाई (Length) पर आधारित है। इन स्पष्ट मापदंडों के कारण अब ग्राहक और डीलर दोनों ही यह आसानी से गणना कर सकते हैं कि किसी विशेष वाहन पर कितना टैक्स लागू होगा। पहले, छोटी पेट्रोल कारें जिन पर 28% जीएसटी और 1% सेस लगता था, अब वे केवल 18% जीएसटी के दायरे में आ गई हैं। इसी प्रकार, छोटे डीजल वाहनों पर जहां 28% जीएसटी और 3% सेस लगता था, वह भी अब 18% जीएसटी हो गया है। यह बड़ा बदलाव ग्राहकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है और यह दर्शाता है कि सरकार ने वाहन क्षेत्र में मांग को बढ़ाने और खासकर छोटे वाहन सेगमेंट में बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए निर्णायक कदम उठाए हैं।

नई दरें 22 सितंबर 2025 से प्रभावी हैं। इन परिवर्तनों का सीधा प्रभाव बाजार में कीमतों पर दिखना शुरू हो गया है। टाटा मोटर्स, मारुति और हुंडई जैसी कंपनियों की लोकप्रिय छोटी कारों की कीमतों में महत्वपूर्ण कमी आई है। उदाहरण के लिए, विभिन्न मॉडलों पर ग्राहकों को ₹60,000 से लेकर ₹1,55,000 तक का जीएसटी लाभ मिला है। यह कटौती उस पुरानी कर प्रणाली की तुलना में एक महत्वपूर्ण राहत है, जहां डीलरों और आयातकों को पहले से चुकाए गए वैट (VAT) और एक्साइज ड्यूटी पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) क्लेम करने की सुविधा नहीं मिलती थी, जो अब जीएसटी के तहत उपलब्ध है।


2. छोटी और किफायती कारों पर अब 18% GST क्यों?

सरकार द्वारा छोटी और किफायती कारों पर जीएसटी दर को 28% से घटाकर सीधे 18% करने के पीछे मुख्य रणनीति इन वाहनों को सामान्य ग्राहकों के लिए अधिक सुलभ बनाना है। यह कटौती उन वाहनों पर लागू होती है जो आकार और इंजन क्षमता की विशिष्ट सीमाओं को पूरा करते हैं।

18% GST के दायरे में आने वाली कारें:

  • पेट्रोल, एलपीजी या सीएनजी वाहन: 1200 सीसी तक इंजन क्षमता और 4000 मिमी तक की लंबाई वाले वाहन।
  • डीजल वाहन: 1500 सीसी तक इंजन क्षमता और 4000 मिमी तक की लंबाई वाले वाहन।
  • हाइब्रिड वाहन (स्पार्क-इग्निशन + इलेक्ट्रिक मोटर): 1200 सीसी इंजन और 4000 मिमी लंबाई तक।
  • हाइब्रिड वाहन (कम्प्रेशन-इग्निशन + इलेक्ट्रिक मोटर): 1500 सीसी इंजन और 4000 मिमी लंबाई तक।

यह कटौती उन ग्राहकों के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन है जो पहली बार कार खरीद रहे हैं या जो बजट-अनुकूल विकल्प तलाश रहे हैं। पहले इन छोटी कारों पर भी 28% की उच्च जीएसटी दर लागू होती थी, जिसके साथ पेट्रोल वाहनों पर 1% और डीजल वाहनों पर 3% सेस (Cess) भी लगता था। इस टैक्स कटौती से ग्राहकों की बचत सीधे तौर पर बढ़ी है। उदाहरण के लिए, एक छोटी पेट्रोल कार पर कुल टैक्स ₹1,45,000 से घटकर ₹90,000 हो गया है (₹5,00,000 की एक्स-शोरूम कीमत पर)। इस प्रकार, जीएसटी ने पुरानी कर व्यवस्था की तुलना में कीमतों को कम किया है, जिससे ऑटोमोबाइल सेक्टर को बढ़ावा मिला है, खासकर खपत वाले राज्यों (Consumption States) में, जहां अब टैक्स लिया जाता है।


3. लग्जरी और बड़ी गाड़ियों पर 40% टैक्स का गणित क्या है?

जहां छोटे और किफायती वाहनों पर टैक्स घटाया गया है, वहीं सरकार ने लग्जरी और बड़े वाहनों के लिए जीएसटी दर में वृद्धि की है। लग्जरी कारों और बड़े हाइब्रिड वाहनों (जो छोटी कार की निर्धारित सीमा से बाहर हैं) पर जीएसटी दर 28% से बढ़ाकर 40% कर दी गई है। यह कदम राजकोषीय संतुलन बनाए रखने और उच्च-मूल्य वाली वस्तुओं पर अधिक कर लगाने की नीति के अनुरूप है।

40% GST के दायरे में आने वाले वाहन:

  • मोटर कार और अन्य यात्री मोटर वाहन: वे सभी वाहन जो ऊपर सूचीबद्ध छोटी कार की श्रेणियों के बाहर हैं।
  • बड़े हाइब्रिड वाहन: 1200 सीसी (पेट्रोल) या 1500 सीसी (डीजल) से अधिक इंजन या 4000 मिमी से अधिक लंबाई वाले हाइब्रिड वाहन।

इन वाहनों पर 40% जीएसटी के साथ अतिरिक्त मुआवजा उपकर (Compensation Cess) भी लगता है। एसयूवी (SUVs) विशेष रूप से 28% जीएसटी और अतिरिक्त उपकर के अधीन हैं, जो वाहन के इंजन आकार और लंबाई के आधार पर कुल कर को 50% तक बढ़ा सकता है। बड़ी एसयूवी को भी 40% जीएसटी स्लैब के तहत रखा गया है। पुरानी दरें इन बड़ी कारों पर 28% जीएसटी के साथ 15% से 22% तक सेस लगाती थीं। आयातित कारों पर भी आईजीएसटी (IGST) लागू होता है, जिसकी गणना आकलन योग्य मूल्य (Assessable Value) और मूल सीमा शुल्क (Basic Customs Duty - BCD) पर की जाती है। 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने आयातित कारों पर सीमा शुल्क भी बढ़ाया है।


4. इलेक्ट्रिक और पुरानी कारों पर विशेष रियायतें

सरकार ने विशेष रूप से दो श्रेणियों के वाहनों पर महत्वपूर्ण रियायतें देकर समाज के विभिन्न वर्गों को लाभान्वित करने की दिशा में कदम बढ़ाया है: इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) और यूज्ड कारें।

इलेक्ट्रिक वाहन (EVs): हर श्रेणी के इलेक्ट्रिक मोटर वाहनों पर जीएसटी दर मात्र 5% है। यह सबसे कम जीएसटी स्लैब है और इसका उद्देश्य देश में ‘ग्रीन मोबिलिटी’ (Green Mobility) को बढ़ावा देना है। इलेक्ट्रिक वाहनों पर कोई अतिरिक्त उपकर (Cess) भी नहीं लगता है।

पुरानी (Used) कारें: सेकेंड-हैंड कारों की खरीद को किफायती बनाने के लिए जीएसटी केवल डीलर के लाभ मार्जिन (Profit Margin) पर लागू होता है, न कि वाहन के पूरे बिक्री मूल्य पर। यदि कार को नुकसान (loss) में बेचा जाता है, तो कोई टैक्स लागू नहीं होता।

  • छोटी पुरानी कारें: (पेट्रोल $\le$1200cc, डीजल $\le$1500cc) पर 12% जीएसटी
  • बड़ी पुरानी कारें: इन पर 18% जीएसटी लागू होता है।

इनके अलावा, अन्य विशेष रियायतें भी दी गई हैं:

  • एम्बुलेंस: इन पर 12% जीएसटी लगता है, जिससे अस्पतालों के लिए लागत कम होती है।
  • विकलांग व्यक्तियों के लिए वाहन: विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए वाहनों पर जीएसटी छूट दी जाती है, जिससे गतिशीलता और स्वतंत्रता सुनिश्चित होती है।
  • अपंजीकृत डीलरों से पुरानी कारों की खरीद: यह कराधान के दायरे से बाहर है।

5. गाड़ी की कीमत पर GST कैसे जोड़ा जाता है?

कारों पर जीएसटी की गणना एक मानक प्रक्रिया का पालन करती है, जिसमें एक्स-शोरूम मूल्य पर जीएसटी दर और लागू उपकर जोड़ा जाता है। जीएसटी कानून के तहत, 'सप्लाई का मूल्य' (Value of Supply) वह राशि है जो विक्रेता माल या सेवाओं की बिक्री के बदले में खरीदार से एकत्र करता है।

जीएसटी गणना का सूत्र: अंतिम मूल्य = एक्स-शोरूम मूल्य + (एक्स-शोरूम मूल्य $\times$ जीएसटी दर) + (एक्स-शोरूम मूल्य $\times$ सेस दर)

उदाहरण के लिए, यदि एक छोटी पेट्रोल कार की आधार कीमत ₹5,00,000 है:

  • जीएसटी (पुरानी दर 28%): ₹5,00,000 का 28% = ₹1,40,000।
  • अतिरिक्त उपकर (सेस 1%): ₹5,00,000 का 1% = ₹5,000।
  • कुल अंतिम कीमत: ₹5,00,000 + ₹1,40,000 + ₹5,000 = ₹6,45,000।

22 सितंबर 2025 से नई 18% दर लागू होने के बाद, उसी कार पर अब केवल ₹90,000 जीएसटी लगेगा, जिससे अंतिम कीमत सीधे ₹5,90,000 हो जाएगी। यह प्रक्रिया अन्य कार श्रेणियों के लिए भी लागू होती है, बस कार के प्रकार के आधार पर जीएसटी और सेस की दरें बदल जाती हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि डीलर द्वारा ‘प्योर एजेंट’ (Pure Agent) के रूप में एकत्र की जाने वाली राशि, जैसे बीमा या पंजीकरण शुल्क (Insurance, Registration charges), पर जीएसटी लागू नहीं होता है, बशर्ते कि वह वास्तविक खर्च से अधिक राशि न ले।


6. ITC (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का नियम: कारोबारियों के लिए क्या छूट है?

जीएसटी व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि डीलर, आयातक और निर्माता अपने द्वारा पहले चुकाए गए टैक्स (कच्चे माल या इनपुट सेवाओं पर) का इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) क्लेम कर सकते हैं। इससे विनिर्माण की कुल लागत कम होती है। हालांकि, धारा 17(5) के तहत, कुछ मोटर वाहनों पर ITC ‘ब्लॉक’ (Blocked Credit) कर दिया गया है।

किन स्थितियों में ITC नहीं मिलता:

  • यात्रियों के परिवहन के लिए उपयोग किए जाने वाले मोटर वाहनों पर, जिनकी बैठने की क्षमता ड्राइवर सहित 13 व्यक्तियों या उससे कम है।

किन स्थितियों में ITC उपलब्ध है:

  • व्यवसाय के लिए वाहन: यदि वाहन का उपयोग व्यवसाय के उद्देश्य से किया जाता है, तो ITC का दावा किया जा सकता है।
  • कर्मचारी परिवहन/किराए के लिए: यदि किराए पर लिए गए वाहन की अनुमोदित बैठने की क्षमता 13 व्यक्तियों से अधिक है, तो नियोक्ता जीएसटी प्रदाता द्वारा लगाए गए जीएसटी पर आईटीसी क्लेम कर सकता है।
  • यात्री परिवहन व्यवसाय (Cabs/Taxis): यदि कोई व्यक्ति यात्रियों के परिवहन के व्यवसाय में है, तो वह ऐसे वाहन की खरीद पर ITC क्लेम कर सकता है।
  • डीलर के पास डेमो कार: हालांकि डेमो कार खुदरा बिक्री के उद्देश्य से नहीं खरीदी जाती है, इसे पूंजीगत संपत्ति (Capital Asset) माना जा सकता है, और कार डीलर इस पर पूर्ण आईटीसी क्लेम कर सकते हैं।

एक जटिलता यह भी है कि जब कार डीलर वाहन की बिक्री के साथ-साथ एक्सेसरीज, वारंटी या हैंडलिंग शुल्क जैसी सेवाएं देते हैं, तो यह प्रश्न उठता है कि इसे अलग-अलग सेवाओं के रूप में चार्ज किया जाए या 'कंपोजिट सप्लाई' (Composite Supply) माना जाए। सामान्य व्याख्या यह है कि वाहन मुख्य आपूर्ति (Principal Supply) रहता है, और अन्य शुल्क आनुषंगिक या सहायक होते हैं, इसलिए इसे कंपोजिट सप्लाई के रूप में माना जाना चाहिए।

Conclusion 

22 सितंबर 2025 से लागू हुई जीएसटी की नई दरें भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई हैं। 56वीं जीएसटी परिषद की बैठक के फैसलों के कारण छोटी कारों पर टैक्स 28% से घटकर 18% हो गया है, जिससे टाटा, मारुति और हुंडई जैसे ब्रांडों के मॉडलों पर ग्राहकों को लाखों का सीधा लाभ मिला है। जीएसटी ने पूर्ववर्ती कर व्यवस्था की तुलना में निर्माताओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ देकर लागत कम करने में मदद की है, जिससे ग्राहकों को कम कीमतों का लाभ मिल रहा है। वहीं, इलेक्ट्रिक वाहनों पर 5% की रियायती दरें हरित गतिशीलता (Green Mobility) को प्रोत्साहित कर रही हैं। भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए, यह उम्मीद की जा सकती है कि छोटे और मध्य आकार के वाहनों की मांग में तेज वृद्धि होगी, हालांकि 'कंपोजिट सप्लाई' जैसी परिभाषाओं पर स्पष्टता न होने के कारण उद्योग में मुकदमेबाजी का जोखिम अभी भी बना हुआ है।


FAQs (5 Q&A)

Q1: GST on Cars कितना है? A1: अधिकतर नई कारों पर मूल जीएसटी दर 28% है, लेकिन इंजन क्षमता और लंबाई के आधार पर उपकर (Cess) जुड़ता है। हालांकि, 22 सितंबर 2025 से छोटी कारों पर यह दर घटकर 18% हो गई है। वहीं, इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को बढ़ावा देने के लिए उन पर केवल 5% जीएसटी लगता है।

Q2: छोटी गाड़ी पर कितना जीएसटी लगता है? A2: 22 सितंबर 2025 से, 1200cc तक के पेट्रोल/हाइब्रिड और 1500cc तक के डीजल/हाइब्रिड वाहन (4000mm तक की लंबाई वाले) पर जीएसटी की दर 28% से घटाकर 18% कर दी गई है। यह कटौती मध्यम वर्ग के ग्राहकों को सीधे लाभ पहुंचाती है और कारों को और किफायती बनाती है।

Q3: लग्जरी और बड़ी SUV पर कितना टैक्स लगता है? A3: लग्जरी वाहनों और बड़ी एसयूवी (SUV) पर जीएसटी की दर 28% जीएसटी और उपकर (Cess) के साथ कुल 50% तक जा सकती है। इसके अलावा, छोटे कार के मानदंडों को पूरा न करने वाली लग्जरी कारों पर जीएसटी दर 40% कर दी गई है, जो पहले 28% + 15-22% सेस थी।

Q4: यूज्ड कार (Second Hand Car) पर GST on Cars कितना है? A4: यूज्ड कारों पर जीएसटी केवल डीलर के लाभ मार्जिन पर लागू होता है, पूरे बिक्री मूल्य पर नहीं। छोटी पुरानी कारों (पेट्रोल $\le$1200cc, डीजल $\le$1500cc) पर 12% जीएसटी लगता है, जबकि बड़ी पुरानी कारों पर 18% जीएसटी लगता है।

Q5: क्या मैं अपनी कार खरीदने पर जीएसटी क्लेम कर सकता हूँ? A5: नहीं, आप सामान्य तौर पर अपनी व्यक्तिगत कार खरीद पर जीएसटी (ITC) क्लेम नहीं कर सकते हैं, क्योंकि ITC पर धारा 17(5) के तहत रोक लगाई गई है। हालांकि, यदि कार का उपयोग पूरी तरह से व्यवसाय के लिए किया जाता है (जैसे टैक्सी, यात्री परिवहन सेवा), तो आईटीसी क्लेम किया जा सकता है।

Dainik Realty News Desk Neeraj Ahlawat & Dainik Realty News के संस्थापक और मुख्य लेखक (Founder & Lead Author) हैं। वह एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया से जुड़े हुए हैं। राजनीति, अर्थव्यवस्था, समाज और संस्कृति जैसे विविध विषयों पर उनकी गहरी समझ और निष्पक्ष रिपोर्टिंग ने उन्हें पाठकों के बीच एक भरोसेमंद नाम बना दिया है। पत्रकारिता के साथ-साथ Neeraj एक डिजिटल मार्केटिंग कंसल्टेंट भी हैं। उन्हें SEO, Google Ads और Analytics में विशेषज्ञता हासिल है। वह व्यवसायों, सामाजिक संगठनों और चैरिटी संस्थाओं को डिजिटल माध्यम से बढ़ने में मदद करते हैं। उनका मिशन है – सस्टेनेबल बिज़नेस, गैर-लाभकारी संस्थाओं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने वाले संगठनों को सशक्त बनाना, ताकि वे सही दिशा में अधिक से अधिक लोगों तक पहुँच सकें। Neeraj Ahlawat का मानना है कि पारदर्शिता, विश्वसनीयता और निष्पक्ष पत्रकारिता ही किसी भी मीडिया प्लेटफ़ॉर्म की सबसे बड़ी ताकत है। इसी सोच के साथ उन्होंने Dainik Realty News की शुरुआत की, जो आज पाठकों को सटीक, भरोसेमंद और प्रभावशाली समाचार उपलब्ध कराता है।