Russia Cancer Vaccine: कैंसर को जड़ से मिटाने का नया युग, रूस की एंटेरोमिक्स वैक्सीन ने जगाई उम्मीद
Russia Cancer Vaccine: रूस की एंटेरोमिक्स वैक्सीन ने प्रीक्लीनिकल ट्रायल्स में 100% सफलता दिखाई। यह एमआरएनए आधारित टीका कैंसर मरीजों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है।

By: दैनिक रियल्टी ब्यूरो | Date: | 10Sep 2025
क्या कैंसर का अंत करीब है? रूस ने एक ऐसी क्रांतिकारी वैक्सीन बनाने का दावा किया है, जो दुनिया भर के करोड़ों कैंसर मरीजों और उनके परिवारों के लिए आशा की एक नई किरण लेकर आई है। रूसी फेडरल मेडिकल एंड बायोलॉजिकल एजेंसी ने हाल ही में घोषणा की है कि एमआरएनए आधारित एंटेरोमिक्स वैक्सीन अब क्लिनिकल इस्तेमाल के लिए तैयार है। यह खबर सिर्फ रूस के लिए नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए अहम है, जिसने कैंसर की पीड़ा झेली है या उसके करीबियों को इस बीमारी से जूझते देखा है। प्रीक्लीनिकल ट्रायल्स में इस वैक्सीन ने असाधारण 100 फीसदी सफलता दर दिखाई है, जो चिकित्सा जगत में एक नए युग की शुरुआत का संकेत हो सकता है। पारंपरिक इलाज केमोथेरेपी और रेडिएशन के दर्दनाक अनुभवों के बाद, एंटेरोमिक्स वैक्सीन कम जोखिम और कम दर्दनाक विकल्प के रूप में उभरी है, जिससे मरीज इसे बार-बार आसानी से बर्दाश्त कर सकते हैं। यदि इस Russia Cancer Vaccine को आधिकारिक मंजूरी मिलती है, तो यह स्वास्थ्य जगत में एक अभूतपूर्व क्रांति ला सकती है, जिससे न केवल जीवन बचेगा बल्कि जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
Russia Cancer Vaccine: एंटेरोमिक्स क्या है और कैसे काम करती है?
एंटेरोमिक्स एक एमआरएनए (mRNA) आधारित वैक्सीन है, ठीक उसी तकनीक से बनी है जैसी कोविड-19 की वैक्सीन थी। यह शरीर के इम्यून सिस्टम को विशेष रूप से प्रशिक्षित करती है ताकि वह कैंसर कोशिकाओं को पहचान सके और उन्हें प्रभावी ढंग से खत्म कर सके। इस वैक्सीन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह प्रत्येक मरीज के व्यक्तिगत आरएनए (RNA) के हिसाब से कस्टमाइज हो सकती है, जिससे इलाज की सटीकता और प्रभावशीलता बढ़ जाती है। शुरुआत में, इस वैक्सीन का इस्तेमाल कोलोरेक्टल कैंसर, यानी आंतों के कैंसर में किया जाएगा। हालांकि, शोधकर्ता अब इसे ब्रेन कैंसर और स्किन कैंसर जैसी अन्य गंभीर बीमारियों के लिए भी विकसित कर रहे हैं, जो इसकी व्यापक क्षमता को दर्शाता है। रूस की यह पहल मेडिकल साइंस में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है, जो कैंसर के खिलाफ लड़ाई में एक नई दिशा प्रदान कर रही है।
ट्रायल्स में मिली 100% सफलता और सुरक्षित परिणाम
रूसी एंटेरोमिक्स वैक्सीन ने प्रीक्लीनिकल ट्रायल्स में 100 फीसदी सफलता हासिल की है, जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। इन ट्रायल्स में, वैक्सीन ने ट्यूमर को 60 से 80% तक घटा दिया और उनकी ग्रोथ को धीमा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सबसे उत्साहजनक बात यह है कि इस वैक्सीन को बार-बार लेने के बाद भी मरीजों ने इसे आसानी से बर्दाश्त कर लिया, और कीमोथेरेपी या रेडिएशन जैसे कोई गंभीर साइड इफेक्ट्स नहीं देखे गए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 48 मरीजों पर किए गए ट्रायल्स में भी कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं मिला, जिससे इसकी सुरक्षा और प्रभावशीलता पर विश्वास और मजबूत होता है। कई सालों तक चली रिसर्च और 3 साल तक चले ट्रायल्स में यह टीका पूरी तरह सुरक्षित और बेहद असरदार साबित हुआ है, जो दुनिया भर में करोड़ों कैंसर मरीजों और उनके परिवारों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है।
पारंपरिक इलाजों से बेहतर: कम दर्द, कम जोखिम
कैंसर के पारंपरिक इलाज जैसे किमोथेरेपी और रेडिएशन अक्सर मरीजों के लिए अत्यंत दर्दनाक और जोखिम भरे होते हैं, जिनके कई गंभीर साइड इफेक्ट्स होते हैं। लेकिन Russia Cancer Vaccine एंटेरोमिक्स इन परंपरागत इलाजों के मुकाबले कम दर्दनाक और कम जोखिम वाला विकल्प प्रस्तुत करती है। यह न केवल मरीजों के लिए शारीरिक राहत लेकर आती है, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, क्योंकि उन्हें इलाज के दौरान कम पीड़ा झेलनी पड़ेगी। रूस ने दावा किया है कि शुरुआत में वह अपने मरीजों को यह वैक्सीन मुफ्त देगा, और साथ ही मानवीय आधार पर पूरी दुनिया को भी इसका लाभ देने का ऐलान किया गया है। अगर यह दावा सही साबित होता है, तो यह वैश्विक स्वास्थ्य समानता की दिशा में एक बड़ा कदम होगा, खासकर उन देशों के लिए जहां कैंसर का इलाज महंगा और पहुंच से बाहर है।
भारत और वैश्विक कैंसर बाजार पर असर
दुनिया भर में कैंसर की स्थिति चिंताजनक है। 2022 में लगभग 20 मिलियन (2 करोड़) नए कैंसर के मामले सामने आए, और वैश्विक स्तर पर करीब 10 मिलियन लोगों की मौत इस बीमारी से हुई। भारत में भी स्थिति गंभीर है, जहां हर 1 लाख लोगों में लगभग 100 लोगों को कैंसर है। आईसीएमआर (ICMR) के अनुसार, भारत में 2023 में कैंसर के मामलों की अनुमानित संख्या 14 लाख से ज्यादा थी। कैंसर की दवाओं का वैश्विक कारोबार भी विशाल है; 2022 में यह 300 अरब डॉलर का था, जो 2028 तक 400 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इस बाजार के 60 से 65% हिस्से पर अमेरिका और यूरोप का नियंत्रण है, और इलाज महंगा होने के कारण राहत मिलना मुश्किल होता है। ऐसे में रूस की Russia Cancer Vaccine अगर भारत जैसे देशों में उचित कीमत पर उपलब्ध होती है, तो यह लाखों लोगों के लिए जीवनरक्षक साबित हो सकती है। हालांकि, इसकी कीमत और भारत में उपलब्धता अभी साफ नहीं है, क्योंकि रूस ने पहले अपने नागरिकों को मुफ्त वैक्सीन देने की बात कही है। यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है कि अगर इलाज मिल भी गया, तो आम लोग क्या इसे अफोर्ड कर पाएंगे।
रूसी मेडिकल रिसर्च का समृद्ध इतिहास और विशेषज्ञ राय
जब मेडिकल साइंस की बात आती है, तो अक्सर यूरोपियन देशों या अमेरिका का ही नाम आता है। वहां अरबों डॉलर की स्टडीज हो चुकी हैं, जिससे इम्यूनोथेरेपी और पर्सनलाइज्ड मेडिसिंस जैसी तकनीकें आईं, लेकिन आज तक कोई भी इलाज 100% असरदार साबित नहीं हुआ। हालांकि, रूस की पहचान केवल स्पुतनिक या अंतरिक्ष की कामयाबियों तक सीमित नहीं है, बल्कि मेडिकल रिसर्च में भी उसने बार-बार दुनिया को चौंकाया है। कोविड-19 महामारी के दौरान रूस ने स्पुतनिक वी वैक्सीन लाकर अपनी वैज्ञानिक क्षमता साबित की। यही नहीं, स्मॉल पॉक्स और मंकी पॉक्स के खिलाफ रूस की वैक्सीन ऑर्थोपॉक्सवैक (Orthopoxvac) ने भी कई देशों में भरोसा जीता है। रूस ग्लोबल मेडिकल रिसर्च के क्षेत्र में गैमेलिया इंस्टीट्यूट और माइक्रोजन कंपनी जैसे नामों के साथ लगातार निवेश कर रहा है। मॉस्को स्थित नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने हाल ही में नैनो ट्यूब बेस्ड बायोसेंसर विकसित किया है, जो बीमारियों की पहचान में 100 मिलियन गुना तेज रिस्पांस देता है। 3डी बायो प्रिंटिंग और ऑन्कोलॉजी रिसर्च में भी रूस दुनिया के चुनिंदा देशों में शामिल है। इसलिए Russia Cancer Vaccine एंटेरोमिक्स से उम्मीदें लगाना स्वाभाविक है। हालांकि, विशेषज्ञ सावधानी बरतने की सलाह देते हैं, क्योंकि प्रीक्लीनिकल और शुरुआती क्लिनिकल रिजल्ट्स पॉजिटिव होने के बावजूद, असली परीक्षा फेज टू और फेज थ्री ट्रायल्स में होगी, जहां सैकड़ों और फिर हजारों मरीजों पर इसका असर परखा जाएगा।