INLD Rally 25 सितंबर को रोहतक में: अभय चौटाला की यह 'सम्मान रैली' क्यों है हुड्डा और BJP के लिए चुनौती?
INLD Rohtak Rally: 25 सितंबर को इंडियन नेशनल लोक दल रोहतक में 'सम्मान रैली' के जरिए शक्ति प्रदर्शन करने जा रहा है। अभय चौटाला इस रैली से जाटलैंड में अपनी जमीन मजबूत कर कांग्रेस और भाजपा के लिए बड़ी चुनौती पेश करना चाहते हैं।

By: दैनिक रियल्टी ब्यूरो | Date: | 25 Sep 2025
हरियाणा की राजनीतिक जमीन पर अपनी खोई हुई पकड़ को फिर से हासिल करने की पुरजोर कोशिश में जुटी इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) 25 सितंबर को रोहतक में एक भव्य 'सम्मान रैली' का आयोजन करने जा रही है। यह रैली न सिर्फ INLD के लिए एक शक्ति प्रदर्शन है, बल्कि यह वह मंच भी है जिसके माध्यम से पार्टी के सर्वे-सर्वा अभय सिंह चौटाला (Abhay Singh Chautala) कांग्रेस और सत्ताधारी भाजपा के लिए एक स्पष्ट राजनीतिक संदेश जारी करना चाहते हैं। कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने और पार्टी के सुनहरे इतिहास को याद दिलाने के उद्देश्य से आयोजित यह रैली, किसानों के मसीहा सर छोटूराम की सरजमीं पर हो रही है, जिससे इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इस रैली को हरियाणा की राजनीति में इनेलो की वापसी की कोशिश और अभय चौटाला को जाटों के मजबूत नेता के रूप में स्थापित करने की एक बड़ी रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। यदि अभय चौटाला इस शक्ति प्रदर्शन में सफल होते हैं, तो यह न केवल इनेलो के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी, बल्कि 2029 के चुनावों से पहले हरियाणा के राजनीतिक समीकरणों पर गहरा असर डाल सकती है।
INLD Rohtak Rally: टूट चुके कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने की तैयारी और रणनीति
इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के लिए यह सम्मान रैली बेहद खास है क्योंकि लगातार कई चुनावों में हार झेलने के कारण पार्टी के कार्यकर्ता टूट चुके हैं। इन कार्यकर्ताओं में नई जान फूंकने और उनका मनोबल बढ़ाने के लिए अभय सिंह चौटाला पूरे प्रदेश का दौरा कर रहे हैं और हर जिले में जाकर पार्टी कार्यकर्ताओं और आम लोगों को निजी तौर पर रैली में आने का न्योता दे रहे हैं। इस प्रयास के पीछे मुख्य कारण यह है कि 2005 के बाद से इनेलो का राजनीतिक ग्राफ लगातार गिरता गया है, और 2019 में तो पार्टी की स्थिति और भी खराब हो गई जब परिवार में टूट हुई। अभय चौटाला अब कार्यकर्ताओं को पार्टी का गौरवशाली इतिहास याद दिलाकर उन्हें फिर से संगठित करने में लगे हैं। इस रैली का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला के निधन के बाद अभय चौटाला द्वारा आयोजित की जा रही पहली बड़ी रैली है। संगठन को मजबूत करने और जनता के दिल में जगह बनाने के लिए अभय चौटाला ने अभी से ही 2029 के चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है, जिसके लिए यह रोहतक रैली एक प्रारंभिक कदम है। भले ही इनेलो का यह सफर आसान न हो, क्योंकि 2019 और 2024 के चुनावों में अभय चौटाला अकेले दम पर पार्टी को सफलता दिलाने में कामयाब नहीं हो पाए थे।
रोहतक क्यों बना इनेलो के शक्ति प्रदर्शन का केंद्र?
रोहतक का चयन सिर्फ संयोग नहीं है, बल्कि यह अभय चौटाला की गहरी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है। रोहतक और सोनीपत कभी पूर्व डिप्टी सीएम चौधरी देवीलाल का मजबूत गढ़ हुआ करते थे। चौधरी देवीलाल इसी क्षेत्र से विधायक बने थे और फिर देश की संसद पहुंचे। हालांकि, कुछ गलतियों के कारण यह 'जाट लैंड' इनेलो के हाथ से फिसल गया और पूर्व सीएम चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कब्जे में आ गया। वर्तमान में, रोहतक का यह क्षेत्र हुड्डा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। देवीलाल के पोते अभय सिंह चौटाला अब फिर से अपने पूर्वजों के इस गढ़ को पार्टी के पाले में लाने की कोशिश में जुटे हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर INLD रोहतक में अपनी पैठ बनाने में सफल हो जाती है, तो राज्य के अन्य हिस्सों में भी पार्टी को आसानी से बढ़त मिल सकती है। इसी रणनीति के तहत, रैली से ठीक पहले अभय चौटाला ने कई ऐसे प्रभावशाली लोगों को पार्टी में शामिल किया है जो किसी न किसी रूप से पूर्व सीएम हुड्डा से जुड़े रहे थे। हुड्डा के गढ़ में पैर जमाना इनेलो के लिए 2029 की चुनावी दौड़ से पहले खुद को मजबूती से स्थापित करने का सबसे बड़ा मौका है।
हुड्डा को निशाने पर लेने की अभय चौटाला की विशेष रणनीति
अभय सिंह चौटाला रैली से पहले पूरे प्रदेश में लगातार भाजपा सरकार और साथ ही पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा दोनों को ही निशाने पर ले रहे हैं। उनकी रणनीति का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है हुड्डा को भाजपा की 'बी टीम' बताना। हुड्डा को सीधे निशाने पर लेने के पीछे अभय चौटाला की एक सोची-समझी रणनीति है। वह खासकर जाटों और भाजपा विरोधी मतों (एंटी-बीजेपी वोटों) को यह स्पष्ट संदेश देना चाहते हैं कि सत्ताधारी दल का अगर हरियाणा में कोई विश्वसनीय विकल्प है, तो वह सिर्फ INLD है। उनका यह भी तर्क है कि कांग्रेस की ओर देखने का कोई फायदा नहीं, क्योंकि कांग्रेस के नेता भाजपा से मिले हुए हैं। जानकार भी मानते हैं कि भले ही कांग्रेस के पास 38 विधायक हों, लेकिन विपक्ष की भूमिका में वह इतने प्रभावशाली नहीं रहे हैं। यदि अभय चौटाला इस संदेश को सफलतापूर्वक जनता तक पहुंचा देते हैं, तो वह 2029 के चुनाव से पहले राज्य में कांग्रेस के मुकाबले खुद को एक मजबूत विकल्प के रूप में पेश कर सकते हैं।
इनेलो की घटती राजनीतिक ताकत और 2029 की चुनौती
INLD के लिए वापसी की राह आसान नहीं है। पार्टी का ग्राफ 2005 के बाद से लगातार गिर रहा है। हालांकि, 2014 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने कुछ हद तक वापसी की थी, जब उसने 19 सीटें जीती थीं और भाजपा के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। लेकिन 2019 के चुनावों से ठीक पहले, परिवार में टूट हो गई और उनके बड़े भाई डॉ. अजय सिंह चौटाला ने जजपा (JJP) के नाम से एक अलग पार्टी बना ली, जिससे इनेलो की हालत और भी ज्यादा खराब हो गई। अभय सिंह चौटाला अब लगभग चार साल पहले से ही 2029 के चुनावों की तैयारी में जुट गए हैं। एक बड़ी चुनौती यह भी है कि उनके पास अभय चौटाला के अलावा कोई दूसरा प्रभावशाली नेता मौजूद नहीं है, और इस कमी को पार्टी लगातार महसूस करती रही है। इसके अलावा, हुड्डा के गढ़ में पैर जमाना इतना आसान नहीं है, क्योंकि भले ही हुड्डा सत्ता हासिल करने से चूक गए हों, लेकिन 38 में से 30 से ज़्यादा विधायक उनके ही कैंप के माने जाते हैं। कांग्रेस के मजबूत संगठन और भाजपा के कार्यकर्ता मैनेजमेंट से पार पाना भी इनेलो के लिए एक बड़ी चुनौती है।
निष्कर्ष: रोहतक रैली का भविष्य और परिणाम
यह 25 सितंबर की INLD Rohtak Rally ही तय करेगी कि अभय सिंह चौटाला हुड्डा के गढ़ में कितनी गहराई तक पैर जमा पाए हैं। अभय चौटाला की रणनीति स्पष्ट है: जाटलैंड में अपनी पैठ बनाना, कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाना, और खुद को कांग्रेस तथा भाजपा के लिए एक मजबूत चुनौती के रूप में पेश करना। यदि वह रोहतक में सफल होते हैं, तो यह पार्टी के लिए एक बड़ी राजनीतिक उपलब्धि होगी और इसका पूरा असर 2029 के चुनावों में दिख सकता है। आने वाले चार वर्षों में अभय चौटाला संगठन को मजबूत बनाने के साथ जनता के दिल में भी अपनी जगह बनाने की पूरी कोशिश करेंगे, लेकिन यह लक्ष्य इतना सरल नहीं है।
FAQs (5 Q&A)
Q1. INLD Rohtak Rally कब और क्यों आयोजित की जा रही है? A. INLD Rohtak Rally 25 सितंबर को रोहतक में आयोजित की जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य राजनीतिक जमीन की तलाश करना, पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाना, और अभय चौटाला को जाटों के मजबूत नेता के रूप में स्थापित करना है। यह किसानों के मसीहा सर छोटूराम की जन्मस्थली पर हो रही है।
Q2. अभय चौटाला इस INLD Rohtak Rally के माध्यम से किसे निशाना बना रहे हैं? A. अभय चौटाला इस INLD Rohtak Rally से पहले भाजपा सरकार के साथ-साथ पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी निशाने पर ले रहे हैं। वह हुड्डा को भाजपा की बी टीम बता चुके हैं। इसका उद्देश्य जाटों और भाजपा विरोधी वोटों को यह संदेश देना है कि इनेलो ही एकमात्र विकल्प है।
Q3. INLD के लिए रोहतक का राजनीतिक महत्व क्या है? A. रोहतक और सोनीपत कभी चौधरी देवीलाल का गढ़ हुआ करते थे। हालांकि, वर्तमान में यह क्षेत्र भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कब्जे में है। INLD मानती है कि यदि रोहतक में पार्टी मजबूत होती है, तो राज्य के अन्य हिस्सों में भी आसानी से बढ़त बनाई जा सकती है।
Q4. 2029 के चुनावों से पहले INLD की रणनीति क्या है? A. INLD Rohtak Rally 2029 की तैयारी का हिस्सा है। अभय चौटाला इन चार वर्षों में संगठन को मजबूत बनाने, जनता के दिल में जगह बनाने और जाटलैंड में पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका लक्ष्य कांग्रेस और भाजपा दोनों को मजबूत चुनौती देना है।
Q5. INLD Rohtak Rally के सामने सबसे बड़ी राजनीतिक चुनौतियां क्या हैं? A. INLD Rohtak Rally के बाद पार्टी के सामने कई चुनौतियां हैं। इनमें पार्टी के पास दूसरा कोई प्रभावशाली नेता न होना, हुड्डा के मजबूत गढ़ में पैर जमाना, और कांग्रेस तथा भाजपा के संगठनात्मक मैनेजमेंट से पार पाना शामिल है।
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