H1B Visa Latest News: ट्रंप का बड़ा फैसला, आवेदन फीस बढ़ी; क्या अमेरिका का नुकसान भारत का फायदा बनेगा?
H1B Visa: ट्रंप प्रशासन ने एच1बी वीजा की आवेदन फीस बढ़ाकर 88 लाख रुपये कर दी है, जिससे भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स पर बड़ा असर होगा। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत की इनोवेशन को तेज करेगा।

H1B Visa की फीस बढ़ोतरी: ट्रंप के फैसले से भारत में आएगी इनोवेशन की नई लहर?
By: दैनिक रियल्टी ब्यूरो | Date: | 20 Sep 2025
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H1B Visa को लेकर एक बड़ा और चौंकाने वाला फैसला लिया है, जिसने भारतीय आईटी पेशेवरों के बीच हलचल मचा दी है। ट्रंप प्रशासन ने एच1बी वीजा की आवेदन फीस में भारी बढ़ोतरी कर दी है, जिसके बाद अब यूएस जाने के लिए भारतीयों को 88 लाख रुपये चुकाने पड़ सकते हैं। इस कदम का मुख्य उद्देश्य H1B Visa के उपयोग को कम करना है। लेकिन, इस ब्रेकिंग खबर के साथ ही भारत के लिए एक बड़ा अवसर भी सामने आया है। प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष एस महेंद्र देव और नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत जैसे विशेषज्ञों ने इस फैसले को भारत के पक्ष में बताया है। उनका स्पष्ट मानना है कि यह फैसला केवल भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए ही नहीं, बल्कि अमेरिका के लिए भी उतना ही नुकसानदेह साबित होगा, जबकि भारत की इनोवेशन को और तेजी मिलेगी। यह फैसला उन भारतीय डॉक्टरों, इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और इनोवेटर्स के लिए एक बहुत बड़ा मौका है जो अब भारत को तरक्की और विकसित भारत की तरफ ले जाने में अपना योगदान दे सकते हैं।
H1B Visa की फीस बढ़ोतरी: क्या है ट्रंप का बड़ा फैसला और किसे मिलेगा यह वीजा?
ट्रंप प्रशासन की तरफ से H1B Visa की आवेदन फीस में की गई यह बढ़ोतरी भारतीय आईटी जगत के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है। एच1बी वीजा का इस्तेमाल कम करने के लिए यह कदम उठाया गया है, जिसके तहत अब यूएस जाने के लिए भारतीय प्रोफेशनल्स को 88 लाख रुपये की भारी फीस देनी पड़ सकती है। यह वीजा आमतौर पर टेक्नोलॉजी क्षेत्र से जुड़े सॉफ्टवेयर इंजीनियर, प्रोग्राम मैनेजर और आईटी प्रोफेशनल्स को मिलता है। एच1बी वीजा एक गैर-अप्रवासी वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता वाले विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। अमेरिका में उच्च-कुशल कर्मचारियों की कमी को पूरा करने के लिए यह वीजा भारतीय आईटी कंपनियों और पेशेवरों के बीच बेहद लोकप्रिय है। हालांकि, फीस बढ़ाने के इस कदम के पीछे ट्रंप प्रशासन का उद्देश्य स्पष्ट है कि वे अमेरिकी धरती पर विदेशी कर्मचारियों की संख्या को सीमित करना चाहते हैं। इस शुल्क वृद्धि का असर उन हज़ारों भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स पर सीधे तौर पर पड़ेगा जो उच्च शिक्षा या करियर की आकांक्षाओं के साथ अमेरिका जाने का सपना देखते हैं। विशेषज्ञों ने यह भी रेखांकित किया है कि भारत ने आईटी इंडस्ट्री में अमेरिका को बहुत बड़ा योगदान दिया है, और इस प्रकार के प्रतिबंधात्मक कदम से अमेरिका को ही नुकसान होगा।
भारतीय आईटी इंडस्ट्री पर क्यों पड़ेगा सबसे ज्यादा असर?
भारतीय आईटी इंडस्ट्री हमेशा से ही अमेरिका की तकनीकी प्रगति की रीढ़ रही है। भारत से बड़ी संख्या में सॉफ्टवेयर इंजीनियर, प्रोग्राम मैनेजर और आईटी प्रोफेशनल्स हर साल H1B Visa के माध्यम से यूएस जाते रहे हैं। यही कारण है कि इस फीस बढ़ोतरी का सबसे गहरा असर भारत के ऊपर ही पड़ने वाला है। प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष एस महेंद्र देव ने न्यूज़ 18 इंडिया से खास बातचीत में कहा कि यह फैसला न केवल भारत बल्कि अमेरिका के लिए भी नुकसानदेह है। भारत ने अमेरिका की आईटी इंडस्ट्री को जो विशाल योगदान दिया है, उसके मद्देनज़र अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भी इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है। हालांकि, उनका यह भी मानना है कि जो लोग अभी यूएस जा रहे हैं, वे इंडिया में भी काम कर सकते हैं क्योंकि भारत में भी बहुत अच्छी कंपनीज हैं और विकास हो रहा है। इससे भारत में ही प्रोफेशनल्स को बहुत अवसर मिलेंगे। वहीं, नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने भी इस बात पर जोर दिया है कि यह कदम अमेरिका की इनोवेशन (नवाचार) को रोक देगा। भारतीय पेशेवरों, खासकर डॉक्टर, इंजीनियर, साइंटिस्ट और इनोवेटर्स के लिए अब भारत में ही प्रगति करने का एक बहुत बड़ा मौका होगा।
भारत के लिए 'संकट में अवसर': इनोवेशन की नई लहर
जब एक तरफ अमेरिका अपने दरवाज़े ग्लोबल टैलेंट के लिए बंद कर रहा है, तो भारत के लिए यह स्थिति ‘संकट में अवसर’ लेकर आई है। अमिताभ कांत के अनुसार, जब अमेरिका वैश्विक प्रतिभाओं के लिए दरवाज़ा बंद करेगा, तो अगली नवाचार की लहर भारत में आएगी। यह लहर विशेष रूप से बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और गुरुग्राम जैसे शहरों में देखने को मिलेगी। अमेरिका का यह नुकसान वास्तव में भारत का बड़ा फायदा साबित होगा आने वाले समय में। इस निर्णय से भारतीय स्टार्टअप्स और प्रौद्योगिकी कंपनियों को देश के भीतर ही उच्च-कुशल प्रतिभाओं को बनाए रखने और आकर्षित करने का मौका मिलेगा। यदि एच1बी वीजा की फीस 88 लाख रुपये हो जाती है, तो कई प्रतिभाएं स्वतः ही भारत में उपलब्ध अवसरों की तलाश करेंगी। यह भारत को आत्मनिर्भरता और तकनीकी विकास के लक्ष्य की ओर तेज़ी से आगे बढ़ाएगा। भारतीय डॉक्टर, इंजीनियर और वैज्ञानिक अब विकसित भारत की तरफ तेज़ी से कदम बढ़ाने का मौका पाएंगे। यह एक ऐसा निर्णायक मोड़ हो सकता है, जहाँ भारत अपनी आंतरिक क्षमता और मानव संसाधन का पूर्ण उपयोग करके वैश्विक तकनीकी मानचित्र पर अपनी स्थिति मजबूत करेगा।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर दोहरी मार और भारत का बड़ा फायदा
विशेषज्ञों का मानना है कि एच1बी वीजा फीस में वृद्धि से अमेरिका की नवाचार क्षमता पर गंभीर असर पड़ेगा, जिससे अंततः अमेरिकी अर्थव्यवस्था को ही नुकसान होगा। यह एक विरोधाभासी स्थिति है, जहाँ एक तरफ अमेरिका वैश्विक टैलेंट को आकर्षित करने की कोशिश करता है, वहीं दूसरी तरफ ऐसे प्रतिबंधात्मक शुल्क लगाता है। भारत के पूर्व नीति आयोग सीईओ अमिताभ कांत के अनुसार, अमेरिका की इनोवेशन को यह कदम रोक देगा। इसके विपरीत, भारत की इनोवेशन को इससे और तेजी मिलेगी। अमेरिका द्वारा ग्लोबल टैलेंट पर दरवाजा बंद करने का मतलब है कि वही प्रतिभा, वही ज्ञान और वही पूंजी अब भारतीय शहरों की ओर रुख करेगी। यह भारत के तकनीकी और वैज्ञानिक विकास को एक नई दिशा देगा। एस महेंद्र देव ने भी इस बात पर सहमति व्यक्त की है कि इस कदम से अमेरिका को नुकसान होगा क्योंकि आईटी इंडस्ट्री में इंडिया ने बहुत योगदान दिया है। इस तरह अमेरिका का नुकसान भारत का बड़ा फायदा साबित होगा, जिससे देश प्रगति और विकास की राह पर आगे बढ़ेगा।
Conclusion
ट्रंप प्रशासन द्वारा H1B Visa आवेदन फीस में 88 लाख रुपये तक की भारी वृद्धि का फैसला निश्चित रूप से भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स के लिए एक बड़ी चुनौती है, लेकिन यह भारत के लिए नवाचार और तकनीकी विकास का एक अप्रत्याशित अवसर लेकर आया है। विशेषज्ञों का स्पष्ट मत है कि जहां यह कदम अमेरिका की इनोवेशन को धीमा कर देगा, वहीं यह बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे जैसे भारतीय शहरों में प्रतिभा और विकास की अगली लहर को उत्प्रेरित करेगा। आने वाले समय में यह कदम भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में भारतीय डॉक्टरों, इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन साबित हो सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था को देश में ही उच्च-कुशल मानव संसाधन उपलब्ध होंगे, जिससे 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसे मिशनों को नई गति मिलेगी।
Bullet Points: Facts, Data, Timeline
- H1B Visa आवेदन फीस में भारी बढ़ोतरी का बड़ा फैसला डोनाल्ड ट्रंप ने लिया है।
- यूएस जाने के लिए अब ₹88 लाख तक की फीस देनी होगी।
- यह कदम एच1बी वीजा के इस्तेमाल को कम करने के लिए उठाया गया है।
- यह वीजा मुख्य रूप से सॉफ्टवेयर इंजीनियर, प्रोग्राम मैनेजर और आईटी प्रोफेशनल्स को मिलता है।
- एस महेंद्र देव (प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष) के अनुसार, यह फैसला अमेरिका और भारत दोनों के लिए नुकसानदेह होगा।
- अमिताभ कांत (पूर्व सीईओ, नीति आयोग) के अनुसार, यह अमेरिका की इनोवेशन को रोकेगा और भारत की इनोवेशन को गति देगा।
- ग्लोबल टैलेंट की अगली लहर भारत के बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और गुरुग्राम जैसे शहरों में आएगी।
FAQs (5 Q&A)
Q1. H1B Visa की फीस बढ़ोतरी का मुख्य कारण क्या है? A. ट्रंप प्रशासन ने H1B Visa के उपयोग को कम करने के लिए इसकी आवेदन फीस बढ़ा दी है। इस फैसले के बाद यूएस जाने के लिए भारतीय प्रोफेशनल्स को 88 लाख रुपये तक की भारी फीस चुकानी पड़ सकती है। इसका लक्ष्य अमेरिकी श्रमिकों के लिए अवसर बढ़ाना है।
Q2. H1B Visa से कौन से भारतीय प्रोफेशनल्स प्रभावित होंगे? A. यह वीजा आमतौर पर टेक्नोलॉजी क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों जैसे सॉफ्टवेयर इंजीनियर, प्रोग्राम मैनेजर और आईटी प्रोफेशनल्स को दिया जाता है। फीस बढ़ने से इन सभी उच्च-कुशल भारतीय प्रोफेशनल्स पर सीधा आर्थिक बोझ पड़ेगा जो यूएस में काम करने की योजना बना रहे थे।
Q3. भारत के किस क्षेत्र को H1B Visa फीस वृद्धि से सबसे ज़्यादा फायदा होगा? A. विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत की इनोवेशन और आईटी इंडस्ट्री को फायदा होगा। जब अमेरिका ग्लोबल टैलेंट के लिए दरवाजा बंद करेगा, तो प्रतिभा की अगली लहर बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और गुरुग्राम जैसे भारतीय शहरों में आएगी, जिससे देश में इनोवेशन तेज होगा।
Q4. क्या H1B Visa प्रोफेशनल्स के पास भारत में काम करने का विकल्प है? A. हाँ। एस महेंद्र देव ने कहा है कि जो लोग यूएस जा रहे हैं, वे इंडिया में भी काम कर सकते हैं। भारत में भी बहुत अच्छी कंपनीज हैं और विकास हो रहा है, इसलिए भारतीय प्रोफेशनल्स को यहीं पर बहुत अवसर मिलेंगे।
Q5. अमेरिका के इस कदम से क्या अमेरिका को भी नुकसान होगा? A. विशेषज्ञों के अनुसार, हाँ। अमिताभ कांत और एस महेंद्र देव दोनों का मानना है कि अमेरिका को नुकसान होगा क्योंकि भारत ने आईटी इंडस्ट्री में अमेरिका को बड़ा योगदान दिया है। यह कदम अमेरिका की इनोवेशन को भी रोक देगा।