Baaghi 4 Movie Review: टाइगर श्रॉफ की फिल्म में कितना दम?

Baaghi 4 Movie Review:पढ़ें: जानें टाइगर श्रॉफ की 'बागी 4' की पूरी कहानी, अभिनय और एक्शन का विश्लेषण। क्या यह मूवी पैसा वसूल है?

Sep 5, 2025 - 17:11
Sep 5, 2025 - 17:11
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Baaghi 4 Movie Review: टाइगर श्रॉफ की फिल्म में कितना दम?
Baaghi 4 Movie Review:

 

By: दैनिक रियल्टी ब्यूरो | Date: 05 सितंबर 2025

बागी 4 रिव्यू: क्या टाइगर श्रॉफ की यह एक्शन थ्रिलर दर्शकों की उम्मीदों पर खरी उतर पाई?  फिल्म के पोस्टर, टीज़र और ट्रेलर ने शुरुआत में काफी शोर मचाया, जिसमें "एवरी आशिक इज द विलन" और "दिस टाइम ही इज नॉट द सेम" जैसे दावे किए गए। तो आइए जानते हैं, क्या यह फिल्म वास्तव में दर्शकों को एक नया अनुभव दे पाई है या सिर्फ एक और औसत पेशकश बनकर रह गई है। इस बागी 4 रिव्यू में, हम कहानी, अभिनय, एक्शन और अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

बागी 4 की कहानी और साइकोलॉजिकल ट्विस्ट: क्या है रॉनी की हैलुसिनेशन का राज?

फिल्म 'बागी 4' एक ऐसे ऑफिसर रॉनी की कहानी बताती है, जिसके दिमाग में हैलुसिनेशन (भ्रम) की समस्या है। उसे अपनी मृत गर्लफ्रेंड दिखाई देती है, जबकि दुनिया के सामने वह गायब है। कहानी में एक महत्वपूर्ण मोड़ इंटरवल में संजय दत्त के प्रवेश के साथ आता है। यह ट्विस्ट दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है कि क्या रॉनी को सच में भ्रम हो रहा है या इसके पीछे कोई और रहस्य है। संजय दत्त की भूमिका का सटीक विवरण जानने के लिए दर्शकों को फिल्म देखनी पड़ेगी। समीक्षक के अनुसार, इस हैलुसिनेशन के तत्व के कारण फिल्म को एक साइकोलॉजिकल एक्शन थ्रिलर के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए था, लेकिन इसे सिर्फ एक्शन थ्रिलर की श्रेणी में रखा गया है। हालांकि, फिल्म देखने के दौरान दर्शकों को खुद भी हैलुसिनेशन का अनुभव हो सकता है, क्योंकि उन्हें जो कुछ भी दिखाया जा रहा है, उस पर बिना सोचे-समझे विश्वास करना पड़ता है। समीक्षक ने स्पष्ट किया कि यह ऐसी फिल्म नहीं है, जिसमें दर्शक बहुत अधिक दिमाग लगाएं; बल्कि उन्हें खुद को मूवी के प्रति समर्पित करना होगा।

एक्शन, वीएफएक्स और सिनेमाई अनुभव: कहां चूकी 'बागी 4'?

फिल्म के एक्शन सीक्वेंस ट्रेलर में ही देखे जा चुके थे, जैसे लाल एप्रन और लाल चश्मे में मास्क मैन से लड़ाई वाला दृश्य। समीक्षक के अनुसार, फिल्म का पहला एक्शन शॉट देखते ही यह स्पष्ट हो जाता है कि दर्शकों को भी फिल्म के दौरान भ्रम का अनुभव होगा। विजुअल इफेक्ट्स (वीएफएक्स) के मामले में 'बागी 4' काफी कमजोर साबित हुई है। ट्रेलर में ही इसके वीएफएक्स शॉट्स खराब लग रहे थे, जिन्हें फिल्म में भी नहीं सुधारा गया। शेर वाला शॉट रखने की आवश्यकता पर सवाल उठाया गया, क्योंकि वह बहुत खराब दिख रहा था। इसके अलावा, फिल्म में खून के शॉट्स, दिन-रात वाले सीन और खेत में पुलिस के खड़े होने वाले दृश्य बड़े पर्दे पर और भी अधिक नकली लग रहे थे। समीक्षक ने स्वीकार किया कि यदि किसी को केवल मनोरंजन चाहिए, तो इन तकनीकी खामियों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा सकता, लेकिन यह स्पष्ट है कि वीएफएक्स उम्मीदों के अनुरूप नहीं हैं। कुल मिलाकर, सिनेमाई अनुभव के मामले में फिल्म औसत से नीचे रही।

टाइगर श्रॉफ का अभिनय: एक्शन में दमदार, इमोशन में भी छोड़ी छाप

टाइगर श्रॉफ ने 'बागी 4' में अपने एक्शन दृश्यों में काफी मेहनत की है और वे इसमें बहुत बढ़िया लगे हैं, खासकर जब वह चुपचाप एक्शन कर रहे होते हैं। समीक्षक का मानना है कि उन्होंने पिछली बागी फिल्मों की तुलना में अभिनय के लिहाज से कुछ खास अलग नहीं किया है, लेकिन एक्शन में उनका समर्पण स्पष्ट दिखता है। कुछ रोने वाले दृश्यों में, जहां दुख को व्यक्त करना था, टाइगर श्रॉफ ने अच्छा प्रदर्शन किया है। समीक्षक ने यह भी कहा कि टाइगर में इतनी प्रतिभा है कि वह बाहर आने के लिए तड़प रही है, लेकिन उन्हें लगता है कि टाइगर की पूरी क्षमता आज तक किसी भी फिल्म में देखने को नहीं मिली है। इस बागी 4 रिव्यू में यह साफ है कि टाइगर श्रॉफ की एक्शन क्षमता ने उन्हें सहारा दिया है, लेकिन उनके अभिनय की गहराई को अभी और तलाशने की जरूरत है।

सहायक कलाकार और संवाद: उपेंद्र लिमये चमके, बाकी हुए निराश

फिल्म के सहायक कलाकारों की बात करें तो उपेंद्र लिमये का काम समीक्षक को सबसे अच्छा लगा। उनके आने से फिल्म में जान आ जाती है। हालांकि, समीक्षक ने यह भी कहा कि फिल्म की कहानी में दम नहीं था और न ही अन्य सहायक कलाकारों की एक्टिंग में। कहानी पूरी तरह से पुरानी महसूस होती है, जैसा कि इसका प्रेजेंटेशन है। श्रेयस तलपदे और सौरभ सचदेवा जैसे अभिनेताओं को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया गया है, उनके वास्तविक पोटेंशियल को मेकर्स ने हल्के में लिया है। सिर्फ उपेंद्र लिमये का किरदार ही अच्छा लिखा गया था। फिल्म के डायलॉग्स भी ट्रेलर से बदले हुए हैं। इस पहलू पर बागी 4 रिव्यू में निराशा व्यक्त की गई, क्योंकि मजबूत सहायक कलाकार एक फिल्म को सहारा देते हैं।

संगीत और सेंसरशिप का मुद्दा: 'ए' रेटिंग और बेतरतीब गाने

फिल्म के संगीत पर बात करते हुए, समीक्षक ने बताया कि गाने लिटरली बेतरतीब ढंग से रखे गए हैं। हालांकि, संगीत अच्छा है, कुछ गाने कानों को सुकून देते हैं और कुछ डांस नंबर्स भी हैं, लेकिन उनकी प्लेसमेंट ठीक नहीं है। एक एक्शन थ्रिलर मूवी में हर गाना पूरा चलाना जरूरी नहीं होता; कुछ चीजों को आसानी से एडिट किया जा सकता था, जिससे फिल्म और अधिक तेज़ गति वाली हो सकती थी। सेंसरशिप के मुद्दे पर भी सवाल उठाया गया। फिल्म को 'ए' रेटिंग दी गई थी, लेकिन इसमें बहुत सारे कट्स लगाए गए हैं। ट्रेलर में दिखाए गए उंगली कटने वाले सीन, अंगूठे से फिंगरप्रिंट वाला सीन, कटे हाथ से सिगार जलाना, और किसी को बीच में से फाड़ देने जैसे कई दृश्यों को काट दिया गया है। ऐसे में 'ए' रेटिंग का कोई मतलब नहीं रह जाता, क्योंकि कई प्रमुख दृश्यों को हटा दिया गया है।

बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन और दर्शकों की पसंद: नागपुर का हाल

फिल्म के बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन और दर्शकों की प्रतिक्रिया के बारे में समीक्षक ने नागपुर के एक सिनेमाघर का उदाहरण दिया, जहां सुबह 9 बजे के शो में गिन-चुने 12 लोग ही आए थे। उनमें से सात लोग तो इसलिए आए थे, क्योंकि समीक्षक ने टिकट साझा की थी ताकि शो कैंसिल न हो। नागपुर में शो खाली जा रहे हैं, जबकि आश्चर्यजनक रूप से 'कंज्यूरिंग' के लिए सारे थिएटर बुक थे। यह दर्शाता है कि दर्शक अब समझदार हो चुके हैं और उन्हें पता है कि क्या देखना है और क्या नहीं। 'बागी 4' में कोई अश्लीलता नहीं है, बस थोड़ा-बहुत खून-खराबा है, जो न तो एनिमल के स्तर का है और न ही मार्को के स्तर का। समीक्षक की तरफ से फिल्म को 5 में से 2 स्टार दिए गए हैं, लेकिन उन्होंने दर्शकों को सलाह दी है कि वे खुद जाकर फिल्म देखें और अपनी राय बनाएं। इस बागी 4 रिव्यू से यह स्पष्ट होता है कि फिल्म को दर्शकों से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिल सकती है।

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