GE Engine Deal: भारत को मिलेंगे 113 F404 जेट इंजन, Tejas MK1A बनेगा और भी दमदार लड़ाकू विमान।
GE Engine Deal: भारत और अमेरिका के बीच $1 अरब डॉलर का ऐतिहासिक समझौता। इस डील से 113 F404 इंजन मिलेंगे, जो स्वदेशी Tejas MK1A की ताकत कई गुना बढ़ा देंगे। आत्मनिर्भर भारत को बड़ा बल।

By: दैनिक रियल्टी ब्यूरो | Date: | 25 Sep 2025
GE Engine Deal: भारत की वायुसेना को मिलेगी नई ताकत, $1 अरब डॉलर के समझौते से तेजस की क्षमता कई गुना बढ़ेगी
भारत के डिफेंस सेक्टर से जुड़ी एक और बड़ी और ऐतिहासिक खबर सामने आई है, जिसने देश के करोड़ों नागरिकों और रक्षा विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित किया है। यदि आप भारत के आत्मनिर्भर भारत विजन और रक्षा क्षमता में रुचि रखते हैं, तो यह समझौता आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है। भारत अब अमेरिकी एयररोस्पेस दिग्गज जनरल इलेक्ट्रिक (GE) के साथ लगभग $1 अरब डॉलर यानी करीब ₹8,720 करोड़ की मेगा डील को अंतिम रूप देने की राह पर तेज़ी से आगे बढ़ चुका है। यह समझौता केवल रक्षा उपकरणों की खरीद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस एलसीए एमके1ए (LCA MK1A) को और भी अधिक शक्तिशाली और खतरनाक बनाएगा। इस डील के तहत, भारत को 113 F404 IN20 फाइटर जेट इंजन मिलने वाले हैं। यह सौदा न सिर्फ भारत की वायु सेना की ताकत को कई गुना बढ़ाएगा, बल्कि यह भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों की एक नई और मजबूत कहानी भी लिख रहा है। यह इंजन सप्लाई का समझौता भारत के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अगला पड़ाव है।
ऐतिहासिक GE Engine Deal: 1 अरब डॉलर के समझौते की पूरी कहानी
भारत और अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) के बीच यह मेगा डील लगभग $1 अरब डॉलर की है, जिसमें भारत को 113 F404 IN20 इंजन मिलेंगे। ये इंजन विशेष रूप से भारत के स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) एमके1ए को ऊर्जा प्रदान करने के लिए बनाए गए हैं। यह समझना आवश्यक है कि यह सौदा ऐसे समय में हो रहा है जब हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) पहले से ही भारतीय वायुसेना द्वारा ऑर्डर किए गए शुरुआती 83 तेजस जेट्स के लिए 99 इंजनों का कॉन्ट्रैक्ट हासिल कर चुका है। यह नया सौदा न केवल प्रोजेक्ट को व्यापकता देगा, बल्कि स्वदेशी लड़ाकू विमान कार्यक्रम की गति और विश्वसनीयता को भी बढ़ाएगा। इस इंजन की डिलीवरी और स्थापना से तेजस एमके1ए को वे आवश्यक तकनीकी उन्नयन मिलेंगे, जिनकी उसे आधुनिक युद्ध परिदृश्यों में आवश्यकता है। GE Engine Deal भारत की रक्षा तैयारियों को दीर्घकालिक मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से किया जा रहा है, और यह डील भारत के घरेलू रक्षा उत्पादन क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह डील भारत की वायु सेना की रणनीतिक जरूरतों को पूरा करने में सहायक होगी, जिससे देश की सुरक्षा ढांचा और भी सुदृढ़ हो सकेगा।
इस समझौते का ऐतिहासिक महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह सिर्फ रक्षा सौदा नहीं, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत के विजन को सशक्त करता है। यदि भविष्य में F414 इंजन पर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का समझौता हो जाता है, जैसा कि बातचीत चल रही है, तो भारत अपने फाइटर इंजनों का निर्माण करने वाला एक प्रमुख देश बन सकता है। यह न केवल विदेशी निर्भरता को कम करेगा, बल्कि भारत को वैश्विक रक्षा आपूर्ति श्रृंखला में एक मजबूत स्थिति प्रदान करेगा। यह GE Engine Deal भारत और अमेरिका के बीच मजबूत होते रक्षा सहयोग का स्पष्ट संकेत है, जो पिछले कुछ वर्षों में कई बड़ी डीलों जैसे एमक्यू9बी ड्रोन, सी-130जे सुपर हरक्युलिस, और पी8आई पोसाइडन एयरक्राफ्ट के सौदों से भी पुष्ट हुआ है। यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापारिक और रणनीतिक साझेदारी को रणनीतिक साझेदारी की ओर ले जा रहा है।
Tejas MK1A के लिए F404 IN20 इंजन क्यों हैं खास?
F404 IN20 इंजन की अपनी विशिष्टताएं हैं जो इसे तेजस एमके1ए जैसे हल्के लड़ाकू विमानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती हैं। यह इंजन अपनी उच्च थ्रस्ट क्षमता, विश्वसनीयता, और उत्कृष्ट ईंधन दक्षता (फ्यूल एफिशिएंसी) के लिए विश्व स्तर पर जाना जाता है। यह एक ताकतवर हल्क (Hulk) की तरह है जिसे विशेष रूप से लड़ाकू विमानों के लिए डिज़ाइन किया गया है। अमेरिका के कई उन्नत फाइटर जेट्स में इस इंजन को सफलतापूर्वक शामिल किया गया है, जो इसकी गुणवत्ता और प्रदर्शन की गारंटी है। यह इंजन Tejas MK1A को कई महत्वपूर्ण परिचालन क्षमताएं प्रदान करता है:
- सुपर सोनिक स्पीड (Supersonic Speed): यह तेजस को ध्वनि की गति से अधिक तेजी से उड़ान भरने की क्षमता देता है।
- बेहतर एयर टू एयर कॉम्बैट क्षमता: हवा से हवा में होने वाली लड़ाई में तेजस की मारक क्षमता और मैन्यूवरेबिलिटी (गतिशीलता) में सुधार होता है।
- लंबी दूरी तक ऑपरेशन: यह इंजन तेजस को अधिक दूरी तक परिचालन करने की ताकत देता है, जिससे उसकी पहुंच और प्रभाव क्षेत्र बढ़ जाता है।
- फुल स्केल्ड कॉम्बैट मिशन: इस इंजन के जुड़ने के बाद, तेजस सिर्फ एक लाइट फाइटर जेट न होकर, एक पूर्ण विकसित कॉम्बैट मिशन विमान बन सकता है।
GE Engine Deal के माध्यम से प्राप्त होने वाले ये 113 इंजन तेजस एमके1ए को दुनिया के बेहतरीन फाइटर जेट्स की कतार में मजबूती से खड़ा करने में सहायक होंगे। यह उन्नत तकनीक न सिर्फ वर्तमान बेड़े को मजबूत करेगी, बल्कि भविष्य में भारत के रक्षा तकनीकी विकास के लिए भी एक मजबूत आधार तैयार करेगी।
भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग में मील का पत्थर
यह GE Engine Deal भारत और अमेरिका के बीच चल रही मजबूत और बढ़ती रक्षा साझेदारी का प्रतीक है। यह सौदा ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका हाल ही में टैरिफ और व्यापारिक नीतियों को लेकर चर्चा में रहा है। दोनों देशों के बीच मजबूत रक्षा सहयोग का संकेत देते हुए, यह डील यह भी दर्शाती है कि रक्षा संबंध अब केवल खरीद-फरोख्त से आगे बढ़कर रणनीतिक साझेदारी की ओर बढ़ रहे हैं। पिछले कुछ सालों में भारत और अमेरिका ने कई महत्वपूर्ण रक्षा समझौते किए हैं, जिनमें प्रमुख रूप से MQ-9B ड्रोन, C-130J सुपर हरक्युलिस परिवहन विमान, और P-8I पोसाइडन टोही विमान शामिल हैं। GE Engine Deal इन मजबूत रिश्तों को और अधिक मजबूत करेगी।
एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि एचएएल अब जनरल इलेक्ट्रिक के साथ एक और बड़ी बातचीत कर रहा है। यह बातचीत F414 इंजनों के लिए है, जो तेजस के अगले वर्जन एलसीए एमके2 (LCA MK2) और भारत के भविष्य के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) को शक्ति प्रदान करने के लिए आवश्यक होंगे। इस बातचीत की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें 80% टेक्नोलॉजी ट्रांसफर शामिल होने की संभावना है।
इसका सीधा मतलब यह है कि इंजन के डिजाइन, मैन्युफैक्चरिंग और असेंबली की अधिकांश तकनीक भारत को मिल जाएगी। यह भारत को भविष्य में अपने स्वयं के उन्नत फाइटर इंजन विकसित करने और निर्माण करने में सक्षम बनाएगा, जिससे रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य पूरा होगा।
टैरिफ विवाद का GE Engine Deal पर कोई असर नहीं
हाल के दिनों में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कई विदेशी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने और विशेष रूप से फार्मा सेक्टर पर 100% टैरिफ लगाने की बात सामने आई थी। ऐसे में यह सवाल उठाना स्वाभाविक था कि क्या ट्रंप के इस व्यापारिक खेल का भारत के साथ चल रहे इस महत्वपूर्ण GE Engine Deal पर कोई असर पड़ेगा।
इस संबंध में, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर, डॉ. डीके सुनील ने स्पष्टीकरण दिया था। उन्होंने पुष्टि की कि टैरिफ या व्यापारिक नीतियों में जो कुछ भी हो रहा है, उसका जीई के साथ चल रही बातचीत पर कोई व्यावहारिक असर नहीं है। डॉ. सुनील ने बताया कि उनकी जानकारी के अनुसार, फ्रेंच इंजन को लेकर LCA मार्क 2 के संबंध में कोई चर्चा नहीं है, क्योंकि एयरक्राफ्ट को F414 इंजन के आसपास ही डिज़ाइन किया गया है।
एचएएल और जीई के बीच बातचीत उन्नत चरण (Advanced Stage) में है, और दोनों पक्षों द्वारा बड़े ऑर्डर दिए जाने के बाद, जीई भी बहुत सकारात्मक है। दोनों कंपनियों के बीच पहले ही छह दौर की बैठकें हो चुकी हैं, और एक और दौर की बातचीत अक्टूबर के पहले सप्ताह में यूएसए में होने वाली है। मतलब साफ है कि यह डील टैरिफ विवाद से पूरी तरह अलग है और अपनी तय समय रेखा के हिसाब से आगे बढ़ रही है।
F414 इंजन: स्वदेशी इंजन बनाने का सपना और भविष्य की संभावना
F414 इंजन के लिए टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की बातचीत भारत के लिए रक्षा निर्माण के क्षेत्र में सबसे बड़ी संभावनाओं में से एक है। यदि GE Engine Deal के बाद F414 इंजन पर 80% टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का समझौता सफल होता है, तो यह भारत को सिर्फ इंजन उपभोक्ता से इंजन निर्माता बना देगा। यह कदम न केवल रक्षा क्षेत्र में भारत की संप्रभुता को मजबूत करेगा, बल्कि देश के इंजीनियरिंग और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए भी एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगा।
F414 इंजन LCA MK2 और AMCA जैसे भारत के भविष्य के फाइटर जेट्स को पावर देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जैसा कि डॉ. डीके सुनील ने बताया, LCA मार्क 2 को F414 इंजन को ध्यान में रखकर ही बनाया गया है, क्योंकि किसी भी एयरक्राफ्ट का निर्माण इंजन के इर्द-गिर्द ही किया जाता है। यह दर्शाता है कि F414 इंजन की तकनीक हासिल करना भारत के दीर्घकालिक रक्षा लक्ष्यों के लिए कितना महत्वपूर्ण है।
इस टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के माध्यम से, भारत न केवल अपनी रक्षा आवश्यकताओं को पूरा कर सकेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी उच्च गुणवत्ता वाले फाइटर इंजनों के निर्यात की संभावनाओं को खोल सकता है। अब सभी की निगाहें अक्टूबर में होने वाली अगली मीटिंग पर टिकी हैं, जिसके बाद इस डील पर अंतिम मुहर लगने की उम्मीद है।
Conclusion
कुल मिलाकर, जनरल इलेक्ट्रिक (GE) के साथ $1 अरब डॉलर का यह समझौता भारत के लिए केवल एक रक्षा सौदा नहीं है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत के अगले पड़ाव की आधारशिला है। 113 F404 IN20 इंजनों की प्राप्ति से तेजस एमके1ए को सुपरसोनिक गति और बेहतर कॉम्बैट क्षमताओं के साथ दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू विमानों की कतार में मजबूती से खड़ा किया जा सकेगा। साथ ही, F414 इंजन पर संभावित 80% टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की बातचीत यह सुनिश्चित करती है कि भारत भविष्य में न केवल इंजन खरीदने वाला, बल्कि खुद अपने फाइटर इंजनों का निर्माता भी बन सकता है। यह GE Engine Deal भारत और अमेरिका के रक्षा संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के उच्च स्तर पर ले जाता है, जिसका दीर्घकालिक लाभ भारत की सुरक्षा और तकनीकी उन्नति को मिलेगा।
FAQs (5 Q&A)
Q1. GE Engine Deal क्या है और इसकी कीमत कितनी है? यह GE Engine Deal भारत और अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक के बीच लगभग $1 अरब डॉलर (करीब ₹8,720 करोड़) का एक समझौता है। इस डील के तहत भारत को कुल 113 F404 IN20 फाइटर जेट इंजन मिलेंगे, जो स्वदेशी तेजस LCA MK1A को शक्ति प्रदान करेंगे।
Q2. F404 IN20 इंजन किस भारतीय विमान के लिए उपयोग किए जाएंगे? F404 IN20 इंजन मुख्य रूप से भारत के स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) Tejas MK1A में उपयोग किए जाएंगे। ये इंजन उच्च थ्रस्ट क्षमता और विश्वसनीयता के लिए जाने जाते हैं, जो तेजस को सुपरसोनिक स्पीड और बेहतर एयर टू एयर कॉम्बैट क्षमता प्रदान करेंगे।
Q3. क्या यह GE Engine Deal अमेरिकी टैरिफ विवादों से प्रभावित होगी? एचएएल के चेयरमैन डॉ. डीके सुनील के अनुसार, टैरिफ और व्यापारिक नीतियों से संबंधित विवादों का इस GE Engine Deal पर कोई व्यावहारिक असर नहीं पड़ेगा। यह डील अपनी तय समय सीमा के अनुसार आगे बढ़ रही है और दोनों पक्षों के बीच बातचीत उन्नत चरण में है।
Q4. F414 इंजन पर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की बातचीत क्यों महत्वपूर्ण है? F414 इंजन के लिए 80% टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की बातचीत अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत को इंजन के डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग की अधिकांश तकनीक प्रदान करेगी। इससे भारत भविष्य के लड़ाकू विमानों, जैसे LCA MK2 और AMCA, के लिए स्वयं के इंजन बनाने का सपना पूरा कर सकेगा।
Q5. GE Engine Deal भारत के लिए आत्मनिर्भर भारत विजन में कैसे सहायक है? यह GE Engine Deal सिर्फ इंजन आपूर्ति नहीं है, बल्कि यह भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता का अगला पड़ाव है। यदि टेक्नोलॉजी ट्रांसफर सफल होता है, तो भारत अपने फाइटर इंजनों का खुद निर्माता बन सकता है, जिससे विदेशी निर्भरता कम होगी और रक्षा क्षेत्र में देश की रणनीतिक क्षमता बढ़ेगी।