George Yeo: अमेरिका की दबाव नीति भारत पर काम नहीं करेगी, रूस से तेल खरीद पर भी नहीं झुका भारत

सिंगापुर के पूर्व विदेश मंत्री George Yeo ने स्पष्ट कहा है कि भारत पर अमेरिका की दबाव की राजनीति विफल रही। यूक्रेन युद्ध में रूस से सस्ता तेल खरीदने के मुद्दे पर भी भारत अपने हितों पर अडिग रहा। जानें, क्यों ट्रंप भी भारत को धमका नहीं पाए।

Oct 5, 2025 - 20:07
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George Yeo: अमेरिका की दबाव नीति भारत पर काम नहीं करेगी, रूस से तेल खरीद पर भी नहीं झुका भारत
George Yeo का अमेरिका-भारत संबंध पर बयान

By: दैनिक रियल्टी ब्यूरो | Date: | 05 Oct 2025


George Yeo: अमेरिका की दबाव नीति भारत पर काम नहीं करेगी, रूस-तेल पर भी नहीं झुका भारत

पिछले कुछ समय से भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में काफी तनाव देखने को मिला है, लेकिन अब वैश्विक मंच पर यह बात स्पष्ट होती दिख रही है कि अमेरिका की ‘दबाव की राजनीति’ भारत के सामने विफल रही है। इस बदलते भू-राजनीतिक समीकरण के बीच, सिंगापुर के पूर्व विदेश मंत्री जॉर्ज जियो (George Yeo) का एक बड़ा और निर्णायक बयान सामने आया है। उन्होंने सीधे तौर पर यह स्वीकार किया है कि नई दिल्ली को धमकाया नहीं जा सकता और भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखा है, भले ही इसके कारण अमेरिका के साथ रिश्ते थोड़े बिगड़े हों। यह खबर उन सभी पाठकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जो भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और एक मल्टीपोलर दुनिया में उसके बढ़ते प्रभाव को समझना चाहते हैं। यूरोपीय देश भी अब इस तथ्य को स्वीकार कर चुके हैं कि भारत के खिलाफ दबाव नीति कारगर नहीं है। भारत की यह अडिगता न केवल उसकी ऊर्जा ज़रूरतों बल्कि पाकिस्तान के साथ विवाद जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी साफ दिखाई दी है।

 1: भारत पर अमेरिकी दबाव क्यों काम नहीं आया?

भारत ने वैश्विक मामलों में हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिए हैं, और यही कारण है कि अमेरिका द्वारा बनाया गया दबाव भारत पर काम नहीं आया। दरअसल, अमेरिका ने शुरू में यह सोचा था कि वह भारत का उपयोग चीन के खिलाफ एक मोहरे के रूप में कर सकता है, वहीं भारत ने भी सोचा कि वह अमेरिका का उपयोग चीन के खिलाफ कर सकता है। यह एक ऐसी जटिल साझेदारी थी जहां दोनों देश अपने-अपने हित साधने की जुगत में थे। लेकिन यह समीकरण तब बदल गया जब यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ। अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद, भारत ने रूस का साथ नहीं छोड़ा, जो सीधे तौर पर अमेरिकी रणनीति के विरुद्ध था। जॉर्ज जियो (George Yeo) ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब भारत और पाकिस्तान के बीच हवाई संघर्ष हुआ, तब भारत को यह एहसास हुआ कि अमेरिका किसी भी स्थिति में पाकिस्तान के खिलाफ भारत का समर्थन नहीं करेगा। यह महत्वपूर्ण वास्तविकता भारत को अपने रुख पर अडिग रहने के लिए मजबूर करती है, क्योंकि भारत अपनी विदेश नीति में किसी तीसरे देश की मध्यस्थता या बाहरी दबाव को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। भारत को यह बात समझ में आ गई कि ट्रंप ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख को व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया था, जिन्होंने ट्रंप को नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित करने पर सहमति भी जताई थी।

 2: रूस से तेल खरीद और भारत का अडिग रुख

यूक्रेन युद्ध के बाद, जब पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लागू किए, तब भी भारत ने अपने ऊर्जा हितों को प्राथमिकता दी और रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदना जारी रखा। यह एक ऐसा कदम था जिसने अमेरिका को भारत पर दबाव बनाने के लिए मजबूर किया। अमेरिका लगातार भारत पर रूस से तेल खरीद बंद करने का दबाव बना रहा था, लेकिन भारत ने बार-बार यह बात साफ की कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए किसी भी तीसरे पक्ष के दबाव में नहीं आएगा।

  • पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए।
  • भारत ने रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदना जारी रखा।
  • भारत ने स्पष्ट किया कि वह ऊर्जा जरूरतों पर दबाव स्वीकार नहीं करेगा।

यह केवल George Yeo का बयान नहीं है, बल्कि यूरोपीय देश भी अब इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि दबाव नीति भारत के खिलाफ प्रभावी नहीं होगी। भारत ने स्पष्ट कर दिया कि चाहे कितना भी दबाव क्यों न हो, वह अपने आर्थिक और ऊर्जा सुरक्षा हितों को देखते हुए ही निर्णय लेगा। इस घटनाक्रम ने विश्व को यह संदेश दिया कि भारत अब किसी भी बड़ी शक्ति के प्रभाव में आकर अपनी विदेश नीति नहीं चलाएगा।

3: पाकिस्तान के मुद्दे पर तीसरे देश की मध्यस्थता अस्वीकार

भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष के दौरान भी अमेरिका की भूमिका संदेह के घेरे में रही। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के समय हुए सीज फायर (संघर्ष विराम) का श्रेय खुद लेने की कोशिश की थी, हालांकि वास्तविकता कुछ और थी। वास्तव में, पाकिस्तान ने भारत से फोन पर सीज फायर का अनुरोध किया था, जिसके बाद यह हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने भी कई बार यह बात दोहराई है कि किसी तीसरे देश ने सीज फायर नहीं कराया। भारत का रुख हमेशा साफ रहा है कि पाकिस्तान के साथ विवाद के मुद्दे पर वह किसी भी तीसरे देश की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेगा। जॉर्ज जियो के अनुसार, हवाई संघर्ष के दौरान भारत को समझ में आया कि अमेरिका पाकिस्तान के खिलाफ उसका समर्थन नहीं करेगा। इन तमाम घटनाक्रमों के बाद भी, भारत पर हर तरह से दबाव बनाया गया, लेकिन भारत अपने हित को देखते हुए अडिग रहा।

4: मल्टीपोलर दुनिया का उदय और भारत का भविष्य

जॉर्ज जियो (George Yeo) ने अपने बयान में इस बात पर भी जोर दिया कि विश्व में अब एक मल्टीपोलर (बहुध्रुवीय) दुनिया बनती दिखाई पड़ रही है। इस नई विश्व व्यवस्था में, भारत एक महत्वपूर्ण और स्वतंत्र ध्रुव बनकर उभरा है। जब ट्रंप को यह समझ आ गया कि भारत को धमकाया नहीं जा सकता, तो उन्होंने अपना रुख बदला। इसके बाद ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को जन्मदिन की बधाई भेजी, जिसका जवाब मोदी ने "मेरे दोस्त, आपकी शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद" कहकर दिया। यह घटनाक्रम दर्शाता है कि दबाव की राजनीति विफल होने के बाद, संबंधों को सामान्य बनाने की पहल करनी पड़ी। भारत अपने फैसलों पर अडिग है, और विश्व के बड़े देश अब इस सच्चाई को स्वीकार कर रहे हैं। भारत की यह नीति केवल तात्कालिक लाभ के लिए नहीं है, बल्कि यह भविष्य के लिए एक मजबूत आधारशिला रखती है जहां भारत एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में बिना किसी बाहरी दबाव के कार्य करेगा।

Conclusion

सिंगापुर के पूर्व विदेश मंत्री जॉर्ज जियो (George Yeo) का यह बयान अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में भारत के बढ़ते महत्व को रेखांकित करता है। उनके अनुसार, अमेरिका की दबाव नीति भारत के खिलाफ काम नहीं आई, चाहे वह चीन के खिलाफ उपयोग करने की रणनीति हो, रूस से तेल खरीदने का मुद्दा हो, या पाकिस्तान के साथ संघर्ष का मामला हो। यूरोपीय देशों द्वारा भी दबाव नीति की विफलता को स्वीकार करना, यह दर्शाता है कि भारत की विदेश नीति सफल रही है। भविष्य में, भारत बहुध्रुवीय दुनिया में एक निर्णायक भूमिका निभाएगा, जहां वह केवल अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर निर्णय लेगा और किसी भी देश के धमकियों या मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेगा।


⚡ Rules:

FAQs (5 Q&A):

Q1: George Yeo कौन हैं और उन्होंने भारत के बारे में क्या कहा? George Yeo सिंगापुर के पूर्व विदेश मंत्री हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने भारत पर दबाव बनाकर अपने हित साधने की सोची थी, लेकिन यह दबाव नीति भारत के खिलाफ काम नहीं आई। भारत ने अपने रुख पर अडिग रहते हुए रूस से तेल खरीदना जारी रखा और किसी के दबाव में नहीं आया।

Q2: रूस से तेल खरीदने के मुद्दे पर भारत ने George Yeo की बात को कैसे सही साबित किया? यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों द्वारा प्रतिबंध लगाने के बावजूद, भारत ने रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदना जारी रखा। भारत ने साफ किया कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों के संबंध में किसी भी तीसरे देश के दबाव में नहीं आएगा। इस अडिगता ने साबित कर दिया कि दबाव की राजनीति काम नहीं करती।

Q3: George Yeo ने भारत और पाकिस्तान के हवाई संघर्ष के बारे में क्या विश्लेषण दिया? जॉर्ज जियो ने कहा कि हवाई संघर्ष के दौरान भारत को यह समझ में आया कि अमेरिका पाकिस्तान के खिलाफ उसका समर्थन नहीं करेगा। इस दौरान ट्रंप ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख को व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया था। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान मुद्दे पर तीसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं है।

Q4: अमेरिका ने भारत पर दबाव क्यों बनाया था, जैसा कि George Yeo के बयान से पता चलता है? अमेरिका ने सोचा था कि वह भारत का उपयोग चीन के खिलाफ कर पाएगा। इसके अलावा, यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद भारत रूस से तेल खरीद रहा था, जिस कारण अमेरिका ने भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की।

Q5: मल्टीपोलर दुनिया बनने की बात पर George Yeo ने क्या संकेत दिया? जॉर्ज जियो ने कहा कि अब मल्टीपोलर दुनिया बनती दिखाई पड़ रही है। उनका मानना है कि ट्रंप को अब यह समझ आ गया है कि भारत को धमकाया नहीं जा सकता है। यह दिखाता है कि भारत अब वैश्विक स्तर पर एक स्वतंत्र शक्ति के रूप में उभर रहा है।

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