Navratri 2025: इस बार 10 दिन होंगी माता की पूजा, जानिए कलश स्थापना और गज आगमन का शुभ योग
Navratri 2025 में 22 तारीख से शुरू हो रहा है 10 दिवसीय महापर्व। गज पर होगा मां का आगमन, बन रहे हैं रवि पुष्य और सर्वार सिद्ध योग। जानें कलश स्थापना की सही विधि और पूजा सामग्री।

By: दैनिक रियल्टी ब्यूरो | Date: | 21 Sep 2025
Navratri 2025 की शुरुआत के साथ ही पूरे देश में भक्ति, ऊर्जा और समृद्धि का संचार होने लगता है। इस वर्ष मां भगवती 22 तारीख से हमारे घर पर आ रही हैं। इस बार का नवरात्रि महापर्व अपने आप में कई विशिष्ट और अद्वितीय योग लेकर आ रहा है, जिससे भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति निश्चित है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस बार नवरात्रि 9 नहीं, बल्कि 10 दिनों की होगी, क्योंकि तृतीया तिथि बढ़ गई है। मां दुर्गा इस बार गज यानी हाथी पर सवार होकर आ रही हैं, जो भक्तों के लिए चौमुखी सुख, शांति और समृद्धि लाने वाला है। यदि आप अपने जीवन में धन-धान्य और सुख-समृद्धि चाहते हैं, तो इस 10 दिवसीय पूजा के दौरान कलश की स्थापना और सही विधि से मां की प्रार्थना करना आवश्यक है। पंडित अरविंद शुक्ला जी के अनुसार, भक्तों को मां के सामने सदैव अबोध बालक बनकर प्रार्थना करनी चाहिए, क्योंकि मां इस भाव से अति शीघ्र प्रसन्न होती हैं। यह विशेष नवरात्रि सभी भक्तों के लिए हर प्रकार की कामनाओं को पूर्ण करने का सबसे उत्तम समय है।
Navratri 2025 का विशिष्ट संयोग और 10 दिवसीय महापर्व
नवरात्रि का प्रारंभ पितृ पक्ष के समापन के साथ हो रहा है, जो अपने आप में एक विशिष्ट और अद्वितीय मुहूर्त है। इस बार का यह महापर्व कई वर्षों बाद अत्यंत दुर्लभ और शुभ योगों से युक्त है। धार्मिक अनुष्ठान और पूजा पाठ करने वालों के लिए यह अवधि विशेष फलदायी है। इस वर्ष नवरात्रि की तिथियां बढ़ी हुई हैं, खासकर तृतीया तिथि की वृद्धि हुई है, जिसके कारण यह पर्व नौ दिनों के बजाय दस दिनों तक चलेगा। देवी के नौ स्वरूपों की आराधना इस प्रकार की जाती है: प्रथमम शैलपुत्रीचा, द्वितीयाम ब्रह्मचारिणी, तृतीयाम चंद्र घंटेती, कुमांडेति चतुर्थकम, पंचम स्कंध मातेति, षष्टम कात्याय नीतिचा, सप्तमम काल रात्रिती, महागौरी तिचाष्टम, नवम सिद्धदात्री चा नव दुर्गा प्रकीर्तिता। इस बढ़ी हुई अवधि में भक्तजनों को अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए और भी अधिक समय मिलेगा। पंडित जी बताते हैं कि इस दौरान किया गया कोई भी अनुष्ठान या पूजा पाठ निश्चित रूप से सभी फलों को प्रदान करती है।
गज पर होगा मां भगवती का आगमन, भक्तों को मिलेगा चौमुखी लाभ
शास्त्रों के अनुसार, मां भगवती का आगमन जिस वाहन पर होता है, उसका गहरा महत्व होता है। इस वर्ष मां दुर्गा का आगमन गज (हाथी) पर हो रहा है। हाथी पर आगमन अत्यंत शुभ माना जाता है, जिससे भक्तों को चौमुखी कृपा, सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही, इस Navratri 2025 में दो अत्यंत शुभ योग बन रहे हैं—पहला सर्वार सिद्धि योग और दूसरा रवि पुष्य योग। सर्वार सिद्धि योग का अर्थ है कि इसमें किया गया कोई भी अनुष्ठान सभी फलों को देने वाला होता है। वहीं, रवि पुष्य योग बहुत लंबे समय बाद नवरात्रि में बना है। जो भी भक्त जिस कामना या भाव से मां की प्रार्थना करेगा, रवि पुष्य योग के प्रभाव से उसकी वह कामना निश्चित रूप से पूरी होगी। इसीलिए भक्तों को चाहिए कि वे इन 10 दिनों तक अपने जीवन में सुख, समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति के लिए पूर्ण समर्पण के साथ कलश की स्थापना करें और पूजा करें।
कलश स्थापना की सही विधि क्या है? स्टील के बर्तन से बचें
नवरात्रि की शुरुआत में कलश स्थापना पूजा का सर्वोपरि और प्रधान अंग है, क्योंकि कलश में सभी देवताओं का वास माना जाता है। कलश स्थापना के लिए सर्वोत्तम पात्र तांबे का, उसके बाद पीतल का, और फिर मिट्टी का होता है। यह ध्यान रखें कि पूजा में स्टील के कलश का प्रयोग बिलकुल भी न करें। कलश को जल और गंगाजल से भरकर, उस पर स्वास्तिक बनाकर, उसके कंठ में मोली बांधें। कलश के भीतर एक सुपारी, एक सिक्का (चांदी का हो तो उत्तम, अन्यथा सामान्य), अक्षत (चावल), दूर्वा, सप्तधान्य, पंच रत्नी, सर्व औषधि, चंदन, और अष्टगंध डालें। कलश के नीचे जौ बोने के लिए मिट्टी के पात्र का उपयोग करें। कलश के ऊपर पंच पल्लव (जैसे आम के पत्ते, जिन पर चंदन या स्वास्तिक बना हो) रखें, और उसके ऊपर प्लेट या ढक्कन में चावल/गेहूं रखें। सबसे महत्वपूर्ण है नारियल। नारियल जटा वाला होना चाहिए (छिला हुआ नहीं), और उसका मुख (त्रिनेत्र) आपकी तरफ होना चाहिए। नारियल आपकी हर प्रार्थना और हर मनोकामना को भगवती तक पहुँचाता है, इसीलिए उसे सही दिशा में रखना अनिवार्य है।
अखंड ज्योत प्रज्वलित करने के नियम और सावधानियां
मां दुर्गा की पूजा में अखंड ज्योत जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है, लेकिन इसके कुछ विशेष नियम होते हैं। अखंड ज्योत घी (अति उत्तम) की जलानी चाहिए, यदि घी उपलब्ध न हो, तो मजबूरी में तिल के तेल का प्रयोग कर सकते हैं। अखंड ज्योत प्रज्वलित करने का पहला नियम यह है कि आप घर को खाली नहीं छोड़ सकते, पूजा की अवधि में किसी एक व्यक्ति का घर में उपस्थित रहना अनिवार्य है। ज्योत की बाती (सुतरी) को अच्छे से तैयार किया जाना चाहिए ताकि वह जल्दी खंडित न हो या बुझे नहीं। यदि आप अखंड ज्योत जला रहे हैं, तो हमेशा पास में एक छोटा दिया जलाकर रखें। यदि किसी कारणवश मुख्य ज्योत खंडित हो जाती है (बुझ जाती है), तो पास वाले दीये की लौ से उसे तुरंत प्रज्वलित कर देना चाहिए, इससे वह खंडित नहीं मानी जाएगी। घी की ज्योत सदैव देवता के दाएं और आपके बाएं होनी चाहिए, जबकि तेल का दीपक आपके दाएं और देवता के बाएं होता है; इसकी दिशा का ध्यान रखें।
मां दुर्गा को कैसे करें प्रसन्न? व्रत और आहार शुद्धि का महत्व
पंडित जी बताते हैं कि मां के सामने कभी भी बहुत बड़े ज्ञानी या जानकार बनकर प्रार्थना नहीं करनी चाहिए। मां जगत का पालनहार हैं, और उन्हें अबोध बालक की भांति पुकारने पर वह शीघ्र प्रसन्न होती हैं। अपनी भावनाएं मां के प्रति शुद्ध और पवित्र रखें, क्योंकि भावो ही विद्यते देवो न पषाण न मडन मय—अर्थात भगवती भक्त की भावना पर वास करती हैं, पत्थर या सजावट पर नहीं। Navratri 2025 के 10 दिनों के दौरान आहार की शुद्धि बहुत जरूरी है। खान-पान में पूरी शुद्धता और पवित्रता बरतें, और तामसी प्रवृत्ति के खानपान को पूरी तरह त्याग दें। व्रत तीन प्रकार के रखे जाते हैं: जो लोग स्वस्थ हैं, वे एक बार फलाहार करके व्रत रखें; जो अधिक स्वस्थ नहीं हैं, वे सुबह और शाम फलाहार कर सकते हैं; और आवश्यकतानुसार तीन बार भी फलाहार किया जा सकता है। यदि व्रत नहीं भी कर सकते हैं, तो अन्न खाकर भी मां के प्रति समर्पित और भावुक रहें। पूजा का क्रम याद रखें: सर्वप्रथम गौर गणपति (सुपारी के भी बना सकते हैं) की स्थापना और पूजन करें, फिर कलश का पूजन करें, और अंत में मां दुर्गा को सामग्री अर्पित करें।
दुर्गा सप्तशती का पाठ: 10 दिनों में कैसे करें संपूर्ण पाठ
इस नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के पाठ का बहुत बड़ा महत्व है। यदि भक्त संस्कृत में पाठ नहीं कर पाते हैं, तो वह हिंदी में भी भगवती का पाठ अवश्य करें। चूंकि इस बार नवरात्रि 10 दिन की है, इसलिए भक्त 9 दिन में पूरा पाठ आसानी से संपन्न कर सकते हैं।
सप्तशती पाठ करने का विधान (पंडित जी के अनुसार):
- पहला भाग: कवच, कीलक, अर्गला के साथ प्रथम अध्याय तक पहुंचें।
- दूसरा भाग: दूसरे अध्याय से लेकर चौथे अध्याय तक का पाठ करें।
- तीसरा भाग: पंचम अध्याय से लेकर त्रयोदश अध्याय तक का पाठ करें।
कोशिश करें कि इन तीन भागों को अलग-अलग करके तीन दिन में पूरा कर लें, इससे आपको पूर्ण फल की प्राप्ति होगी। यदि यह व्यवस्था भी संभव न हो, तो मां आपकी व्यस्तता और परिस्थितियों से परिचित हैं। मां या भगवान हमारी किसी वस्तु के भूखे नहीं हैं; यदि हम उन्हें कुछ दे सकते हैं, तो वह केवल हमारा भाव है। मंत्रों में ओम ऐंग हिंग क्लीम चामुंडाय विच्छे (नवाण मंत्र) का जाप भी बहुत विशिष्ट फल देता है।
Conclusion
Navratri 2025 का यह 10 दिवसीय महापर्व भक्तों के लिए हर मनोकामना पूरी करने का स्वर्णिम अवसर है। मां दुर्गा का गज पर आगमन और विशिष्ट शुभ योग सुख-समृद्धि के द्वार खोलेंगे। कलश स्थापना, अखंड ज्योत के नियमों का पालन करने के साथ-साथ, सबसे महत्वपूर्ण है मां के प्रति आपका निश्छल और अबोध भाव। यदि आप सच्चे मन से मां की प्रार्थना करते हैं, तो चाहे आप बड़े अनुष्ठान कराएं या एक छोटे कमरे में दीवार पर तस्वीर लगाकर पूजा करें, आपको समान फल प्राप्त होगा। भविष्य में, यह उम्मीद की जाती है कि यह विशेष योग भक्तों को और भी अधिक आध्यात्मिक उन्नति और भौतिक लाभ दिलाएगा।
FAQs (5 Q&A):
Q1. Navratri 2025 में मां भगवती किस वाहन पर आ रही हैं? A. Navratri 2025 में मां भगवती का आगमन गज (हाथी) पर हो रहा है। गज पर मां का आना बहुत शुभ माना जाता है, जिससे भक्तों को चौमुखी सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Q2. इस बार Navratri 2025 में कौन सी तिथि बढ़ी हुई है? A. इस बार Navratri 2025 में तृतीया तिथि बढ़ी हुई है, जिसके कारण यह पर्व 9 के बजाय 10 दिनों का होगा। तिथियों की वृद्धि अपने आप में एक विशिष्ट मुहूर्त और शुभ योग का प्रतीक है।
Q3. कलश स्थापना के लिए कौन सा बर्तन सर्वोत्तम माना जाता है? A. कलश स्थापना के लिए सर्वोत्तम पात्र तांबे का होता है। तांबे के बाद पीतल और मिट्टी के कलश का भी प्रयोग किया जा सकता है। पंडित जी के अनुसार, किसी भी हाल में स्टील के बर्तन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
Q4. नारियल को कलश पर किस दिशा में रखना चाहिए? A. कलश पर रखे जाने वाले नारियल का मुख (जटा और त्रिनेत्र वाला भाग) हमेशा आपकी तरफ होना चाहिए। यह इसलिए आवश्यक है क्योंकि नारियल पूर्ण फल कहलाता है और आपकी मनोकामनाओं को भगवती तक पहुंचाता है।
Q5. अखंड ज्योत जलाने के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? A. अखंड ज्योत घी की जलाना सर्वोत्तम है। अखंड ज्योत के समय यह ध्यान रखना चाहिए कि घर खाली न हो (किसी एक व्यक्ति को रहना होगा), और यदि ज्योत खंडित हो जाए, तो पास में रखे जलते हुए छोटे दीपक से उसे तुरंत प्रज्वलित कर लेना चाहिए।