Karwa Chauth 2025: पति की लंबी आयु के लिए कब है करवा चौथ? जानें शुभ मुहूर्त और पूजन की संपूर्ण विधि
Karwa Chauth 2025 की सही तारीख, दिल्ली में शुभ मुहूर्त और पूजा विधि जानें। यह व्रत आपके पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए बेहद लाभकारी है।

By: दैनिक रियल्टी ब्यूरो | Date: 16 Sep 2025
पवित्र करवा चौथ 2025: सुहागिनों के लिए पति की दीर्घायु का महाव्रत, जानें दिल्ली में शुभ मुहूर्त और पूजा का विशेष विधान
हर वर्ष की तरह, इस बार भी करवा चौथ का पावन पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह व्रत न केवल पति-पत्नी के अटूट प्रेम का प्रतीक है बल्कि पति की लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य की कामना के साथ रखा जाता है। यह दिन महिलाओं के लिए सोलह श्रृंगार कर अपने आराध्य देवों की उपासना करने का एक सुनहरा अवसर होता है। दैनिक जागरण की विशेष रिपोर्ट में हम आपको करवा चौथ 2025 की सही तारीख, नई दिल्ली में शुभ मुहूर्त और संपूर्ण पूजा विधि का विस्तृत विवरण देंगे, ताकि आप इस पवित्र व्रत का पूरा लाभ उठा सकें और अपने दांपत्य जीवन में खुशहाली ला सकें। यह लेख पूर्णतः तथ्यों पर आधारित है और विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारियों को समाहित करता है।
Karwa Chauth 2025 कब है? जानें सही तारीख और दिल्ली में शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ का व्रत कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को कार्तिक मास में रखा जाता है। गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के अमंता कैलेंडर के अनुसार यह अश्विन मास में होता है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी राज्यों में यह व्रत एक ही दिन मनाया जाता है। वर्ष 2025 में करवा चौथ का व्रत शुक्रवार, 10 अक्टूबर को पड़ेगा। इस दिन चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य के बिना व्रत अधूरा माना जाता है। व्रत के नियम अत्यंत कठोर होते हैं, जिसमें महिलाएं सूर्योदय से चंद्रोदय तक बिना अन्न-जल ग्रहण किए उपवास रखती हैं। यह व्रत भगवान शिव और उनके परिवार, विशेषकर भगवान गणेश की पूजा के साथ संपन्न होता है।
नई दिल्ली, भारत के लिए करवा चौथ 2025 के कुछ महत्वपूर्ण समय इस प्रकार हैं:
- करवा चौथ पूजा मुहूर्त: शाम 05:57 बजे से शाम 07:11 बजे तक।
- अवधि: 1 घंटे 14 मिनट।
- करवा चौथ उपवास का समय: सुबह 06:19 बजे से रात 08:13 बजे तक।
- अवधि: 13 घंटे 54 मिनट।
- करवा चौथ के दिन चंद्रोदय: रात 08:13 बजे।
- चतुर्थी तिथि का आरंभ: 09 अक्टूबर 2025 को रात 10:54 बजे।
- चतुर्थी तिथि का समापन: 10 अक्टूबर 2025 को शाम 07:38 बजे।
ये सभी समय नई दिल्ली के स्थानीय समय के अनुसार हैं और यदि लागू हो तो इसमें डेलाइट सेविंग टाइम (DST) का समायोजन भी शामिल है।
करवा चौथ व्रत का महत्व और प्रचलित मान्यताएं
करवा चौथ का व्रत हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण उपवास है। इस दिन को 'करक चतुर्थी' के नाम से भी जाना जाता है। 'करवा' या 'करक' मिट्टी के उस पात्र को संदर्भित करता है जिससे चंद्रमा को जल का अर्घ्य दिया जाता है। पूजा के दौरान इस करवा का बहुत महत्व होता है और इसे ब्राह्मण या किसी योग्य महिला को दान भी किया जाता है। करवा चौथ का यह पावन पर्व उत्तर भारत के राज्यों में विशेष रूप से लोकप्रिय है, जबकि दक्षिण भारतीय राज्यों में भी इसी तरह के व्रत देखे जाते हैं, जैसे आंध्र प्रदेश में 'अटला तद्दी'। करवा चौथ का व्रत संकष्टी चतुर्थी के साथ भी पड़ता है, जो भगवान गणेश के लिए रखा जाने वाला उपवास का दिन है। इस दिन विवाहित महिलाएं पूरे विधि-विधान से देवी पार्वती, भगवान शिव, भगवान गणेश और कार्तिकेय की पूजा करती हैं।
व्रत का महत्व करवा चौथ व्रत कथा में विस्तार से वर्णित है, जिसे संध्या पूजा के समय समूह में सुना और सुनाया जाता है। यह कथा व्रती महिलाओं को व्रत के आध्यात्मिक और धार्मिक लाभों को समझने में मदद करती है, जिससे उनकी श्रद्धा और भक्ति में वृद्धि होती है। इस दिन महिलाएं 'सोलह श्रृंगार' करती हैं, जिसमें मेहंदी लगाना भी शामिल है, जिसे शुभता का प्रतीक माना जाता है।
करवा चौथ पूजा विधि: कैसे करें संपूर्ण व्रत और पाएं अखंड सौभाग्य
करवा चौथ का व्रत अत्यंत श्रद्धा और नियमों के साथ मनाया जाता है। Drik Panchang द्वारा प्रदान की गई प्रामाणिक पूजा विधि से आप इस व्रत को सहजता से पूर्ण कर सकती हैं। यह विधि संकल्प मंत्र, देवी पार्वती पूजा मंत्र और करवा दान मंत्र के साथ आती है। व्रत के दिन सूर्योदय से पूर्व सरगी ग्रहण की जाती है, जो सास द्वारा बहू को दी जाती है। इसके बाद, सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत का पालन किया जाता है।
पूजा विधि के कुछ प्रमुख चरण इस प्रकार हैं:
- संकल्प: सबसे पहले व्रत का संकल्प लें, जिसमें आप पति की लंबी उम्र के लिए व्रत का उल्लेख करेंगी।
- चौथ माता की पूजा: शाम के समय, विवाहित महिलाएं एक साथ इकट्ठा होती हैं और चौथ माता (देवी पार्वती) की पूजा करती हैं। यह पूजा भगवान शिव और उनके परिवार सहित भगवान गणेश को समर्पित होती है।
- करवा चौथ कथा: पूजा के दौरान करवा चौथ व्रत कथा (वीरवती और उसके सात भाइयों की कहानी) सुनी और सुनाई जाती है, जो व्रत के पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।
- करवे का महत्व: मिट्टी के करवे में जल भरकर रखा जाता है। इस करवे को पूजा में उपयोग किया जाता है और बाद में दान भी किया जाता है।
इस संपूर्ण प्रक्रिया में स्वच्छता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है, ताकि पूजा का फल पूर्ण रूप से प्राप्त हो सके।
चांद दर्शन और व्रत पारण: ऐसे करें व्रत का समापन
करवा चौथ व्रत का सबसे प्रतीक्षित क्षण चंद्रमा का उदय होना होता है। चंद्रोदय के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है। नई दिल्ली में करवा चौथ 2025 के दिन चंद्रमा रात 08:13 बजे दिखाई देगा। चंद्रोदय होने पर, महिलाएं छन्नी से पहले चंद्रमा को देखती हैं और फिर अपने पति को देखती हैं। इसके बाद, मिट्टी के करवे से चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है और पति के हाथों जल पीकर व्रत खोला जाता है। कुछ क्षेत्रों में इस दिन विशेष व्यंजन जैसे पूड़ी, हलवा आदि बनाए जाते हैं, जिन्हें प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। व्रत के पारण के बाद, भोजन ग्रहण किया जाता है, जिससे महिलाएं अपनी ऊर्जा पुनः प्राप्त करती हैं।
यह प्रक्रिया पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम और विश्वास को मजबूत करती है, क्योंकि यह पत्नी के त्याग और पति के प्रति प्रेम को दर्शाता है।
करवा चौथ से जुड़े अन्य प्रमुख व्रत और परंपराएं
करवा चौथ के साथ ही कई अन्य महत्वपूर्ण व्रत और परंपराएं भी जुड़ी हुई हैं जो भारतीय संस्कृति की विविधता को दर्शाती हैं। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र और अन्य क्षेत्रों में, करवा चौथ के दिन ही वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी रखा जाता है। इस व्रत में भगवान गणेश के वक्रतुंड स्वरूप की पूजा की जाती है, जो अष्ट विनायक रूपों में प्रथम माने जाते हैं।
इसके अतिरिक्त, करवा चौथ के चार दिन बाद 'अहोई अष्टमी' का व्रत मनाया जाता है। यह व्रत भी उत्तर भारत में माताओं द्वारा अपने बच्चों के कल्याण और लंबी आयु के लिए सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखा जाता है। करवा चौथ के मौके पर महिलाएं विभिन्न प्रकार की आकर्षक मेहंदी डिजाइन भी लगवाती हैं, जो इस त्योहार की शोभा बढ़ाती हैं। ये सभी परंपराएं भारतीय समाज में परिवार, प्रेम और त्याग के महत्व को रेखांकित करती हैं।
निष्कर्ष
करवा चौथ 2025 का पर्व, जो शुक्रवार, 10 अक्टूबर को नई दिल्ली में मनाया जाएगा, विवाहित महिलाओं के लिए अपने पति के प्रति अगाध प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। यह व्रत न केवल पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए रखा जाता है, बल्कि दांपत्य जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी लाता है। इस पावन दिन पर विधि-विधान से पूजा कर, व्रत कथा सुनकर और चंद्र दर्शन कर महिलाएं अपने व्रत को सफल बनाती हैं। भविष्य में भी यह परंपरा भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग बनी रहेगी, जो पीढ़ी दर पीढ़ी प्रेम और विश्वास के मजबूत बंधन को दर्शाती रहेगी।
FAQs
Q1: Karwa Chauth 2025 कब है और यह क्यों मनाया जाता है? A1: Karwa Chauth 2025 शुक्रवार, 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और दांपत्य जीवन की खुशहाली के लिए रखती हैं। यह पति-पत्नी के बीच के अटूट प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।
Q2: नई दिल्ली में करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है? A2: नई दिल्ली में Karwa Chauth 2025 के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:57 बजे से शाम 07:11 बजे तक है। इस दौरान पूजा करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
Q3: करवा चौथ के व्रत में क्या नहीं खाया जाता है? A3: करवा चौथ के व्रत में महिलाएं सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं, जिसका अर्थ है कि वे अन्न और जल की एक भी बूंद ग्रहण नहीं करतीं। इसे सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है।
Q4: करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय क्या है? A4: Karwa Chauth 2025 के दिन नई दिल्ली में चंद्रोदय रात 08:13 बजे होगा। चंद्रमा के दर्शन और उसे अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है।
Q5: करवा चौथ के दिन किस देवी-देवता की पूजा की जाती है? A5: करवा चौथ के दिन भगवान शिव और उनके परिवार, जिसमें देवी पार्वती (चौथ माता), भगवान गणेश और कार्तिकेय शामिल हैं, की पूजा की जाती है। चंद्रमा को भी विशेष रूप से अर्घ्य दिया जाता है.