Asia Cup 2025: बांग्लादेश की जीत में छिपे सवाल, हांगकांग को हराकर भी नेट रन रेट पर चिंता!

Asia Cup 2025 में बांग्लादेश ने हांगकांग को 7 विकेट से हराया। लिटन दास की कप्तानी और धीमी बल्लेबाजी पर सवाल, अगले श्रीलंका मैच की रणनीति पर चर्चा। NRR चिंता।

Sep 12, 2025 - 06:48
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Asia Cup 2025: बांग्लादेश की जीत में छिपे सवाल, हांगकांग को हराकर भी नेट रन रेट पर चिंता!
एशिया कप: बांग्लादेश बनाम हांगकांग मैच का विश्लेषण और आगामी चुनौतियों पर चर्चा

दैनिक रियल्टी ब्यूरो | Date: | 12/Sep/2025

Asia Cup 2025 के शुरुआती मुकाबले में बांग्लादेश ने हांगकांग को सात विकेट से हराकर भले ही अपने अभियान की जीत के साथ शुरुआत की हो, लेकिन इस विजय के बावजूद टीम के प्रदर्शन पर गहन सवालिया निशान खड़े हो गए हैं, जो क्रिकेट विशेषज्ञों और खेल प्रेमियों दोनों के बीच चिंता का विषय बन गए हैं। यह समझना अत्यंत आवश्यक है कि क्या यह जीत केवल आंकड़ों तक सीमित थी, अथवा इसके पीछे रणनीतिक कमियां और आगामी, अधिक चुनौतीपूर्ण मुकाबलों के लिए गहरी चुनौतियाँ भी छिपी हुई हैं। विशेषकर 'ग्रुप ऑफ डेथ' जैसी कठिन परिस्थितियों में, जहां नेट रन रेट (NRR) का प्रत्येक बिंदु निर्णायक साबित हो सकता है, बांग्लादेश की बल्लेबाजी की धीमी गति और डेथ ओवरों में अपनाई गई गेंदबाजी रणनीति पर वसीम जाफर जैसे प्रतिष्ठित क्रिकेट विश्लेषकों ने भी आश्चर्य व्यक्त किया है। यह मात्र एक मैच का परिणाम नहीं है, बल्कि आगामी श्रीलंका के विरुद्ध होने वाले 'करो या मरो' जैसे संघर्ष का एक महत्वपूर्ण पूर्व-संकेतक भी है। ऐतिहासिक रूप से देखें तो, 2014 में जब इन दोनों टीमों का पहली बार आमना-सामना हुआ था, तब हांगकांग ने बांग्लादेश को दो विकेट से हराकर चौंका दिया था। ग्यारह वर्षों के अंतराल के बाद एशिया कप में इन टीमों की वापसी और बांग्लादेश की इस जीत ने एक नए अध्याय की शुरुआत की है, फिर भी जिस अंदाज़ में यह विजय प्राप्त की गई, वह कई पहलुओं से विश्लेषणात्मक दृष्टि की मांग करती है। ईएसपी क्रिकेट टाइम आउट हिंदी पर वसीम जाफर ने विस्तार से इस मुकाबले का विश्लेषण करते हुए इंगित किया कि भले ही एसोसिएट टीमों के विरुद्ध मुकाबले जटिल होते हैं और बांग्लादेश ने जीत से शुरुआत करके एक मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल की है, लेकिन टीम निश्चित रूप से इस बात से असंतुष्ट होगी कि वे हांगकांग के सभी बल्लेबाजों को आउट करने में असमर्थ रहे और इस अपेक्षाकृत छोटे लक्ष्य को हासिल करने में उन्हें 17 से भी अधिक ओवरों का समय लगा। यह प्रदर्शन विशेष रूप से उस 'ग्रुप ऑफ डेथ' के संदर्भ में चिंता का विषय है, जहां हर ओवर और प्रत्येक रन का लेखा-जोखा भविष्य की संभावनाओं को सीधे प्रभावित करता है। टीम ने ना केवल हांगकांग को अनुमान से अधिक रन बनाने का अवसर प्रदान किया, बल्कि महत्वपूर्ण विकेट हासिल करने में भी अपेक्षित सफलता नहीं मिली, जो आने वाले अत्यधिक प्रतिस्पर्धी मुकाबलों के लिए एक गंभीर चेतावनी है।

Asia Cup: बांग्लादेश की जीत, पर प्रदर्शन पर सवालिया निशान

Asia Cup के इस अहम मुकाबले में बांग्लादेश ने हांगकांग पर सात विकेट की शानदार जीत दर्ज कर टूर्नामेंट में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। यह जीत उस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, जहां 2014 में अपनी पहली भिड़ंत में हांगकांग ने बांग्लादेश को दो विकेट से हराया था। 11 साल बाद एशिया कप में वापसी करने वाली इन दोनों टीमों के बीच इस संघर्ष में, बांग्लादेश की टीम ने अपनी श्रेष्ठता साबित तो की, लेकिन जिस अंदाज़ में यह जीत हासिल की गई, वह क्रिकेट पंडितों के लिए चर्चा का विषय बन गया है। वसीम जाफर ने ईएसपी क्रिकेट टाइम आउट हिंदी पर इस मुकाबले का विश्लेषण करते हुए बताया कि भले ही बांग्लादेश ने जीत से शुरुआत की हो, जो कि एक एसोसिएट टीम के सामने हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है, पर टीम निश्चित रूप से इस बात से नाखुश होगी कि वे हांगकांग को ऑल आउट नहीं कर पाए और लक्ष्य तक पहुंचने के लिए उन्हें 17 से ज़्यादा ओवर खेलने पड़े। यह प्रदर्शन विशेष रूप से 'ग्रुप ऑफ डेथ' में चिंता का विषय है, जहाँ हर ओवर और हर रन का महत्व है। टीम ने ना केवल हांगकांग को अनुमान से अधिक रन बनाने दिए बल्कि महत्वपूर्ण विकेट लेने में भी संघर्ष किया, जो भविष्य के कड़े मुकाबलों के लिए एक गंभीर संकेत है। बांग्लादेश के कप्तान लिटन दास की कुछ रणनीतियों पर भी सवाल उठाए गए हैं, जैसे कि 19वां ओवर इरशाद से और 20वां ओवर तस्कीन से कराना, जबकि आमतौर पर मुस्तफिजुर या तंजीम साकिब जैसे अनुभवी गेंदबाजों को डेथ ओवरों में देखा जाता है। यह एक प्रयोग था या रणनीतिक भूल, यह तो टूर्नामेंट में आगे ही स्पष्ट होगा।

बल्लेबाजी रणनीति: नेट रन रेट पर भारी पड़ी धीमी रफ्तार?

बांग्लादेश की बल्लेबाजी को देखें तो लिटन दास और तौहीद हृदय की साझेदारी ने टीम को जीत की दहलीज तक पहुंचाया, लेकिन इस साझेदारी की गति पर भी सवाल उठे हैं। शुरू में दो विकेट जल्दी गिरने के बाद, टीम ने संयम दिखाया, जो स्वाभाविक था, लेकिन 40-50 रनों की साझेदारी होने के बाद भी गति बढ़ाने का स्पष्ट इरादा नहीं दिखा। वसीम जाफर के अनुसार, लिटन दास ने शुरुआती 20-22 गेंदों में रन-अ-बॉल खेला और फिर गति पकड़ी, जबकि तौहीद हृदय लगभग पूरी पारी में रन-अ-बॉल ही रहे। यह धीमी बल्लेबाजी, विशेषकर जब टीम जानती है कि नेट रन रेट (NRR) आगे चलकर निर्णायक हो सकता है, तो यह परेशानी का सबब बन सकती है। जाफर ने इस बात पर जोर दिया कि बांग्लादेश को यह मैच कम से कम दो ओवर पहले खत्म करना चाहिए था, जिससे उनका NRR बेहतर हो पाता। 'ग्रुप ऑफ डेथ' में जहां अफगानिस्तान पहले ही नॉकआउट की रेस में एक कदम आगे दिख रही है, वहां श्रीलंका के खिलाफ होने वाला मुकाबला बांग्लादेश के लिए वस्तुतः एक नॉकआउट गेम बन गया है। ऐसे में, हर छोटे से छोटे पहलू पर ध्यान देना और आक्रामक बल्लेबाजी का प्रदर्शन करना बेहद ज़रूरी हो जाता है ताकि टीम पर अंतिम क्षणों में NRR का दबाव न पड़े और आगे के मुकाबलों में इसका सीधा फायदा मिल सके।

हांगकांग का संघर्ष: क्या यासिम मुर्तजा बदल सकते थे तस्वीर?

हांगकांग की पारी पर नज़र डालें तो ज़शान अली ने एक धीमी शुरुआत दिलाने की कोशिश की, जो शायद पिछले मुकाबले में अफगानिस्तान के खिलाफ बड़े अंतर से हारने के बाद विकेट न गंवाने की एक सचेत कोशिश थी। हालांकि, शुरुआती ओवरों में बेहद धीमी गति से खेलने के बाद, यासिम मुर्तजा ने आठ-नौ ओवरों के बाद पारी को गति देने की कोशिश की और खुद को बल्लेबाजी क्रम में ऊपर प्रमोट किया। उनकी आतिशी पारी ने हांगकांग को कुछ हद तक सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाने में मदद की, लेकिन अगर वह अंत तक खेलते तो टीम का स्कोर 20-25 रन और अधिक, यानी 150-160 के आसपास पहुंच सकता था। वसीम जाफर का मानना है कि ऐसे में मैच का रोमांच कुछ और ही होता और यह Asia Cup का मुकाबला अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकता था। मुर्तजा का रन आउट एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जहां दूसरे बल्लेबाज ने गेंद को देखते हुए अपनी विकेट बचाने का प्रयास नहीं किया। यह एक ऐसा मौका था जब हांगकांग अपनी पारी को मजबूत कर सकता था और बांग्लादेश के लिए लक्ष्य को और चुनौतीपूर्ण बना सकता था। मुर्तजा जैसे खिलाड़ी का अंत तक मैदान पर रहना अक्सर ऐसे मुकाबलों में हार और जीत के बीच का अंतर साबित होता है, और उनका बाहर होना हांगकांग के लिए दुर्भाग्यपूर्ण रहा, जिसने टीम को एक बड़े स्कोर से वंचित कर दिया।

बांग्लादेश की गेंदबाजी: तंजीम साकिब का उभरता सितारा और डेथ ओवर की पहेली

बांग्लादेश के गेंदबाजों ने निश्चित रूप से कुछ सकारात्मक प्रदर्शन किया, जिसमें तस्कीन अहमद, तंजीम हसन साकिब और इरशाद, तीनों ने दो-दो विकेट हासिल किए। इन गेंदबाजों में तंजीम हसन साकिब की गेंदबाजी ने विशेष रूप से प्रभावित किया, जहाँ उनकी बढ़िया लेंथ, शानदार पेस और बल्लेबाजों को चौंकाने की क्षमता स्पष्ट रूप से दिखाई दी। उन्होंने अपनी गति से बल्लेबाजों को हैरान किया और कुछ गेंदें तो इतनी उछाल भरी थीं कि लगभग कीपर के सिर के ऊपर से निकल गईं। उनके खेल में एक आक्रामक तेवर भी साफ नज़र आता है, जैसा कि उन्होंने हांगकांग के मुख्य बल्लेबाज बाबर हयात को आउट करके दिखाया। वसीम जाफर ने तंजीम साकिब के प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि उनमें एक बेहतरीन टैलेंट नजर आता है और संभवतः उनका एक-दो ओवर डेथ में रखा जा सकता था। हालांकि, लिटन दास की कप्तानी में डेथ ओवरों की रणनीति पर सवाल उठे, क्योंकि 19वां ओवर इरशाद से और 20वां ओवर तस्कीन से कराया गया, जबकि आमतौर पर मुस्तफिजुर रहमान या तंजीम साकिब जैसे गेंदबाज इन ओवरों में गेंदबाजी करते हैं। क्या यह सिर्फ एक प्रयोग था या आगे भी ऐसी ही रणनीति देखने को मिलेगी, यह देखना अभी बाकी है। तंजीम साकिब निश्चित रूप से बांग्लादेश के लिए एक भविष्य का सितारा बन सकते हैं, बशर्ते उन्हें सही दिशा और अवसर मिलें।

श्रीलंका से 'करो या मरो' का मुकाबला: आगे की राह और चुनौतियाँ

बांग्लादेश के लिए अब असली चुनौती श्रीलंका के खिलाफ आने वाले मुकाबले में होगी, जिसे वसीम जाफर ने वस्तुतः एक 'मस्ट विन गेम' या नॉकआउट मुकाबला करार दिया है। बांग्लादेश को हांगकांग पर मिली जीत से कुछ खास आत्मविश्वास नहीं मिला है, क्योंकि उन्हें इस प्रदर्शन से बेहतर करना होगा। श्रीलंका अपना पहला गेम खेलेगी, जबकि बांग्लादेश इस टूर्नामेंट में अपना दूसरा गेम खेल चुकी होगी, जिससे उन्हें परिस्थितियों से परिचित होने का फायदा मिलेगा। यह एक महत्वपूर्ण लाभ हो सकता है, क्योंकि श्रीलंका की टीम को नए सिरे से परिस्थितियों से तालमेल बिठाना होगा। जाफर के विश्लेषण के अनुसार, यदि बांग्लादेश यह गेम जीत जाता है, तो तीसरे गेम में किसी भी उलटफेर के बावजूद उनके आगे बढ़ने की संभावना बढ़ जाएगी। श्रीलंका के पास भले ही अपना नेट रन रेट सुधारने का एक और मौका होगा, लेकिन बांग्लादेश के लिए यह गेम निर्णायक साबित होगा। 'ग्रुप ऑफ डेथ' की जटिलताओं को देखते हुए, बांग्लादेश को न केवल जीत दर्ज करनी होगी, बल्कि अपने नेट रन रेट को भी बेहतर बनाने पर ध्यान देना होगा, क्योंकि यह मुकाबला उनके Asia Cup अभियान का भविष्य तय करेगा। बांग्लादेश को अपनी गलतियों से सबक लेकर श्रीलंका के खिलाफ एक सुनियोजित और आक्रामक रणनीति के साथ मैदान पर उतरना होगा।

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