BCCI का नया 'गंभीर चोट रिप्लेसमेंट' रूल: अब खेल नहीं रुकेगा!
BCCI ने लागू किया नया गंभीर चोट रिप्लेसमेंट रूल। घरेलू क्रिकेट में चोटिल खिलाड़ी की जगह अब मिलेगी उसी गुणवत्ता का खिलाड़ी, खेल का रोमांच होगा बरकरार।

नमस्ते! भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह खबर किसी बड़े रोमांच से कम नहीं है। अब मैदान पर चोटिल खिलाड़ी के बावजूद खेल का मज़ा बरकरार रहेगा। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने घरेलू क्रिकेट में एक ऐसा बड़ा बदलाव किया है, जिससे खेल की सुरक्षा और उत्साह दोनों सुनिश्चित होंगे। आइए, इस नए 'सीरियस इंजरी रिप्लेसमेंट' रूल को विस्तार से समझते हैं।
BCCI का नया 'गंभीर चोट रिप्लेसमेंट' रूल: अब खेल नहीं रुकेगा, रोमांच रहेगा बरकरार!
नई दिल्ली: भारतीय घरेलू क्रिकेट में एक ऐतिहासिक बदलाव किया गया है! भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने 'सीरियस इंजरी रिप्लेसमेंट रूल' लागू कर दिया है। यह नियम उस स्थिति के लिए बनाया गया है जब मैच के दौरान किसी खिलाड़ी को गंभीर चोट लग जाती है और वह आगे खेल नहीं पाता। अब ऐसे में उस खिलाड़ी की जगह उसी गुणवत्ता का दूसरा खिलाड़ी मैदान में उतर सकेगा, जिससे खेल का रोमांच बना रहेगा और दर्शकों का मज़ा खराब नहीं होगा। यह बड़ा कदम विशेष रूप से ऋषभ पंत और इंग्लैंड के क्रिस वोक्स की चोटों के बाद हुई बहस का परिणाम है।
क्या है 'सीरियस इंजरी रिप्लेसमेंट' रूल? इस नए नियम के तहत, यदि किसी खिलाड़ी को मैच के बीच फ्रैक्चर, गहरी चोट या डिसलोकेशन जैसी गंभीर चोट लगती है, तो वह मैच से बाहर हो जाएगा। ऐसी स्थिति में, टीम "लाइक-टू-लाइक रिप्लेसमेंट" की मांग कर सकती है। इसका सीधा अर्थ है कि यदि एक तेज गेंदबाज चोटिल होता है तो उसकी जगह दूसरा तेज गेंदबाज ही आएगा, और यदि विकेटकीपर चोटिल होता है तो उसकी जगह विकेटकीपर ही लेगा। यह सुनिश्चित करता है कि टीम को अनुचित फायदा न मिले।
कब और किन टूर्नामेंट्स में लागू होगा ये नियम? यह नियम 28 अगस्त से लागू हो चुका है। इसकी शुरुआत दिलीप ट्रॉफी और अंडर-19 सीके नायडू ट्रॉफी से हुई है। यानी, आने वाले क्रिकेट सीज़न में सीनियर और जूनियर दोनों बहु-दिवसीय घरेलू टूर्नामेंटों में खिलाड़ी रिप्लेस किए जा सकेंगे। यह नियम मैदान पर खिलाड़ियों की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करेगा।
क्यों पड़ी इस नए नियम की ज़रूरत? इस नियम की ज़रूरत तब महसूस हुई जब मैनचेस्टर टेस्ट में रिवर्स स्वीप खेलते हुए भारतीय खिलाड़ी ऋषभ पंत के पैर में फ्रैक्चर हो गया था। इसी तरह, नोवेल टेस्ट में इंग्लैंड के क्रिस वोक्स का कंधा खिसक गया था। इन घटनाओं ने क्रिकेट जगत में इस बात पर नई बहस छेड़ दी थी कि क्या गंभीर चोट की स्थिति में खिलाड़ी को रिप्लेस किया जाना चाहिए। भारत के कोच गौतम गंभीर ने रिप्लेसमेंट के पक्ष में आवाज़ उठाई थी, जबकि इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स इसके सख्त खिलाफ थे। इस बहस के बाद BCCI ने यह महत्वपूर्ण फैसला लिया।
कैसे लागू होगा मैदान पर ये नियम? यह नियम एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत लागू होगा। चोट खेल के दौरान और मैदान की सीमाओं के भीतर ही लगनी चाहिए। कौन सा खिलाड़ी रिप्लेस होगा और कौन रिप्लेसमेंट बनेगा, इसका अंतिम फैसला मैदान के अंपायर लेंगे। ज़रूरत पड़ने पर मैच रेफरी और डॉक्टर से भी सलाह ली जाएगी। टीम के मैनेजर को मैच रेफरी को एक फॉर्म देना होगा, जिसमें चोटिल खिलाड़ी का नाम, चोट लगने का समय, चोट की गंभीरता और रिप्लेसमेंट खिलाड़ी का नाम लिखा होगा। रिप्लेसमेंट खिलाड़ी उन्हीं नियमित सब्स्टीट्यूट्स में से चुना जाएगा जो टॉस से पहले दिए गए थे।
विकेटकीपर के लिए खास प्रावधान और मंज़ूरी की शर्तें विकेटकीपरों के लिए एक विशेष प्रावधान किया गया है। यदि कोई विकेटकीपर गंभीर रूप से चोटिल हो जाता है और टीम के नियमित सब्स्टीट्यूट्स में कोई दूसरा विकेटकीपर नहीं है, तो मैच रेफरी किसी अन्य खिलाड़ी को कीपिंग की अनुमति दे सकता है। हालांकि, हर रिक्वेस्ट मंज़ूर नहीं होगी। मैच रेफरी रिप्लेसमेंट तभी मंज़ूर करेंगे जब नया खिलाड़ी उतना ही सक्षम होगा जितना चोटिल खिलाड़ी था। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि टीम को कोई अनुचित फायदा न मिले। यदि मैच रेफरी को लगता है कि रिप्लेसमेंट से टीम को बड़ा लाभ होता है, तो वे खास शर्तें भी लगा सकते हैं। अंततः, मैच रेफरी का फैसला फाइनल होगा और किसी भी टीम को अपील का अधिकार नहीं होगा। एक बार रिप्लेसमेंट मंज़ूर हो गया तो चोटिल खिलाड़ी मैच में आगे हिस्सा नहीं ले पाएगा।
रिकॉर्ड्स पर क्या होगा असर? एक दिलचस्प बात यह है कि रिप्लेसमेंट और रिप्लेस हुआ खिलाड़ी, दोनों को रिकॉर्ड्स और स्टैट्स के लिहाज़ से मैच खेला हुआ माना जाएगा। इस नए नियम से भारतीय क्रिकेट में चोट से खेल का मज़ा खराब नहीं होगा।
FAQs:
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Q1: 'सीरियस इंजरी रिप्लेसमेंट' रूल क्या है? A1: यह BCCI द्वारा लागू एक नया नियम है, जिसमें मैच के दौरान गंभीर चोट (जैसे फ्रैक्चर या डिसलोकेशन) लगने पर चोटिल खिलाड़ी की जगह उसी गुणवत्ता का दूसरा खिलाड़ी मैदान में उतर सकता है।
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Q2: यह नियम कब से लागू हुआ और किन टूर्नामेंट्स में लागू है? A2: यह नियम 28 अगस्त से लागू हुआ है और इसकी शुरुआत दिलीप ट्रॉफी व अंडर-19 सीके नायडू ट्रॉफी से हुई है। यह सीनियर और जूनियर दोनों बहु-दिवसीय घरेलू टूर्नामेंट्स पर लागू होगा।
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Q3: खिलाड़ी के रिप्लेसमेंट का अंतिम फैसला कौन लेता है? A3: खिलाड़ी के रिप्लेसमेंट का अंतिम फैसला मैदान के अंपायर लेते हैं। ज़रूरत पड़ने पर मैच रेफरी और डॉक्टर से भी सलाह ली जा सकती है, और मैच रेफरी का फैसला फाइनल होता है।
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Q4: क्या विकेटकीपर के रिप्लेसमेंट के लिए कोई खास नियम है? A4: हाँ, यदि टीम के नियमित सब्स्टीट्यूट्स में दूसरा विकेटकीपर नहीं है और पहला विकेटकीपर गंभीर रूप से चोटिल हो जाता है, तो मैच रेफरी किसी अन्य खिलाड़ी को कीपिंग करने की अनुमति दे सकता है।
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Q5: क्या रिप्लेसमेंट के बाद चोटिल और रिप्लेसमेंट खिलाड़ी दोनों के रिकॉर्ड गिने जाएंगे? A5: हाँ, यह एक दिलचस्प बात है कि रिप्लेसमेंट और रिप्लेस हुआ खिलाड़ी दोनों को रिकॉर्ड्स और स्टैट्स के लिहाज़ से मैच खेला हुआ माना जाएगा।
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