Gmail बंद होगा? खान सर के बयान पर मचा बवाल, क्या वाकई रुक जाएगा आपका UPI पेमेंट? जानें सच्चाई

Gmail बंद होगा? जानें भारत में गूगल सेवाओं की असलियत और UPI पर असर। तकनीकी तथ्य और कानून क्या कहते हैं, पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

Sep 7, 2025 - 19:10
Sep 7, 2025 - 19:11
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Gmail बंद होगा? खान सर के बयान पर मचा बवाल, क्या वाकई रुक जाएगा आपका UPI पेमेंट? जानें सच्चाई
Gmail बंद होगा?

By: दैनिक रियल्टी ब्यूरो | Date: | 07 Sep 2025

सोशल मीडिया पर इन दिनों एक सवाल आग की तरह फैल रहा है जिसने करोड़ों भारतीयों की नींद उड़ा दी है – क्या सच में अमेरिका भारत में Gmail बंद करने की सोच रहा है? और अगर Gmail बंद हुआ तो क्या हमारा PhonePe, Paytm, Google Pay और भीम जैसे UPI पेमेंट भी रुक जाएंगे? यह बहस देश के जाने-माने शिक्षक खान सर के एक वायरल वीडियो से शुरू हुई, जिसमें उन्होंने आशंका जताई थी कि अगर अमेरिका चाहे तो टेक्नोलॉजी के दम पर भारत को जमीन पर ला सकता है और Gmail बंद करके पूरे सिस्टम को ठप कर सकता है। इस बयान ने देश भर में एक बड़ी बहस छेड़ दी है, जिससे आम लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। क्या खान सर का यह दावा पूरी तरह सही है, या इसे गलत समझ लिया गया है? सबसे बड़ा सवाल यह कि क्या किसी अमेरिकी राष्ट्रपति के पास भारत में Gmail जैसी सेवा को बंद करने का अधिकार है? ताजा रिपोर्ट की यह खास पड़ताल आपको बताएगी इन सभी सवालों के जवाब, तथ्यों और कानूनों की रोशनी में, ताकि आप सच्चाई को समझ सकें और किसी भी गलतफहमी से बच सकें। यह समझना बेहद जरूरी है कि हमारी डिजिटल निर्भरता कितनी बड़ी है और क्या हम वाकई इतने कमजोर हैं। आइए, इस गंभीर मुद्दे की गहराई में उतरते हैं।

Gmail बंद होगा तो क्या UPI भी रुक जाएगा? जानें तकनीकी सच

सोशल मीडिया पर सबसे बड़ी गलतफहमी यह है कि अगर Gmail बंद हुआ तो उसके साथ ही UPI पेमेंट भी रुक जाएंगे, लेकिन तकनीकी रूप से यह बात बिल्कुल सही नहीं है। हमें सबसे पहले Gmail और UPI के बुनियादी रिश्तों को समझना होगा। Gmail, गूगल द्वारा प्रदान की जाने वाली एक ईमेल सेवा है, जो दुनिया भर में करोड़ों लोग इस्तेमाल करते हैं। वहीं, UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) भारत का अपना स्वदेशी भुगतान इंफ्रास्ट्रक्चर है, जिसका संचालन नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) करती है। NPCI एक गैर-लाभकारी संस्था है जिसे वर्ष 2008 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और भारतीय बैंक संघ ने मिलकर बनाया था। इसका मुख्य उद्देश्य पूरे भारत में डिजिटल भुगतान को आसान, सुरक्षित और तेज बनाना है।

जब भी आप UPI के माध्यम से कोई भुगतान करते हैं, चाहे वह भीम ऐप, PhonePe, Paytm या Google Pay से हो, तो वह लेनदेन NPCI के भारतीय डाटा सेंटर्स पर प्रोसेस होता है, न कि गूगल के सर्वर पर। रिजर्व बैंक ने साफ आदेश दिया है कि भारत में सभी पेमेंट डाटा भारत के भीतर ही स्टोर किए जाएं। इसका सीधा मतलब यह है कि तकनीकी तौर पर Gmail के बंद होने का UPI पर कोई सीधा असर नहीं पड़ता है। लोग अक्सर यह मान लेते हैं कि क्योंकि Google Play Store और Gmail एक ही कंपनी से जुड़े हैं, तो अगर Gmail ब्लॉक हो जाएगा तो बाकी सेवाएं भी बंद हो जाएंगी। हालांकि, यह सच है कि Gmail और Play Store अलग-अलग सेवाएं हैं। हां, अगर गूगल पर कोई बहुत बड़ा अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लग जाए, तो Android इकोसिस्टम प्रभावित हो सकता है, लेकिन Gmail का बंद होना और UPI का बंद होना, इन दोनों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। इसलिए, यह डर कि Gmail बंद होने से आपका UPI पेमेंट रुक जाएगा, एक सामान्य गलतफहमी से ज्यादा कुछ नहीं है।

क्या अमेरिकी राष्ट्रपति के पास है भारत में Gmail बंद करने का अधिकार?

यह एक बेहद महत्वपूर्ण सवाल है कि क्या अमेरिका के राष्ट्रपति, चाहे वे डोनाल्ड ट्रंप हों या कोई और, भारत में Gmail जैसी सेवाओं को बंद करने का अधिकार रखते हैं। इसका सीधा और स्पष्ट जवाब है – नहीं। Gmail, गूगल की एक निजी सेवा है और गूगल बेशक एक अमेरिकी कंपनी है, लेकिन भारत जैसे विशाल बाजार में अपनी सेवाएं चलाने के लिए उसे भारत सरकार के नियमों और कानूनों का पालन करना होता है। किसी भी संप्रभु देश में किसी भी ऑनलाइन सेवा को ब्लॉक करने या बंद करने का अधिकार केवल उस देश की सरकार के पास होता है। भारत में यह अधिकार सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 (IT Act) की धारा 69A के तहत सरकार को मिला हुआ है। इसका अर्थ यह है कि अगर भारत में कभी Gmail को बंद करने का फैसला लेना पड़ा, तो यह निर्णय केवल और केवल भारत सरकार ही लेगी, न कि अमेरिका का कोई राष्ट्रपति।

हालांकि, यह भी सच है कि अमेरिका अप्रत्यक्ष रूप से दबाव डाल सकता है। अमेरिका के पास 'इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट 1977' (IEPA) नाम का एक कानून है। इस कानून के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति यह घोषणा कर सकते हैं कि किसी देश की कुछ सेवाएं या कंपनियां अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं। इसके बाद वे अमेरिकी कंपनियों को आदेश दे सकते हैं कि वे उन देशों में अपनी सेवाएं बंद कर दें। 2020 में, ट्रंप प्रशासन ने इसी कानून का इस्तेमाल TikTok और WeChat पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की थी। यानी, अमेरिका यह तो कह सकता है कि Google जैसी अमेरिकी कंपनियां भारत में अपनी सेवाएं न दें, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या Google खुद ऐसा कदम उठाएगा? क्या Google भारत जैसे एक विशाल और महत्वपूर्ण बाजार से बाहर हो जाएगा? इसका जवाब है, संभव नहीं। Google की कमाई का एक बहुत बड़ा हिस्सा भारत जैसे देशों से आता है। ऐसे में Google कभी भी खुद यह फैसला नहीं करेगा कि वह भारत छोड़ दे, क्योंकि यह उसके अपने व्यवसाय के लिए बहुत बड़ा नुकसान होगा।

खान सर का बयान: सच्चाई और संदर्भ को समझना जरूरी

देश के मशहूर शिक्षक खान सर का वायरल वीडियो और उसमें Gmail बंद होने की बात ने बेशक एक बड़ी बहस छेड़ दी है। खान सर अपनी पढ़ाने की अनूठी शैली और जटिल विषयों को आसान भाषा में समझाने के लिए जाने जाते हैं, जिस पर लोग भरोसा करते हैं। उनके इरादे पर सवाल उठाना सही नहीं होगा। उनका मकसद शायद यह समझाना था कि अमेरिका टेक्नोलॉजी पर बहुत हद तक नियंत्रण रखता है, और अगर भारत और अमेरिका के रिश्ते कभी बहुत खराब होते हैं, तो अमेरिका के पास भारत पर दबाव डालने के कई तरीके मौजूद हैं। Gmail का उदाहरण उन्होंने इसी संदर्भ में दिया था, ताकि लोगों को यह समझाया जा सके कि डिजिटल निर्भरता एक गंभीर खतरा है।

हालांकि, यह मान लेना कि Gmail बंद होगा तो UPI भी रुक जाएगा, यह तकनीकी रूप से सही नहीं है, जैसा कि हमने पहले भी देखा। एक शिक्षक होने के नाते, खान सर का उद्देश्य अक्सर जटिल बातों को सरल भाषा में समझाना होता है। कई बार इस कोशिश में, कुछ बातें तकनीकी विवरणों से थोड़ी अलग हो सकती हैं, लेकिन उनका मूल संदेश हमेशा भारत को मजबूत बनाने की दिशा में ही होता है। उनके बयान का असली महत्व यह है कि उन्होंने भारत की डिजिटल निर्भरता के खतरे को उजागर किया और हमें टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की दिशा में सोचने के लिए प्रेरित किया।

अगर Gmail बंद हुआ तो क्या होगा? अन्य सेवाओं पर असर

अगर Gmail सच में बंद हो जाए, तो बेशक यह एक बड़ा झटका होगा, लेकिन भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से ठप नहीं करेगा। अगर Gmail बंद भी होता है, तो आपके अन्य ईमेल अकाउंट्स जैसे Yahoo, Outlook या भारत की अपनी नई ईमेल सेवाएं काम करती रहेंगी। मुख्य परेशानी उन लोगों को हो सकती है जो कई ऐप्स या वेबसाइटों पर 'Sign in with Google' का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में उन्हें लॉगिन करने में दिक्कत आ सकती है, लेकिन इसका भी विकल्प मौजूद है। आप सीधे अपने फोन नंबर या किसी दूसरे ईमेल से लॉगिन कर सकते हैं।

यहां एक और गलतफहमी को दूर करना जरूरी है। कई लोग मानते हैं कि Gmail बंद होने का मतलब है पूरा Google बंद हो जाना। यह समझना होगा कि Gmail गूगल की केवल एक सेवा है, जबकि Google एक विशाल कंपनी है। अगर Gmail बंद होता है, तो इसका मतलब यह नहीं कि पूरा Google ही बंद हो गया। इसी तरह, अगर Play Store बंद भी हो जाए, तो भी आपके फोन में पहले से इंस्टॉल किए गए ऐप्स काम करते रहेंगे। हां, आप नए ऐप्स डाउनलोड नहीं कर पाएंगे या मौजूदा ऐप्स को अपडेट नहीं कर पाएंगे, लेकिन UPI जैसे बुनियादी लेनदेन पहले की तरह ही चलते रहेंगे। इसलिए, Gmail का बंद होना एक असुविधा जरूर पैदा करेगा, लेकिन यह भारत के पूरे डिजिटल इकोसिस्टम को ध्वस्त नहीं कर सकता।

भारत की डिजिटल आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम और चुनौतियाँ

खान सर के बयान ने भले ही एक डर पैदा किया हो, लेकिन इसका सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू यह है कि इसने भारत को टेक्नोलॉजी के मामले में आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता पर फिर से ध्यान केंद्रित कराया है। असल में, टेक्नोलॉजी पर अमेरिका का दबदबा इतना अधिक है कि लोग मान बैठते हैं कि अगर अमेरिका चाहे तो सब कुछ बंद कर सकता है। लेकिन सच यह है कि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल आत्मनिर्भरता की दिशा में कई बड़े और निर्णायक कदम उठाए हैं।

डाटा लोकलाइजेशन इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहां रिजर्व बैंक ने साफ आदेश दिया है कि सभी पेमेंट डाटा भारत के भीतर ही स्टोर किए जाएं। आज UPI एक ऐसा मॉडल बन गया है जिसे पूरी दुनिया अपनाना चाहती है। सिंगापुर, यूएई, नेपाल, भूटान जैसे देशों ने UPI के साथ समझौते किए हैं, जो हमारी स्वदेशी तकनीक की सफलता का प्रमाण है। आधार से लेकर DigiLocker, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन से लेकर UPI तक, भारत ने दिखा दिया है कि अगर हम ठान लें, तो दुनिया को चौंका सकते हैं। चीन के पास अपना खुद का ऐप स्टोर, सर्च इंजन और ईमेल सेवाएं हैं, और रूस ने भी अपने वैकल्पिक सिस्टम तैयार किए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत क्यों पीछे रहे?

भारत सरकार ने इस दिशा में काम भी शुरू कर दिया है। SANDES और KOO जैसे ऐप्स WhatsApp और Twitter का विकल्प बनने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं Indus App Bazaar जैसे प्लेटफॉर्म Play Store का विकल्प बनने की कोशिश में हैं। हालांकि, यह सफर लंबा है और इसमें कई चुनौतियाँ हैं, खासकर उपयोगकर्ताओं की आदतों को बदलना। Gmail का इंटरफेस, उसकी स्पीड और उसका इंटीग्रेशन इतना मजबूत है कि यूज़र्स को उससे बाहर निकालना मुश्किल है, लेकिन यह असंभव नहीं है। अगर भारत सरकार और भारतीय कंपनियां मिलकर एक ऐसा सुरक्षित, तेज और जरूरतें पूरी करने वाला प्लेटफॉर्म तैयार करें, तो भारतीय यूजर उसे जरूर अपनाएंगे। टेक्नोलॉजी के मामले में किसी पर निर्भर रहना ही सबसे बड़ा जोखिम है, और यही आत्मनिर्भरता का असली मतलब है।

इस पूरी बहस का निष्कर्ष यही है कि जहां तक Gmail के बंद होने से UPI पर सीधा असर पड़ने की बात है, तो यह तकनीकी रूप से गलत है। हमारा UPI सिस्टम मजबूत और स्वदेशी है। लेकिन खान सर के बयान का गहरा संदेश यह था कि भारत को अपनी डिजिटल निर्भरता कम करनी चाहिए और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में पूरी तरह आत्मनिर्भर होना चाहिए। भारत सरकार इस दिशा में लगातार प्रयास कर रही है, और ऐसी बहसें जनता और सरकार दोनों को जागरूक रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। भविष्य में किसी भी अप्रत्याशित परिस्थिति से निपटने के लिए हमें हमेशा अपने विकल्प तैयार रखने होंगे, ठीक वैसे ही जैसे हमने TikTok पर प्रतिबंध लगने के बाद किया था।

Dainik Realty News Desk Neeraj Ahlawat & Dainik Realty News के संस्थापक और मुख्य लेखक (Founder & Lead Author) हैं। वह एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया से जुड़े हुए हैं। राजनीति, अर्थव्यवस्था, समाज और संस्कृति जैसे विविध विषयों पर उनकी गहरी समझ और निष्पक्ष रिपोर्टिंग ने उन्हें पाठकों के बीच एक भरोसेमंद नाम बना दिया है। पत्रकारिता के साथ-साथ Neeraj एक डिजिटल मार्केटिंग कंसल्टेंट भी हैं। उन्हें SEO, Google Ads और Analytics में विशेषज्ञता हासिल है। वह व्यवसायों, सामाजिक संगठनों और चैरिटी संस्थाओं को डिजिटल माध्यम से बढ़ने में मदद करते हैं। उनका मिशन है – सस्टेनेबल बिज़नेस, गैर-लाभकारी संस्थाओं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने वाले संगठनों को सशक्त बनाना, ताकि वे सही दिशा में अधिक से अधिक लोगों तक पहुँच सकें। Neeraj Ahlawat का मानना है कि पारदर्शिता, विश्वसनीयता और निष्पक्ष पत्रकारिता ही किसी भी मीडिया प्लेटफ़ॉर्म की सबसे बड़ी ताकत है। इसी सोच के साथ उन्होंने Dainik Realty News की शुरुआत की, जो आज पाठकों को सटीक, भरोसेमंद और प्रभावशाली समाचार उपलब्ध कराता है।