मदनहेड़ी में 'नंगाधारी चोर' का साया: ग्रामीणों की नींद उड़ी, पुलिस पर लापरवाही का आरोप
मदनहेड़ी में 'नंगाधारी चोर' का आतंक! ग्रामीणों ने दिया 1100 रुपये इनाम का ऑफर, पुलिस पर लापरवाही का आरोप। जानिए पूरी खबर।

लेखक: नीरज कुमार
मदनहेड़ी, 09 अगस्त 2025
हरियाणा के मदनहेड़ी गांव में एक रहस्यमय 'नंगाधारी चोर' ने आतंक मचा रखा है। पिछले चार दिनों से यह शातिर चोर ग्रामीणों की नींद छीन रहा है। 150-200 युवा मिलकर भी उसे नहीं पकड़ पा रहे, जिसके बाद ग्रामीण उसे 'इच्छाधारी' कहने लगे हैं। आंखों के सामने पल भर में गायब हो जाने की उसकी क्षमता हैरान करती है।
चोर की पहचान और हैरतअंगेज करतूतें
सूत्रों के मुताबिक, इस चोर की पहचान फरमाना गांव के नीरज के रूप में हुई है, जो चमार समाज से ताल्लुक रखता है। ग्रामीण बताते हैं कि वह चोरी के वक्त पूरी तरह नंगा होकर घरों में घुसता है। उसकी हरकतें और भी चौंकाने वाली हैं:
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वह जमीन पर ही नहीं, पानी में गोता लगाकर गायब हो जाता है।
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फ्रिज से 2-3 किलो दूध और जमी दही चट कर जाता है, मानो "पेट पूजा" उसकी पहली प्राथमिकता हो।
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ग्रामीणों के अनुसार, वह एक सेकंड दिखता है और अगले पल अदृश्य हो जाता है।
ग्रामीणों का हताश विद्रोह, पुलिस पर सवाल
लगातार घटनाओं से तंग आकर युवाओं ने चोर को खुली चुनौती दी है: "रात को आओ, 1100 या 1121 रुपये इनाम मिलेगा!" ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस घोर लापरवाही बरत रही है:
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तीन रातों से जागकर पहरा दे रहे युवाओं को न पुलिस का सहयोग मिला, न बुजुर्गों का।
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चोर का पता और पकड़े जाने के बावजूद चुराई गई बाइक नहीं मिली।
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डेढ़ साल पहले भी यही चोर पकड़ा गया था, लेकिन तब भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जातीय आशंका और आंतरिक साजिश?
चोर के चमार समाज से जुड़े होने के कारण ग्रामीण एससी/एसटी एक्ट के दुरुपयोग से डरे हुए हैं। उनका कहना है: "यह रामबाण हथियार है – पकड़े गए तो हम पर केस होगा!" साथ ही, संदेह जताया जा रहा है कि गांव का कोई शख्स चोर को पनाह दे रहा है। उसे अलग-अलग वेशभूषा में और कभी स्प्लेंडर बाइक पर देखे जाने की बात सामने आई है।
गांव में बढ़ता अराजकता का डर
इस 'फरमानिया चोर' के नाम का फायदा उठाकर स्थानीय छोटे चोर भी सक्रिय हो गए हैं। ग्रामीण इन्हें "समकी चोर" बुलाते हैं, जो सामान्य चीजें (बाल्टी, मोटर, पंखे) चुराते हैं। अब उन्हें लगता है कि सारा दोष नीरज पर मढ़ा जाएगा।
अब क्या?
मदनहेड़ी के युवा रात-दिन पहरा दे रहे हैं, लेकिन उन्हें सरकारी तंत्र और समाज दोनों के समर्थन की जरूरत है। पुलिस की चुप्पी और चोर की गतिविधियां गांव में सामूहिक असुरक्षा की भावना पैदा कर रही हैं।