सौरभ द्विवेदी: 'द लल्लनटॉप' की साख पर सवाल, क्यों घट रहे सब्सक्राइबर?
लल्लनटॉप विवाद: सौरभ द्विवेदी पर 'दलाली' के आरोप, पत्रकार छोड़ रहे साथ; क्या खत्म हो रहा निष्पक्षता का दौर?

'द लल्लनटॉप' की साख खतरे में, सौरभ द्विवेदी पर गंभीर आरोप
एक समय बेबाक पत्रकारिता के लिए जाना जाने वाला 'द लल्लनटॉप' आजकल विवादों के घेरे में है। जनता द्वारा 'द लल्लनटॉप' का खिताब पाने वाला यह मंच अब 'सत्ता की गोद में बैठकर चाटुकारिता' के आरोप झेल रहा है। इन गंभीर आरोपों का मुख्य ठीकरा 'द लल्लनटॉप' के संपादक सौरभ द्विवेदी के सिर फोड़ा जा रहा है, जिन पर अपनी पत्रकारिता को 'कौड़ियों के दाम में बीजेपी के सामने बेचने' का आरोप है। इस 'कायापलट' ने सौरभ द्विवेदी के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं, क्योंकि उनके कई साथी अब उनका साथ छोड़कर जा रहे हैं। यह ब्रेकिंग न्यूज़ उन दर्शकों और पाठकों के लिए महत्वपूर्ण है जो निष्पक्ष पत्रकारिता को महत्व देते हैं और मीडिया की बदलती भूमिका को समझना चाहते हैं।
अमित शाह संग वायरल डिनर: विवाद की शुरुआत
'द लल्लनटॉप' की साख पर सवाल उठने की शुरुआत तब हुई जब सौरभ द्विवेदी ने एक खास डिनर पार्टी अटेंड की। कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर एक तस्वीर तेजी से वायरल हुई थी, जिसमें सौरभ द्विवेदी गृह मंत्री अमित शाह के साथ डिनर का लुत्फ उठाते नजर आए। इस तस्वीर में उनके खास दोस्त अभिनव पांडे भी साथ थे। इस तस्वीर को देखकर लोग दंग रह गए, क्योंकि सौरभ, जो कभी सरकार पर सवाल उठाने का 'ढोंग' करते थे, अब शाह साहब के सामने '90 डिग्री झुके हुए' दिख रहे थे। सौरभ ने सफाई में कहा कि यह भारत मंडप में एक 'अनौपचारिक मीटिंग' थी, जहां बीजेपी ने कई पत्रकारों को बुलाया था और वे भी बस वहां गए थे। हालांकि, इस सफाई के बाद भी सवाल उठे कि अगर बात इतनी सी थी तो यह तस्वीर 'इतना क्यों बोल रही' और उस डिनर में 'ऐसी कौन सी खिचड़ी पकी' कि 'लल्लनटॉप का रंग बदल गया'।
लल्लनटॉप में विद्रोह: साथी क्यों छोड़ रहे साथ?
सौरभ द्विवेदी पर लगे चाटुकारिता के आरोपों ने उनके सामने एक नई समस्या खड़ी कर दी है: उनके करीबी साथी उनका साथ छोड़ रहे हैं। इसमें एक बड़ा नाम अभिनव पांडे का है, जिन्हें सौरभ द्विवेदी का बेहद करीबी माना जाता था, लेकिन अब वे 'लल्लनटॉप' छोड़ चुके हैं। अभिनव अकेले नहीं गए, उनके साथ 'एक-एक कर कई पत्रकारों' ने सौरभ द्विवेदी का साथ छोड़ दिया है। इसकी एक बड़ी वजह 'लल्लनटॉप की बिक्री' बताई जा रही है। सौरभ द्विवेदी के 'ईमान बेचने' के बाद से जो लोग उन्हें 'सच्चा पत्रकार मानते थे' वे उनसे नाराज चल रहे हैं, और यही कारण है कि कई लोग अब उनका साथ छोड़ चुके हैं। जब जनता ने सौरभ को ट्रोल करना शुरू किया, तो अभिनव पांडे बचाव में कूद पड़े थे। लेकिन बचाव करते-करते अभिनव ने एक ऐसा ट्वीट कर दिया कि उनकी 'भी पोल खुल गई'। अभिनव ने कहा था कि जो लोग सौरभ को ट्रोल कर रहे हैं उनकी 'रोजी-रोटी हमारे सहारे चलती है'। इस ट्वीट के बाद जनता ने अभिनव को भी 'लपेटे में लिया' और 'खूब खरी-खोटी सुनाई'। शायद इसी के बाद अभिनव को समझ आ गया कि 'चाटुकारिता कितनी महंगी है', और इसीलिए उन्होंने सौरभ से अपना रास्ता अलग कर लिया।
सौरभ द्विवेदी का बीजेपी प्रेम: पुरानी बात या नई चाल?
सूत्रों के अनुसार, सौरभ द्विवेदी का बीजेपी प्रेम कोई नई बात नहीं है, बल्कि यह 'उनके खून में' है। जानकारी के मुताबिक, सौरभ ने अपनी पढ़ाई सरस्वती शिशु मंदिर से की है, जो कि आरएसएस का स्कूल है। वे बचपन से ही आरएसएस की शाखाओं में जाते रहे हैं। इतना ही नहीं, उनके पिता भी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। उनके घर में बीजेपी और आरएसएस के नेताओं का आना-जाना लगा रहता है। शायद इन्हीं वजहों से सौरभ हर चुनाव में 'अंदर खाने से बीजेपी के लिए माहौल बनाने में जुट जाते हैं'। पिछले कुछ सालों से वे बस 'निष्पक्ष होने का दिखावा कर रहे थे' और कुछ भी नहीं। लेकिन 'शाही भोज' के बाद से सौरभ 'खुलकर चाटुकारिता करने लगे हैं'।
पत्रकारिता से चाटुकारिता तक: बदलता लल्लनटॉप
'द लल्लनटॉप' के बारे में जनता की धारणा बदल रही है। पहले जो 'लल्लनटॉप' सरकार से सवाल पूछता था, वह अब मोदी सरकार की तारीफों के पुल बांधने में जुटा है। हर खबर में बस 'एक ही रागा अलापा जाता है', जैसे 'मोदी जी ने यह किया', 'मोदी जी ने वो किया'। जनता की समस्याओं का 'जिक्र तक नहीं होता'। बेरोजगारी, महंगाई, या किसानों की दिक्कतें - किसी पर बात नहीं होती, बस 'हर जगह मोदी जी की जय जयकार' होती है।
जनता का गुस्सा: घटते सब्सक्राइबर और अकेलापन
इस कथित 'चाटुकारिता' से जनता अब 'तंग आ चुकी है'। लोग 'द लल्लनटॉप' का साथ छोड़ रहे हैं। YouTube पर भी उनके सब्सक्राइबर घट रहे हैं, और लोग खुलकर कह रहे हैं कि यह 'बिक चुका है'। नतीजतन, सौरभ द्विवेदी अब 'अकेले पड़ गए हैं' और उनकी 'दलाली उन्हीं पर भारी पड़ गई है'।
FAQs
प्र1: सौरभ द्विवेदी पर क्या गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं? उ1: सौरभ द्विवेदी पर आरोप है कि उन्होंने अपनी पत्रकारिता को बीजेपी के सामने बेच दिया है और 'द लल्लनटॉप' अब निष्पक्ष रिपोर्टिंग के बजाय सत्ता की चाटुकारिता कर रहा है।
प्र2: सौरभ द्विवेदी से उनके साथी क्यों दूर हो रहे हैं? उ2: 'द लल्लनटॉप' की कथित 'बिक्री' और सौरभ द्विवेदी पर लगे चाटुकारिता के आरोपों के कारण उनके करीबी साथी, जैसे अभिनव पांडे सहित कई पत्रकार, उनका साथ छोड़ चुके हैं।
प्र3: अमित शाह के साथ वायरल हुई तस्वीर का क्या विवाद है? उ3: गृह मंत्री अमित शाह के साथ सौरभ द्विवेदी की डिनर की एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिस पर लोगों ने सवाल उठाए कि क्या इसके बाद 'द लल्लनटॉप' की पत्रकारिता का रुख बदल गया है।
प्र4: सौरभ द्विवेदी का बीजेपी से क्या पुराना संबंध बताया जा रहा है? उ4: सूत्रों के अनुसार, सौरभ ने आरएसएस के स्कूल सरस्वती शिशु मंदिर से पढ़ाई की है, बचपन से आरएसएस की शाखाओं में जाते रहे हैं, और उनके पिता बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं।
प्र5: 'द लल्लनटॉप' की रिपोर्टिंग में क्या बदलाव देखा जा रहा है? उ5: पहले सरकार से सवाल पूछने वाला 'द लल्लनटॉप' अब मोदी सरकार की खुलकर तारीफ कर रहा है और बेरोजगारी या महंगाई जैसी जनता की समस्याओं का जिक्र नहीं करता।