बड़ा खुलासा! क्या कोहली-रोहित ने गलत फॉर्मेट से लिया संन्यास? पूर्व क्रिकेटर ने बताई चौंकाने वाली वजह!

आकाश चोपड़ा ने दावा किया है कि विराट कोहली और रोहित शर्मा ने गलत फॉर्मेट से संन्यास लिया है। जानें क्यों टेस्ट क्रिकेट खेलना आसान होता और ODI क्यों मुश्किल? बदलती क्रिकेट इकोनॉमी और खिलाड़ियों की फिटनेस पर असर।

Aug 12, 2025 - 09:01
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बड़ा खुलासा! क्या कोहली-रोहित ने गलत फॉर्मेट से लिया संन्यास? पूर्व क्रिकेटर ने बताई चौंकाने वाली वजह!
विराट कोहली रोहित शर्मा क्रिकेट संन्यास भारतीय टीम टेस्ट वनडे (Virat Kohli Rohit Sharma Cricket Retirement Indian Team Test ODI)

ब्रेकिंग न्यूज़! भारतीय क्रिकेट के दिग्गजों विराट कोहली और रोहित शर्मा के संन्यास पर एक सनसनीखेज दावा सामने आया है। फैंस के लिए बड़ी खबर, अब तक आपने सोचा होगा कि उन्होंने सही समय पर सही फैसला लिया, लेकिन पूर्व भारतीय क्रिकेटर और मशहूर कमेंटेटर आकाश चोपड़ा का मानना है कि इन दोनों महान खिलाड़ियों ने 'गलत फॉर्मेट' को अलविदा कह दिया है! यह बात क्रिकेट जगत में नई बहस छेड़ रही है, और यह लेख आपको इस दावे के पीछे की पूरी सच्चाई, इसके फायदे और नुकसान, तथा भारतीय क्रिकेट पर इसके संभावित प्रभावों को समझने में मदद करेगा।

विराट-रोहित का संन्यास: एक नई बहस की शुरुआत

भारतीय क्रिकेट के दो सबसे बड़े नाम, विराट कोहली और रोहित शर्मा, ने हाल ही में अपने टी20 अंतरराष्ट्रीय करियर को अलविदा कहा था। यह फैसला 2024 का टी20 विश्व कप जीतने के बाद आया था, जिसे आकाश चोपड़ा ने एक 'पिनिकल' बताया और कहा कि यह कदम सही समय पर उठाया गया था। उनका टी20 करियर गौरव के साथ समाप्त हुआ, जिसका सभी ने सम्मान और सराहना की। चोपड़ा इस फैसले से सहमत थे, क्योंकि यह भारत की युवा खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने की T20 क्रिकेट की बदलती रणनीति के अनुरूप था।

आखिर कहां हुई गलती? आकाश चोपड़ा का चौंकाने वाला तर्क

हालांकि, चोपड़ा की मुख्य चिंता उनके टी20 संन्यास को लेकर नहीं है, बल्कि उस निर्णय को लेकर है जहां उन्होंने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने का फैसला किया, जबकि एकदिवसीय (ODI) क्रिकेट खेलना जारी रखने की मंशा जताई। चोपड़ा का मानना है कि यहीं पर उन्होंने 'गलत फॉर्मेट' को अलविदा कहा। उनका तर्क है कि टेस्ट क्रिकेट खेल का सबसे 'मुश्किल फॉर्मेट' है, जो पांच दिनों तक चलता है और हर जगह अलग-अलग चुनौतियां पेश करता है। इसके विपरीत, एकदिवसीय क्रिकेट को बल्लेबाजों के लिए सबसे 'आसान फॉर्मेट' माना जाता है, क्योंकि इसमें कम दबाव होता है और स्कोर करने के लिए पर्याप्त समय होता है। टी20 क्रिकेट इन दोनों के बीच आता है, जहां दबाव और उत्साह दोनों होता है, लेकिन लगातार मैचों के कारण विफलता को स्वीकार करने की गुंजाइश भी होती है।

बदलती क्रिकेट इकोनॉमी: ओडीआई का घटता महत्व

चोपड़ा ने क्रिकेट की बदलती आर्थिक वास्तविकताओं पर प्रकाश डाला है। उनका कहना है कि अब टी20 क्रिकेट बहुत अधिक खेला जाता है, यहां तक कि आईसीसी वनडे इवेंट वाले साल में भी। उदाहरण के तौर पर, 2025 चैंपियंस ट्रॉफी (जो एक वनडे टूर्नामेंट है) से पहले पिछले 12 महीनों में भारत ने केवल छह एकदिवसीय मैच खेले थे। जबकि एक समय था जब एक साल में 25-30 एकदिवसीय मैच खेले जाते थे, और ओडीआई ही क्रिकेट का 'ब्रेड बटर' था। मैचों की संख्या में यह भारी गिरावट स्पष्ट संकेत देती है कि कौन सा फॉर्मेट अब अधिक पसंदीदा है।

फिटनेस और फॉर्म बनाए रखने की चुनौती

चोपड़ा के अनुसार, टेस्ट क्रिकेट खेलना खिलाड़ियों को 'ग्रूव में' रखता है। अगर आप साल में सिर्फ छह टेस्ट मैच भी खेलते हैं, तो यह 30 दिनों की क्रिकेट होती है, जो खिलाड़ियों को प्रेरित, फिट और तैयार रखती है। टेस्ट क्रिकेटर्स रणजी ट्रॉफी या काउंटी क्रिकेट खेलकर भी अपनी फॉर्म बरकरार रख सकते हैं। लेकिन जब खिलाड़ी टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लेते हैं, तो वे ये घरेलू लंबे फॉर्मेट के मैच भी नहीं खेलते। इसके विपरीत, अगर वे केवल ओडीआई खेलना जारी रखते हैं, जो अब बहुत कम खेले जाते हैं (अगले आईपीएल तक केवल नौ एकदिवसीय मैच होने हैं), तो मैचों के बीच बहुत बड़े अंतराल आते हैं।

क्या महान खिलाड़ियों के लिए भी यह मुश्किल है?

छह-छह महीने के अंतराल पर अंतरराष्ट्रीय मैच खेलना, खासकर जब एक श्रृंखला केवल 7-8 दिनों में समाप्त हो जाती है, तो अपनी फिटनेस, डाइट, प्रैक्टिस और तीव्रता को बनाए रखना बेहद मुश्किल हो जाता है। चोपड़ा का मानना है कि महान खिलाड़ी होने के बावजूद, यह रोहित और कोहली दोनों के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण होगा। उन्होंने 'विजय हजारे ट्रॉफी' जैसे घरेलू एकदिवसीय टूर्नामेंट में खेलने की अफवाहों को 'एकदम बकवास' बताया, यह कहते हुए कि उनके चयन का आधार ऐसे प्रदर्शन नहीं होंगे। चोपड़ा का दृढ़ विश्वास है कि यदि वे टेस्ट क्रिकेट खेलते रहते और ओडीआई को अलविदा कह देते, तो 'ग्रूव में रहना कहीं अधिक आसान' होता। उनके अनुसार, अगर वे इंग्लैंड जैसी मुश्किल पिचों पर भी टेस्ट खेलते तो निश्चित रूप से रन बनाते।


  • FAQ सेक्शन
  • Q1: आकाश चोपड़ा क्यों सोचते हैं कि कोहली और रोहित ने गलत फॉर्मेट से संन्यास लिया? A1: आकाश चोपड़ा का मानना है कि विराट कोहली और रोहित शर्मा को टेस्ट क्रिकेट खेलते रहना चाहिए था और वे ओडीआई से संन्यास ले सकते थे। उनका तर्क है कि टेस्ट क्रिकेट सबसे कठिन फॉर्मेट है जो खिलाड़ियों को लंबे समय तक व्यस्त और फिट रखता है, जबकि ओडीआई मैच अब बहुत कम खेले जाते हैं, जिससे खिलाड़ियों के लिए फॉर्म और फिटनेस बनाए रखना मुश्किल होता है।
  • Q2: क्रिकेट का सबसे मुश्किल और सबसे आसान फॉर्मेट किसे माना जाता है? A2: स्रोत के अनुसार, टेस्ट क्रिकेट को खेल का सबसे 'मुश्किल फॉर्मेट' माना जाता है क्योंकि यह पांच दिनों तक चलता है और इसमें अलग-अलग परिस्थितियों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। वहीं, बल्लेबाजों के दृष्टिकोण से एकदिवसीय (ODI) को सबसे 'आसान फॉर्मेट' माना जाता है, जिसमें कम दबाव होता है।
  • Q3: एकदिवसीय मैचों की संख्या में क्या बदलाव आया है? A3: पहले के समय में, भारतीय टीम एक साल में 25-30 एकदिवसीय मैच खेला करती थी। लेकिन अब स्थिति बदल गई है; उदाहरण के लिए, 2025 चैंपियंस ट्रॉफी से पहले पिछले 12 महीनों में भारत ने केवल छह एकदिवसीय मैच खेले हैं। इससे पता चलता है कि ओडीआई क्रिकेट की मात्रा काफी कम हो गई है।
  • Q4: रोहित और कोहली के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में निरंतरता बनाए रखना क्यों मुश्किल होगा? A4: स्रोत बताता है कि यदि रोहित और कोहली केवल आईपीएल और कुछ अंतरराष्ट्रीय ओडीआई मैच खेलते हैं, तो अंतरराष्ट्रीय मैचों के बीच छह महीने तक के बड़े अंतराल होंगे। इतने लंबे गैप में अपनी फिटनेस, डाइट, प्रैक्टिस और खेल की उच्च तीव्रता को बनाए रखना, खासकर तीन मैचों की श्रृंखला के लिए, बहुत मुश्किल होगा।
  • Q5: क्या रोहित और कोहली को विजय हजारे ट्रॉफी में खेलना होगा ताकि उनका चयन हो सके? A5: आकाश चोपड़ा ने इस अफवाह को 'एकदम बकवास' बताया है। उनका कहना है कि रोहित शर्मा और विराट कोहली का चयन विजय हजारे ट्रॉफी में उनके प्रदर्शन पर निर्भर नहीं करेगा।
Neeraj Ahlawat Neeraj Ahlawat is a seasoned News Editor from Panipat, Haryana, with over 10 years of experience in journalism. He is known for his deep understanding of both national and regional issues and is committed to delivering accurate and unbiased news.