चेन्नई-बैंगलोर इंडिगो फ्लाइट का आपातकालीन लैंडिंग: पायलट ने 'फ्यूल मेडे' दी चेतावनी
इंडिगो फ्लाइट 6E-201 ने ईंधन की कमी के चलते बैंगलोर में आपातकालीन लैंडिंग की। पायलट ने मेडे सिग्नल देकर यात्रियों की जान बचाई।

लेखक: नीरज कुमार | जून, 2025
चेन्नई से बैंगलोर जा रही इंडिगो एयरलाइंस की फ्लाइट ने गुरुवार को ईंधन की कमी के कारण आपातकालीन लैंडिंग की। पायलट ने लैंडिंग से पहले 'फ्यूल मेडे' का इमरजेंसी सिग्नल दिया, जिसके बाद बैंगलोर एयरपोर्ट पर पूरी इमरजेंसी तैयारी सक्रिय कर दी गई।
फ्लाइट 6E-201 में सवार सभी 152 यात्री और क्रू मेंबर सुरक्षित लैंडिंग करने में सफल रहे। एयरपोर्ट सूत्रों के अनुसार, विमान के टैंक में मात्र 10 मिनट का ईंधन बचा था जब उसने केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे का रनवे छुआ।
कैसे हुई घटना?
विमान ने सुबह 8:15 बजे चेन्नई से उड़ान भरी थी और बैंगलोर पहुँचने में 1 घंटा 10 मिनट का समय लगना था। लेकिन हवाई यातायात में व्यवधान के कारण विमान को होल्डिंग पैटर्न में 40 मिनट तक चक्कर लगाने पड़े। इसी दौरान ईंधन स्तर खतरनाक रूप से नीचे चला गया।
पायलट कैप्टन राहुल शर्मा ने 9:35 बजे एयर ट्रैफिक कंट्रोल को रेडियो संदेश में कहा: "हम फ्यूल मेडे स्थिति में हैं। तत्काल लैंडिंग की अनुमति चाहिए।" इस संदेश के बाद एयरपोर्ट की इमरजेंसी टीमें अलर्ट हो गईं।
यात्रियों का अनुभव
विमान में सवार यात्री राजीव मेनन ने बताया, "कैप्टन ने शांत आवाज़ में सूचना दी कि ईंधन कम है और हम प्राथमिकता पर लैंड कर रहे हैं। क्रू ने सभी को शांत रहने का निर्देश दिया।" लैंडिंग के समय कुछ यात्रियों ने अपने मोबाइल फोन पर विदाई संदेश भी लिखे।
हवाईअड्डे पर उतरने के बाद सभी यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। एयरलाइन ने तुरंत वैकल्पिक विमान की व्यवस्था करके यात्रियों को गंतव्य तक पहुँचाया।
जांच शुरू
विमानन नियामक DGCA ने इस घटना की तुरंत जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, विमान में तकनीकी खराबी नहीं थी, बल्कि यातायात प्रबंधन की समस्या के कारण विमान को अधिक समय तक हवा में रहना पड़ा।
एयरलाइन के प्रवक्ता ने कहा, "हमारे पायलट ने प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन किया। सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस घटना की पूरी जाँच की जा रही है।"
क्या होता है 'फ्यूल मेडे'?
विमानन में 'फ्यूल मेडे' अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त इमरजेंसी कोड है जो ईंधन की गंभीर कमी की स्थिति में दिया जाता है। यह 'मेडे' (Mayday) संकेतों में सबसे गंभीर श्रेणी में आता है, जिसके बाद एयर ट्रैफिक कंट्रोल तुरंत लैंडिंग की प्राथमिकता देता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय हवाई अड्डों पर यातायात बढ़ने से ऐसी घटनाएँ बढ़ रही हैं। पिछले एक वर्ष में यह तीसरा मौका है जब किसी व्यावसायिक उड़ान ने ईंधन की कमी का इमरजेंसी सिग्नल दिया है।
भविष्य की तैयारी
इस घटना के बाद DGCA ने सभी एयरलाइंस को निर्देश जारी किए हैं कि वे उड़ान योजना बनाते समय होल्डिंग समय पर विशेष ध्यान दें। साथ ही, प्रमुख हवाई अड्डों पर यातायात प्रबंधन प्रणाली को उन्नत करने पर जोर दिया जा रहा है।
विमानन सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. मीनाक्षी शर्मा कहती हैं, "यह घटना भारतीय विमानन बुनियादी ढांचे की चुनौतियों को उजागर करती है। हमें यातायात वृद्धि के अनुरूप एयरपोर्ट क्षमता बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है।"