सेबी का बड़ा फैसला: AMC अब गैर-व्यापक पूल्ड फंड प्रबंधित कर सकेंगे, सख्त निगरानी के साथ
सेबी ने AMC को गैर-व्यापक पूल्ड निवेश फंड प्रबंधन की अनुमति देने का प्रस्ताव किया है, जिस पर सख्त निगरानी रहेगी। जानिए नियमों के बारे में।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बाजारों में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रस्ताव रखा है। नए नियमों के तहत, एसेट मैनेजमेंट कंपनियां (AMC) अब गैर-व्यापक पूल्ड निवेश फंड का प्रबंधन कर सकेंगी। यह छूट सख्त निगरानी शर्तों के साथ दी जाएगी, जिसका उद्देश्य निवेशकों के हितों की सुरक्षा करना है।
गैर-व्यापक पूल्ड फंड क्या हैं?
ये विशेष प्रकार के निवेश फंड होते हैं जो सीमित निवेशकों के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं। इनमें आमतौर पर 200 से कम निवेशक शामिल होते हैं। इन फंडों की मुख्य विशेषताएं हैं:
- उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्तियों (HNI) और संस्थागत निवेशकों को लक्षित
- पारंपरिक म्यूचुअल फंडों की तुलना में अधिक जोखिम भरे निवेश विकल्प
- विशिष्ट निवेश रणनीतियों पर केंद्रित
अब तक, ऐसे फंडों का प्रबंधन मुख्य रूप से वैकल्पिक निवेश फंडों (AIF) द्वारा किया जाता था।
नए प्रस्ताव की मुख्य विशेषताएं
सेबी के प्रस्तावित ढांचे में कई सुरक्षा उपाय शामिल हैं:
पात्रता शर्तें
AMC को गैर-व्यापक फंड प्रबंधित करने के लिए कड़े मानदंडों को पूरा करना होगा। इनमें शामिल हैं:
- पिछले तीन वर्षों से लाभ में होना
- न्यूनतम ₹50 करोड़ का निवल मूल्य
- अनुभवी टीम और जोखिम प्रबंधन प्रणाली
निगरानी तंत्र
नए नियमों के तहत सख्त निगरानी प्रावधान लागू होंगे:
- त्रैमासिक ऑडिट और अनुपालन रिपोर्टिंग अनिवार्य
- संभावित हितों के टकराव से बचने के लिए चाइनीज वॉल व्यवस्था
- निवेशकों को जोखिमों के बारे में स्पष्ट खुलासा
बाजार पर प्रभाव
इस निर्णय के व्यापक आर्थिक प्रभाव हो सकते हैं:
निवेशकों को लाभ
पारंपरिक म्यूचुअल फंडों की तुलना में ये फंड विविधीकरण के नए अवसर प्रदान करेंगे। AMC के अनुभव और बुनियादी ढांचे का उपयोग करके, निवेशकों को पेशेवर प्रबंधन मिलेगा।
उद्योग पर प्रभाव
यह कदम AMC के लिए राजस्व के नए स्रोत खोलेगा। अनुमान है कि इससे ₹5,000 करोड़ तक का अतिरिक्त फंड प्रवाह हो सकता है। हालांकि, छोटे AMC के लिए पात्रता शर्तें चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं।
विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
बाजार विश्लेषकों ने इस प्रस्ताव का सावधानी से स्वागत किया है:
"यह निवेश पारिस्थितिकी तंत्र का विस्तार करता है, लेकिन सख्त निगरानी अत्यावश्यक है। AMC को इन फंडों में निवेशकों के पैसे को मुख्य फंडों से अलग रखने की प्रणाली विकसित करनी होगी।"
- मनीष शर्मा, वरिष्ठ निवेश सलाहकार
निवेशकों के लिए सावधानियां
विशेषज्ञ निवेशकों को इन फंडों में निवेश से पहले कुछ बातों पर विचार करने की सलाह देते हैं:
- इन फंडों में उच्च जोखिम होता है - केवल उन्हीं को निवेश करना चाहिए जो जोखिम सहन कर सकें
- फंड प्रबंधकों के ट्रैक रिकॉर्ड की जांच करें
- फीस संरचना और निकासी नियमों को समझें
आगे की राह
सेबी ने इस प्रस्ताव पर 31 जुलाई तक सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित की हैं। उद्योग हितधारकों से प्रतिक्रियाएं मिलने के बाद अंतिम नियम जारी किए जाएंगे। यह बदलाव भारतीय पूंजी बाजार को और परिपक्व बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि इससे संस्थागत निवेशकों की भागीदारी बढ़ेगी और देश के निवेश पारिस्थितिकी तंत्र में विविधता आएगी। हालांकि, सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि सेबी कितनी प्रभावी ढंग से निगरानी तंत्र लागू कर पाता है।