Yamuna water level: फरीदाबाद में यमुना जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर, किसानों को बड़ा झटका, जानिए पूरी खबर

फरीदाबाद में Yamuna water level बढ़ने से किसानों की फसलें बर्बाद, आबादी पर खतरा मंडराया। जानें प्रशासन की तैयारी और बचाव कार्य।

Aug 31, 2025 - 20:10
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Yamuna water level: फरीदाबाद में यमुना जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर, किसानों को बड़ा झटका, जानिए पूरी खबर
यमुना जलस्तर फरीदाबाद में बाढ़ का खतरा

दैनिक रियल्टी ब्यूरो | By: Neeraj Ahlawat | Date 31 Aug 2025

Topic: यमुना नदी का बढ़ता जलस्तर और फरीदाबाद के चांदपुर गांव में किसानों की फसलों पर इसका प्रभाव, साथ ही संभावित जनजीवन पर खतरा और प्रशासनिक तैयारियां।

       Analysis:

  • What (क्या): यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है, जिससे फरीदाबाद के चांदपुर गांव में किसानों की फसलें डूब गई हैं और भारी नुकसान हुआ है। आबादी तक पानी अभी दूर है, लेकिन लगातार जलस्तर बढ़ने पर बड़े नुकसान की आशंका है।
  • Why (क्यों): हतनीकुंड बैराज और उसके बाद ओखला बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण यमुना का जलस्तर बढ़ा है। लगातार बारिश भी एक कारण बताया जा रहा है।
  • When (कब): हाल ही में जलस्तर बढ़ा है। इससे पहले भी 10-15 दिन पहले इसी तरह पानी आया था, और अब यह दूसरी बार है।
  • Where (कहां): फरीदाबाद की सीमा में आने वाले गांव चांदपुर और यमुना नदी के तलहटी वाले खेत।
  • Who (कौन): चांदपुर के किसान (जिनकी फसलें खराब हुई हैं), ग्रामीण (जिन्हें अलर्ट किया गया है), सरपंच भूरा (जो स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और अधिकारियों से जुड़े हैं), डीसी, डीडीपीओ, बीडीओ जैसे अधिकारी (जिन्होंने सूचनाएं जारी की हैं)।
  • How (कैसे): ओखला बैराज से 55,000 क्यूसिक और हतनीकुंड बैराज से 90,000 क्यूसेक तक पानी छोड़े जाने के कारण यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ा, जिससे तलहटी में बोई गई ज्वार, बाजरा, घिया, तोरई, परमल, भिंडी जैसी फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गईं। प्रशासन ने ग्रामीणों को नदी किनारे न जाने और पशुओं को दूर रखने की अपील की है।

फरीदाबाद में यमुना जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर, किसानों की फसलें तबाह, मंडराया बड़े संकट का खतरा

फरीदाबाद। फरीदाबाद में यमुना नदी का जलस्तर एक बार फिर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है, जिससे यमुना किनारे बसे गांवों में हड़कंप मच गया है। हतनीकुंड बैराज और उसके बाद ओखला बैराज से लगातार पानी छोड़े जाने के कारण Yamuna water level में रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसका सबसे बुरा असर चांदपुर जैसे गांवों के किसानों पर पड़ा है, जिनकी खड़ी फसलें पूरी तरह से जलमग्न हो गई हैं। लाखों रुपये का नुकसान झेल रहे किसान अब सरकार से मदद की आस लगाए बैठे हैं। हालांकि, अभी तक आबादी वाले क्षेत्रों तक पानी नहीं पहुंचा है, लेकिन यमुना जलस्तर में लगातार वृद्धि ने बड़े नुकसान की आशंका को जन्म दे दिया है।


यमुना जलस्तर में वृद्धि का मुख्य कारण: बैराजों से पानी का भारी बहाव

यमुना जलस्तर में अचानक हुई वृद्धि का मुख्य कारण हतनीकुंड बैराज और ओखला बैराज से पानी का भारी मात्रा में छोड़ा जाना है। हाल ही में ओखला बैराज से 55,000 क्यूसिक पानी छोड़ा गया, जिसने तलहटी में बोई गई किसानों की फसलों को पूरी तरह डुबो दिया। इसके अतिरिक्त, कुछ समय पहले भी हतनीकुंड बैराज से 90,000 क्यूसेक तक पानी फरीदाबाद की सीमा में ओखला बैराज से छोड़ा गया था, जिसका असर साफ तौर पर देखने को मिला था। लगातार हो रही भारी बारिश भी यमुना जलस्तर को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, जिससे नदी का बहाव तेज और विस्तृत हो गया है। एक किसान ने बताया कि यह पानी 10-15 दिन पहले भी आया था और अब यह दूसरी बार आया है, जिससे उनके नुकसान की गंभीरता और बढ़ गई है।


किसानों पर बुरा असर: फसलें तबाह, लाखों का नुकसान

चांदपुर गांव के किसानों के लिए बढ़ता Yamuna water level किसी बड़े झटके से कम नहीं है। खेतों तक पानी पहुंचने से उनकी ज्वार, बाजरा, घिया, भिंडी, तोरई और परमल जैसी कई फसलें पूरी तरह से खराब हो गई हैं। किसानों का कहना है कि उनकी सब्जी की फसलें भी पूरी तरह से नष्ट हो चुकी हैं। एक किसान ने बताया कि उनकी ज्वार और बाजरे की फसलें पूरी तरह से डूब गई हैं और अब उनसे कुछ भी बचने की उम्मीद नहीं है। उन्होंने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि "अब क्या उम्मीद है? अब तो सारा कुछ खत्म हो गया जी।" दूसरी तरफ भी चांदपुर की ही जमीन है जहां किसानों ने घिया, तोरई, परमल और बाजरे जैसी फसलें बो रखी थीं, वे भी जलमग्न हो चुकी हैं। यह स्थिति किसानों के लिए आर्थिक रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो रही है, क्योंकि उनकी आय का मुख्य स्रोत ही पानी में डूब गया है।


आबादी पर संभावित खतरा और प्रशासनिक चेतावनी

फिलहाल, यमुना जलस्तर का पानी आबादी वाले क्षेत्रों से दूर है, जिससे लोगों को थोड़ी तसल्ली है। हालांकि, अगर बारिश इसी तरह जारी रही और बैराजों से पानी छोड़ने का सिलसिला नहीं रुका, तो आबादी तक पानी पहुंचने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। चांदपुर के सरपंच भूरा ने बताया कि जनहानि तो कोई नहीं हुई है, लेकिन फसलें सारी डूब चुकी हैं। प्रशासन इस स्थिति पर पैनी नजर रखे हुए है। डीसी साहब, डीडीपीओ साहब और बीडीओ साहब जैसे अधिकारियों ने सरपंचों के माध्यम से गांवों में सूचनाएं दी हैं और लोगों से अपील की है कि वे यमुना की तरफ न जाएं और अपने पशुओं को भी नदी किनारे से दूर रखें। सरपंच ने यह भी बताया कि वे पूरी यमुना की मॉनिटरिंग कर रहे हैं और लोगों को आगाह कर रहे हैं।


पहले भी आया था पानी: बार-बार नुकसान की कहानी

यह पहली बार नहीं है जब चांदपुर और आसपास के गांवों के किसानों को यमुना जलस्तर बढ़ने से नुकसान हुआ है। जैसा कि किसानों ने बताया, 10-15 दिन पहले भी इसी तरह पानी आया था, और यह दूसरी बार है कि उनकी फसलों को पानी ने घेरा है। इस बार नुकसान पहले से भी ज्यादा गंभीर बताया जा रहा है, क्योंकि बहुत सी फसलें जो बच गई थीं, वे भी अब पूरी तरह से डूब चुकी हैं। किसानों के लिए यह लगातार हो रहा नुकसान उनकी आर्थिक स्थिति को और भी कमजोर कर रहा है। वे अब सरकार से मुआवजे और भविष्य के लिए स्थायी समाधान की उम्मीद कर रहे हैं, ताकि उन्हें बार-बार ऐसे संकट का सामना न करना पड़े।


आगे क्या? बचाव के उपाय और निगरानी

स्थिति को देखते हुए, प्रशासन और स्थानीय सरपंच लगातार यमुना जलस्तर पर नजर बनाए हुए हैं। सरपंच भूरा ने बताया कि वे अपने गांव और आसपास के गांवों की स्थिति पर लगातार निगरानी रख रहे हैं। अगर यमुना जलस्तर में और बढ़ोतरी होती है, तो आबादी को होने वाले बड़े नुकसान को रोकने के लिए आपातकालीन कदम उठाने पड़ सकते हैं। फिलहाल, लोगों को सतर्क रहने, नदी से दूर रहने और प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने की सलाह दी जा रही है। उम्मीद है कि जल्द ही यमुना जलस्तर स्थिर होगा और किसान अपनी सामान्य दिनचर्या पर लौट सकेंगे।


FAQs

Q1: यमुना का जलस्तर क्यों बढ़ा है? A1: यमुना जलस्तर हतनीकुंड बैराज और ओखला बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण बढ़ा है। हाल ही में ओखला बैराज से 55,000 क्यूसिक और हतनीकुंड से 90,000 क्यूसेक तक पानी छोड़ा गया।

Q2: चांदपुर में फसलों को क्या नुकसान हुआ है? A2: चांदपुर में खेतों तक पानी पहुंचने से किसानों की ज्वार, बाजरा, घिया, भिंडी, तोरई और परमल जैसी फसलें पूरी तरह से डूबकर नष्ट हो गई हैं, जिससे भारी आर्थिक नुकसान हुआ है।

Q3: किसानों की कौन-कौन सी फसलें खराब हुई हैं? A3: किसानों की ज्वार, बाजरा, घिया, भिंडी, तोरई, परमल जैसी मुख्य फसलें पानी में डूबने से खराब हो गई हैं। सब्जी की फसलें भी पूरी तरह से नष्ट हो चुकी हैं।

Q4: क्या आबादी वाले इलाकों में भी खतरा है? A4: अभी तक पानी आबादी वाले इलाकों से दूर है, लेकिन अगर यमुना जलस्तर लगातार बढ़ता रहा, तो आबादी तक पानी पहुंचने और बड़े नुकसान होने की आशंका है।

Q5: प्रशासन ने क्या कदम उठाए हैं? A5: प्रशासन ने डीसी, डीडीपीओ, बीडीओ के माध्यम से सरपंचों को सूचनाएं दी हैं और ग्रामीणों से यमुना की तरफ न जाने व पशुओं को दूर रखने की अपील की है। सरपंच भी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।

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