Immigration: ब्रिटेन में भड़की घुसपैठ विरोधी आग, भारत में भी अलर्ट क्यों?
ब्रिटेन में घुसपैठियों के खिलाफ लाखों लोग सड़कों पर उतरे, जानें भारत के लिए इसके मायने। ईलॉन मस्क भी हुए शामिल। घुसपैठ की वैश्विक समस्या और समाधान।

By: दैनिक रियल्टी ब्यूरो | Date: 17 Sep 2025
लंदन से भड़की घुसपैठ विरोधी आग, क्या भारत को भी लेनी चाहिए गंभीर चेतावनी?
हाल ही में ब्रिटेन की राजधानी लंदन की सड़कों पर करीब डेढ़ लाख लोगों ने एक अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन कर पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। यह विशाल रैली 13 सितंबर को अप्रवासियों की बढ़ती संख्या के खिलाफ आयोजित की गई थी, जहां मूल ब्रिटिश नागरिकों ने अपने रहने की जगह, नौकरियों और मकानों की कमी पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया। प्रदर्शनकारियों का साफ कहना था कि बाहरी लोग उनका हिस्सा छीन रहे हैं, और उन्होंने "हमें अपना देश वापस चाहिए" जैसे नारे लगाए, साथ ही "उन्हें घर भेजो" और "बस बहुत हो गया, हमारे बच्चों को बचाओ" जैसे भावनात्मक अपील भी कीं। यह रैली दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी विचारों वाले लोगों की अब तक की सबसे बड़ी रैली मानी जा रही है, जिसने पूरे ब्रिटेन में घुसपैठ की समस्या पर नई बहस छेड़ दी है। इस दौरान हिंसा भी भड़क उठी और 26 पुलिसकर्मी घायल हो गए, जबकि कुछ प्रदर्शनकारियों ने ब्रिटेन के राष्ट्रीय ध्वज के साथ-साथ अमेरिका और इजराइल के झंडे भी लहराए। इस आंदोलन को 42 वर्षीय राष्ट्रवादी नेता टॉमी रॉबिनसन ने आयोजित किया था, जो सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हैं और घुसपैठ का लगातार विरोध करते रहे हैं। रॉबिनसन ने हमेशा यह तर्क दिया है कि अप्रवासियों की बढ़ती संख्या देश की पहचान और संसाधनों के लिए खतरा है।
ईलॉन मस्क भी हुए शामिल: ब्रिटेन की बदलती जनसांख्यिकी पर गंभीर चेतावनी
इस विशाल प्रदर्शन में टेस्ला के सीईओ ईलॉन मस्क ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हिस्सा लिया, जिससे इस मुद्दे को वैश्विक मंच पर और अधिक प्रमुखता मिली। अपने भाषण में मस्क ने ब्रिटेन की जनसंख्या में तेजी से हो रहे बदलाव पर गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि इसे तुरंत रोकने की जरूरत है। उन्होंने ब्रिटिश लोगों से अपने देश को बचाने के लिए लड़ने का आह्वान किया, चेतावनी दी कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो एक दिन सब कुछ खत्म हो जाएगा। मस्क ने साफ शब्दों में कहा, "अगर यह जारी रहा, तो आपके पास कोई विकल्प नहीं बचेगा। आपको लड़ना होगा या मरना होगा।" उनकी यह टिप्पणी ब्रिटेन में अप्रवासन की गंभीरता को उजागर करती है, जिसने पिछले कुछ वर्षों में बहुत तेजी से वृद्धि देखी है। आंकड़ों के अनुसार, आज ब्रिटेन की कुल जनसंख्या में 16% लोग अप्रवासी हैं, जो दूसरे देशों से आकर वहां बस गए हैं – इनमें कुछ कानूनी रूप से तो कुछ गैरकानूनी रूप से रह रहे हैं। वर्ष 1991 में सालाना 44,000 अप्रवासी ब्रिटेन आते थे, जो 2011 में बढ़कर 2,49,000 हो गए और पिछले साल यानी 2024 में यह संख्या 4,31,000 तक पहुंच गई। इसका मतलब है कि सिर्फ 33 वर्षों में ब्रिटेन में हर साल आने वाले अप्रवासियों की संख्या में 10 गुना की वृद्धि हुई है, जो एक छोटे से देश के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है।
बदलते शहर, घटती मूल आबादी: कैसे अल्पसंख्यक बने ब्रिटेन के मूल नागरिक?
अप्रवासियों की बढ़ती संख्या ने ब्रिटेन के बड़े शहरों की जनसांख्यिकी को तेजी से बदल दिया है। लंदन, जो ब्रिटेन का सबसे बड़ा शहर है और जिसकी जनसंख्या करीब 89 लाख है, वहां आज 15% आबादी मुस्लिम है। लंदन के मेयर सादिक खान भी अप्रवासी मूल के हैं और 2016 से लगातार तीन बार इस पद पर चुने जा चुके हैं। जनसांख्यिकीय बदलावों को देखें तो, 2011 में लंदन की कुल जनसंख्या में 'नॉन-व्हाइट ब्रिटिश' (जो ब्रिटेन के मूल निवासी नहीं हैं) 55% थे। यह संख्या 2021 में बढ़कर 63% हो गई, जिसका अर्थ है कि लंदन में अब मूल श्वेत ब्रिटिश नागरिक अपने ही शहर में अल्पसंख्यक बन गए हैं। यह स्थिति केवल लंदन तक सीमित नहीं है। ब्रिटेन के दूसरे सबसे बड़े शहर बर्मिंघम में भी 2011 में नॉन-व्हाइट ब्रिटिश 48% थे, जो 2021 में बढ़कर 57% हो गए। इसी तरह, मैनचेस्टर, जो ब्रिटेन का तीसरा सबसे बड़ा शहर है, वहां भी 2011 में कुल जनसंख्या का 43.2% बाहरी लोग थे, जो 2021 में बढ़कर 51.3% हो गए हैं। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि ब्रिटेन के तीन सबसे बड़े शहरों में अप्रवासी अब बहुसंख्यक बन चुके हैं, और मूल निवासी अल्पसंख्यक की स्थिति में आ गए हैं।
मोहन भागवत का चर्चिल भविष्यवाणी पर कटाक्ष और भारत की चुनौती
इस वैश्विक घुसपैठ की समस्या का जिक्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने भी किया है। 14 सितंबर को इंदौर में, भागवत ने ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल की एक भविष्यवाणी का उल्लेख किया था। चर्चिल, जो 1940 से 1945 के बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे, ने भविष्यवाणी की थी कि आजादी के बाद भारत टिक नहीं पाएगा और अलग-अलग हिस्सों में बंट जाएगा। मोहन भागवत ने कहा कि आज चर्चिल की वह भविष्यवाणी गलत साबित हो गई है, क्योंकि भारत एकजुट है। उन्होंने यह भी कहा कि जिन हिस्सों में बंटवारा हुआ भी था, उन्हें भी हम भारत में फिर से मिला लेंगे। भागवत ने इस बात पर जोर दिया कि चर्चिल का अपना देश (इंग्लैंड) आज बंटने की स्थिति में आ रहा है, जबकि भारत अपने दम पर आज भी बहुत सक्षम है। यह लंदन में हो रहे प्रदर्शनों से साफ जाहिर होता है, जहां ब्रिटेन के लोग अप्रवासियों की बढ़ती संख्या से परेशान होकर सड़कों पर उतर रहे हैं और उनका समाज टूटने लगा है। भारत में भी घुसपैठ एक बड़ी चुनौती बन चुकी है, हालांकि अभी भी लोग इसकी गंभीरता को पूरी तरह से नहीं समझ पा रहे हैं। गृह मंत्रालय की 2016 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या 2 करोड़ थी, जो पिछले 9 सालों में और भी अधिक बढ़ चुकी होगी।
प्रधानमंत्री मोदी का घुसपैठियों पर कड़ा संदेश और वैश्विक समस्या
भारत में घुसपैठ की समस्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लगातार अपनी रैलियों में बात कर रहे हैं। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से उन्होंने देश को अवैध घुसपैठियों से बचाने के लिए 'डेमोग्राफी मिशन' का जिक्र किया था। हाल ही में बिहार के पूर्णिया में एक रैली में, प्रधानमंत्री ने एक बार फिर घुसपैठियों का मुद्दा उठाया और चेतावनी दी कि सीमांचल और पूर्वी भारत में घुसपैठियों के कारण बहुत बड़ा संकट पैदा हो गया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि घुसपैठियों को देश छोड़कर जाना ही होगा, और एनडीए सरकार घुसपैठ पर ताला लगाने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री ने आरजेडी और कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों को भी चुनौती दी, जो घुसपैठियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, यह दोहराते हुए कि "भारत में भारत का कानून चलेगा, घुसपैठियों की मनमानी नहीं चलेगी"। यह मोदी की गारंटी है कि घुसपैठियों पर कार्यवाही होगी और देश इसके अच्छे परिणाम देखेगा। प्रधानमंत्री ने पूर्णिया में लगभग ₹400 करोड़ की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन भी किया, जिसमें पूर्णिया एयरपोर्ट (बिहार का चौथा कमर्शियल एयरपोर्ट) और राष्ट्रीय मखाना बोर्ड का शुभारंभ शामिल है। उन्होंने विपक्षी पार्टियों द्वारा बिहार की तुलना बीड़ी से करने पर भी कटाक्ष किया और मखाना किसानों की उपेक्षा के लिए पिछली सरकारों की आलोचना की।
यह घुसपैठ की समस्या केवल ब्रिटेन और भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह एक अंतरराष्ट्रीय चुनौती बन चुकी है। ऑस्ट्रेलिया, इटली और पोलैंड जैसे देशों में भी अप्रवासियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन होते रहे हैं। दुनिया भर के मूल निवासी यह मांग कर रहे हैं कि देश के संसाधन, नौकरियां और अवसर उनके बच्चों के लिए होने चाहिए, न कि बाहर से आए लोगों के लिए। घुसपैठिए किसी भी देश की जनसंख्या को बदल सकते हैं, जिससे धीरे-धीरे मूल निवासी अल्पसंख्यक बन जाते हैं और घुसपैठिए बहुसंख्यक हो जाते हैं। जब घुसपैठियों की संख्या बढ़ती है, तो वे नौकरियों, कारोबार और संसाधनों पर कब्जा कर लेते हैं, जिससे सरकार को उन पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है, जिसका बोझ करदाताओं पर पड़ता है। समय के साथ, घुसपैठिए चुनाव में भी हिस्सा लेने लगते हैं और अपने हितों की रक्षा करने वाले नेताओं को वोट देते हैं, जिससे राजनीतिक दल भी वोट बैंक की राजनीति में उलझ जाते हैं। यह प्रवृत्ति भारत जैसे देशों में भी देखने को मिलती है, जहां कई नेता घुसपैठियों को अपने वोट बैंक के लिए बढ़ावा देते हैं। इस समस्या का समाधान न केवल तत्काल आवश्यक है, बल्कि इसके लिए एक मजबूत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नीति की भी आवश्यकता है, ताकि किसी भी देश की मूल पहचान और स्थिरता खतरे में न पड़े। यह सुनिश्चित करना होगा कि देश के संसाधन और अवसर केवल उसके वैध नागरिकों के लिए ही हों, और अवैध घुसपैठ को कड़ाई से रोका जाए, ताकि ब्रिटेन जैसी स्थिति किसी और देश में उत्पन्न न हो।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न):
Q1: Immigration को लेकर लंदन में हालिया प्रदर्शन क्यों हुए? A1: लंदन में 13 सितंबर को करीब डेढ़ लाख लोगों ने अप्रवासियों की बढ़ती संख्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। मूल नागरिकों का कहना है कि उनके पास रहने की जगह, नौकरियां और मकान नहीं हैं, और अप्रवासी उनका हिस्सा छीन रहे हैं। इस प्रदर्शन में हिंसा भी हुई और 26 पुलिसकर्मी घायल हुए थे।
Q2: ब्रिटेन में अप्रवासियों की संख्या में कितनी वृद्धि हुई है? A2: ब्रिटेन में अप्रवासियों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। 1991 में सालाना 44,000 अप्रवासी आते थे, जो 2024 में बढ़कर 4,31,000 हो गए। यह 33 वर्षों में 10 गुना की वृद्धि है, और कुल जनसंख्या का 16% अब अप्रवासी हैं।
Q3: Elon Musk ने ब्रिटेन की Immigration समस्या पर क्या कहा? A3: ईलॉन मस्क ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लंदन प्रदर्शन में हिस्सा लिया और ब्रिटेन की जनसंख्या में तेजी से हो रहे बदलाव पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने ब्रिटिश लोगों से अपने देश को बचाने के लिए लड़ने का आह्वान किया, चेतावनी दी कि ऐसा न करने पर सब कुछ खत्म हो जाएगा।
Q4: मोहन भागवत ने ब्रिटेन की स्थिति का जिक्र क्यों किया? A4: मोहन भागवत ने ब्रिटेन की स्थिति का जिक्र चर्चिल की भारत पर की गई भविष्यवाणी के संदर्भ में किया। उन्होंने कहा कि चर्चिल ने भविष्यवाणी की थी कि भारत टूट जाएगा, लेकिन आज उनका अपना देश घुसपैठ के कारण बंटने की स्थिति में है, जबकि भारत एकजुट है।
Q5: भारत में घुसपैठ की समस्या पर प्रधानमंत्री मोदी का क्या रुख है? A5: प्रधानमंत्री मोदी ने घुसपैठ को देश के लिए बड़ा संकट बताया है और चेतावनी दी है कि घुसपैठियों को देश छोड़कर जाना ही होगा। उन्होंने बिहार में एक रैली में कहा कि भारत में भारत का कानून चलेगा और घुसपैठियों की मनमानी नहीं चलेगी।
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