डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ से भारत में बढ़ा स्वदेशी का शोर, अमेरिकी ब्रांड्स के बहिष्कार से भारी नुकसान का डर!

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय सामानों पर टैरिफ बढ़ाने के बाद भारत में 'मेड इन इंडिया' और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने की मुहिम तेज़ हो गई है। जानिए कैसे भारतीय उपभोक्ता और व्यापारी अमेरिकी ब्रांड्स का बहिष्कार कर रहे हैं, और इसका अमेरिकी कंपनियों पर क्या असर हो सकता है।

Aug 13, 2025 - 18:05
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डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ से भारत में बढ़ा स्वदेशी का शोर, अमेरिकी ब्रांड्स के बहिष्कार से भारी नुकसान का डर!
अमेरिकी ब्रांड्स के बहिष्कार और 'मेड इन इंडिया' मुहिम को दर्शाती तस्वीर, जिसमें भारतीय और अमेरिकी झंडे के प्रतीक तथा 'मेक इन इंडिया' का लोगो दिखाया गया है।

ब्रेकिंग न्यूज़: अमेरिकी टैरिफ के बाद भारत में स्वदेशी आंदोलन तेज़, अमेरिकी ब्रांड्स पर संकट!

लाभ: यह लेख आपको डोनाल्ड ट्रंप के हालिया टैरिफ वृद्धि के भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों और 'मेड इन इंडिया' अभियान के उदय को समझने में मदद करेगा, जिससे आप देश की आत्मनिर्भरता की दिशा में हो रहे बदलावों से अवगत हो सकेंगे।

दर्शक फोकस: भारतीय नागरिक, व्यापारी, नीति-निर्माता और वे सभी जो भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों और स्वदेशी आंदोलन में रुचि रखते हैं।


नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय सामानों पर 50% तक टैरिफ लगाए जाने के बाद, भारत में अब इसका सीधा असर दिखने लगा है। भारत के लोगों और व्यापारियों में अमेरिकी ब्रांड्स के खिलाफ गुस्सा और नाराजगी साफ तौर पर नजर आ रही है, जिसके परिणामस्वरूप 'मेड इन इंडिया' को लेकर समर्थन की लहर तेज हो गई है। पिछले कुछ दशकों में भारत ने अपनी आर्थिक ताकत को बढ़ाया है और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देने का संकल्प लिया है। व्यापारी और आम लोग दोनों अब विदेशी ब्रांड्स का बहिष्कार कर देश के उत्पादों को प्राथमिकता देने की बात कर रहे हैं।

अमेरिकी ब्रांड्स को भारत में बड़ा झटका लगने का डर

भारत अमेरिकी कंपनियों के लिए एक बड़ा और अहम बाजार है। यहां का बढ़ता मध्यम वर्ग और अमीर उपभोक्ता लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स के दीवाने रहे हैं, जिनमें से ज्यादातर अमेरिकी हैं। McDonald's, Coca-Cola, Amazon, Apple जैसे नाम भारतीय जनजीवन का हिस्सा हैं। WhatsApp का सबसे बड़ा यूजर बेस भारत में है, और Domino's की सबसे ज्यादा रेस्टोरेंट चेन भी यहीं पर हैं। ऐसे में, अगर भारत में अमेरिकी ब्रांड्स का बहिष्कार तेज होता है, तो इन कंपनियों को भारी नुकसान पहुंच सकता है। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक 'मेड इन इंडिया' का समर्थन लगातार बढ़ रहा है।

कारोबारी और टेक विशेषज्ञ कर रहे स्वदेशी का आह्वान

'मेड इन इंडिया' के समर्थन में अब कारोबारियों की आवाज भी बुलंद होने लगी है। वाओ स्किन साइंस के कोफाउंडर मनीष चौधरी ने किसानों और स्टार्टअप्स को हौसला देते हुए कहा है कि अब वक्त आ गया है कि 'मेड इन इंडिया' को पूरी दुनिया में मशहूर किया जाए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे दक्षिण कोरिया के फूड और ब्यूटी प्रोडक्ट्स ने दुनिया में अपना नाम बनाया, वैसे ही भारतीय ब्रांड्स को भी अपनी खास पहचान बनानी पड़ेगी। ड्राइव व्यू के सीईओ रहम शास्त्री ने सोशल मीडिया पर लिखा कि भारत को भी चीन की तरह अपने खुद के सोशल मीडिया और टेक प्लेटफॉर्म तैयार करने चाहिए। उनका कहना है कि Facebook, WhatsApp, Instagram और X जैसे मौजूदा प्लेटफॉर्म अमेरिकी कंपनियों के मालिकी वाले हैं, और भारत को Twitter, Google, YouTube और WhatsApp जैसी विदेशी सेवाओं पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए।

स्वदेशी जागरण मंच की अपील और सोशल मीडिया पर मुहिम

इस बीच, बीजेपी से जुड़े संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने हाल ही में देश भर में छोटे-छोटे प्रदर्शन किए और लोगों से अमेरिकी ब्रांड्स का बहिष्कार करने की अपील की है। संगठन के सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा है कि लोग अब भारतीय प्रोडक्ट्स की ओर रुख कर रहे हैं। उनका मानना है कि इसमें समय जरूर लगेगा, लेकिन यह राष्ट्रभक्ति और देश प्रेम का आह्वान है। सोशल मीडिया पर स्वदेशी जागरण मंच की तरफ से 'विदेशी फूड चेन का बहिष्कार करें' नाम का एक ग्राफिक खूब शेयर किया जा रहा है, जिसमें McDonald's समेत कई रेस्टोरेंट ब्रांड्स के लोगो दिखाए गए हैं। वहीं, WhatsApp पर एक लिस्ट भी घूम रही है, जिसमें भारतीय साबुन, टूथपेस्ट और ठंडे पेय के देसी विकल्प सुझाए गए हैं, ताकि मशहूर अमेरिकी ब्रांड्स का बहिष्कार कर देश के ब्रांड्स को सपोर्ट किया जा सके। यह पहल टैरिफ की मार को कम करने और स्वदेशी प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देने के लिए की जा रही है, और इसका असर लगातार तेज होता दिख रहा है।


  • FAQ सेक्शन
  • Q1: अमेरिका के खिलाफ 'मेड इन इंडिया' मुहिम की शुरुआत कैसे हुई? A1: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय सामानों पर 50% तक टैरिफ लगाए जाने के बाद भारत में अमेरिकी ब्रांड्स के खिलाफ गुस्सा और नाराजगी बढ़ी, जिसके परिणामस्वरूप 'मेड इन इंडिया' मुहिम और विदेशी उत्पादों के बहिष्कार की लहर तेज हो गई है।
  • Q2: भारत में बहिष्कार के आह्वान से कौन से अमेरिकी ब्रांड सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं? A2: भारत में बहिष्कार के आह्वान से McDonald's, Coca-Cola, Amazon, Apple, WhatsApp, और Domino's जैसे अमेरिकी ब्रांड्स सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं, क्योंकि भारत उनके लिए एक बड़ा और अहम बाजार है।
  • Q3: भारतीय व्यापार जगत के नेता और संगठन इस मुहिम का समर्थन कैसे कर रहे हैं? A3: वाओ स्किन साइंस के कोफाउंडर मनीष चौधरी ने 'मेड इन इंडिया' को वैश्विक बनाने की बात कही है, जबकि ड्राइव व्यू के सीईओ रहम शास्त्री ने भारत के अपने सोशल मीडिया और टेक प्लेटफॉर्म विकसित करने का आह्वान किया है। इसके अतिरिक्त, स्वदेशी जागरण मंच जैसे संगठन भी अमेरिकी ब्रांड्स के बहिष्कार के लिए प्रदर्शन और अपील कर रहे हैं।
  • Q4: भारत के लिए स्वदेशी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म विकसित करने का क्या महत्व है? A4: भारत के लिए स्वदेशी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म विकसित करने का महत्व यह है कि इससे Facebook, WhatsApp, Instagram, X, Twitter, Google, और YouTube जैसी विदेशी सेवाओं पर हमारी निर्भरता कम होगी।
  • Q5: 'मेड इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियानों का दीर्घकालिक लक्ष्य क्या है? A5: 'मेड इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियानों का दीर्घकालिक लक्ष्य घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देना, भारत की आर्थिक ताकत बढ़ाना और विदेशी उत्पादों पर निर्भरता कम करके राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाना है। यह राष्ट्रभक्ति और देश प्रेम का आह्वान भी है।

Neeraj Ahlawat Neeraj Ahlawat is a seasoned News Editor from Panipat, Haryana, with over 10 years of experience in journalism. He is known for his deep understanding of both national and regional issues and is committed to delivering accurate and unbiased news.