यमुना में बाढ़ का खतरा: हथिनीकुंड बैराज से 3.25 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा, दिल्ली हाई अलर्ट पर

यमुना में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। हथिनीकुंड बैराज से 3.25 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद दिल्ली में अलर्ट जारी। जानें निचले इलाकों पर मंडराते खतरे और प्रशासन के इंतज़ाम।

Sep 5, 2025 - 17:57
Sep 5, 2025 - 17:59
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यमुना में बाढ़ का खतरा: हथिनीकुंड बैराज से 3.25 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा, दिल्ली हाई अलर्ट पर
यमुना में बाढ़ का खतरा, हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़ा गया

By: दैनिक रियल्टी ब्यूरो | Date: | 05 Sep 2025

यमुना में बाढ़ का खतरा: हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया लाखों क्यूसेक पानी, दिल्ली में अलर्ट

लगातार 24 घंटों से हो रही मूसलाधार बरसात ने आसमानी आफत का रूप ले लिया है, जिसके चलते यमुना नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। औसत से ज्यादा वर्षा के कारण निचले इलाकों से लेकर नेशनल हाईवे तक पानी-पानी हो गया है और यातायात व्यवस्था भी अस्त-व्यस्त हो गई है। हरियाणा के यमुनानगर में स्थित हथिनीकुंड बैराज से 3,25,000 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद दिल्ली सहित यमुना से सटे निचले इलाकों में यमुना में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। यह पानी अगले 72 घंटों में दिल्ली पहुंचने का अनुमान है, जिससे राजधानी के निचले क्षेत्रों में गंभीर बाढ़ का संकट पैदा हो गया है। प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए यमुनानगर और दिल्ली के आस-पास रह रहे लोगों को अलर्ट कर दिया है, और सिंचाई विभाग ने भी हाई अलर्ट जारी कर दिया है।

इस गंभीर स्थिति में, यमुनानगर के डीसी मुकुल कुमार ने हथिनीकुंड से सटे और यमुना के निचले इलाकों में अलर्ट जारी किया है। लोगों को ढोल से मुनादी करवाकर और गांव के सरपंचों को संदेश भेजकर सचेत किया जा रहा है। प्रशासन ने सभी को यह हिदायत दी है कि वे न तो खुद यमुना के नजदीक जाएं और न ही अपने पशुओं को नदी के पास छोड़ें। 15 जून से ही बाढ़ नियंत्रण कक्ष (फ्लड कंट्रोल रूम) स्थापित कर दिया गया है, जो लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है। पहाड़ों पर हो रही लगातार बरसात के कारण यमुना का जलस्तर निरंतर बढ़ रहा है, जिससे हालात और भी चिंताजनक होते जा रहे हैं।

यमुना में बाढ़ का खतरा: हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया लाखों क्यूसेक पानी

यमुनानगर में स्थित हथिनीकुंड बैराज से शनिवार सुबह 9 बजे 3,25,000 क्यूसेक पानी मापा गया और फिर उसे छोड़ दिया गया। इस विशाल मात्रा में पानी के बहाव से निचले इलाकों में पानी भरने और बाढ़ आने का अंदेशा बढ़ गया है। यह पानी अगले तीन दिनों यानी 72 घंटों के भीतर दिल्ली पहुंच जाएगा, जिससे राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों में यमुना में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। स्थानीय प्रशासन और सिंचाई विभाग ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तत्काल प्रभाव से हाई अलर्ट जारी कर दिया है और संवेदनशील क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी जा रही है।

दिल्ली पर मंडराया बाढ़ का साया, प्रशासन अलर्ट

हरियाणा से छोड़े गए पानी के दिल्ली पहुंचने में 72 घंटे का समय लगने के कारण राजधानी के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो गया है। दिल्ली प्रशासन ने यमुना नदी के आसपास रहने वाले लोगों को सतर्क कर दिया है और उन्हें सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा है। खासकर यमुना के खादर क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। जलस्तर में अचानक वृद्धि से इन क्षेत्रों में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। प्रशासन ने लोगों से धैर्य रखने और किसी भी आपात स्थिति में सहायता के लिए संपर्क करने की अपील की है।

यमुनानगर के गांवों में दहशत का माहौल, पलायन को मजबूर लोग

यमुनानगर से सटे ग्रामीण इलाकों में यमुना में बाढ़ का खतरा लोगों के लिए वास्तविक बन चुका है। गांव वाले लगातार अपने स्तर पर काम कर रहे हैं, सुबह 6 बजे से ही तटबंधों को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन, ग्रामीणों का कहना है कि जितना काम वे दिन में करते हैं, उतना ही रात को बह जाता है। अब गांव और नदी के बीच की दूरी महज 50 मीटर से भी कम रह गई है, और कुछ स्थानों पर तो यह दूरी केवल 10 मीटर बची है। इस दहशत भरे माहौल में ग्रामीण रात भर सो नहीं पा रहे हैं और अपने सामान बांधना शुरू कर दिया है। कुछ घरों से तो लोग पहले ही पलायन कर चुके हैं, और कई लोग अब बस इंतजार कर रहे हैं कि अगर पानी नहीं रुकता तो उन्हें भी अपना गांव छोड़कर जाना पड़ेगा। यह स्थिति ग्रामीणों में अत्यधिक मायूसी और भय का कारण बनी हुई है।

ग्रामीणों का आरोप: प्रशासन नहीं ले रहा स्थिति को गंभीरता से

गांव वालों में प्रशासन के प्रति गहरा असंतोष है। उनका आरोप है कि पिछली बार ऐसी स्थिति बनने पर सेना तक को बुलाया गया था और नदी का बहाव सीधे गांव की ओर था, जिसे प्रशासन ने गंभीरता से लिया था। लेकिन, इस बार बहाव घूम कर आ रहा है और प्रशासन न तो सहयोग दे रहा है और न ही स्थिति को उतनी गंभीरता से ले रहा है। ग्रामीणों ने डीसी और एसडीएम से भी लेबर बढ़ाने की गुहार लगाई है, क्योंकि कट्टे भरने में कमी के कारण काम बाधित हो रहा है और युद्धस्तर पर काम न होने से कटाव रुक नहीं रहा है। उनका यह भी कहना है कि प्रशासन केवल कट्टे भरवा रहा है, जबकि असली मेहनत गांव वाले कर रहे हैं। अगर गांव वाले न लगें तो कोई काम नहीं हो सकता।

बारिश का कहर: 24 घंटे से जारी वर्षा ने बढ़ाई चिंता

पिछले 24 घंटों से लगातार हो रही बरसात ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। औसत से ज्यादा बारिश के कारण यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़ने की नौबत आई है। पहाड़ों पर हो रही लगातार बरसात भी यमुना नदी में जलस्तर वृद्धि का प्रमुख कारण है। यह बेमौसम या अत्यधिक वर्षा न केवल बाढ़ का खतरा बढ़ा रही है, बल्कि निचले इलाकों में जलभराव और यातायात अवरोध भी पैदा कर रही है। मौसम विभाग ने भी आगे और बारिश की संभावना जताई है, जिससे स्थिति में सुधार की उम्मीद कम ही नजर आ रही है।

पिछली बार से अलग हालात, मदद की दरकार

ग्रामीणों के अनुसार, पिछली बार जब बाढ़ जैसी स्थिति बनी थी, तो गांव बिल्कुल सीधा खतरे में था और सेना भी मदद के लिए आई थी। उस समय प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए तत्काल और बड़े स्तर पर राहत कार्य शुरू किए थे। लेकिन इस बार, भले ही नदी का बहाव सीधा न हो, फिर भी गांव की दूरी नदी से बहुत कम बची है। ग्रामीण लगातार प्रशासन से अधिक सहायता और युद्धस्तर पर काम करने की मांग कर रहे हैं, ताकि उनके गांव को नदी में समाने से बचाया जा सके। उनका कहना है कि लेबर की कमी और काम में देरी से स्थिति और बिगड़ती जा रही है, और अगर समय रहते उचित कार्रवाई नहीं की गई तो उनके पास गांव से पलायन करने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा।

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