नूर खान एयरबेस रहस्य: C-17 ग्लोबमास्टर की पाकिस्तान में मौजूदगी ने बढ़ाई भू-राजनीतिक चिंता!

नूर खान एयरबेस पर अमेरिकी C-17 ग्लोबमास्टर की रहस्यमयी मौजूदगी और सैन्य अधिकारियों का जमावड़ा, पाकिस्तान में बाढ़ राहत की आड़ में छिपे भू-राजनीतिक समीकरणों को जानें।

Sep 8, 2025 - 13:30
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नूर खान एयरबेस रहस्य: C-17 ग्लोबमास्टर की पाकिस्तान में मौजूदगी ने बढ़ाई भू-राजनीतिक चिंता!
पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस पर अमेरिकी C-17 ग्लोबमास्टर विमान

By: दैनिक रियल्टी ब्यूरो | Date: | 08 Sep 2025

नूर खान एयरबेस रहस्य: पाकिस्तान में अमेरिकी C-17 ग्लोबमास्टर की अचानक मौजूदगी ने खड़े किए गंभीर सवाल

पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस पर अमेरिकी वायुसेना के C-17 ग्लोबमास्टर मालवाहक विमानों की हालिया मौजूदगी और उच्च पदस्थ सैन्य अधिकारियों का जमावड़ा एक बड़े रहस्य को जन्म दे रहा है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब पाकिस्तान गंभीर बाढ़ की चपेट में है, और अमेरिका मानवीय सहायता के नाम पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। हालांकि, इस तथाकथित राहत अभियान की प्रकृति और इसमें शामिल सैन्य हस्तियों ने भू-राजनीतिक गलियारों में गहरी चिंताएं बढ़ा दी हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल बाढ़ राहत नहीं है, बल्कि इसके पीछे कुछ और ही महत्वपूर्ण रणनीतिक उद्देश्य छिपे हैं, जो भारत और अमेरिका के संबंधों में पूर्व में आए उतार-चढ़ाव से भी जुड़े हो सकते हैं।

नूर खान एयरबेस पर अमेरिकी C-17 ग्लोबमास्टर का रहस्य

हाल ही में पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस पर अमेरिकी C-17 ग्लोबमास्टर मालवाहक विमानों को देखा गया है, जो आमतौर पर भारी सामान ढोने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये विमान ऐसे समय में देखे गए हैं जब पाकिस्तान में भयावह बाढ़ आई हुई है, और मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, हजारों लोग मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं। देखने में यह मानवीय सहायता जैसा प्रतीत होता है, लेकिन स्थिति की गंभीरता इस बात से समझी जा सकती है कि इन मालवाहक जहाजों के साथ अमेरिका के थ्री-स्टार रैंक के सैन्य अधिकारी भी आए हैं, जिन्हें पाकिस्तान के थ्री-स्टार जनरल रैंक के अधिकारी रिसीव कर रहे हैं। भारत में यह पद लेफ्टिनेंट जनरल के बराबर होता है, जो चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ या आर्मी चीफ से ठीक एक कदम नीचे होता है। यह सवाल उठाता है कि मानवीय सहायता के लिए इतनी उच्च सैन्य उपस्थिति क्यों आवश्यक है? आम तौर पर ऐसी स्थितियों में राजनयिक या ब्यूरोक्रेट्स शामिल होते हैं, लेकिन नूर खान एयरबेस पर केवल सैन्य कर्मियों की ही उपस्थिति दिखाई दे रही है। मई से लेकर अब तक इस एयरबेस पर अमेरिकी जहाजों की गतिविधियों और जनरलों के आदान-प्रदान को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।

बाढ़ राहत के पीछे अमेरिकी इरादे: एक गहरा सवाल

पाकिस्तान को मानवीय सहायता भेजने का अमेरिका का दावा, जिसमें यूएस सेंट्रल कमांड (CENTCOM) द्वारा "जीवन रक्षक सहायता" का जिक्र किया गया है, एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। यह सहायता C-17 विमानों के माध्यम से नूर खान एयरबेस पर पहुंचाई जा रही है, जिसका उद्देश्य बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों तक मदद पहुंचाना बताया गया है। हालांकि, यहां कई विसंगतियां नजर आती हैं। पहला, यदि यह केवल मानवीय सहायता थी, तो इसमें राजनयिकों या विदेश मंत्रियों के बजाय केवल सैन्य अधिकारियों की भागीदारी क्यों है? भारत ने भी हाल ही में अफगानिस्तान में भूकंप आने पर मानवीय सहायता भेजी थी, जिसमें कोई सैन्य अधिकारी शामिल नहीं था। दूसरा, क्या नूर खान एयरबेस स्वयं बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में स्थित है? यदि नहीं, तो पाकिस्तान में अन्य कई एयरबेस हैं, जिनमें इस्लामाबाद, लाहौर या कराची जैसे बड़े शहरों के निकट स्थित एयरबेस शामिल हैं, जहां यह सहायता रोकी जा सकती थी। नूर खान एयरबेस का विशेष रूप से चयन करना संदेह पैदा करता है कि बाढ़ राहत केवल एक बहाना हो सकता है।

नूर खान: पाकिस्तान का गुप्त अमेरिकी ठिकाना?

नूर खान एयरबेस, जिसे पहले चकलाला के नाम से जाना जाता था और 2012 में पाकिस्तान वायुसेना के एक बड़े अधिकारी नूर खान के नाम पर इसका नामकरण किया गया, रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित है। यह रावलपिंडी में, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK), चीन, मध्य एशिया (पूर्व यूएसएसआर) और अफगानिस्तान के बहुत करीब है। ब्रिटिश सेना ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस एयरबेस का उपयोग पायलट प्रशिक्षण और युद्ध अभ्यासों के लिए किया था। जून में, एक पाकिस्तानी पत्रकार ने दावा किया था कि नूर खान एयरबेस असल मायने में पाकिस्तान में अमेरिका का एक गुप्त ठिकाना है। इस पत्रकार के अनुसार, यहां तक कि पाकिस्तानी अधिकारियों को भी अमेरिकी कर्मियों से यह पूछने की हिम्मत नहीं होती कि एयरबेस में क्या सामान रखा है। एक बार एक पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी द्वारा ऐसा सवाल पूछे जाने पर एक अमेरिकी अधिकारी ने पिस्तौल तक तान दी थी। यह स्थिति इस बात की ओर इशारा करती है कि अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान में भले ही कोई एयरबेस न रखा हो, लेकिन नूर खान जैसे स्थानों को वह गुप्त रूप से अपने नियंत्रण में रखता है। अमेरिका दुनिया भर के 80 से अधिक देशों में 750 से अधिक सैन्य ठिकाने रखता है, जहां लगभग पौने दो लाख सैनिक तैनात हैं। पहले भी, अमेरिका ने 2011 तक बलूचिस्तान के शमशी एयरबेस का उपयोग अफगानिस्तान में अलकायदा और तालिबान के खिलाफ हमलों के लिए किया था।

ऑपरेशन सिंदूर और अमेरिकी मध्यस्थता की सच्चाई

नूर खान एयरबेस का महत्व तब और बढ़ गया जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इसे निशाना बनाया। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद अप्रैल में शुरू हुए घटनाक्रम में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुरुआत में भारत-पाकिस्तान तनाव को अपना मामला नहीं बताया था, यह कहते हुए कि दोनों देश हजारों सालों से लड़ रहे हैं और खुद ही इसे सुलझा लेंगे। हालांकि, जब भारत ने मई में पाकिस्तान के अंदर घुसकर उसके एयरबेस, विशेषकर नूर खान एयरबेस पर हमला किया, तो पाकिस्तान की रक्षा प्रणाली और सैन्य तैयारियों की पोल खुल गई। पाकिस्तानी मीडिया ने इन हमलों को नकारने की कोशिश की, लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों और पाकिस्तानी YouTube चैनलों की रिपोर्टिंग ने हमले की पुष्टि कर दी। 9 मई को नूर खान एयरबेस पर भारतीय हमले के बाद, अचानक अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारी मार्को रुबियो ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ से बातचीत की, और 10 मई की शाम को ट्रंप ने घोषणा की कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम करवा दिया है। इस अचानक हुई मध्यस्थता और ट्रंप द्वारा बार-बार इसका श्रेय लेने को लेकर कई सवाल उठे। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने नूर खान जैसे गुप्त अमेरिकी ठिकाने को निशाना बनाकर अमेरिका को मजबूर कर दिया था कि वह पाकिस्तान को रोके, ताकि उसके गुप्त राज दुनिया के सामने न आएं। भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि यदि पाकिस्तान शांति बनाए रखता है, तो भारत अपनी ओर से कार्रवाई बंद कर देगा।

क्या नूर खान में छिपा है अमेरिका का परमाणु राज?

नूर खान जैसे गुप्त ठिकानों के रणनीतिक महत्व को देखते हुए, यह भी अटकलें लगाई जाती हैं कि अमेरिका ने यहां कुछ सामरिक उपकरण या यहां तक कि परमाणु हथियार भी रखे हो सकते हैं। अमेरिका और रूस के पास दुनिया में सबसे अधिक परमाणु बम हैं, जिनमें अमेरिका के पास लगभग 5500 परमाणु बम होने का अनुमान है। अमेरिका अपनी पूरी परमाणु शक्ति को एक ही जगह केंद्रित करने की गलती नहीं करेगा, क्योंकि इससे वह एक ही हमले में पूरी तरह नष्ट हो सकता है। इसलिए, यह संभव है कि उसने अपने परमाणु हथियारों को दुनिया भर में अपने विभिन्न गुप्त ठिकानों पर फैला रखा हो। नूर खान का नाम ऐसे ही एक संभावित गुप्त ठिकाने के रूप में लिया जाता है, क्योंकि यह आधिकारिक तौर पर अमेरिकी नियंत्रण में नहीं है। यह अटकलें, हालांकि आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं की गई हैं, लेकिन वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। 4 सितंबर को नूर खान एयरबेस के उस हिस्से का पुनर्निर्माण शुरू हुआ, जिसे भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में निशाना बनाया था। इसके ठीक अगले दिन, 5 सितंबर को अमेरिकी ग्लोबमास्टर विमान नूर खान पर उतरते हैं। यह महज एक इत्तेफाक नहीं हो सकता, बल्कि यह इंगित करता है कि नूर खान एयरबेस पर कुछ महत्वपूर्ण रणनीतिक खेल चल रहा है, जिसे बाढ़ सहायता के बहाने छिपाने की कोशिश की जा रही है।

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