हरियाणा में 'नंगा चोर' का आतंक: सलेमगढ़ बना केंद्र, दहशत में ग्रामीण
हरियाणा के हिसार जिले में 'नंगे चोर' का आतंक, सलेमगढ़ गांव बना केंद्र। ग्रामीण रात-रातभर जागकर कर रहे पहरा, पुलिस प्रशासन पर सवाल। जानिए पूरी हकीकत।

हरियाणा में 'नंगा चोर' का आतंक: सलेमगढ़ बना केंद्र, दहशत में ग्रामीण
हरियाणा के कई जिलों में इन दिनों 'नंगा चोर' का खौफ फैला हुआ है। सोशल मीडिया पर इस चोर के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिन्हें अलग-अलग गांवों का बताया जा रहा है। लेकिन, हकीकत यह है कि इन वायरल वीडियो में से ज्यादातर हिसार जिले के सलेमगढ़ गांव के हैं, जहां पिछले 10-12 दिनों से यह चोर आतंक मचाए हुए है। ग्रामीण रात-रात भर जागकर अपने गांव की रखवाली कर रहे हैं और पुलिस प्रशासन से चोर को पकड़ने की गुहार लगा रहे हैं।
सलेमगढ़: आतंक का मुख्य केंद्र सलेमगढ़ गांव, जिसकी लगभग 2800 वोटें हैं, इस ‘नंगे चोर’ के आतंक का मुख्य केंद्र बन गया है। गांव के लोगों का कहना है कि सोशल मीडिया पर जो वीडियो मदनड़ी, बनभोरी या फरमाना जैसे गांवों के नाम से वायरल हो रहे हैं, वे दरअसल सलेमगढ़ के ही हैं। गांव वाले इन अफवाहों को गलत बताकर सच्चाई उजागर कर रहे हैं कि ये सभी वीडियो उनके गांव के हैं। आलम यह है कि गांव के आधे से ज्यादा लोग रात भर जागकर पहरा दे रहे हैं। महिलाएं और बच्चे भी डर के मारे सो नहीं पा रहे हैं, जिससे पूरे गांव में दहशत का माहौल है।
चोर का अजीबोगरीब तरीका और वारदातें इस चोर का तरीका बेहद अजीब है। यह अक्सर पूरी तरह नंगा होकर घरों में घुसता है। हालांकि, उसे सफेद कुर्ता-पजामा और सूट-सलवार में भी देखा गया है। यह चोर मुख्य रूप से सोने-चांदी और नकदी पर हाथ साफ करता है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह मोबाइल फोन को नहीं छूता, शायद ट्रेस होने के डर से। एक घटना में, यह चोर एक घर में घुसा और 1500 रुपये ले गया; जब एक महिला जागी, उसने उसका मुंह दबाकर, छाती पर मुक्का मारा और फरार हो गया। ग्रामीण बताते हैं कि यह चोर बहुत तेज भागता है और कैमरे से बिल्कुल नहीं डरता, बल्कि जानबूझकर कैमरे के सामने आता है। कुछ ग्रामीणों का मानना है कि यह सनकी या साइको टाइप का व्यक्ति है। उसने सलेमगढ़ में 8-10 घरों में घुसने की कोशिश की है, जिनमें से 2-3 घरों में वह चोरी करने में सफल रहा है।
ग्रामीणों पर गहरा असर और बचाव के उपाय ‘नंगे चोर’ के आतंक ने ग्रामीणों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। रात भर जागने के कारण किसान, मजदूर और नौकरीपेशा लोग दिन में अपना काम ठीक से नहीं कर पा रहे हैं। महिलाओं और बच्चों में खास डर है, वे घर से बाहर नहीं निकलतीं और दरवाजों पर कुंडी लगाकर सोती हैं। गांव के लगभग 150-200 युवा, बड़े-बुजुर्ग और महिलाएं भी, रात-रात भर जागकर गलियों और छतों पर पहरा दे रहे हैं। ग्रामीण हाथों में लाठी लेकर सोते हैं और चोर को पकड़ने के लिए पूरी तरह सतर्क रहते हैं। कुछ ग्रामीणों ने सलाह दी है कि लाल मिर्च साथ रखें और कुत्ते पालें, ताकि चोर को रोका जा सके।
पुलिस प्रशासन की भूमिका और ग्रामीणों की गुहार ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस रात में 10-11 बजे तक गश्त करती है और उसके बाद गांव में नहीं दिखती। उनका आरोप है कि पुलिस और प्रशासन इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, जिससे चोर के हौसले बुलंद हैं। हैरानी की बात यह है कि रात में गांव के ऊपर दो ड्रोन भी उड़ते देखे गए हैं, जिससे ग्रामीण आशंका जता रहे हैं कि कहीं ये ड्रोन चोर की रेकी तो नहीं कर रहे हैं। सलेमगढ़ के ग्रामीणों ने पुलिस प्रशासन से हाथ जोड़कर विनती की है कि इस चोर को जल्द से जल्द पकड़ा जाए, ताकि गांव में शांति लौट सके और लोग चैन से सो सकें। पड़ोसी गांवों के लोग भी सलेमगढ़ के ग्रामीणों के साथ मिलकर WhatsApp ग्रुप बनाकर जानकारी साझा कर रहे हैं ताकि इस चोर को पकड़ा जा सके। यह स्थिति सरकार और कानून व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है।
निष्कर्ष सलेमगढ़ गांव में 'नंगे चोर' का आतंक केवल एक चोरी की घटना नहीं, बल्कि एक समुदाय के धैर्य और सुरक्षा की चुनौती बन गया है। जिस तरह से ग्रामीण रात-रात भर जागकर अपने घरों और परिवारों की सुरक्षा कर रहे हैं, वह उनकी मजबूरी और पुलिस प्रशासन की ढिलाई को दर्शाता है। यह आवश्यक है कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले और त्वरित कार्रवाई कर इस अपराधी को पकड़े, ताकि ग्रामीणों को इस अनचाहे खौफ से मुक्ति मिल सके और वे शांतिपूर्वक अपना जीवन जी सकें। यह स्थिति इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि जब सरकार और सुरक्षा एजेंसियां अपनी जिम्मेदारी पूरी करने में विफल रहती हैं, तो नागरिकों को खुद अपनी सुरक्षा के लिए उठ खड़ा होना पड़ता है।