Saudi-Pakistan Defense Deal: क्या भारत पर हमले की सूरत में सऊदी अरब पाकिस्तान की मदद के लिए आएगा?
सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच रक्षा समझौता हुआ है। जानिए क्या भारत-पाक युद्ध होने पर सऊदी अरब पाकिस्तान का साथ देगा? विशेषज्ञों ने बताई पूरी जानकारी।

हाल ही में सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच एक रक्षा समझौता हुआ है, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा तेज कर दी है। इस समझौते के तहत, अगर किसी देश द्वारा पाकिस्तान पर हमला किया जाता है, तो उसे सऊदी अरब पर हमला माना जाएगा और सऊदी अरब पाकिस्तान के साथ मिलकर लड़ेगा। यह समझौता NATO जैसा है, जहां एक सदस्य देश पर हमला होने पर सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाता है। इस खबर ने भारत समेत कई देशों की चिंता बढ़ा दी है।
समझौते का मुख्य उद्देश्य क्या है?
सूत्रों के मुताबिक, सऊदी अरब ने यह समझौता मुख्य रूप से इजराइल और यमन से अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया है। सऊदी अरब लंबे समय से यमन के विद्रोहियों और इजराइल से खतरे को महसूस कर रहा है। पाकिस्तान ने इस मौके का फायदा उठाते हुए सऊदी अरब के साथ यह डील की है। हालांकि, यह समझौता सीधे तौर पर भारत के खिलाफ नहीं है, लेकिन इससे भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
क्या भारत-पाकिस्तान युद्ध में सऊदी अरब शामिल होगा?
वरिष्ठ पत्रकार पंकज प्रसुन के मुताबिक, अगर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ता है, तो सऊदी अरब के भारत के खिलाफ लड़ने की संभावना कम है। सऊदी अरब और भारत के बीच रणनीतिक साझेदारी है और दोनों देशों के बीच अरबों डॉलर का व्यापार हो रहा है। सऊदी अरब पाकिस्तान के लिए भारत के साथ अपने संबंध खराब नहीं करेगा। इसके अलावा, सऊदी अरब की अपनी कोई मजबूत सेना नहीं है, और वह पाकिस्तान की सैन्य मदद पर निर्भर है।
अमेरिका की भूमिका क्या है?
इस समझौते के पीछे अमेरिका का हाथ होने की आशंका जताई जा रही है। अमेरिका पाकिस्तान को स्थिर रखना चाहता है ताकि वहां के क्रिप्टो करेंसी बिजनेस को बढ़ावा मिल सके। डोनाल्ड ट्रंप का पाकिस्तान में 9 बिलियन डॉलर का क्रिप्टो करेंसी व्यवसाय है, और उसे पाकिस्तान की स्थिरता की जरूरत है। अमेरिका भारत और चीन को आर्थिक चुनौती के रूप में देखता है और उन्हें कमजोर करने की कोशिश कर रहा है।
भारत के लिए क्या हैं विकल्प?
भारत के पास इस स्थिति से निपटने के कई विकल्प हैं। भारत रूस, इजराइल, चीन, या अन्य देशों के साथ ऐसा ही रक्षा समझौता कर सकता है। अगर ईरान, भारत के साथ मिलकर ऐसा समझौता करता है, तो पाकिस्तान की स्थिति और कमजोर हो जाएगी। भारत सैन्य और आर्थिक रूप से इतना मजबूत है कि वह सऊदी अरब और पाकिस्तान की संयुक्त सेना का भी मुकाबला कर सकता है।
समझौते का असली मकसद क्या है?
यह समझौता यमन के विद्रोहियों और इजराइल से निपटने के लिए किया गया है, न कि भारत के खिलाफ। सऊदी अरब ने पहले भी पाकिस्तान को सैन्य और आर्थिक मदद दी है, लेकिन भारत के खिलाफ कभी सीधे हस्तक्षेप नहीं किया। इस समझौते को दुनिया को दिखाने के लिए बनाया गया है, लेकिन व्यवहारिक रूप से इसका असर सीमित होगा।
पाठकों के सवाल-जवाब
इस समझौते का मुख्य उद्देश्य सऊदी अरब को यमन के विद्रोहियों और इजराइल से सुरक्षा प्रदान करना है। पाकिस्तान, सऊदी अरब की सैन्य मदद करेगा।
ऐसी संभावना कम है क्योंकि सऊदी अरब और भारत के बीच मजबूत आर्थिक और रणनीतिक संबंध हैं।
जी हां, अमेरिका पाकिस्तान को स्थिर रखना चाहता है ताकि वहां के क्रिप्टो करेंसी व्यवसाय को फायदा हो।
भारत के लिए इस समझौते का सीधा असर नहीं होगा, क्योंकि सऊदी अरब भारत के खिलाफ सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगा।
भारत रूस, इजराइल, या ईरान के साथ मिलकर ऐसा ही रक्षा समझौता कर सकता है, जिससे पाकिस्तान की स्थिति कमजोर होगी।