ट्रंप भारत संबंध: 'पीएम मोदी मेरे अच्छे दोस्त हैं, पर रूस से तेल खरीदना निराशाजनक' - ट्रंप का बड़ा बयान
ट्रंप भारत संबंध पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा बयान। उन्होंने पीएम मोदी से दोस्ती को अहम बताया, पर भारत-रूस तेल व्यापार पर जताई निराशा। भारत-अमेरिका संबंधों को 'तात्कालिक' कहा।

By: दैनिक रियल्टी ब्यूरो | Date: |06 Sep 2025
ब्रेकिंग न्यूज़: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का भारत को लेकर एक और बड़ा बयान सामने आया है, जिसने वैश्विक कूटनीति में भारत की स्थिति पर नई बहस छेड़ दी है। ट्रंप ने एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी गहरी दोस्ती पर जोर दिया है, वहीं दूसरी ओर भारत द्वारा रूस से तेल खरीद पर अपनी निराशा भी व्यक्त की है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत-अमेरिका संबंधों के भविष्य और भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को लेकर विभिन्न कयास लगाए जा रहे हैं। दर्शकों के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति के इन बयानों का क्या अर्थ है और ये दोनों देशों के रिश्तों को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत को लेकर एक बार फिर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके "अच्छे दोस्त" हैं, लेकिन साथ ही भारत द्वारा रूस से तेल की बड़ी मात्रा में खरीद को "निराशाजनक" बताया है। ट्रंप ने भारत और अमेरिका के मौजूदा रिश्तों में आए बदलाव को "तात्कालिक" कहा है। यह बयान उस समय आया है जब उन्होंने पहले यह टिप्पणी की थी कि "लगता है हमने भारत और रूस को खो दिया है"। इन बयानों से भारत-अमेरिका संबंधों की जटिलता और वैश्विक भू-राजनीति में भारत की बढ़ती अहमियत एक बार फिर उजागर हुई है। ट्रंप के इन शब्दों पर विदेश मंत्रालय से भी सवाल किया गया था, लेकिन मंत्रालय ने इस पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था।
ट्रंप का भारत पर नया बयान: पीएम मोदी से दोस्ती और तेल खरीद पर टिप्पणी
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को लेकर अपनी हालिया टिप्पणियों में कई महत्वपूर्ण बातें कही हैं। उनके अनुसार, "पीएम मोदी मेरे अच्छे दोस्त हैं"। यह बयान प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनके व्यक्तिगत संबंधों की गहराई को दर्शाता है, जिसे अक्सर सार्वजनिक मंचों पर भी देखा गया है। ट्रंप ने यहां तक कहा है कि "ऑलवेज बी फ्रेंड्स वि मोदी ग्रेट प्राइम मिनिस्टर ही ग्रेट"। यह उनके आपसी सौहार्द और सम्मान को स्पष्ट करता है। हालांकि, इस दोस्ती के बावजूद, ट्रंप ने भारत की विदेश नीति के एक विशेष पहलू पर अपनी असहमति व्यक्त की है। उन्होंने इस बात पर निराशा जताई है कि "भारत रूस से बहुत तेल खरीदता है"। उनकी टिप्पणी में यह भी शामिल था कि "रूस का भारत रूस का तेल भारत खरीदे यह निराशाजनक है"। यह दर्शाता है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच, अमेरिका के लिए भारत का रूस से तेल आयात अभी भी चिंता का विषय बना हुआ है, भले ही उनके व्यक्तिगत संबंध कितने भी अच्छे क्यों न हों।
'भारत और रूस को खो दिया': पहले की टिप्पणी और विदेश मंत्रालय की चुप्पी
ट्रंप का यह नवीनतम बयान उनके पहले के एक अधिक कठोर कथन के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि "लगता है हमने भारत और रूस को खो दिया है"। यह टिप्पणी वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती स्वतंत्र नीति और रूस के साथ उसके पारंपरिक संबंधों को दर्शाती है। जब ट्रंप ने यह बयान दिया था, तो इसने अंतर्राष्ट्रीय हलकों में काफी हलचल मचा दी थी। भारत के विदेश मंत्रालय से भी इस पर सवाल किया गया था, लेकिन मंत्रालय ने उस समय "कोई भी कमेंट करने से इंकार कर दिया" था। यह विदेश मंत्रालय की सतर्कता और कूटनीतिक संवेदनशीलता को दर्शाता है, जहां ऐसे महत्वपूर्ण बयानों पर तत्काल प्रतिक्रिया से बचना अक्सर बेहतर माना जाता है। मंत्रालय की चुप्पी ने स्थिति को और भी अधिक चर्चा का विषय बना दिया था, क्योंकि इसने भारत की ओर से किसी भी आधिकारिक पुष्टि या खंडन की गुंजाइश नहीं छोड़ी थी।
भारत-अमेरिका संबंधों में 'तात्कालिक' बदलाव?
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और अमेरिका के रिश्तों में आए मौजूदा बदलाव को "तात्कालिक" बताया है। उनके इस शब्द का इस्तेमाल यह संकेत देता है कि वह इन मतभेदों को स्थायी नहीं मानते हैं और भविष्य में संबंधों के सामान्य होने की उम्मीद करते हैं। "जस्ट दिस इंडिया रिलेशनशिप डिसल 50% वेल वि मोदी कपल वी गार्डन" (संभवतः इसका अर्थ है कि कुछ समय के लिए संबंध 50% तक कमजोर हुए हैं, लेकिन मोदी के साथ उनके व्यक्तिगत संबंधों के कारण इसे सुधारा जा सकता है या पहले भी सुधारा गया है)। यह एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक संकेत हो सकता है कि ट्रंप, अगर भविष्य में सत्ता में आते हैं, तो भी भारत के साथ संबंधों को प्राथमिकता देंगे, बशर्ते कुछ नीतिगत मतभेदों को सुलझा लिया जाए। 'तात्कालिक' शब्द का प्रयोग यह भी इंगित करता है कि अमेरिकी पक्ष मानता है कि वर्तमान गतिरोध क्षणिक है और इसे बातचीत या परिस्थितियों के बदलने पर दूर किया जा सकता है।
रूस से तेल खरीद पर ट्रंप की निराशा का विश्लेषण
ट्रंप की यह टिप्पणी कि "भारत रूस से बहुत तेल खरीदता है इसलिए हमने टेरिट लगाया है" (यह टैरिफ से संबंधित हो सकता है या रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों का अप्रत्यक्ष संदर्भ हो सकता है) और "रूस का भारत रूस का तेल भारत खरीदे यह निराशाजनक है" अमेरिकी नीति की निरंतर चिंता को उजागर करती है। रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर, अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। भारत ने इन प्रतिबंधों का सीधे तौर पर समर्थन नहीं किया है और अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदना जारी रखा है। ट्रंप की निराशा यह दर्शाती है कि अमेरिका अभी भी चाहता है कि उसके प्रमुख सहयोगी और भागीदार रूस से दूरी बनाए रखें। यह भारत की स्वतंत्र विदेश नीति के लिए एक चुनौती प्रस्तुत करता है, जहां उसे अपने राष्ट्रीय हितों और भू-राजनीतिक दबावों के बीच संतुलन साधना होता है।
पीएम मोदी और ट्रंप की 'अच्छी दोस्ती' का महत्व
ट्रंप ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि "पीएम मोदी मेरे अच्छे दोस्त हैं" और "ही ग्रेट प्राइम मिनिस्टर ही ग्रेट"। यह व्यक्तिगत केमिस्ट्री दोनों नेताओं के कार्यकाल में भारत-अमेरिका संबंधों का एक महत्वपूर्ण पहलू रही है। ट्रंप के कार्यकाल के दौरान, 'हाउडी मोदी' और 'नमस्ते ट्रंप' जैसे मेगा-इवेंट्स ने दोनों देशों के बीच मजबूत व्यक्तिगत संबंधों को दर्शाया था। ट्रंप का यह बयान कि उनकी मोदी से अच्छी दोस्ती है, वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में भी प्रासंगिक है। यह बताता है कि व्यक्तिगत संबंध कूटनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, यहां तक कि नीतिगत मतभेदों के बावजूद भी एक संवाद का मार्ग खुला रखते हैं। यह दोस्ती भविष्य में भारत-अमेरिका संबंधों की दिशा तय करने में एक अप्रत्यक्ष कारक हो सकती है, खासकर यदि ट्रंप फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति बनते हैं।
बदलते वैश्विक समीकरणों में भारत की भूमिका पर ट्रंप के बयानों का प्रभाव
डोनाल्ड ट्रंप के ये बयान ऐसे समय में आए हैं जब वैश्विक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन का बढ़ता प्रभाव और एक बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था का उदय भारत जैसी बड़ी शक्तियों के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां और अवसर पैदा कर रहा है। ट्रंप की टिप्पणियां दर्शाती हैं कि अमेरिका, चाहे किसी भी प्रशासन के अधीन हो, भारत से अपनी वैश्विक रणनीतियों के अनुरूप व्यवहार करने की उम्मीद करता है। वहीं, भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विकास और रणनीतिक स्वायत्तता को प्राथमिकता देते हुए अपनी विदेश नीति का संचालन कर रहा है। ट्रंप के बयान इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि भारत की स्वतंत्र नीति, खासकर रूस के साथ उसके संबंधों के संदर्भ में, अमेरिका के लिए एक विचारणीय विषय बनी हुई है। इन बयानों का दीर्घकालिक प्रभाव क्या होगा, यह भविष्य में दोनों देशों के बीच होने वाली कूटनीतिक वार्ताओं और वैश्विक घटनाओं पर निर्भर करेगा।