US-India Tariffs: ट्रंप को मोदी ने दिया 'बड़ा झटका'? जर्मन अखबार के दावे से मचा हंगामा, जानिए पूरा मामला

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 4 फोन कॉल को पीएम मोदी ने किया नजरअंदाज? जर्मन अखबार की रिपोर्ट ने टेरिफ वॉर के बीच बढ़ाई हलचल, भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव का खुलासा।

Aug 27, 2025 - 17:47
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US-India Tariffs: ट्रंप को मोदी ने दिया 'बड़ा झटका'? जर्मन अखबार के दावे से मचा हंगामा, जानिए पूरा मामला
भारत-अमेरिका टेरिफ तनाव, ट्रंप मोदी फोन कॉल विवाद, जर्मन रिपोर्ट का खुलासा

दैनिक रियल्टी ब्यूरो |By: Neeraj Ahlawat Publish Date: 27 Aug 2025

ब्रेकिंग न्यूज़: क्या भारत और अमेरिका के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है? एक जर्मन अखबार के सनसनीखेज दावे ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के गलियारों में हलचल मचा दी है, जिसमें कहा गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चार फोन कॉल का जवाब नहीं दिया। इस खुलासे ने उन सभी अटकलों को और हवा दे दी है, जो पिछले कुछ समय से भारत-अमेरिका संबंधों में बढ़ रहे खिंचाव को लेकर चल रही थीं। जानिए इस पूरे मामले की अंदरूनी परतें और इसके वैश्विक मायने।

ट्रंप का 'टैरिफ वॉर' और भारत पर अतिरिक्त शुल्क

भारत और अमेरिका के बीच टेरिफ (शुल्क) को लेकर तनाव लगातार जारी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से कच्चा तेल खरीदने के भारत के फैसले पर कड़ा रुख अपनाते हुए भारत पर 25% अतिरिक्त टेरिफ लगा दिया है, जिससे कुल टेरिफ 50% हो गया है। यह अमेरिकी प्रशासन की तरफ से भारत पर दबाव बनाने की रणनीति का एक हिस्सा माना जा रहा है। फ्रैंकफोर्ड ऑल्गमाइन जडम (एफईजेड) की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप की टेरिफ वॉर की सामान्य रणनीति शिकायतों, धमकियों और दबाव वाले हथकंडों पर आधारित रही है। हालांकि, इन हथकंडों ने कई देशों पर तो काम किया है, लेकिन भारत के मामले में यह कारगर साबित नहीं हुआ है। ट्रंप ने भारत को 'डेड इकॉनमी' तक कह दिया था, जिसने दोनों देशों के संबंधों को और भी खराब कर दिया।

जर्मन रिपोर्ट का बड़ा खुलासा: मोदी ने ठुकराए ट्रंप के फोन कॉल

टेरिफ विवाद के बीच, एक जर्मन अखबार ने दावा किया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चार बार फोन किया, लेकिन पीएम मोदी ने उनमें से एक का भी जवाब नहीं दिया। हालांकि, अखबार ने इन फोन कॉल की तारीखों या समय का कोई जिक्र नहीं किया है। भारत ने आधिकारिक तौर पर ऐसे किसी भी संपर्क से इनकार किया है। इस रिपोर्ट ने भारत के कड़े रुख का संकेत दिया है। वियना की जियोपॉलिटिकल रणनीतिकार विलेना चाक रोवा ने इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत ने ऐसा कर बहुत साफ संदेश देने की कोशिश की है।

क्यों अपनाया भारत ने कड़ा रुख? कूटनीतिक संकेत

जर्मन अखबार की रिपोर्ट बताती है कि नरेंद्र मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत से इंकार किया और साथ ही अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल को भी भारत में आने की इजाजत देने से मना कर दिया। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि पीएम मोदी को ट्रंप के बर्ताव से बहुत बुरा महसूस हुआ, यही वजह है कि उन्होंने कड़ा रुख दिखाया और साफ किया कि वह अमेरिका के सामने झुकने को तैयार नहीं हैं। भारत को यह समझ आ गया है कि ट्रंप उसे 'झांसे' में लेना चाहते हैं, लेकिन भारत ऐसे झांसे में फंसने वाला नहीं है। इसलिए पीएम मोदी ने कोई जवाब देने से बेहतर कॉल न उठाना समझा।

ट्रंप के वियतनाम 'डील' का सबक और मोदी की रणनीति

रिपोर्ट में एक दिलचस्प बात सामने आई है कि ट्रंप ने वियतनाम के सुप्रीम लीडर से भी टेरिफ मामले को लेकर फोन पर बातचीत की थी। हालांकि, समझौता न होने के बावजूद ट्रंप ने सोशल मीडिया पर 'डील' का ऐलान कर दिया था। ऐसी किसी भी संभावित 'कंट्रोवर्सी' से बचने के लिए मोदी ने बातचीत से बचने का रास्ता अपनाया। यही वजह है कि मोदी ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की प्रस्तावित दिल्ली यात्रा भी रद्द कर दी थी। भारत नहीं चाहता कि ऐसी कोई स्थिति बने जहां तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाए।

भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव की जड़ें

भारत और अमेरिका के रिश्तों में बीते कुछ समय से तनातनी साफ दिखाई दे रही है। दोनों देशों के रिश्तों में गिरावट की शुरुआत कथित तौर पर तब हुई जब ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच 'सीज फायर' का दावा किया। ट्रंप ने एक बार यह भी दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच जंग रुकवाई है। उन्होंने कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से बात की और फिर पाकिस्तान से भी बातचीत की, जिसमें उन्होंने परमाणु युद्ध में उलझने की धमकी के बाद व्यापार समझौता न करने और भारी टेरिफ लगाने की बात कही थी। इसके बाद ट्रंप प्रशासन ने भारत को रूस से तेल खरीद के लिए धमकाने की कोशिश की और भारत पर 50% टेरिफ लगा दिया।

विशेषज्ञों की राय: भारत का ड्रैगन और बियर की ओर रुझान

एफईजेड की रिपोर्ट सामने आने के बाद विशेषज्ञों ने इस पर प्रतिक्रिया दी है, उनका कहना है कि यह भारत के कड़े रुख का संकेत है। विलेना चाक रोवा ने अपने ट्वीट में लिखा कि भारत ने ट्रंप के 'ट्रैप' से बचने के लिए ड्रैगन और बियर (यानी चीन और रूस) की ओर रुख किया है। नई दिल्ली ने अपना विकल्प चुनते हुए अमेरिका को यह साफ संदेश दे दिया है। यह रिपोर्ट कहीं न कहीं अमेरिका को एक बड़ा झटका हो सकता है, खासकर टेरिफ वॉर के बीच।


FAQs

  1. जर्मन अखबार ने भारत-अमेरिका संबंधों पर क्या दावा किया है? जर्मन अखबार फ्रैंकफोर्ड ऑल्गमाइन जडम ने दावा किया है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चार फोन कॉल का जवाब नहीं दिया है। भारत ने हालांकि आधिकारिक तौर पर ऐसे किसी संपर्क से इनकार किया है।

  2. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त टेरिफ क्यों लगाए हैं? अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से कच्चा तेल खरीदने के भारत के फैसले पर नाराजगी जताते हुए भारत पर 25% अतिरिक्त टेरिफ लगाए हैं, जिससे कुल टेरिफ 50% हो गया है।

  3. भारत ने डोनाल्ड ट्रंप के फोन कॉल को क्यों नजरअंदाज किया, ऐसा रिपोर्ट में क्यों कहा गया? जर्मन रिपोर्ट के अनुसार, पीएम मोदी ने ट्रंप के बर्ताव से खुद को बुरा महसूस किया और वियतनाम मामले जैसी किसी संभावित 'कंट्रोवर्सी' से बचने के लिए उन्होंने बात करने से परहेज किया।

  4. भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव की मुख्य वजहें क्या हैं? भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव की मुख्य वजहों में रूस से तेल खरीद पर टेरिफ, ट्रंप का भारत-पाकिस्तान 'सीज फायर' का दावा, और ट्रंप द्वारा भारत को 'डेड इकॉनमी' कहना शामिल है।

  5. विशेषज्ञ इस घटना को किस रूप में देख रहे हैं? जियोपॉलिटिकल रणनीतिकार विलेना चाक रोवा सहित विशेषज्ञ इसे भारत के कड़े रुख का संकेत मान रहे हैं, जो ट्रंप के 'ट्रैप' से बचने और चीन व रूस की ओर अपना रुख करने का संदेश है।

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