अमेरिका ने ईरान पर किया हवाई हमला, ट्रंप ने दी चेतावनी - 'शांति नहीं तो और निशाने
अमेरिका ने ईरान पर सैन्य हमला किया, पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने चेतावनी दी - अगर ईरान शांति नहीं चाहता तो और निशाने होंगे। विस्तृत रिपोर्ट पढ़ें।

वाशिंगटन/तेहरान। अमेरिकी वायुसेना ने शुक्रवार तड़के ईरान के सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य ठिकानों पर भारी हवाई हमले किए। इस कार्रवाई के बाद पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अगर ईरान शांति के लिए गंभीर नहीं हुआ तो अमेरिका और निशाने बना सकता है।
हमले की बड़ी बातें
सैन्य सूत्रों के अनुसार, अमेरिकी वायुसेना के F-35 और B-2 स्टेल्थ विमानों ने ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान क्षेत्र में स्थित तीन सैन्य ठिकानों पर हमला किया। इन स्थानों को आतंकवादी संगठनों के प्रशिक्षण केंद्र माना जाता है। हमले में कम से कम 12 मिसाइल लॉन्चर और एक हथियारों का गोदाम तबाह हो गया।
"अगर ईरानी शासन शांति चाहता है तो उसे अपने आतंकवादी समर्थन पर तुरंत रोक लगानी होगी। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो हमारे पास कई और लक्ष्य हैं जिन्हें हम नष्ट कर सकते हैं।" - डोनाल्ड ट्रंप, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति
घटनाक्रम की समयरेखा
रात 2:15 बजे (ईरान समय)
अमेरिकी वायुसेना के विमानों ने ईरानी सीमा में प्रवेश किया और सिस्तान-बलूचिस्तान क्षेत्र को निशाना बनाया
रात 2:40 बजे
ईरानी वायु रक्षा प्रणाली ने कई मिसाइलें दागीं लेकिन अमेरिकी विमानों को निशाना नहीं बना पाईं
सुबह 3:15 बजे
ईरानी विदेश मंत्रालय ने हमले की निंदा करते हुए इसे "युद्ध अपराध" करार दिया
सुबह 5:30 बजे
पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ईरान को चेतावनी जारी की
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
अमेरिका
रक्षा विभाग ने कहा कि यह कार्रवाई ईरान द्वारा समर्थित आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ थी
ईरान
ईरानी विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र में शिकायत दर्ज कराई और "कड़ा जवाब" देने की बात कही
यूनाइटेड किंगडम
ब्रिटेन ने भी अमेरिका के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया, साथ ही क्षेत्र में तनाव को कम करने की अपील की।
रूस
रूस ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे "अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन" बताया
विश्लेषण: हमलों के पीछे की रणनीति
रक्षा विशेषज्ञ डॉ. अर्पित मिश्रा के अनुसार, "यह हमला अमेरिकी 'पावर प्रोजेक्शन' रणनीति का हिस्सा है। ईरान पर हमला करके अमेरिका यह संदेश देना चाहता है कि वह मध्य पूर्व में अपने हितों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। ट्रंप की चेतावनी इस रणनीति को और मजबूत करती है।"
आगे की राह देखें तो ईरान के पास कुछ ही विकल्प हैं - या तो वह अपनी आक्रामक नीतियों में संयम बरते या फिर इस क्षेत्र में संघर्ष और बढ़ सकता है। अमेरिकी चुनावों के मद्देनजर यह कार्रवाई घरेलू राजनीति को भी प्रभावित कर सकती है।
भविष्य की संभावनाएँ
सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि ईरान सीधे अमेरिका पर हमला करने की बजाय प्रॉक्सी गुटों के माध्यम से जवाबी कार्रवाई कर सकता है। यमन के हूथी विद्रोही, इराक में शिया मिलिशिया या सीरिया में ईरान समर्थित गुट अमेरिकी हितों पर हमले कर सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर डॉ. मीनाक्षी सिंह कहती हैं, "यह घटना मध्य पूर्व में नए सिरे से हिंसक संघर्ष की शुरुआत हो सकती है। खाड़ी देशों को डर है कि ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर सकता है, जो वैश्विक तेल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है। अगर ऐसा हुआ तो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।"
इस बीच, अमेरिकी रक्षा विभाग ने खाड़ी क्षेत्र में अपनी नौसैनिक उपस्थिति बढ़ा दी है। यूएसएस जेराल्ड आर फोर्ड विमानवाहक पोत समूह को फारस की खाड़ी में तैनात किया गया है, जो स्पष्ट संकेत है कि अमेरिका किसी भी जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है।