Jaipur Tax Raids: जयपुर-कोटा में 20 करोड़ नकदी-ज्वेलरी जब्त, 1250 करोड़ के नकद लेनदेन का हिसाब मिला

Jaipur Tax Raids:आयकर छापेमारी में जयपुर और कोटा के 30 ठिकानों से 20 करोड़ की नकदी और ज्वेलरी जब्त। 1250 करोड़ के बेनामी नकद लेनदेन का भी खुलासा, अन्य कारोबारियों को भी नोटिस।

Sep 7, 2025 - 19:31
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Jaipur Tax Raids: जयपुर-कोटा में 20 करोड़ नकदी-ज्वेलरी जब्त, 1250 करोड़ के नकद लेनदेन का हिसाब मिला
Jaipur Tax Raids

 By: दैनिक रियल्टी ब्यूरो | Date: | 07 Sep 2025

आयकर छापेमारी: जयपुर और कोटा में बड़ी कार्रवाई का समापन, सामने आई चौंकाने वाली जानकारी

जयपुर और कोटा में पिछले छह दिनों से जारी आयकर छापेमारी की कार्रवाई आखिरकार समाप्त हो गई है, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर में हड़कंप मच गया है। मंगलवार को शुरू हुई यह वृहद कार्रवाई पांच कॉलोनाइजर और एक कारोबारी से जुड़े कुल 30 ठिकानों पर की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप आयकर विभाग के हाथ बड़ी सफलता लगी है। विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस अभियान में करीब 20 करोड़ रुपये की नगदी और ज्वेलरी जब्त की गई है, जिसमें 9 करोड़ 50 लाख रुपये नकद और 10 करोड़ 50 लाख रुपये की ज्वेलरी शामिल है, जिसे अघोषित होने के कारण फ्रीज कर दिया गया है। यह एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है जो यह दर्शाता है कि आयकर विभाग कर चोरी के खिलाफ अपनी कार्रवाई को और तेज कर रहा है, खासकर ऐसे समय में जब देश की अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग बढ़ रही है। इस कार्रवाई ने उन लोगों के बीच एक स्पष्ट संदेश दिया है जो कर चोरी के माध्यम से अपनी संपत्ति को छिपाने का प्रयास करते हैं, कि वे अब आयकर विभाग की पैनी नजर से बच नहीं पाएंगे।

20 करोड़ की नकदी और आभूषण जब्त: क्या-क्या मिला और क्यों है यह महत्वपूर्ण?

आयकर विभाग द्वारा जयपुर और कोटा में की गई आयकर छापेमारी में 20 करोड़ रुपये की नगदी और ज्वेलरी की जब्ती एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस राशि में 9 करोड़ 50 लाख रुपये सीधे नकद के रूप में और 10 करोड़ 50 लाख रुपये की ज्वेलरी के रूप में जब्त की गई है, क्योंकि इसका कोई वैध हिसाब नहीं पाया गया। यह कार्रवाई केवल एक बड़ी वित्तीय जब्ती तक सीमित नहीं है, बल्कि इसने प्रॉपर्टी कारोबार में 1250 करोड़ रुपये के नगद लेनदेन का भी पर्दाफाश किया है। यह आंकड़ा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दर्शाता है कि रियल एस्टेट सेक्टर में बड़े पैमाने पर बेनामी और अघोषित लेनदेन हो रहे थे। इन छापों में अधिकारियों को अनेक दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी हाथ लगे हैं, जिनका विश्लेषण अभी जारी है। इन दस्तावेजों से भविष्य में और भी कई बड़े खुलासे होने की संभावना है, जिससे अघोषित संपत्ति की कुल राशि में बढ़ोतरी हो सकती है। इस तरह की बरामदगी से न केवल सरकार को राजस्व का नुकसान होता है, बल्कि यह समानांतर अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देती है, जिससे देश की आर्थिक विकास दर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आयकर विभाग की इस कार्रवाई से यह उम्मीद की जा रही है कि वह इस सेक्टर में काले धन के प्रवाह को रोकने में सफल होगी।

1250 करोड़ का नकदी लेनदेन: रियल एस्टेट सेक्टर पर शिकंजा और अन्य की संलिप्तता

आयकर छापेमारी की इस कार्रवाई का सबसे चौंकाने वाला पहलू प्रॉपर्टी कारोबार में 1250 करोड़ रुपये के नगद लेनदेन का हिसाब पकड़ा जाना है। यह राशि अघोषित लेनदेनों से संबंधित है, और इसमें अन्य प्रॉपर्टी कारोबारियों की संलिप्तता के प्रमाण पत्र भी मिले हैं। आयकर विभाग पहले ही इन सभी को नोटिस भेज चुका है और शनिवार से ही इनसे विवरण जुटाने की शुरुआत भी हो चुकी है। यह स्पष्ट करता है कि यह केवल कुछ व्यक्तियों तक सीमित मामला नहीं है, बल्कि एक व्यापक नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है जो रियल एस्टेट सेक्टर में काले धन का संचालन कर रहा था। इस तरह के बड़े पैमाने पर नकद लेनदेन से मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है, जिससे अर्थव्यवस्था की नींव कमजोर होती है। आयकर विभाग का यह कदम रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता लाने और बेनामी संपत्तियों पर लगाम कसने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। इन छापों के बाद, कई अन्य प्रॉपर्टी कारोबारियों पर भी आयकर विभाग की नजर हो सकती है, जिससे इस सेक्टर में एक बड़े बदलाव की उम्मीद है।

कैसे पकड़ी गई बेहिसाब संपत्ति? आयकर विभाग की आधुनिक तकनीक और रणनीति

आयकर विभाग ने इस आयकर छापेमारी के दौरान बेहिसाब संपत्ति को उजागर करने के लिए आधुनिक तकनीकों और रणनीतियों का प्रयोग किया। अधिकारियों के हाथ टाइल्स के नीचे छुपाकर रखी गई तिजोरियां लगीं, जो यह दर्शाती है कि कर चोरी करने वाले किस हद तक अपनी संपत्ति छिपाने का प्रयास करते हैं। इसके अतिरिक्त, करोड़ों रुपये के प्रॉपर्टी लेनदेन से संबंधित दस्तावेज़ और हिसाब क्लाउड के ऊपर पकड़े गए हैं। क्लाउड-आधारित डेटा का उपयोग कर चोरी का पता लगाने में एक महत्वपूर्ण प्रगति है, क्योंकि यह डिजिटल युग में अघोषित संपत्तियों को ट्रैक करने में मदद करता है। आयकर अधिकारियों ने ईपीएस (इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम) की सहायता भी ली। यह दर्शाता है कि आयकर विभाग ने अपनी जांच क्षमताओं को उन्नत किया है और वे अब पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ डिजिटल फोरेंसिक टूल का भी उपयोग कर रहे हैं ताकि कर चोरी करने वालों को पकड़ा जा सके। महानिदेशक आयकर अन्वेषण रेनू अभिता और प्रधान आयकर निदेशक अन्वेषण अवधेश कुमार के निर्देशन में यह कार्रवाई हुई है, जिसे जयपुर अन्वेषण इकाई ने अंजाम दिया है। यह एक स्पष्ट संकेत है कि आयकर विभाग डाल-डाल चल रहे कर चोरों के लिए पात-पात चल रहा है और उनकी नजर से कुछ भी नहीं बच सकता।

बड़े नामों की संलिप्तता: किन समूहों पर हुई कार्रवाई और क्या होगा आगे?

यह आयकर छापेमारी गोकुल कृपा, हाई फ्लाई रियल एस्टेट, वीआरबी डेवलपर्स समूह, भूमि डेवलपर्स, रियासत ग्रुप और किसान रियल एस्टेट एंड डेवलपर्स के संचालकों व सहयोगियों के ठिकानों पर की गई थी। ये सभी रियल एस्टेट सेक्टर के प्रमुख खिलाड़ी हैं, जिनकी संलिप्तता से इस कार्रवाई का महत्व और बढ़ जाता है। इन समूहों पर हुई कार्रवाई से यह संदेश गया है कि कोई भी, चाहे वह कितना भी बड़ा नाम क्यों न हो, आयकर विभाग की जांच के दायरे से बाहर नहीं है। विभाग द्वारा जुटाए गए प्रमाणों के आधार पर सरकार को अच्छा राजस्व मिला है। हालांकि, जब्त किए गए दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का विश्लेषण अभी बाकी है। इस विश्लेषण के आधार पर यह संभावना है कि काली कमाई की राशि में और बढ़ोतरी होगी। आयकर विभाग इन सभी से विवरण जुटाने के बाद आगे की कानूनी कार्रवाई करेगा, जिसमें जुर्माना लगाना और मुकदमे चलाना शामिल हो सकता है। यह कार्रवाई न केवल कर चोरी को रोकने में मदद करेगी, बल्कि यह रियल एस्टेट सेक्टर में एक अधिक पारदर्शी और जवाबदेह माहौल बनाने में भी सहायक होगी, जिससे देश के विकास को गति मिलेगी।

नोटिस जारी और भविष्य की कार्रवाई: आयकर विभाग की अगली चाल

आयकर छापेमारी के तहत आयकर विभाग ने सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर दिए हैं और उनसे विवरण जुटाने का काम भी शनिवार से शुरू हो चुका है। यह चरण इस पूरी जांच का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह अधिकारियों को पकड़े गए सबूतों को संबंधित व्यक्तियों के बयानों और रिकॉर्ड के साथ मिलाने में मदद करेगा। इन नोटिसेज़ के जवाब में प्राप्त जानकारी और जब्त किए गए दस्तावेजों के गहन विश्लेषण के बाद ही आयकर विभाग अपनी अगली कार्रवाई की रणनीति तय करेगा। इस विश्लेषण से यह भी स्पष्ट होगा कि अघोषित संपत्ति की कुल राशि कितनी है और कौन-कौन से अन्य व्यक्ति या संस्थाएं इस बेनामी लेनदेन में शामिल थीं। यह संभव है कि भविष्य में और भी छापों या जांचों का सिलसिला शुरू हो, खासकर यदि अन्य प्रॉपर्टी कारोबारियों की संलिप्तता के ठोस प्रमाण मिलते हैं। आयकर विभाग का यह दृढ़ संकल्प है कि यदि कहीं पर भी छुपाकर धन रखा गया है तो वह बच नहीं सकता, और यह सुनिश्चित करने के लिए वे हर संभव प्रयास कर रहे हैं। यह कार्रवाई कर चोरी करने वालों के लिए एक गंभीर चेतावनी है और कर अनुपालन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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