Supreme Court upholds BCI Bar Exam fee, सुप्रीम कोर्ट ने बार परीक्षा शुल्क के खिलाफ याचिका खारिज की, जानें कारण
BCI Bar Exam fee पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला। जानें क्यों रु 3,500 का शुल्क संवैधानिक माना गया और क्या होंगे इसके दूरगामी परिणाम।

दैनिक रियल्टी ब्यूरो | By: Neeraj Ahlawat Date: | 04 Sep 2025
Breaking News: Supreme Court upholds BCI Bar Exam fee! बार काउंसिल ऑफ इंडिया के रु 3,500 शुल्क को SC ने दी हरी झंडी, वकीलों के लिए महत्वपूर्ण फैसला
देश के सर्वोच्च न्यायालय ने वकीलों के लिए एक बड़े फैसले में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) द्वारा अखिल भारतीय बार परीक्षा (All India Bar Examination) के लिए लिए जाने वाले रु 3,500 के शुल्क को वैध ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस शुल्क के खिलाफ दायर एक याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि यह शुल्क संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं करता है। यह निर्णय उन लाखों उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण है जो कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद वकालत का अभ्यास करने के इच्छुक हैं। इस फैसले से बीसीआई को परीक्षा आयोजित करने की लागत वसूलने में मदद मिलेगी, जिस पर भारी खर्च आता है।
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और संदीप मेहता की पीठ ने यह महत्वपूर्ण अवलोकन किया कि बीसीआई को परीक्षा आयोजित करने में भारी खर्च उठाना पड़ता है, और इसलिए शुल्क लेना किसी भी संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता है। यह फैसला बीसीआई की वित्तीय स्थिरता और परीक्षा प्रक्रिया की अखंडता बनाए रखने में सहायक होगा। लंबे समय से इस शुल्क को लेकर विवाद चल रहा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस स्पष्ट निर्देश से अब सभी अटकलें समाप्त हो गई हैं। यह फैसला भविष्य में बार परीक्षा के आयोजन और उसके प्रबंधन के लिए एक स्पष्ट दिशानिर्देश स्थापित करता है, जिससे पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित होगी।
बीसीआई बार परीक्षा शुल्क क्या है?
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) द्वारा अखिल भारतीय बार परीक्षा (All India Bar Examination) का आयोजन किया जाता है, जो कानून स्नातकों के लिए भारत में वकालत का अभ्यास करने के लिए एक अनिवार्य परीक्षा है। इस परीक्षा को पास किए बिना कोई भी व्यक्ति वकील के रूप में अभ्यास नहीं कर सकता। बीसीआई इस परीक्षा के आयोजन के लिए उम्मीदवारों से रु 3,500 का शुल्क लेती है। यह शुल्क परीक्षा के आवेदन, संचालन, परिणाम प्रसंस्करण और अन्य प्रशासनिक लागतों को कवर करने के लिए लिया जाता है। इस शुल्क का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि परीक्षा प्रक्रिया सुचारु रूप से चले और गुणवत्तापूर्ण मूल्यांकन हो सके।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला और पीठ का अवलोकन
सुप्रीम कोर्ट ने 02 सितंबर 2025 को एक महत्वपूर्ण फैसले में बीसीआई बार परीक्षा शुल्क को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और संदीप मेहता की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की और यह टिप्पणी की कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया को परीक्षा आयोजित करने में भारी खर्च करना पड़ता है। इस अवलोकन ने शुल्क की वैधता को बल दिया। न्यायालय ने पाया कि शुल्क लेना न तो मनमाना है और न ही संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन करता है। यह फैसला कानूनी बिरादरी और नियामक निकायों के लिए एक मिसाल कायम करेगा।
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और संदीप मेहता की पीठ
इस महत्वपूर्ण फैसले को न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और संदीप मेहता की पीठ ने सुनाया। पीठ ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों को ध्यान से सुना और बीसीआई के पक्ष में अपना निर्णय दिया। न्यायाधीशों ने विशेष रूप से बीसीआई द्वारा परीक्षा के संचालन में आने वाली लागत पर जोर दिया। उनका यह स्पष्ट रुख दर्शाता है कि वे नियामक संस्था के सामने आने वाली व्यावहारिक चुनौतियों से अवगत थे और उन्होंने कानून के सिद्धांतों के साथ-साथ इन चुनौतियों पर भी विचार किया।
बीसीआई के खर्च और शुल्क का औचित्य
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) एक राष्ट्रीय नियामक संस्था है जो भारत में कानूनी शिक्षा और वकालत के पेशे को नियंत्रित करती है। अखिल भारतीय बार परीक्षा का आयोजन बीसीआई की प्रमुख जिम्मेदारियों में से एक है। इस परीक्षा में बड़ी संख्या में उम्मीदवार भाग लेते हैं, और इसके आयोजन में परीक्षा केंद्रों की व्यवस्था, प्रश्नपत्र तैयार करना, उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन, परिणाम घोषित करना और अन्य प्रशासनिक कार्यों पर भारी खर्च होता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को स्वीकार किया कि यह रु 3,500 का बीसीआई बार परीक्षा शुल्क इन लागतों को पूरा करने के लिए आवश्यक है।
संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि बीसीआई बार परीक्षा शुल्क संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है, शायद समानता के अधिकार या मुफ्त शिक्षा के अधिकार से संबंधित। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया। पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि शुल्क लेना संविधान के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता है। यह फैसला इस बात पर मुहर लगाता है कि नियामक निकाय अपने कार्यों को पूरा करने के लिए उचित शुल्क ले सकते हैं, बशर्ते वे तर्कसंगत और गैर-भेदभावपूर्ण हों।
आगे क्या? वकीलों पर प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद, अखिल भारतीय बार परीक्षा देने वाले सभी उम्मीदवारों को रु 3,500 का बीसीआई बार परीक्षा शुल्क देना जारी रखना होगा। यह फैसला कानूनी शिक्षा पूरी करने वाले छात्रों के लिए एक स्पष्टता लाता है, जिन्हें अब पता है कि परीक्षा शुल्क को लेकर कोई अनिश्चितता नहीं है। यह बीसीआई को परीक्षा के संचालन के लिए आवश्यक धन सुनिश्चित करने में भी मदद करेगा, जिससे परीक्षा प्रक्रिया की गुणवत्ता और दक्षता बनी रहेगी। इस निर्णय का उद्देश्य कानूनी पेशे में मानकों को बनाए रखना और यह सुनिश्चित करना है कि केवल योग्य व्यक्ति ही वकालत का अभ्यास करें।
FAQs
Q1: बीसीआई बार परीक्षा शुल्क कितना है? A1: बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) द्वारा अखिल भारतीय बार परीक्षा के लिए वर्तमान में रु 3,500 का शुल्क लिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस शुल्क को वैध ठहराया है, इसलिए उम्मीदवारों को यह राशि परीक्षा के लिए देनी होगी।
Q2: सुप्रीम कोर्ट ने बीसीआई बार परीक्षा शुल्क को क्यों वैध ठहराया? A2: सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया को परीक्षा आयोजित करने में भारी खर्च उठाना पड़ता है। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि शुल्क लेना संविधान के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता है, इसलिए इसे वैध माना गया।
Q3: सुप्रीम कोर्ट की किस पीठ ने यह फैसला सुनाया? A3: सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और संदीप मेहता की पीठ ने बीसीआई बार परीक्षा शुल्क से संबंधित याचिका पर सुनवाई की और शुल्क को वैध ठहराने का फैसला सुनाया।
Q4: क्या बीसीआई बार परीक्षा शुल्क के खिलाफ कोई याचिका दायर की गई थी? A4: हाँ, सुप्रीम कोर्ट में बीसीआई बार परीक्षा शुल्क के खिलाफ एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें इसे चुनौती दी गई थी। हालांकि, न्यायालय ने इस याचिका को खारिज कर दिया और शुल्क को संवैधानिक करार दिया।
Q5: इस फैसले का वकीलों और उम्मीदवारों पर क्या प्रभाव पड़ेगा? A5: इस फैसले का मतलब है कि अखिल भारतीय बार परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों को रु 3,500 का बीसीआई बार परीक्षा शुल्क देना जारी रखना होगा। यह कानूनी पेशे में प्रवेश के लिए एक स्पष्टता प्रदान करता है और बीसीआई को परीक्षा संचालन के लिए धन सुनिश्चित करने में मदद करता है।