दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके: रिक्टर पैमाने पर 4.4 की तीव्रता, जानिए पूरी खबर
दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके, जानिए तीव्रता और प्रभावित क्षेत्रों की पूरी जानकारी। विशेषज्ञों की राय के साथ।

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राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के अनुसार, अभी तक किसी जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है, लेकिन कुछ इमारतों में दरारें देखी गई हैं। दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा और गाजियाबाद में भूकंप के झटके स्पष्ट रूप से महसूस किए गए।
प्रभावित क्षेत्रों में दृश्य और जनता की प्रतिक्रिया
भूकंप के झटकों ने दिल्ली-एनसीआर के निवासियों में दहशत का माहौल पैदा कर दिया। कई कार्यालयों में कर्मचारियों को निकासी प्रक्रिया के तहत बाहर निकाला गया। मेट्रो सेवाएं कुछ देर के लिए रोक दी गईं ताकि पटरियों की जांच की जा सके। सोशल मीडिया पर लोगों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि झटके लगभग 30-40 सेकंड तक महसूस हुए।
प्रमुख स्थानों पर प्रभाव
कनॉट प्लेस, राजीव चौक और करोल बाग जैसे व्यस्त इलाकों में लोग सड़कों पर इकट्ठा हो गए। कुछ पुरानी इमारतों से मलबा गिरने की सूचना मिली है, लेकिन सौभाग्य से कोई हताहत नहीं हुआ। दिल्ली पुलिस ने स्थिति पर नजर रखते हुए लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
भूकंप की वैज्ञानिक जानकारी
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) के अनुसार, भूकंप का केंद्र धरती की सतह से 10 किमी नीचे था। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.4 मापी गई, जो क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। पिछले एक दशक में इस क्षेत्र में इतनी तीव्रता का भूकंप 2016 के बाद पहली बार आया है।
- डॉ. राजीव शर्मा, भू-वैज्ञानिक, आईआईटी दिल्ली
भूकंप आने पर क्या करें?
- घर के अंदर होने पर मजबूत फर्नीचर के नीचे शरण लें
- भागने की कोशिश न करें, बल्कि 'ड्रॉप, कवर और होल्ड ऑन' तकनीक का पालन करें
- लिफ्ट का उपयोग न करें, सीढ़ियों का प्रयोग करें
- बिजली के स्विच और गैस वाल्व बंद कर दें
- खुले स्थान में इकट्ठा होने के लिए पहले से निर्धारित स्थान पर जाएँ
विशेषज्ञों का दृष्टिकोण और भविष्यवाणियाँ
भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि यह भूकंप हिंदुकुश क्षेत्र में टेक्टोनिक हलचल का परिणाम था। जबकि अभी तक कोई बड़ी क्षति की सूचना नहीं है, विशेषज्ञ आने वाले 48 घंटों में हल्के झटकों (आफ्टरशॉक) की संभावना जता रहे हैं। क्षेत्र में भूकंपीय गतिविधियों पर नजर रखने के लिए विज्ञान संस्थानों ने अपनी निगरानी बढ़ा दी है।
इतिहास में इस क्षेत्र के भूकंप
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र भूकंपीय जोन-IV में आता है, जो उच्च जोखिम वाला क्षेत्र है। 15 अगस्त, 1966 को 5.6 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था, जिसमें 50 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। 29 मार्च, 1999 को 6.8 तीव्रता का भूकंप चमोली में आया था जिसका प्रभाव दिल्ली तक महसूस किया गया था।
वर्तमान स्थिति और आगे की कार्रवाई
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सभी जिला अधिकारियों को अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए हैं। अस्पतालों में आपातकालीन वार्ड तैयार किए गए हैं और एनडीआरएफ की टीमें सतर्क हैं। प्राधिकरण ने नागरिकों से अनावश्यक अफवाहों पर ध्यान न देने और आधिकारिक सूचनाओं पर भरोसा करने की अपील की है।
निर्माण विशेषज्ञों की टीमें शहर के पुराने इलाकों में इमारतों की स्थिरता की जाँच कर रही हैं। सरकार ने सभी शैक्षणिक संस्थानों को सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं। इस घटना ने शहर के बुनियादी ढांचे और आपदा तैयारियों पर नए सिरे से बहस छेड़ दी है।