HSSC CET Normalization: अब नहीं घटेंगे-बढ़ेंगे नंबर, इक्वि-परसेंटाइल से ऐसे बनेगा आपका रैंक!
HSSC CET Normalization प्रक्रिया में बड़ा बदलाव! जानें इक्वि-परसेंटाइल मेथड कैसे काम करेगा, अब नंबर बढ़ने-घटने की बजाय रैंक से होगा चयन। अपनी तैयारी में जुटें!

दैनिक रियल्टी ब्यूरो | Date: | 11/Sep/2025
HSSC CET Normalization: हरियाणा CET में नए नॉर्मलाइजेशन मेथड से परिणाम पर बड़ा असर, जानें इक्वि-परसेंटाइल का पूरा गणित
ब्रेकिंग न्यूज़: हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) ने अपनी परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन के तरीके में एक बड़ा बदलाव किया है, जिसका सीधा असर आने वाले CET और अन्य भर्ती परीक्षाओं के परिणामों पर देखने को मिलेगा। लंबे समय से परीक्षार्थियों के मन में नॉर्मलाइजेशन को लेकर तमाम सवाल और भ्रम थे, विशेषकर अंकों के घटने या बढ़ने की संभावना को लेकर, लेकिन अब एक नए नोटिस के माध्यम से आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि परिणाम किस आधार पर घोषित किए जाएंगे। इस बदलाव को 'इक्वि-परसेंटाइल मेथड' नाम दिया गया है, जो न केवल पुरानी अवधारणाओं को बदल देगा बल्कि यह भी तय करेगा कि किस तरह से एक उम्मीदवार का प्रदर्शन उसकी अपनी शिफ्ट के भीतर मूल्यांकन किया जाएगा। हरियाणा पुलिस, ग्रुप डी या सीईटी मेंस की तैयारी कर रहे सभी उम्मीदवारों के लिए यह समझना बेहद महत्वपूर्ण है कि यह नया तरीका कैसे काम करेगा और उनके चयन की संभावनाओं को कैसे प्रभावित करेगा। इस ऐतिहासिक बदलाव के साथ, उन सभी भ्रांतियों पर विराम लग गया है, जो 'एवरेज स्कोर' को लेकर वर्षों से प्रचलित थीं और जिन्हें अब तक एकमात्र सही तरीका माना जा रहा था।
पहले, YouTube पर कई प्लेटफार्म्स और यहां तक कि उम्मीदवारों के बीच भी यह धारणा प्रचलित थी कि HSSC CET Normalization प्रक्रिया में 'एवरेज स्कोर' का उपयोग किया जाएगा। इस तरीके के तहत, विभिन्न शिफ्टों के औसत अंकों की गणना की जाती थी और फिर प्रत्येक शिफ्ट के औसत और समग्र औसत के बीच के अंतर को समायोजित किया जाता था, जिसके परिणामस्वरूप कुछ उम्मीदवारों के अंक बढ़ते थे और कुछ के घटते थे। इस परिकल्पना के अनुसार, यदि किसी शिफ्ट का औसत अंक कम होता था, तो उस शिफ्ट के उम्मीदवारों के अंक बढ़ा दिए जाते थे, और यदि औसत अधिक होता था, तो घटा दिए जाते थे। हालांकि, स्टडीग्राम एजुकेशन जैसे कुछ प्लेटफॉर्म्स ने लगातार इस बात पर जोर दिया था कि यह तरीका हरियाणा में लागू नहीं होगा और इसके बजाय परसेंटाइल के माध्यम से रैंक बनेगी। अब आयोग द्वारा जारी नए नोटिस ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि 'इक्वि-परसेंटाइल मेथड' ही अपनाया जाएगा, जिससे अंकों के सीधे बढ़ने या घटने का कोई संबंध नहीं होगा। यह स्पष्टीकरण उन सभी आलोचनात्मक टिप्पणियों और संदेहों का भी खंडन करता है, जो पहले इस नए मेथड को लेकर उठाए जा रहे थे, जब तक कि इसका आधिकारिक नोटिस जारी नहीं हुआ था।
HSSC CET Normalization: इक्वि-परसेंटाइल मेथड आखिर कैसे काम करेगा? इक्वि-परसेंटाइल मेथड एक उम्मीदवार के प्रदर्शन का मूल्यांकन उसकी अपनी शिफ्ट के भीतर उसकी रैंकिंग के आधार पर करता है। यह प्रणाली पहले की तरह सीधे तौर पर अंकों को बढ़ाने या घटाने के बजाय, उम्मीदवार के 'परसेंटाइल स्कोर' पर केंद्रित होती है। सबसे पहले, प्रत्येक उम्मीदवार का उसकी अपनी शिफ्ट में 'रॉ स्कोर' के आधार पर 'परसेंटाइल स्कोर' निकाला जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी उम्मीदवार का 80 परसेंटाइल स्कोर है, तो इसका मतलब है कि उसने अपनी शिफ्ट के 80 प्रतिशत से अधिक उम्मीदवारों से बेहतर प्रदर्शन किया है। इस मेथड में, विभिन्न शिफ्टों के 'टॉपर्स' (या समान परसेंटाइल स्कोर वाले उम्मीदवार) की तुलना की जाती है। यदि एक शिफ्ट में 100 परसेंटाइल स्कोर वाला उम्मीदवार है, तो उसकी तुलना दूसरी और तीसरी शिफ्ट के 100 परसेंटाइल स्कोर वाले उम्मीदवारों से की जाएगी। इस तुलना के आधार पर, यह निर्धारित किया जाता है कि एक कठिन शिफ्ट में कम अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार का प्रदर्शन एक आसान शिफ्ट में अधिक अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार के बराबर कैसे हो सकता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस प्रणाली के तहत आपका रैंक आपके अपने टॉपरों के हिसाब से तय होगा, न कि किसी बाहरी औसत स्कोर के आधार पर।
यह समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि नए HSSC CET Normalization मेथड में अंकों का बढ़ना या घटना सीधे तौर पर नहीं होगा, बल्कि अंकों की 'तुलनात्मक शक्ति' या 'रैंक इक्विवेलेंस' में बदलाव देखने को मिलेगा। उदाहरण के लिए, एक आसान शिफ्ट में जहां ज्यादातर उम्मीदवार 80+ या 90+ अंक प्राप्त कर रहे हैं, वहां 90 अंक प्राप्त करने वाला उम्मीदवार भी चयन से बाहर हो सकता है, क्योंकि वह अपनी शिफ्ट के टॉप उम्मीदवारों की तुलना में पीछे होगा। वहीं, दूसरी ओर, एक कठिन शिफ्ट में 75 या 77 अंक प्राप्त करने वाला उम्मीदवार भी चयनित हो सकता है, क्योंकि वह अपनी शिफ्ट के टॉपर्स में शामिल होगा। स्रोत में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि 71 नंबर प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को यह महसूस हो सकता है कि उसके 19 नंबर बढ़ गए हैं, क्योंकि वह 71 नंबर पर भी चयनित हो रहा है, जबकि एक आसान शिफ्ट में 91 नंबर वाला भी चयन से वंचित रह सकता है। इसका अर्थ यह है कि 71 नंबर एक कठिन शिफ्ट में 91 नंबर के बराबर माने जा सकते हैं, या 86 नंबर 91 नंबर के बराबर हो सकते हैं। यह प्रणाली निष्पक्षता सुनिश्चित करती है, क्योंकि यह किसी भी शिफ्ट की कठिनाई के स्तर को समायोजित करती है और प्रत्येक उम्मीदवार को उसकी अपनी शिफ्ट में उसके सापेक्ष प्रदर्शन के आधार पर मौका देती है।
HSSC CET Normalization के इस नए नियम के तहत, उन सभी उम्मीदवारों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है, जिनका पेपर पहली या चौथी शिफ्ट में था और वे यह सोचकर हतोत्साहित थे कि उनका स्कोर कम आया है और वे प्रतिस्पर्धा से बाहर हो गए हैं। अब उन्हें यह सोचने की जरूरत नहीं है कि वे आसान शिफ्ट वाले उम्मीदवारों से कैसे मुकाबला करेंगे, क्योंकि आपका चयन आपकी अपनी शिफ्ट में आपके प्रदर्शन और रैंक के आधार पर होगा। यदि आपके नंबर 60, 65, 70 या 72 के आसपास भी हैं, विशेषकर कठिन शिफ्टों में, तो आपको अपनी तैयारी जारी रखनी चाहिए। हरियाणा पुलिस एसआई, लेवल सिक्स और अन्य सभी पदों के लिए आपकी तैयारी महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञ भी सलाह दे रहे हैं कि उम्मीदवार अपनी तैयारी पर ध्यान दें और निराशा में न पड़ें, क्योंकि सिलेबस काफी विस्तृत है। स्टडीग्राम एजुकेशन ऐप पर सीईटी मेंस, नए सब्जेक्ट्स जैसे रूरल मार्केटिंग (जो पूरा हो चुका है) और एनवायरनमेंट की कक्षाएं उपलब्ध हैं, साथ ही ग्रुप डी और जल्द ही हरियाणा पुलिस की कक्षाएं भी शुरू होंगी, जो उम्मीदवारों को एक मजबूत मंच प्रदान कर सकती हैं। इस मेथड की एक खास बात यह भी है कि यह केवल प्रारंभिक चरण में मल्टीपल शिफ्ट्स में लागू हो सकता है, जबकि दूसरी स्टेज की परीक्षाएँ हमेशा सिंगल शिफ्ट में ही होंगी, जैसा कि 56 और 57 ग्रुप के साथ हुआ था। इस प्रकार, यह नया नॉर्मलाइजेशन मेथड न केवल पारदर्शिता लाता है, बल्कि योग्य उम्मीदवारों को उनकी वास्तविक क्षमता के आधार पर पहचान भी दिलाता है।