मनीषा केस भिवानी: सीबीआई जांच ने पकड़ी रफ्तार, आज परिजनों से पूछताछ शुरू

भिवानी मनीषा केस में सीबीआई टीम ने ढणी लक्ष्मण गांव में जांच शुरू की। परिजनों, गवाहों और पुलिस से अहम दस्तावेज लेकर न्याय की उम्मीद।

Sep 6, 2025 - 11:34
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मनीषा केस भिवानी: सीबीआई जांच ने पकड़ी रफ्तार, आज परिजनों से पूछताछ शुरू
भिवानी मनीषा केस

By: दैनिक जागरण ब्यूरो | Date: | 06 Sep 2025

भिवानी मनीषा केस: सीबीआई जांच में नया मोड़, परिजनों से आज होगी पूछताछ; क्या मिलेगा इंसाफ?

भिवानी मनीषा केस में न्याय की आस लगाए बैठे परिजनों और आम जनता के लिए बड़ी खबर है। आखिरकार केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने इस चर्चित मामले की कमान संभाल ली है। सीबीआई की एक विशेष टीम अब भिवानी के ढणी लक्ष्मण गांव पहुँच चुकी है, जहाँ से मनीषा अपने कॉलेज के लिए निकली थी। इस मामले में सीबीआई की गहन पड़ताल आज मनीषा के परिजनों से पूछताछ के साथ शुरू होगी, जिससे इस उलझी हुई गुत्थी को सुलझाने की उम्मीदें बढ़ गई हैं।

भिवानी मनीषा केस: सीबीआई ने संभाली जांच की कमान, ढणी लक्ष्मण गांव में टीम

भिवानी का मनीषा केस लंबे समय से सुर्खियों में है, और अब सीबीआई के हाथों में इसकी जांच आने से एक बड़ा अपडेट सामने आया है। बुधवार को सीबीआई की एक टीम भिवानी पहुंची और पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में रुकी हुई है। यह टीम अब भिवानी के ढणी लक्ष्मण गांव में मौके पर पहुँचकर जांच कर रही है। सीबीआई ने इस केस से जुड़े अहम दस्तावेज जैसे एफआईआर कॉपी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स और पुलिस द्वारा जुटाए गए अन्य सबूत अपने कब्जे में ले लिए हैं। इसके साथ ही, सीबीआई टीम ने शुरुआती जांच करने वाली सीआईए टीम के अधिकारियों से भी लंबी बातचीत की है, ताकि अब तक की जांच का पूरा ब्यौरा समझा जा सके। यह एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि सीबीआई बिना किसी पूर्व सूचना के काम करती है और मीडिया में किसी भी जानकारी को सार्वजनिक नहीं करती। दो गाड़ियों में आई सीबीआई की इस टीम में पाँच से छह सदस्य शामिल हैं और वे अब एक-एक पहलू की गहन जांच करेंगे।

इन प्रमुख लोगों से होगी सीबीआई की पूछताछ, अहम सुरागों पर नजर

सीबीआई की जांच का पहला चरण मनीषा के परिवार से पूछताछ के साथ शुरू होगा, जो इस मामले में सबसे पहले जानकारी रखते हैं। इसके बाद उन दो लोगों से भी पूछताछ की जाएगी जिन्होंने मनीषा की डेड बॉडी सबसे पहले देखी थी। इनमें एक किसान (जो जमीन के मालिक थे) और एक राहगीर शामिल हैं, जिनके नाम ईश्वर और सत्यपाल बताए गए हैं। इन दोनों ने बताया था कि उन्होंने कुत्तों का झुंड शव के आसपास मंडराते देखा था। जांच का दायरा केवल यहीं तक सीमित नहीं है। सीबीआई उस पेस्टिसाइड दुकान के मालिक से भी पूछताछ करेगी, जहाँ से मोनोस्प्रे खरीदा गया था। मनीषा जिस नर्सिंग कॉलेज जा रही थी और जिस प्ले स्कूल में पढ़ाती थी, उनके स्टाफ से भी पूछताछ की जाएगी। इसके अलावा, जिन डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम किया था और जिन आईओ (जांच अधिकारी) ने केस को देखा था, उन सभी से भी विस्तृत पूछताछ होगी। एविडेंस के तौर पर मनीषा का मोबाइल फोन सीबीआई के कब्जे में है, और इसकी कॉल डिटेल व चैट महत्वपूर्ण सुराग साबित हो सकते हैं।

मनीषा की मौत की उलझी गुत्थी: पुलिस का 'आत्महत्या' सिद्धांत और परिजन का असंतोष

मनीषा के साथ हुई घटना का सिलसिला 11 अगस्त को शुरू हुआ, जब वह एडमिशन के लिए घर से निकली और शाम को नहीं लौटी। 12 अगस्त को परिवारवालों ने गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई और लड़की को ढूंढने के लिए पुलिस के पास गए, लेकिन पुलिस ने उनकी बात नहीं सुनी। इसी वजह से बाद में सात से अधिक पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया गया था। 13 अगस्त को मनीषा की डेड बॉडी खेत में मिली। शुरुआती तस्वीरों में मनीषा का चेहरा खराब देखकर परिजनों को लगा कि एसिड अटैक हुआ है, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसकी पुष्टि नहीं हुई, बल्कि बताया गया कि जानवरों ने क्षति पहुंचाई थी। पुलिस ने 18 अगस्त को इस केस को आत्महत्या बता दिया था। डीजीपी सुजीत कपूर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि एक सुसाइड नोट मिला है जिसकी हैंडराइटिंग मनीषा से मैच करती है। पुलिस की थ्योरी के अनुसार, मनीषा फीस न भर पाने और परिवार पर दबाव के चलते अपनी जान ली थी। हालांकि, मनीषा की स्कूल प्रिंसिपल ने कहा था कि मनीषा मेधावी छात्रा थी और वह आत्महत्या नहीं कर सकती। परिजनों ने इस पर असंतोष व्यक्त किया और धरना प्रदर्शन किया, जिसके बाद सिविल अस्पताल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद रोहतक पीजीआई में दोबारा और फिर एम्स में विस्तृत फॉरेंसिक टेस्टिंग करवाई गई, जिसमें कीटनाशक से मौत की पुष्टि हुई।

घटनास्थल और फॉरेंसिक साक्ष्य: क्या बारिश से मिटे सबूत?

मनीषा का शव जिस खेत में मिला था, वहाँ अब बारिश के कारण पानी भर गया है, जिससे मौके से ताजा सबूत जुटाना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, सीबीआई की फॉरेंसिक टीम सबसे उन्नत मानी जाती है और वह पुराने रिकॉर्ड और नमूनों की दोबारा जांच कर सकती है। कई मामलों में सीबीआई 10 साल पुराने केस भी इन्वेस्टिगेट करती है, जिसमें पुराने नमूनों और रिकॉर्ड्स की अहम भूमिका होती है। सीबीआई की टीम घटनास्थल पर जाकर घटना का रिकंस्ट्रक्शन भी कर सकती है, ताकि यह समझा जा सके कि मनीषा कितने बजे घर से निकली, कितने बजे स्कूल पहुंची, और वहाँ से कितने बजे के आसपास निकली। पुलिस के पास उपलब्ध सबूतों में सीसीटीवी फुटेज भी शामिल है, जिसमें मनीषा जाती हुई नजर आ रही है। खाद्य बीज विक्रेता का बयान भी महत्वपूर्ण है, जिसने ₹600 में कीटनाशक बेचने की बात कबूली थी। मनीषा के गायब होने के 36 घंटों की मिस्ट्री सीबीआई के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि इस दौरान कोई प्रत्यक्ष गवाह सामने नहीं आया। पुलिस ने फॉरेंसिक एविडेंस, डीएनए और विसरा रिपोर्ट को सबसे बड़ा तथ्य माना था, और सीबीआई भी इन्हीं पर गहराई से काम करेगी。

सीएम सैनी से मुलाकात और प्रिंसिपल का बयान: न्याय की उम्मीदें बढ़ीं

मनीषा के परिजन हाल ही में 2 सितंबर को मुख्यमंत्री सैनी से मिले थे, जिन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि सीबीआई अब मामले की जांच कर रही है और पुलिस सीबीआई को हर संभव सहायता प्रदान करेगी। इस मुलाकात से परिजनों की न्याय की उम्मीदें बढ़ी हैं। स्कूल प्रिंसिपल का बयान भी इस केस में महत्वपूर्ण है, जिन्होंने मनीषा को मेधावी बताते हुए आत्महत्या की संभावना से इनकार किया था। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पुलिस ने शुरुआत में हत्या का मामला दर्ज किया था, क्योंकि उन्हें मर्डर का संदेह था, लेकिन जांच आगे बढ़ने पर इसे आत्महत्या का केस बताया गया। अब सीबीआई की थ्योरी इस पर इन्वेस्टिगेट कर रही है और आने वाले दिनों में कई अहम खुलासे हो सकते हैं। सीबीआई की जांच में कितना समय लगता है और क्या निकलकर सामने आता है, यह देखना बाकी है, क्योंकि सीबीआई अपनी जांच के विवरणों को सार्वजनिक नहीं करती है। गांववालों की ओर से मनीषा के लिए कैंडल मार्च भी निकाला गया था, जो दिखाता है कि यह मामला अभी भी जनमानस में जिंदा है।

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