मोदी चीन दौरा: जिनपिंग से 40 मिनट की मुलाकात, ट्रंप को लगा बड़ा झटका! जानिए क्या हुई बात

मोदी चीन दौरा: 7 साल बाद जिनपिंग से PM मोदी की 40 मिनट की द्विपक्षीय बातचीत। चीन बोला, 'ड्रैगन और हाथी का साथ आना ज़रूरी'। अमेरिका को लगा बड़ा झटका!

Aug 31, 2025 - 15:03
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मोदी चीन दौरा: जिनपिंग से 40 मिनट की मुलाकात, ट्रंप को लगा बड़ा झटका! जानिए क्या हुई बात
मोदी चीन दौरा

दैनिक रियल्टी ब्यूरो | By: Neeraj Ahlawat | Date 31 Aug 2025

 Analysis:

  • What: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 40 मिनट की द्विपक्षीय वार्ता, जिससे भारत-चीन संबंधों में नया मोड़ आया और अमेरिका, खासकर डोनाल्ड ट्रंप, को झटका लगा।
  • Why: 7 साल बाद मोदी का चीन दौरा भारत-चीन संबंधों को सुधारने और वैश्विक भू-राजनीति में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए हुआ है। चीन इसे "सही विकल्प" और "साझा जिम्मेदारी" मान रहा है, जबकि भारत परस्पर विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता पर जोर दे रहा है।
  • When: हाल ही में SCO समिट के दौरान।
  • Where: चीन में, SCO समिट के अवसर पर।
  • Who: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की।
  • How: द्विपक्षीय बैठक के दौरान सीमा प्रबंधन, कैलाश मानसरोवर यात्रा की पुनः शुरुआत, सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने और विश्वास व सम्मान को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई।


मोदी चीन दौरा: जिनपिंग से 40 मिनट की मुलाकात, ट्रंप को लगा बड़ा झटका! जानिए क्या हुई बात

दुनिया की नजरें इस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन दौरे पर टिकी हैं। 7 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी ने चीन की धरती पर कदम रखा और वहां शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट के इतर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से 40 मिनट की द्विपक्षीय बातचीत की। यह मुलाकात ऐसे समय हुई है जब भारत और चीन के रिश्ते सामान्य नहीं माने जाते। इस ऐतिहासिक मुलाकात के कई गहरे भू-राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं, खासकर अमेरिकी खेमे में हलचल तेज हो गई है। खुद चीन ने इसे "ड्रैगन (चीन) और हाथी (भारत) का साथ आना दुनिया के लिए जरूरी" बताया है, जिसे मोदी चीन दौरा का सबसे बड़ा संदेश माना जा रहा है।

मोदी-जिनपिंग की 40 मिनट की 'बड़ी' मुलाकात, दुनिया को संदेश

SCO समिट के लिए चीन पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शी जिनपिंग के साथ बंद दरवाजों के पीछे 40 मिनट तक द्विपक्षीय वार्ता की। इस दौरान दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल भी मौजूद थे, जिसमें भारत की तरफ से अजीत डोवाल और विक्रम मिश्री जैसे उच्चाधिकारी शामिल थे। इस मुलाकात को लेकर दुनियाभर में चर्चा है कि क्या भारत और चीन वाकई एक साथ आ सकते हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस बैठक में दुनिया को एक बड़ा संदेश देते हुए कहा कि "ड्रैगन और हाथी का साथ आना दुनिया के लिए जरूरी है"। उन्होंने आगे कहा कि "भारत और चीन के लिए दोस्त होना ही इस वक्त सही विकल्प है (Right choice for India-China to be friends)"। यह बयान उस वक्त आया है जब डोनाल्ड ट्रंप जैसे नेता चीन को नियंत्रित करने के लिए भारत को क्वाड में एक महत्वपूर्ण भागीदार मानते रहे हैं।

ट्रंप को लगा तगड़ा झटका, क्वाड समिट में नहीं जाएंगे भारत!

मोदी चीन दौरा और जिनपिंग के बयान ने अमेरिकी खेमे, खासकर डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका दिया है। अमेरिकी मीडिया के हवाले से खबर है कि साल के अंत में भारत में होने वाले क्वाड समिट में ट्रंप हिस्सा लेने नहीं आएंगे। क्वाड में जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत और अमेरिका शामिल हैं, और यह समूह चीन को नियंत्रित करने के उद्देश्य से बनाया गया था। ट्रंप को इस बात से "भयंकर आग लग गई है" कि भारत और चीन एक साथ आ रहे हैं। जापान और ऑस्ट्रेलिया पहले ही भारत के साथ खड़े हो गए हैं, जिससे क्वाड में ट्रंप की स्थिति कमजोर हो गई है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने तो यह भी खुलासा किया है कि नरेंद्र मोदी ने 17 जून को ट्रंप से फोन पर सीधे कह दिया था कि सीजफायर कराने में अमेरिका या ट्रंप का कोई हाथ नहीं है। यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने भी मोदी से संपर्क कर पुतिन से युद्ध विराम पर बात करने का अनुरोध किया है, जिससे ट्रंप और चिंतित हो सकते हैं, क्योंकि वह खुद को युद्ध रोकने का श्रेय लेना चाहते थे।

नरेंद्र मोदी ने क्या कहा? सम्मान और विश्वास की शर्त

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी 40 मिनट की मुलाकात में जिनपिंग से बातचीत के दौरान भारत की स्थिति साफ कर दी। उन्होंने कहा कि "परस्पर विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर हम अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं"। मोदी ने स्पष्ट किया कि दोनों देशों के अरबों लोगों के लिए यह जरूरी है कि चीन और भारत साथ आएं, जिससे दुनिया के लिए वर्ल्ड ऑर्डर बदलने वाली स्थिति पैदा हो सकती है। हालांकि, उन्होंने 'परस्पर सम्मान' और 'परस्पर विश्वास' शब्दों का इस्तेमाल कर जिनपिंग को यह भी बता दिया कि जब तक ये शर्तें कायम रहेंगी, दोस्ती चलेगी, अन्यथा भारत पुराने रास्ते पर लौट जाएगा। मोदी चीन दौरा भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को दर्शाता है। भारत ने यूक्रेन को डीजल की आपूर्ति भी जारी रखी है, जो उसकी "जो करना है वह करो, हम तो करते रहेंगे" की नीति का प्रमाण है।

कैसे बदल रहे हैं भारत-चीन के रिश्ते? सोशल मीडिया और मीडिया की प्रतिक्रिया

मोदी चीन दौरा और उनका भव्य स्वागत चीन में देखने को मिला। एयरपोर्ट पर रेड कार्पेट बिछाया गया, चीनी अधिकारियों ने अगवानी की और भारतीय डायस्पोरा ने 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम' के नारों से प्रधानमंत्री का स्वागत किया। चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो (Weibo) पर भी लोगों ने मोदी चीन दौरा की खूब चर्चा की। एक यूजर ने लिखा, "इंडिया ड्राइंग क्लोजर टू चाइना, वेस्टर्न मीडिया अनेबल टू टोलरेट बिगेन हाइपिंग द मूव"। चीनी मीडिया, जैसे चाइना डेली और ग्लोबल टाइम्स, ने भी सकारात्मक रिपोर्टिंग की है। चाइना डेली ने लिखा, "चाइना एंड इंडिया कैन बी सिविलाइजेशनल पार्टनर्स, एसइओ समिट कुड इंप्रूव चाइना इंडिया टाई"। ग्लोबल टाइम्स ने इसे "साझा रणनीतिक जरूरतों (shared strategic needs)" और "रेशनल चॉइस (rational choice)" बताया है।

चीन को यह बात समझ आ गई है कि गलवान घाटी के बाद से भारत पुराना देश नहीं रहा। भारतीय सेना की तैनाती, राफेल जेट की तैनाती और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट ने चीन को स्पष्ट संदेश दिया है। चीन की अर्थव्यवस्था भी दबाव में है, और कई कंपनियां भारत की ओर शिफ्ट हो रही हैं। ऐसे में चीन को लगता है कि दुनिया की सबसे बड़ी उभरती शक्ति भारत से दोस्ती करना दोनों देशों के लिए अच्छा है, जिससे सीमा पर तनाव कम हो और विश्वास बढ़े।

भारत की नई विदेश नीति: अपने दम पर फैसले

प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया को यह स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत अपने हिसाब से चलने वाला देश है और अपनी दोस्ती अपनी शर्तों पर करता है। ऐसे भू-राजनीतिक हालात में, जहां एक तरफ चीन का पुराना अविश्वास पैदा करने का रिकॉर्ड है, वहीं दूसरी तरफ अमेरिका (ट्रंप के कार्यकाल में) 'बौरा' गया है, भारत ने चीन की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाना चुना है। 2023 में भारत ने SCO की वर्चुअली अध्यक्षता की थी और 2022 में G20 समिट में जिनपिंग भारत नहीं आए थे, जो रिश्तों में तनाव का संकेत था। लेकिन अब मोदी का चीन जाना यह दर्शाता है कि दोनों देश धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं। यह भारत की बढ़ती शक्ति का प्रतीक है, जो किसी के सामने "सरेंडर" करने के बजाय अपने राष्ट्रहित के हिसाब से फैसले ले रहा है।


FAQs (5 Q&A):

  1. मोदी चीन दौरा क्यों महत्वपूर्ण है? मोदी चीन दौरा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 7 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी ने चीन का दौरा किया और शी जिनपिंग से द्विपक्षीय वार्ता की, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने और वैश्विक भू-राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।

  2. जिनपिंग ने भारत-चीन संबंधों पर क्या कहा? शी जिनपिंग ने कहा कि "ड्रैगन और हाथी (चीन और भारत) का साथ आना दुनिया के लिए जरूरी है" और "भारत-चीन के लिए दोस्त होना ही इस वक्त सही विकल्प है", जो आपसी सहयोग और संबंधों को मजबूत करने का संकेत है।

  3. डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिक्रिया क्या रही? मोदी चीन दौरा से ट्रंप को "बड़ा झटका" लगा है। अमेरिकी मीडिया के अनुसार, वह भारत में होने वाले क्वाड समिट में हिस्सा नहीं लेंगे, क्योंकि उन्हें लगता है कि भारत और चीन के करीब आने से उनकी चीन को नियंत्रित करने की रणनीति को नुकसान हुआ है।

  4. भारत ने चीन के साथ दोस्ती की क्या शर्तें रखीं? प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत और चीन के संबंध "परस्पर विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता" के आधार पर ही आगे बढ़ेंगे। यह भारत की ओर से चीन को आपसी संबंधों में इन मूल्यों को बनाए रखने का सीधा संदेश था।

  5. चीनी मीडिया में पीएम मोदी के दौरे को लेकर क्या प्रतिक्रिया है? चीनी सोशल मीडिया और अखबारों ने मोदी चीन दौरा का सकारात्मक स्वागत किया है। वे मोदी को अमेरिका के खिलाफ 'दृढ़' रुख अपनाने के लिए सराह रहे हैं और भारत-चीन संबंधों को "रेशनल चॉइस" और "साझा जिम्मेदारी" के रूप में देख रहे हैं।


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