PM Modi Zelenskyy Call: पुतिन से मुलाकात से पहले जेलेंस्की ने मोदी को क्यों किया फोन? जानिए बड़ा खुलासा!
पीएम मोदी और जेलेंस्की की बातचीत पुतिन से मोदी की मुलाकात से पहले हुई। भारत ने यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। जानें इसके कूटनीतिक मायने।

दैनिक रियल्टी ब्यूरो | By: Neeraj Ahlawat | Date 31 Aug 2025
चीन में पीएम मोदी और पुतिन की मुलाकात से ठीक पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का पीएम मोदी को फोन: कूटनीतिक गलियारों में हलचल
चीन के तियांजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में इस वक्त दुनियाभर की निगाहें टिकी हुई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात साल बाद एससीओ समिट में हिस्सा लेने पहुंचे हैं, जहां उनकी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से एक महत्वपूर्ण मुलाकात प्रस्तावित है। लेकिन इस बहुप्रतीक्षित मुलाकात से ठीक पहले एक ऐसी घटना हुई है, जिसने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है और कूटनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। शनिवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने पीएम मोदी को फोन किया, और इस कॉल के समय को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। क्या यह सिर्फ एक संयोग है, या इसके गहरे कूटनीतिक मायने हैं?
एससीओ समिट में पीएम मोदी का बड़ा कूटनीतिक कदम
प्रधानमंत्री मोदी का चीन में एससीओ समिट में शामिल होना अपने आप में एक महत्वपूर्ण घटना है। ऐसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर, जहां भारत और रूस दोनों सदस्य हैं, पीएम मोदी की पुतिन से मुलाकात की योजना पहले से तय थी। ऐसे में, ज़ेलेंस्की का फोन कॉल कई मायनों में अहम हो जाता है। पीएम मोदी ने इस बातचीत की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा कि उन्होंने "चल रहे संघर्ष, उसके मानवीय पहलू और शांति एवं स्थिरता बहाल करने के प्रयासों पर विचारों का आदान-प्रदान किया"। यह दर्शाता है कि भारत यूक्रेन संघर्ष के समाधान में अपनी सक्रिय भूमिका को लगातार बनाए हुए है।
जेलेंस्की का फोन: क्या रूस के सामने भारत की भूमिका साफ करने की कोशिश?
ज़ेलेंस्की के फोन कॉल का सबसे दिलचस्प पहलू इसका समय है – यह ठीक तब हुआ जब पीएम मोदी रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मिलने की तैयारी कर रहे थे। सवाल उठता है कि क्या ज़ेलेंस्की ने पीएम मोदी को इसलिए फोन किया ताकि रूस के सामने भारत अपनी भूमिका और साफ करे, या फिर यह सिर्फ एक डिप्लोमेटिक संदेश था कि यूक्रेन भारत को नजरअंदाज नहीं करना चाहता। यूक्रेन स्पष्ट रूप से भारत को एक महत्वपूर्ण वैश्विक खिलाड़ी के रूप में देखता है, जिसकी रूस के साथ भी मजबूत संबंध हैं। इस कॉल के माध्यम से, यूक्रेन ने संभवतः भारत से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि वह शांति प्रयासों में निष्पक्ष और प्रभावी भूमिका निभाए।
भारत का शांतिपूर्ण समाधान का दृढ़ और सतत रुख
इस बातचीत के दौरान, पीएम मोदी ने एक बार फिर भारत के सतत रुख को दोहराया है कि भारत यूक्रेन संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है और हर उस कोशिश का समर्थन करता है जिससे जंग खत्म हो और शांति कायम हो सके। उन्होंने ज़ेलेंस्की से यह भी कहा कि भारत यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के सभी प्रयासों का समर्थन करता है और करेगा। यह कोई नई बात नहीं है। इससे पहले 11 अगस्त को भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से फोन पर बातचीत की थी। उस वक्त भी पीएम मोदी ने यूक्रेन में संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान और जल्द से जल्द शांति बहाली के लिए भारत की दृढ़ और सतत स्थिति को दोहराया था। भारत ने हमेशा बातचीत और कूटनीति की वकालत की है। यह भारत की विदेश नीति का एक केंद्रीय सिद्धांत है, जो जटिल अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों में भी अपरिवर्तित रहता है। भारत ने यह भी कहा कि वह इस संबंध में हर संभव योगदान देने और यूक्रेन के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
जयशंकर की फिनलैंड के विदेश मंत्री से बातचीत: भारत को निशाना न बनाने की अपील
इसी दौरान, एक और महत्वपूर्ण कूटनीतिक घटनाक्रम हुआ। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने फिनलैंड की विदेश मंत्री एलना वोन के साथ टेलीकॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की। जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि उनकी चर्चा यूक्रेन संघर्ष और उसके परिणामों पर केंद्रित रही। इस संदर्भ में, जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि "भारत को अनुचित रूप से निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए" और हमने "हमेशा बातचीत और कूटनीति की वकालत की है"। यह बयान भारत की स्थिति को और मजबूत करता है कि वह किसी भी पक्ष का पक्षधर नहीं है, बल्कि शांति और समाधान का पक्षधर है। भारत किसी भी तरह के दबाव में नहीं आना चाहता और अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर कायम है।
कूटनीतिक समीकरण और आने वाले दिनों की तस्वीर
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या ज़ेलेंस्की का यह फोन कॉल पुतिन से पीएम मोदी की होने वाली मुलाकात को प्रभावित करेगा? या यह सिर्फ संयोग है कि पुतिन से मीटिंग से पहले ज़ेलेंस्की ने पीएम मोदी को फोन किया? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में साफ हो जाएंगे। पीएम मोदी की पुतिन से मुलाकात में यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा होना तय है, और ज़ेलेंस्की के फोन कॉल ने निश्चित रूप से इस चर्चा की पृष्ठभूमि को और जटिल बना दिया है। भारत एक ऐसे देश के रूप में उभरा है जो वैश्विक मंच पर शांति और कूटनीति का पक्षधर है, और उसकी तटस्थता उसे एक महत्वपूर्ण मध्यस्थ की भूमिका निभाने का अवसर देती है। यूक्रेन और रूस दोनों के साथ संबंधों को संतुलित करते हुए, भारत की कोशिश है कि वह संघर्ष को कम करने और स्थायी शांति स्थापित करने में योगदान दे। यह कूटनीतिक चालें दर्शाती हैं कि किस तरह से अंतरराष्ट्रीय संबंध लगातार विकसित हो रहे हैं और भारत जैसे देश की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होती जा रही है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न):
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PM Modi Zelenskyy Call क्यों हुआ? पीएम मोदी और यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के बीच बातचीत पीएम मोदी की रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात से ठीक पहले हुई। ज़ेलेंस्की ने संभवतः भारत की भूमिका स्पष्ट करने या भारत को नज़रअंदाज़ न करने का संदेश देने के लिए फोन किया।
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भारत का यूक्रेन संघर्ष पर क्या रुख है? भारत का सतत रुख है कि वह यूक्रेन संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है और सभी प्रयासों का समर्थन करता है जिससे जंग खत्म हो और शांति कायम हो सके। भारत बातचीत और कूटनीति का पक्षधर है।
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यह फोन कॉल कब और कहाँ हुई? यह फोन कॉल शनिवार को हुई जब पीएम मोदी चीन के तियांजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन में थे। यह पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की प्रस्तावित मुलाकात से पहले हुई थी।
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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूक्रेन मुद्दे पर क्या कहा? विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने फिनलैंड की विदेश मंत्री से बातचीत में कहा कि भारत को यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में अनुचित रूप से निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने भारत के बातचीत और कूटनीति के पक्षधर होने पर जोर दिया।
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क्या इस फोन कॉल से मोदी-पुतिन मुलाकात पर असर पड़ेगा? अभी यह कहना मुश्किल है कि ज़ेलेंस्की का यह फोन कॉल पीएम मोदी और पुतिन की मुलाकात को कितना प्रभावित करेगा। हालांकि, इसने निश्चित रूप से कूटनीतिक चर्चाओं की पृष्ठभूमि को और दिलचस्प बना दिया है।