स्टारलिंक को भारत में हरी झंडी! ISRO ने दी सैटेलाइट सेवा लॉन्च की मंजूरी
एलन मस्क की स्टारलिंक ने भारतीय अंतरिक्ष नियामक से लाइसेंस हासिल किया। जानें कैसे बदलेगी भारत की इंटरनेट कनेक्टिविटी और कब तक मिलेगी सेवा।

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नई दिल्ली: एलन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट कंपनी स्टारलिंक ने भारत में ऐतिहासिक जीत हासिल की है। भारतीय अंतरिक्ष नियामक IN-SPACe ने कंपनी को भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने का आधिकारिक लाइसेंस जारी कर दिया है। यह फैसला देश के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
भारत में स्टारलिंक का सफर: 3 साल की कड़ी मशक्कत
स्टारलिंक ने भारत में प्रवेश के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी है:
- 2022 में अस्थायी लाइसेंस अस्वीकृत
- डेटा स्थानीयकरण को लेकर चिंताएं
- भारतीय साझेदार के साथ नए समझौते
- सरकार को सुरक्षा गारंटी
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "स्टारलिंक ने सभी शर्तों को पूरा कर लिया है। अब उनके उपकरणों का भारतीय परिस्थितियों में टेस्टिंग चल रहा है।"
ग्रामीण इंटरनेट क्रांति की उम्मीद
यह लाइसेंस भारत के सुदूर इलाकों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है:
क्षेत्र | वर्तमान हालत | स्टारलिंक का प्रभाव |
---|---|---|
पहाड़ी इलाके | 2G/3G कनेक्टिविटी | 100+ Mbps स्पीड |
आपदा प्रबंधन | नेटवर्क फेल | तुरंत कनेक्टिविटी |
डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के एक अधिकारी ने कहा, "यह टेलिकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी वाले क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को बदल देगा।"
सुरक्षा चिंताओं का समाधान
सरकार की प्रमुख शर्तें जो स्टारलिंक ने पूरी कीं:
- भारत में डेटा सर्वर स्थापित करना
- सुरक्षा एजेंसियों को रियल-टाइम एक्सेस
- भू-स्थानिक डेटा भारत में स्टोर करना
- सैन्य स्थलों के आसपास रिस्ट्रिक्शन
कब तक मिलेगी सेवा? कीमत क्या होगी?
सूत्रों के अनुसार:
- पायलट प्रोजेक्ट: अक्टूबर 2025 में 5 राज्य
- यूजर किट कीमत: ₹15,000 (अनुमानित)
- मासिक शुल्क: ₹1,200-1,500
- फुल लॉन्च: 2026 की पहली तिमाही
एक्सपर्ट्स का मानना है कि कीमतें प्रतिस्पर्धा के साथ कम हो सकती हैं।
भारतीय कंपनियों के लिए चुनौती या अवसर?
जियो और भारती एयरटेल पर प्रभाव:
- खतरा: शहरी प्रीमियम यूजर्स का नुकसान
- अवसर: स्टारलिंक के साथ पार्टनरशिप
- भारत की अपनी सैटेलाइट सेवा: ISRO की OneWeb को सपोर्ट
टेलीकॉम एक्सपर्ट राजीव शर्मा कहते हैं, "यह भारतीय टेलीकॉम सेक्टर के लिए वेक-अप कॉल है। सैटेलाइट टेक्नोलॉजी में निवेश अब जरूरी हो गया है।"
स्टारलिंक का भारत में प्रवेश डिजिटल डिवाइड पाटने की दिशा में बड़ा कदम है। हालांकि, स्थानीय कंपनियों के लिए यह चुनौतीपूर्ण होगा। सरकार के लिए संतुलन बनाना महत्वपूर्ण होगा ताकि 'आत्मनिर्भर भारत' के लक्ष्यों को भी बल मिले।
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