ट्रम्प ने BRICS पर लगाई 10% अतिरिक्त शुल्क की घोषणा, जानिए क्यों डरा हुआ है अमेरिका?
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने BRICS देशों पर 10% सार्वभौमिक टैरिफ लगाने की योजना का खुलासा किया। जानिए क्यों यह कदम वैश्विक व्यापार के लिए चिंताजनक है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित कर सकता है।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने संभावित दूसरे कार्यकाल की तैयारी में एक विवादास्पद घोषणा की है। उन्होंने BRICS देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) पर 10% का सार्वभौमिक टैरिफ लगाने की योजना का खुलासा किया है। यह कदम वैश्विक व्यापार के लिए नए संकट का संकेत दे रहा है।
टैरिफ योजना का विवरण और ट्रम्प का तर्क
ट्रम्प के प्रस्ताव के अनुसार, अमेरिका BRICS देशों से आयात होने वाले सभी सामानों पर 10% का अतिरिक्त शुल्क लगाएगा। उनका दावा है कि यह कदम अमेरिकी उद्योगों को "अनुचित प्रतिस्पर्धा" से बचाएगा और देश में रोजगार के अवसर बढ़ाएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह घोषणा ट्रम्प की "अमेरिका फर्स्ट" नीति के अनुरूप है, जो 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में उनके मुख्य चुनावी एजेंडे के रूप में उभर रही है।
हालांकि, अर्थशास्त्री इस प्रस्ताव को लेकर गंभीर चिंताएँ व्यक्त कर रहे हैं। डॉ. अमित शर्मा, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ, बताते हैं: "2018 के व्यापार युद्ध के दौरान चीन पर लगाए गए टैरिफ का अमेरिकी उपभोक्ताओं पर विपरीत प्रभाव पड़ा था। यह नया प्रस्ताव उससे कहीं अधिक व्यापक है और इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है।"
अमेरिकी चिंताओं के मुख्य कारण
BRICS का बढ़ता वैश्विक प्रभाव
- आर्थिक विस्तार: BRICS देश वैश्विक जीडीपी का 36% हिस्सा रखते हैं और उनकी विकास दर G7 देशों से अधिक है
- वैकल्पिक वित्तीय प्रणाली: डॉलर के विकल्प के रूप में स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा
- रणनीतिक साझेदारी: ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग में वृद्धि
- सदस्यता विस्तार: हाल में कई नए देशों को समूह में शामिल करने की प्रक्रिया
अमेरिकी विदेश नीति विशेषज्ञ सारा जॉनसन के अनुसार, "BRICS का विस्तार पश्चिमी प्रभुत्व के लिए सीधी चुनौती बन गया है। खासकर चीन और रूस की बढ़ती निकटता वाशिंगटन के लिए रणनीतिक चिंता का विषय है।"
भारत के लिए निहितार्थ
भारत के लिए यह स्थिति विशेष रूप से जटिल है। एक ओर भारत अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना चाहता है, वहीं दूसरी ओर BRICS में उसकी सक्रिय भागीदारी है। टैरिफ प्रस्ताव से भारतीय सॉफ्टवेयर, फार्मास्यूटिकल्स और हस्तशिल्प निर्यात प्रभावित हो सकते हैं।
वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "हम इस मुद्दे पर अमेरिकी प्रशासन से सीधे संपर्क में हैं। भारत का उद्देश्य व्यापार संतुलन बनाए रखना है जहाँ दोनों पक्षों के हित सुरक्षित रहें।"
वैश्विक व्यापार का भविष्य
ट्रम्प के इस प्रस्ताव ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के भविष्य पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के संरक्षणवादी उपाय वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकते हैं। बहुपक्षीय व्यापार समझौतों और खुले बाजारों के सिद्धांत को इससे चुनौती मिलती है।
नवंबर में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के परिणाम वैश्विक व्यापार नीति की दिशा निर्धारित करेंगे। फिलहाल, दुनिया भर के व्यापारिक साझेदार सतर्कता से इस स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।